हारा हुआ आदमी(भाग12) Kishanlal Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

हारा हुआ आदमी(भाग12)

इसे निहारने के लिए हजारों की संख्या में पर्यटक देश विदेश से आते है।जो भी आगरा आता है, ताजमहल जरूर देखना चाहता है।देवेन और निशा के पीछे एक फोटोग्राफर लग गया"नही भई
देवेन ने बडी मुश्किल से उससे पीछा छुडाया था।अंदर भी भीड थी।विदेशी पर्यटकों के साथ गाइड था जो उन्हें ताजमहल का इतिहास बता रहा था।अंदर से ताज महल देखकर निशा और देवेन बाहर आ गए।निशा बोली,"शरद पूर्णिमा में चांदनी रात में इसकी छटा देखने लायक होती है।इस रात को ताज के दीदार के लिए लोग दूर दूर से आते है।"
"कभी अवसर मिला तो रात को ज़रूर देखंगे।"
देवेन और निशा नंगे पैर ताज के चारो तरफ चहल कदमी कर रहे थे।ताज के पीछे यमुना बहती है।इस समय यमुना नदी नही नाले सी लग रही थी।चबूतरे से उतरकर वे दोनों पेड़ो की छांव में आकर बैठ गए थे।
"कैसा लगा ताज"
"आपके साथ ने इसकी सुन्दरता मे चार चांद लगा दिए।"देवेन, निशा को निहारते हुए बोला।
"औपचारिकता छोड़कर आप की जगह तुम कहे यो अच्छा लगेगा।"
"फिर क्या कहूं?"
"मेरा नाम ले सकते है।तुम कह सकते है।"
"मुझे मंजूर है लेकिन इसका पालन तुम्हे भी करना होगा।"
वे दोनों होटल लौट आये थे।देवेन को जयपुर के लिए बस पकड़नी थी।
"अब कब आना होगा?"बस रवाना होने से पहले निशा ने पूछा था।
"जब भी आना होगा तुम्हे फोन कर दूंगा।"
निशा देवेन की उजाड़,नीरस जिंदगी मे हवा के हल्के से झोंके की तरह चुपके से आयी और बहार बनकर उसकी जिंदगी में छा गई।देवेन की जिंदगी में नीरसता थी।निशा के आने से खुशियों आ गई थी।
निशा हुस्न की मल्लिका थी।रूप की रानी के सम्पर्क मे आकर देवेन की खुशी का ठिकाना नही रहा।
देवेन और निशा की दोस्ती को एक साल हो गया था।इस बीते एक साल मे वह पांच बार आगरा आया था।आने से पहले वह निशा को फोन कर देता।निशा उसे लेने स्टेशन पहुँच जाती।वह जितने भी दिन रहता।निशा के साथ घूमता,पिक्चर देखत।
इस बीते एक साल में देवेन, निशा के इतने करीब पहुँच गया था कि उसे चाहने लगा,प्यार करने लगा।वह निशा के साथ अपने भावी जीवन का सपना देखने लगा।मन ही मन उससे शादी करके अपनी बनाने का सपना देखने लगा।
जब भी देवेन, निशा से मिलता उसके मन मे विचार आता कि वह अपने मन की बात निशा को बता दे।अपने प्यार का इज़हार कर दे।लेकिन वह चाहकर भी ऐसा नही कर पाया।वह कहने कज सोचता लेकिन सोचकर ही रह जाता।उसमे इतना साहस न होता कि दिल कक बात जुबा पर ले आये।वह कहने से डरता था।उसका डर जायज था।वह पिछले एक साल से मिल रहे थे।लेकिन बीते साल में ऐसा कुछ नही हुआ था।जिससे यह अनुमान लग सके कक निशा भी उसे चाहती है।उससे प्यार करती है।
देवेन जब भी अकेले मे निशा से अपने सम्बन्ध पर विचार करता।निशा का व्यवहार उसे एक अच्छे साथी का लगता।पर इसका मतलब शादी तो नही।
और वह निर्णय हज कर पाता।
कभी कभी देवेन सोचता उसे अपने दिल की बात निशा को बता देनी चाहिए।बता दें कज वह उसे अपनी बनाना चाहता है।उससे शादी करना चाहता है।
निशा के व्यवहार से नही लगता था।जैसा वह सोचता है।निशा भी वैसे ही सोचती है।इसलिए उसे डर था कहि उसकी बात सुनकर निशा नाराज न हो जाये।