सबको पता था वह मार डाला जाएगा। - 5 Suraj Prakash द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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सबको पता था वह मार डाला जाएगा। - 5

सबको पता था वह मार डाला जाएगा।

सूरज प्रकाश

गैब्रियल गार्सिया मार्खेज़ के उपन्यास

का अनुवाद

chronicle of a death foretold

5.

कर्नल अपोंते के आग्रह पर पूरा परिवार, यहां तक कि उसकी बड़ी बहनें और उनके पति भी चले गये थे। वे जब गये तो किसी को कानों कान खबर नहीं हुई। यह एक तरह से सार्वजनिक निष्कासन था। जबकि उस अभागे दिन के बाकी बच रहे हम लोग सैंतिएगो नासार को दफनाने के लिए जगे हुए थे। मेयर के फैसले के अनुसार वे लोगों के शांत होने तक के लिए गये थे लेकिन वे फिर कभी वापिस लौट कर नहीं आये। पुरा विकारियो ने अपनी ठुकरायी हुई छोकरी का चेहरा एक दुपट्टे से लपेट कर ढक दिया था ताकि कोई भी उसकी खरोंचों, चोटों के निशानों को न देख सके। पुरा विकारियो ने अपनी लड़की को सुर्ख लाल जोड़ा पहना दिया था ताकि किसी को यह गुमान तक न हो सके कि वह अपने गुप्त प्रेमी का सोग मना रही है। जेल से जाने से पहले पुरा विकारियो ने फादर एमाडोर से कहा था कि जेल में उसके बेटों से अपराध स्वीकार करवा लें लेकिन पैड्रो विकारियो ने इनकार कर दिया और अपने भाई को भी यकीन दिला दिया कि उन्होंने कुछ भी तो ऐसा नहीं किया जिसका पछतावा करें। वे अकेले ही रहे और जिस दिन उन्हें रियोहाचा ले जाया जाना था, वे इतना अधिक उबर चुके थे और उन्हें इतना अधिक यकीन हो चला था कि अपने परिवार की तरह अंधेरी रात में ले जाये जाने के लिए राजी ही नहीं हुए। वे दिन की रौशनी में और सबको अपना चेहरा दिखाते हुए ले जाया जाना चाहते थे। पोंसियो विकारियो, उनका पिता कुछ अरसे बाद गुजर गया था। “उसकी आत्मा का बोझ उसे लिवा ले गया।” एंजेला विकारियो ने मुझे बताया था।

जिस वक्त जुड़वां भाइयों को दोष मुक्त किया गया तो वे रियोहाचा में ही बने रहे। रियोहाचा मनाउरे से सिर्फ एक दिन की दूरी पर था। उनका परिवार उस वक्त वहीं रह रहा था। प्रूडेंसिया कोटेस पाब्लो विकारियो से विवाह करने के लिए वहां गयी थी। उसने वहां पाब्लो विकारियो के पिता की दुकान पर सोने-चांदी का काम सीख लिया था और बेहतरीन सुनार बन गयी थी। पैड्रो विकारियो जिसके हिस्से में न तो प्यार था और न ही काम धंधा, तीन बरस बाद फिर से फौज में जाकर भर्ती हो गया था। उसे वहां पहली बार सार्जेंट का खिताब मिला। एक सुहावनी सुबह उनकी टुकड़ी गुरिल्ला इलाकों में गाती बजाती गयी और फिर उसके बाद उसके बारे में कभी कुछ सुनायी नहीं दिया।

अधिकतर लोगों के लिए वहां केवल एक ही शिकार था। बयार्दो सां रोमां। सभी लोग यह मान कर चल रहे थे कि इस हादसे के दूसरे नायक मान सम्मान के साथ अपने हिस्से के सुख-दुख भोग रहे थे। यहां तक कि उनकी ज़िंदगी ने उन्हें जो किस्मत की रंगीनियां दी थीं, उन्हें वे खास शानो-शौकत के साथ जी रहे थे। सैंतिएगो नासार ने अपमान की कीमत चुका दी थी। विकारियो बंधु मर्द के रूप में अपनी हैसियत सिद्ध कर चुके थे और छोड़ी गयी बहन एक बार फिर से अपने सम्मान की मालकिन थी। एक बेचारा बयार्दो सां रोमां ही था जो अपना सब कुछ गंवा चुका था। उसे बरसों तक “बेचारा बयार्दो” के रूप में ही याद किया जाता रहा। इसके बावजूद अगले शनिवार, जब चन्द्र ग्रहण पड़ा, तब तक किसी को उसका ख्याल ही नहीं आया। उस दिन विधुर जीयस ने मेयर को बताया था कि उसने अपने पुराने घर के ऊपर एक सत रंगी चिड़िया को मंडराते देखा है। हो न हो, यह उसकी मरहूम बीवी की आत्मा रही होगी। वह अपना घर वापिस मांगने के लिए ही मंडरा रही होगी। मेयर ने अपनी भौं खुजलायी। इसका जीयस के देखे सपने से कुछ भी लेना देना नहीं था।

“छी:” वह चिल्लाया, “मैं तो उस गरीब बेचारी को भूल ही चुका था।”

वह अपनी टुकड़ी लेकर पहाड़ी पर गया। वहां फार्म हाउस के आगे कार अभी भी खड़ी हुई थी। उसकी छत हटायी हुई थी। उसने बेडरूम में एकमात्र बत्ती जलती देखी, लेकिन उसके दरवाजा खटखटाने का किसी ने भी जवाब नहीं दिया। मजबूरन, उन्होंने बगल की तरफ का दरवाजा तोड़ डाला और कमरों की तलाशी ली। कमरों में चन्द्र ग्रहण की गुलाबी रोशनी फैली हुई थी।

“ऐसा लग रहा था, सारी चीज़ें पानी के नीचे हैं।” मेयर ने मुझे बताया था। बयार्दो सां रोमां अपने बिस्तर पर बेहोश पड़ा था। वह वैसा ही पड़ा था, जैसा उसे मंगलवार की सुबह देखा था। पैंट और रेशमी कमीज में। सिर्फ उसके पैरो में जूते नहीं थे इस वक्त। फर्श पर चारों तरफ खाली बोतलें बिखरी पड़ी थीं। बिस्तर के पास कुछ बिना खुली बोतलें भी रखी थीं, लेकिन खाने का कहीं नामो-निशान नहीं था। “वह शराब के नशे की आखिरी पायदान पर था।” उसका तत्काल इलाज करने वाले डॉक्टर दिओनिसियो इगुआरां ने मुझे बताया था। लेकिन जैसे ही उसका दिमाग साफ़ हुआ, वह कुछ ही घंटों में एकदम भला चंगा हो गया। जैसे ही उसके दिमाग की धुंध छटी, उसने सबको हाथ जोड़ कर दरवाजे से बाहर कर दिया।

“मुझसे कोई भी पंगे नहीं लेता,” वह गुर्राया था,“यहाँ तक कि मेरा बाप भी, जो लड़ाई के आदिम ज़माने के तमगे लटकाये फिरता है।”

मेयर ने जनरल पेत्रोनियो सां रोमां को एक तार भेज कर पूरे मामले की बारीक से बारीक तफसील यहां तक कि उसका कहा गया आखिरी जुमला भी लिख भेजा था। यह तार चौंकाने वाला था। जनरल पेत्रोनियो सां रोमां ने ज़रूर ही अपने बेटे की इच्छाओं का शब्दशः मान रखा होगा, इसलिए वह अपने बेटे के लिये नहीं आया था। उसने अपनी लड़कियों और अधेड़ सी दिखती दो औरतों, जो निश्‍चय ही उसकी बहनें रही होंगी, के साथ अपनी बीवी को रवाना कर दिया था। वे सामान ढोने वाली एक किश्‍ती में आयी थीं। उन्‍होंने बयार्दो सां रोमां की बदकिस्मती का मातम मनाने के लिये गले गले तक मातमी कपड़े पहने हुए थे। दुख की वजह से उनके बाल अस्‍त-व्‍यस्‍त हुए जा रहे थे। ज़मीन पर पांव रखने से पहले उन्‍होंने अपने अपने जूते उतार दिये और दोपहर की तपती धूप में धूल-धक्‍कड़ से होती हुईं वे नंगे पैर गली से पहाड़ी की तलहटी तक अपने बाल नोचतीं, इतनी ज़ोर से छाती कूटते हुए, स्‍यापा करते हुए गयीं कि उनकी चीखें सुन कर पता नहीं लगाया जा सकता था कि ये गला फाड़ आवाज़ें कहीं खुशी की तो नहीं। मैं माग्‍दालेना ओलिवर की बाल्‍कनी में खड़ा उन्‍हें जाता देखता रहा।

मुझे याद है कि मैं यही सोच रहा था कि इस तरह की व्यथा दूसरी तरह की शर्मिन्‍दगियों को छिपाने के लिये ही प्रदर्शित की जा सकती है।

कर्नल अपोंते पहाड़ी पर बने घर तक उनके साथ साथ गये और तब डॉक्‍टर दिओनिसिओ इगुआरां मौके-बे-मौके के लिये रखे गये खच्‍चर पर सवार होकर वहां गये। तब सूरज डूबने को था। नगर परिषद के दो आदमी बयार्दो सां रोमां को एक हिंडोले की रस्सियों में बल्‍ली डालकर डोली सी बनाकर उसमें डाल कर ला रहे थे। उसने गले तक कंबल लपेटा हुआ था। स्‍यापा करती औरतों के हुजूम में उसे लाया गया था। माग्‍दालेना ओलिवर को लगा - वह मर चुका है।

“यह तो शोक का पहाड़ है।” वह चीख चिल्‍ला रही थी,“सब कुछ लुट गया। हम तबाह हो गये।”

वह फिर से शराब की वजह से पस्त था, लेकिन यह यकीन करना मुश्‍किल था कि वे एक ज़िंदा आदमी को लिये जा रहे हैं क्‍योंकि उसकी एक बांह नीचे घिसटती हुई चल रही थी। ज्योंही उसकी मां उसकी बांह को उठाकर हैमाक पर रखती, बांह फिर से नीचे झूल जाती। उसकी झूलती बांह से पहाड़ी लॉन के सिरे से नाव के डेक तक ज़मीन पर एक लकीर सी बनती चली गयी। सिर्फ़ उसकी यही लकीर हमारे लिये बची रह गई थी: एक अभागे भुक्तभोगी की याद।

वे फार्म हाउस को ज्‍यों का त्‍यों छोड़कर चले गये थे। जब भी मेरे भाई और मैं छुट्टियों पर होते तो हम रात के वक्‍त घर की तलाशी लिया करते। हर बार हमें उन छोड़ दिये गये कमरों में और कम कीमती चीज़ें नज़र आतीं। एक बार हमने वह छोटा बटुआ खोज निकाला था जिसे एंजेला विकारियो ने अपनी सुहागरात के लिये मां से मंगवा भेजा था, लेकिन हमने उसकी ओर ज्‍यादा तवज्‍जो नहीं दी। उस बटुए के अंदर सफाई और सौंदर्य के लिये आमतौर पर इस्‍तेमाल की जाने वाली जनाना चीज़ें ही मिली थीं, लेकिन उनका असली इस्‍तेमाल क्‍या था, यह यह मुझे एंजेला विकारियो ने कई साल बाद बताया था। उसने कहा था कि ये वो सारा बुढ़ियाओं वाला तामझाम था जो उसे अपने मरद को उल्‍लू बनाने के लिये इस्‍तेमाल करने की हिदायत के साथ दिया गया था। सिर्फ़ यही वह इकलौती चीज़ थी जो उसने अपने पांच घंटे के विवाहित जीवन वाले घर में अपने पीछे छोड़ी थी।

बरसों बाद जब मैं इस रोजनामचे के वास्ते सच जानने के लिये आख़िरी सूत्र तलाशने के लिये आया था तो योलान्‍डा जीयस की खुशी की आख़िरी चिंगारी भी बाकी नहीं रही थी। कर्नल लाजारो अपोंते की होशियार निगरानी के बावजूद चीज़ें धीरे-धीरे ग़ायब होती चली गयी थीं। यहां तक कि छ: शीशे जड़ी वह अलमारी भी गायब हो गयी थी जिसे मॉमपाक्‍स के बेहतरीन कारीगरों ने घर के भीतर ही इसलिये बनवाया था क्‍योंकि उसे दरवाज़े के रास्‍ते अंदर नहीं लाया जा सकता था। शुरू शुरू में विधुर जीयस बहुत खुश हुआ था कि ये सारी मृत्‍यु के बाद की चालें उसकी बीवी की थीं ताकि जो कुछ उसका था, वह उसे वापिस पा सके। कर्नल लाजारो अपोंते उसका मज़ाक उड़ाया करता। लेकिन एक रात उसे ऐसा लगा कि सारे रहस्‍य से पर्दा उठाने के लिये एक आध्यात्मिक अनुष्ठान किया जाये। योलांडा जीयस की आत्‍मा ने खुद अपनी लिखावट में इस बात की पुष्‍टि कर दी कि वह ही अपनी मौत वाले घर के लिये खुशियों के टीम टाम जुटा रही थी। मकान ढहना शुरू हो गया था। शादी की कार के अंजर-पंजर ढीले होने लगे थे। वक्‍त के साथ साथ मौसमों की मार खाये उसके टूटे-फूटे ढांचे के अलावा कुछ भी बाकी नहीं रहा। फिर कई बरस तक उसके मालिक के बारे में कुछ भी नहीं सुना गया।

उसने संक्षेप में एक घोषणा कर दी थी, लेकिन यह घोषणा इतनी छोटी और परंपरागत किस्‍म की थी कि लगता था जैसे आख़िरी वक्‍त खाना पूरी करने की नियत से दो लाइनें घसीट दी गयी हों। मैंने उससे तेईस बरस के बाद सिर्फ़ एक ही बार बात करने की कोशिश की थी लेकिन वह मुझसे ख़ासे आक्रामक ढंग से मिला था। उसने इस पूरे ड्रामे में अपनी हिस्सेदारी के बारे में रत्ती भर भी जानकारी देने से इनकार कर दिया था। जो भी हो, हम उसके बारे में जितना जानते थे, उसका परिवार भी उससे ज्‍यादा कुछ नहीं जानता था। उन्‍हें भी रत्ती भर भी गुमान नहीं था कि वह आखिर इस शहर में करने ही क्‍या आया था, सिवाय इस अकेले मक़सद के कि एक ऐसी औरत से शादी कर सके, जिसे उसने कभी पहले देखा तक नहीं था।

दूसरी तरफ, मुझे एंजेला विकारियो की नियमित ख़बरें लगातार मिलती रहीं जिससे मैं एक आदर्श छवि की प्रेरणा पाता रहा। मेरी नन बहन पिछले कुछ अरसे से आखिरी मूर्तिपूजकों का धर्म परिवर्तन कराने की नियत से अपर गुआज़िरा जाया करती थी और वह अक्‍सर उसके गांव में गप्प बाजी करने के लिए रुक जाया करती। कैरिबियाई नमक से तपते इस गांव में उसकी मां ने उसे जिंदा दफ़न करने की कोशिश की थी। “तुम्हारी कजिन की तरफ से आदाब।” वह हमेशा मुझसे कहा करती। मेरी बहन मार्गोट, जो शुरू-शुरू के बरसों में उसके पास जाया करती थी, ने मुझे बताया था कि उसने एक बहुत बड़े आंगन वाला हवादार और मजबूत मकान खरीद लिया था। इस घर में सिर्फ एक ही दिक्कत थी कि ज्वार की रातों में गुसलखानों में पानी भर जाता और सवेरे सोने के कमरों में मछलियां छटपटाती नज़र आतीं। उस वक्त के दौरान उसे जिस किसी ने भी देखा था, इस बात से सहमत था कि उसने खुद को कशीदाकारी में व्यस्त कर लिया था और उसमें महारत हासिल कर ली थी। अपने इस काम धंधे में उसने सब कुछ भुला देने में सफलता पा ली थी।

काफी दिनों बाद, उस अनिश्चित दौर में जब मैं गुआज़िरा के शहरों में विश्व कोष और डॉक्टरी की किताबें बेच कर खुद को बेहतर तरीके से समझने की कोशिशों में लगा हुआ था, तो एक दिन अचानक यूं ही इंडियन डैथ नाम के गांव तक जा पहुंचा था। एक घर में, जिसकी खिड़की समुद्र की तरफ खुलती थी, दिन के सबसे गर्म समय में स्टील के फ्रेम वाले चश्मे वाली, पीलापन लिये सफेद बालों वाली एक औरत कशीदाकारी करने वाली मशीन पर झुकी हुई थी। उसके कपड़े बता रहे थे कि वह अभी भी आधे मातम में है। उसके सिर पर लटके पिंजरे में बंद कनारी चिड़िया लगातार चिल्लाये जा रही थी। जब मैंने उसे उस तरह खिड़की के खूबसूरत चौखटे में देखा तो मैं यह विश्वास ही नहीं कर सका कि यह वही औरत है, जिसके बारे में मैंने सोचा था। इसकी वजह यह थी कि मैं यह स्वीकार करने के लिए खुद को तैयार ही नहीं कर सका कि ज़िंदगी घटिया साहित्य से मेल खाते हुए इस तरह खत्म होगी। लेकिन यह वही थी: एंजेला विकारियो, उस नौटंकी के तेईस बरस बाद।

मेरे प्रति उसका व्यवहार हमेशा की तरह था। दूर के मौसेरे-चचेरे भाई की तरह। उसने मेरे सवालों के जवाब बहुत ही शानदार सूझ बूझ के साथ और विनोद प्रियता के साथ दिये। वह इतनी मैच्योर और हाजिर जवाब थी कि यकीन करना मुश्किल था कि यह वही औरत है। जिस बात से मुझे सबसे ज्यादा हैरानी हुई थी, वह यह थी कि उसने जिस तरीके से अपनी खुद की ज़िंदगी को समझना छोड़ दिया था, वह चकित कर देने वाला था। कुछ ही पलों के बाद, वह पहली नज़र में उतनी उम्र की नहीं लगी, बल्कि उतनी ही जवान लगने लगी, जितनी मेरी स्‍मृतियों में अंकित थी और उसका उस व्यक्ति के साथ कुछ भी मेल नहीं खाता था, जो बीस बरस की उम्र में बिना प्यार-व्यार के शादी के लिए मंडप में बिठा दी गयी थी। उसकी मां ने उस बुड़बुड़ाते बुढ़ापे में भी किसी दुर्धर्ष भूत की तरह मेरी अगवानी की थी। उसने अतीत के बारे में बात करने से कत्‍तई इनकार कर दिया था और इस रोजनामचे के लिए मुझे उसमें और मेरी मां में हुई बातचीत के टूटे-बिखरे सूत्रों पर ही निर्भर रहना पड़ा था। कुछेक बातें मेरी याददाश्त में बनी रह गयी थीं, उन्हीं को खंगाला गया था। उसने तो एंजेला विकारियो को जीते जी मार डालने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी थी, लेकिन उसकी छोकरी किसी और ही मिट्टी की बनी हुई थी। उसने अपनी बदकिस्मती को कभी भी रहस्यवाद का जामा नहीं पहनाया, इसलिए मां की योजनाएं धरी की धरी रह गयी थीं। इसके विपरीत, होता यह था कि जो भी उसकी बात सुनने में दिलचस्पी दिखाता, एंजेला विकारियो उसे छोटे से छोटे ब्यौरे के साथ पूरा किस्सा सुनाती, बस वह एक ही रहस्य से कभी भी परदा नहीं उठाती थी; उसकी ज़िंदगी तबाह करने वाला आखिर था कौन और क्यों था, क्योंकि सबको विश्वास था कि वह कम से कम सैंतिएगो नासार तो नहीं ही था। सैंतिएगो नासार इतना घमंडी था कि उसकी तरफ देखता तक नहीं था, वह तुम्हारी बोदी कजिन, वह जब भी एंजेला विकारियो का जिक्र करता, इसी रूप में करता। इसके अलावा, जैसा कि हम उस वक्त कहा करते थे, सैंतिएगो नासार पूरा, शकर खोर था। वह ठीक अपने पिता की तरह अकेला घूमता। उन जंगलों में जो भी कुंवारी कन्या इधर उधर मंडराती हुई उसकी निगाह में चढ़ जाती, उसको मसल डालता। लेकिन शहर में फ्लोरा मिगुएल के साथ परम्परागत संबंध और मारिया एलेक्‍जेंद्रीना सर्वांतीस के साथ के तूफानी रिश्ते के अलावा उसका और कोई मामला सुनने में नहीं आया था। मारिया एलेक्‍जेंद्रीना सर्वांतीस के साथ उसके मामले ने उसे चौदह महीने तक आशिक दीवाना बनाये रखा था। सबसे ताजा किस्सा, जो कि शायद सबसे अधिक साक्ष्य विरुद्ध भी था, शायद एंजेला विकारियो से जुड़ा था जो किसी ऐसे आदमी को बचा रही थी जो उसे सचमुच प्यार करता था और उसने सैंतिएगो नासार का नाम सिर्फ यह सोच कर चुन लिया था कि उसके भाई सैंतिएगो नासार के खिलाफ जाने का साहस तो नहीं ही जुटा पायेंगे। जब मैं उससे दूसरी बार मिलने गया था तो मैंने खुद उससे ही सच्चाई उगलवाने की कोशिश की थी। हालांकि मेरे सारे तर्क अपनी जगह पर सही थे, लेकिन उसने अपनी कशीदाकारी से आंखें उठा कर भी नहीं देखा।

“अब गड़े मुर्दे तो मत उखाड़ो, मेरे भाई” उसने मुझसे कहा था।

“यह वही था,” इसके अलावा उसने सब कुछ, राई रत्ती, यहां तक कि अपनी सुहागरात का हंगामा भी बिना किसी लाग लपेट के सुना दिया था। वह याद कर रही थी कि किस तरह उसकी सखियों ने उसे पाठ पढ़ाया था कि अपने मरद को बिस्तर पर इतनी ज्यादा पिलाओ कि उसका पेशाब निकल जाये, वह जितनी परेशानी और असुविधा महसूस कर रही हो, उससे ज्यादा का स्वांग करे ताकि वह, उसका मरद बत्तियां बुझा दे और उसे मौका मिल जाये कि वह खुद को, कुंवारी, अछूत कन्या सिद्ध करने के लिए फिटकारी वाले पानी का डूश ले सके, और चादर पर दाग लगा सके, ताकि अगली सुबह दुल्हन वाले आंगन में मरक्यूरोक्रोम के दागों वाली चादर दिखा कर अपने कौमार्य भंग होने का विश्वास दिला सके। उसकी भोली सखियों ने दो चीज़ों का ध्यान नहीं रखा था। बयार्दो सां रोमां की शराबी के रूप में गज़ब की खुद को रोक सकने की ताकत और एंजेला विकारियो की खुद की शुद्ध शालीनता जो उसकी मां ने उसके भीतर कूट-कूट कर भरी थी,“मुझसे जो कुछ भी कहा गया था, उसमें से मैंने कुछ भी नहीं किया।” उसने मुझे बताया था,“क्योंकि मैं जितना भी इसके बारे में सोचती थी, उतना ही महसूस करती थी कि ये सब गंदी चालें हैं और इन्हें किसी के साथ भी नहीं खेला जाना चाहिए, खासकर उस बेचारे के साथ तो बिल्कुल भी नहीं जो अभागा मुझसे शादी कर रहा है।” इसी वजह से उसने रौशनी भरे बैडरूम में खुद को नंगा हो जाने दिया था। वह अब उन सारे डरों से मुक्त हो गयी थी, जिनसे उसकी ज़िंदगी तबाह हो गयी थी,“यह सब कुछ एकदम, आसान था,” उसने मुझे बताया था,“क्योंकि मैं खुद को मरने के लिए तैयार कर चुकी थी।”

सच तो यह था कि उसने अपनी बदकिस्मती के बारे में बिना किसी शर्म-लिहाज के इसलिए बता दिया था ताकि अपनी दूसरी बदकिस्मती के बारे में, असली मुसीबत के बारे में सच्चाई छुपा सके। यही असलियत उसे भीतर से जलाये जा रही थी। जब तक उसने यह बात मुझे खुद ही बताने का फैसला नहीं कर लिया, किसी को शुबहा भी नहीं हो सकता था कि जिस पल से बयार्दो सां रोमां ने उसे उसके घर की चौखट पर ला छोड़ा था, वह हमेशा के लिए उसकी ज़िंदगी में रहा था। यह आखिरी चोट थी। “जब मेरी मां ने मुझे मारना शुरू किया, अचानक ही मैं उसे याद करने लगी।” उसने मुझे बताया था,“लातों-घूंसों से तकलीफ कम होने लगी थी क्योंकि मैं जानती थी, ये सब उसके लिए हैं।” वह खुद पर एक खास हैरानी के साथ लगातार उसी के बारे में सोचती रही थी। वह तख्तपोश पर बैठी सुबक रही थी,“मैं इसलिए नहीं चिल्ला रही थी कि मुझे लात-घूंसे पड़ रहे थे या इस किस्म की कोई चीज़ हो रही थी,” वह मुझे बता रही थी, “बल्कि मैं तो उसी के लिए रो रही थी।” वह तब भी उसी के बारे में सोच रही थी जब उसकी मां ने उसके चेहरे पर आर्निका का लेप लगाया था और उस समय तो उसकी याद और भी ज्यादा आयी थी जब उसने गली में शोर शराबा सुना था और घंटाघर से आग लगने पर बजाये जाने वाले घंटों की आवाजें सुनी थीं। वह आराम से सो सकती है। हादसा हो चुका है।