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अनजान रीश्ता - 40

पारुल ऐसे ही सोफे पर बैठी हुई थी । वह सेम के लौटने का इंतजार कर रही थी । वह जाना तो सेम साथ चाहती थी पर उनकी परिवार कि टाइमिंग में वह अनकम्फर्टेबल नहीं होना चाहती थी । इस वजह से वह सेम ओर अविनाश के साथ उसके माता पिता के साथ नहीं गई । अविनाश की बातो को याद करते हुए उसके रोगटे खड़े हो गए थे। न जाने क्यों पारुल जब भी अविनाश को देखती है तो उसका दिल जोरो से धड़कने लगता है । जैसे मानो वह अविनाश को सालो से जानती हो। पर फिर पारुल सोचती है कि वह उसे कैसे जान सकती है क्योंकि यह दूसरी बार है जब वह दोनों मिले है तो फिर ये अजीब अजीब ख्याल क्यों आ रहे है । पारुल के सिर दर्द के कारण वह सोफे पर सिर रख कर आंखे बंद करते हुए ऐसे ही चुपचाप बैठी हुई थी । तभी कोई उसके सर पर कोई मालिश कर रहा था । जिस वजह से उसे काफी अच्छा महसूस हो रहा था । मानो जैसे नरक में से मुक्ति मिल गई हो। तभी पारुल कहती हैं।

पारुल: ( मुस्कुराते हुए ) क्या बात है यार तुम इतनी जल्दी कैसे आ गए अभी तो तुम गए थे अपने भाई के साथ। अच्छा यार एक बात बोलूं मुझे तुम्हारा भाई कुछ ठीक नहीं लगता । मतलब बुरा मत मानना पर यार में जब भी उसके साथ होती हूं तो एक अजीब सी फिलिंग आती है जैसे मानो सांस लेना भी मेरे लिए जुर्म हो। ....आऊच.... सेम धीरे यार मुझे मारने का इरादा है क्या ? वैसे तुम कोई जवाब क्यों नहीं दे रहे .... आहाहां... अच्छा तो मुझसे नाराज़ हो पर मैंने तो एसा कुछ किया ही नहीं जिससे तुम नाराज़ हो । वाह .... सेम क्या जादू है तुम्हारे हाथो मै !!! पर तुम्हे कैसे पता चला मेरे सिर में दर्द है!!!? बोलो!!?

!!क्योंकि जब बात तुम्हारी हो तो मुझसे बेहतर कौन जानता है तुम्हे!!

पारुल यह आवाज सुनकर सोचती है सेम की आवाज तो ऐसी नहीं है । वह सोफे पर सिर रखे हुए ही आंखे खोलती है तो अविनाश था। अविनाश भी पारुल की आंखों में ही देख रहा था । पारुल की धड़कने फिर से बढ़ गई थी । तभी पारुल अविनाश के हाथो को दूर करते हुए अविनाश से दूर खड़ी हो जाती है ।

पारुल: तू... तू.... म्म!! यहां क्या कर रहे हो ? और सेम कहां है?
अविनाश: ( पारुल के करीब जाते हुए ) वेल जहां तुम होगी वहां मेरा होना तो लाजमी है । और रही बात सेम की तो तुम्हारी ज़िन्दगी में एक ही इंसान पहले था एक ही इंसान है और एक ही इंसान रहेगा । और वो है अविनाश खन्ना यानी àk।
पारुल: व्हाट ध हेक्क ये क्या पागलपन लगा रखा है। जब से मिले हो बदतमीजी पे बदतमीजी करे जा रहे हो ? समझते क्या हो अपने आपको? लुक मिस्टर अविनाश खन्ना मेरी एक बात ध्यान से सुनो और अपने दिमाग में बिठालो मुझे तुम में कोई दिलचस्पी नहीं है तो समझे तुम और ये अंगूठी देख रहे हो तुम ( हाथ दिखाते हुए ) ये सबूत है कि में ऑलरेडी किसी की हो चुकी हूं। तो जितनी भी शर्म बाकी है उसे लेकर दफा हो जाओ।
अविनाश: ( गुस्से में पारुल को अपनी ओर खींचते हुए )
पारुल: व्हाट ध..!!
अविनाश: ( मुंह पर उंगली रखते हुए ) शहहह....!! आवाज नीची रखो वर्ना क्या है तुम्हारा सो कोल्ड फियांसे आ जाएगा ओर जिस स्थिती में हम है अभी अगर उसने ऐसे देख लिया तो मुझे नहीं लगता कि वह दुबारा तुम्हारी शक्ल भी देखना पसंद करेगा।
पारुल: डरा रहे हो मुझे? क्या में छोटी बच्ची दिख रही हूं मै तुम्हे जो तुम्हारी धमकी से डर जाऊंगी!? ओर तुम होते कौन हो मुझे इस तरह छूने वाले हाथ हटाओ वर्ना अंजाम अच्छा नहीं होगा। ( अविनाश का हाथ कमर पर से हटाते हुए ) ।
अविनाश: ( और भी कस के पारुल को पकड़ते हुए ) पहली बात ( पारुल के बाल कान के पीछे करते हुए ) कौन हूं मै ? मै वहीं इंसान हूं जिससे तुम बेइंतेहा मोहब्बत करती थी करती हो और करती रहोगी। दूसरी बात ( पारुल के हाथ को अपने हाथ में लेते हुए ) ये जो किसी ओर के नाम की अंगूठी तुमने पहनी है आई डोंट लाईक इट। बिकोज जो मेरा है वह मेरा ही रहता है। चाहे फिर में उसे पसंद करू या ना करू। तो अपने इस छोटे से दिमाग में एक बात बिठा लो ये जो तुम सेम के साथ जिंदगी बिताने के झूठे ख्वाब देख रही हो ना बेहतर होगा ये सब बंद कर दो । ओर रही बात तुम्हे छूने की तो प्रिंसेस उसके लिए मुझे किसी की परमिशन लेने की जरूरत नहीं क्योंकि तुम्हारा दिल खुद गवाही दे रहा है !!!..।
पारुल: ( अविनाश को धक्का देते हुए ) व्हाट ध हेल!!! क्या कहा तुमसे प्यार करती हूं और वो भी में ( चिल्लाते हुए ) सीरियसली कौन सी दुनिया मै जी रहे हो मै तुम्हे जानती भी नहीं और ये प्यार की बात कहां से आयी। और फॉर गॉड सेक मै तुम्हारे भाई की होने वाली फ्यूचर वाईफ हूं तो कुछ तो शर्म करो या फिर शर्म हया सब बेच खाई है तुमने। एंड आखिरी बार में सेम की वजह से तुम्हे माफ कर रही हूं तो इससे मेरी कमजोरी बिल्कुल मत समजना। आइंदा इसी बदतमिजी की तो ये हाथ काम करने लायक नहीं रहेंगे समझे।
अविनाश: हहाहाहाहा.... जंगली बिल्ली हां आई लाईक इट । पर क्या है ना शायद तुम्हारी यादाश्त कमजोर हो गई है मेरी नहीं । तो जो भी तुम करोगी उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा तुम्हे।
पारुल: ( गुस्से में ) मतलब क्या है तुम्हारा साफ साफ शब्दों में बात करो यूं दोहरे शब्द का प्रयोग ना ही करो तो बेहतर होगा ।
अविनाश: ( पारुल के बालो को कान के पीछे करता है लेकिन पारुल उसके हाथ थप्पड़ मारते हुए हटा देती है ।) जान!! क्या करू में तुम्हारा हां!! कितनी भोली हो तुम अभी तक नहीं समझी कि अगर तुमने आज सेम को सगाई के लिए हां कहा तो फिर अंजाम अच्छा नहीं होगा।
पारुल: क्या मतलब है तुम्हारा!!?
अविनाश: बस यही की जब आज सेम तुम्हे प्रपोज करेगा तो तुम उसे मना करोगी कोई भी बहाना बनाओ मुझे इससे मतलब नहीं है पर तुम हा नहीं कहोगी धेट्स इट ।
पारुल: ( जोर जोर से हंसते हुए ) हाहाहाहाहा और तुम्हे क्या लगता है कि मै तुम्हारी बात मान लूंगी !!?

अविनाश: बिल्कुल भी नहीं अच्छी तरह जानता हूं मै तुम्हे!!
पारुल: जब इतनी ही अच्छी तरह से जानते हो तो फिर क्यों कह रहे हो !!?
अविनाश: क्योंकि मुझे पता है कि किसी को नुकसान हुआ ओर उसकी वजह तुम बनोगी यह बात तुम्हे कभी पसंद नहीं आएगी राइट।
पारुल: नुकसान!!?
अविनाश: बिल्कुल अगर तुमने आज सगाई के लिए हां कहा तो सेम के लिए अंजाम अच्छा नहीं होगा क्योंकि तुम्हे तो मै कुछ कह नहीं सकता। तुम्हे हर्ट करना यानी खुद को हर्ट करने के बराबर है तो वो तो मै चाहूंगा नहीं ।
पारुल: ( अविनाश का कोलर पकड़ते हुए ) वो भाई है तुम्हारा !! एसा करने के बारे में तुम सोच भी कैसे सकते हो।
अविनाश: ( कोलर छुड़ाते हुए ) और तुम मेरी मोहब्बत मेरी ज़िद मेरी ज़रूरत मेरी दुनिया सिर्फ और सिर्फ मेरी ।
पारुल: ये क्या पागलपन है । में तुम्हे जानती तक नहीं।
अविनाश: तो जान लेना उसमे कौन सी बड़ी बात है। और तुम मुझे बचपन से जानती हो कुछ वजह से तुम भूल गई हो सबकुछ पर अच्छा ही है ।
पारुल: क्या मतलब है तुम्हारा !!? मै कुछ नहीं भूली अगर ऐसा होता तो मेरे मोम डैड मुझे बताते !!
अविनाश: वह तुम्हारे मॉम डेड नहीं है ।
पारुल: व्हाट ध फ***क क्या मतलब है तुम्हारा।
अविनाश: वहीं जो तुमने अभी सुना!!।
पारुल: बस अब बस मै और झूठ नहीं सून सकती!!।
अविनाश: झूठ!! हहाहाहहा... तुम सच में उन्हें अपना परिवार मानती हो !!? खुद को अंधेरे मै से निकालो ओर देखो सच क्या है!!?
पारुल: मुझे कोई सच नहीं जानना जैसी भी है मेरी लाईफ परफेक्ट है बस तुम चले जाओ इतना अहसान कर दो मुझ पे।
अविनाश: सॉरी प्रिंसेस तुम्हारी सारी फरमाइशें पूरी कर सकता हूं सिवाय इसके। क्योंकि इतने साल में जब तुम्हे भूलकर आगे बढ़ ही गया था । लेकिन शायद ऊपर वाले को मंज़ूर ही नहीं है कि हम दोनों दूर रहे । तो फिर ठीक है में तुम्हे अपना बना के ही रहूंगा चाहे फिर तुम खुशी खुशी मानो या जबरदस्ती ये तुम पर डिपेंड करता है । दोनों ही मामलों में तुम बनोगी तो मेरी ही ।
पारुल: फॉर गोड सेक प्लीज स्टॉप इट मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा क्या कह रहे हो तुम। ( ज़मीन पर गिरते हुए) क्यों मेरी लाईफ बर्बाद करने पे तुले हो। मैंने क्या बिगड़ा है तुम्हारा। मेरी अच्छी खासी खुशी खुशी ज़िन्दगी बिता रही थी फिर क्यों!?
अविनाश: क्यों!!? हाहाहाहाहा.... तुम्हे पता भी है तुम्हारी इस खुशी के चक्कर में मैने एक ही दिन में दो कीमती इंसान गवाए है। और इतने साल में मशीन कि तरह जीता रहा। ये देख रही ही ( दिल पर उंगली रखते हुए ) कितनी भी कोशिश करूं ये तुम पर ही मरता है । यहां हमारी पूरी दुनिया तबाह हो गई । तुम्हारी यादस्त चली गई मैने तुम्हे खोया अपनी मां को खोया यह जानते हुए भी की तुम ही वजह हो फिर भी यह तुम्हारे लिए ही धड़कता है और तुम.. खैर छोड़ो पर तुम्हे उससे...
पारुल: उससे क्या....!!?
अविनाश: कुछ नहीं... तुम्हे सभी खाना खाने बुला रहे है चलो।
पारुल: मैंने कहा बात पुरी करो!! और मेरी यादाश्त को क्या हुआ है । ...

सेम "पारो कहा हो यार चलो कब से वैट कर रहा हूं तुम्हारा मै" पारुल की ओर देखता है। " पारो ये क्या हुआ है तुम्हारी आंखे लाल क्यों है और तुम्हे इतना पसीना क्यो आ रहा है तुम्हारी तबीयत ठीक तो है।" पारुल सेम से कहती है कि कुछ नहीं बस तबियत ठीक नहीं है । सेम जानता था बात कुछ और है लेकिन फिर भी वह कुछ कहता नहीं !! । वह अविनाश को भी कहता है कि खाना टेबल पर लग गया है । तभी अविनाश कहता है कि उसे एक ज़रूरी कॉल करना है वह अभी थोड़ी देर में आ जाएगा। सेम ओके कहते हुए पारुल को अपने साथ लेकर चला जाता है।


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