School Trip स्कूल टूर ख्वाहिश navita द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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School Trip स्कूल टूर ख्वाहिश

वो बचपन के दिन , स्कूल की वो यादे , जो कभी भुलाये नहीं भूलती। वो दोस्तो से बातें, हर रोज की मुलाकाते , जो कभी भुलाये नहीं भूलती। गांव का मेरा स्कूल, जहा लगती थी क्लास , वो पेड़ की ठंडी छाँव मे , जहा करते थे मस्ती हरदम , भुलाये नहीं भूलती। 🎼
आज हर रोज की तरह क्लास टीचर आये, क्लास attendance लगी। हम सब अपनी अपनी किताबे खोल पढ़ने लगे। तभी प्रिंसिपल सर आये। उन्हों ने क्लास मे announce करा , कि रविवार को स्कूल कि और से चंडीगढ़ टूर जाने वाला है , जिस बच्चे ने टूर पर जाना है , अपने मम्मी -पापा से पूछ कर आये और १०० रुपए जमा करवा कर नाम लिखवा जाये। 🎼
१०० रुपए , मैं सोचने लगी , मुझे मम्मी हर रोज १ रूपया खर्च करने को देती है , उसमे से मैं ५० पैसे बचा लेती। १०० रुपए मम्मी -पापा नहीं देगे। यही बात सोचते सोचते मैं घर आया गयी और इसी उधेड़-बुन मे लगी रही कि पापा से टूर पर जाने कि बात करो जा ना करो । 🎼
आखिर मैंने डरते-डरते पापा से टूर पर जाने के लिए कहा। पापा ने तभी कहा ,"कि लड़किया नहीं जाती , लड़को के साथ बाहर घूमने । " मैं छोटा सा मुँह बना कर वापिस आ गयी। 🎼
अगले दिन स्कूल मे सब बच्चे रुपए लेकर आये। मेरी दोस्त निशा और उसकी बहन राज भी टूर पर जा रही थी। मैं भी उस टूर पर अपने दोस्तों के साथ जाना चाहती थी , कुछ नई यादे बनाना चाहती थी। मेरे लिए गांव से बाहर , चंडीगढ़ जाना बहुत बड़ी बात थी। मैं कभी अपने गांव से बाहर नहीं जाती थी। 🎼
आखिर रविवार का दिन आ गया। सब दोस्त खुश थे। सुबह ७ बजे बस स्कूल से चली गयी। उस दिन मैं उदास रही और सोचती रही , कि वहा मेरे सब दोस्त मस्ती कर रहे होंगे। एक मैं ही हूँ , जो न जा सकी। इसी सोच मैं डुबी रही , कि क्यों नहीं जाने दिया मुझे। 🎼
सब दोस्त रात को १० बजे घर वापिस आये। अगले दिन मैं स्कूल जाने के लिए बहुत उत्साहित थी। स्कूल में सब से टूर कि बाते सुनाना चाहती थी। उस दिन स्कूल मे सब टूर कि बातें ही कर रहे थे। निशा मुझे टूर कि बातें बता रही थी , उस कि बातें सुन कर, में खुद को निशा की जगह महसुस कर रही थी। 🎼
स्कूल में आधी छुट्टी होयी। आधी छुट्टी के बाद मैंने देखा , निशा के मम्मी -पापा स्कूल आये है। निशा को भी टीचर ने अपने पास बुला लिया। टीचर के पास निशा की बहन राज भी थी। टीचर राज को कुछ बोल रही थी और उस के मम्मी -पापा मुँह झुका कर खड़े थे। मुझे कुछ समझ नहीं आया। मैं घर जा कर इसी बारे मे सोचती रही , कि क्यों निशा के मम्मी -पापा स्कूल आये थे। 🎼
अगले दिन स्कूल मे सब निशा की बहन राज की ही बातें कर रहे थे , कि राज की उसकी क्लास के लड़के के साथ दोस्ती थी। जब टूर पर गये, तब टीचर ने उन दोनों को बात करते देख लिया था। जिस के कारण राज के मम्मी -पापा ने उसे बहुत मारा और गांव मे उनकी बदनामी हो गयीl 🎼
इतनी बात सुनकर मै डर गयी और सोचने लगी ," अच्छा हुआ कि मैं नहीं गयी। मम्मी -पापा सही कहते है कि लड़कियों को लड़को के साथ घूमने नहीं जाना चाहिय। " उस के बाद मैंने कॉलेज आ कर भी टूर पर जाने की बात नहीं करी l🎼
ज़िन्दगी में कुछ ख्वाहिशे , किसी डर के कारण और कुछ अपनों के लिए हम दबा देते है। जो आगे जा कर अनकही ख्वाहिशे बन कर रह जाती है।🎼🎼