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बड़े बाबू का प्यार - भाग 13 14: बरसात की वो शाम 


भाग 13/14: बरसात की वो शाम

महिपाल और मनोज की बाइक सरकारी अस्पताल के अन्दर जाती है और दोनों सरकारी अस्पताल के मुर्दा घर के पास पहुचते है, बाइक लगाने के बाद मनोज कोई फ़ोन करता है फिर हाथ हिला कर इशारा करता है दूर दिलीप की पत्नी बॉडी के लिए वहां इन्तेजार कर रही होती है|

महिपाल मनोज को इशारा करता है, मनोज जाता है और दिलीप की पत्नी को भीड़ से दूर महिपाल के पास ले आता है| महिपाल पहले सांत्वना देता है फिर बोलता है, “आप दिवाकर को जानती थी?”

जी सुना तो था पर कभी मिली नहीं थी…हफ्ते भर पहले देर रात फ़ोन आया तो पता चला| ….उन्ही से मिलने जयपुर आए थे…” इतना बोलते बोलते दिलीप की बीवी रोने लगती है|

“दिवाकर का भी….आई एम श्योर…आप को पता चला होगा” महिपाल बोलता है|

“जी… सुना मैंने…लेकिन अचानक कैसे….इनकी तो कई साल से कोई बात चीत भी नहीं थी..अचानक एक दिन फ़ोन आता है और सब बदल जाता है….” दिलीप की पत्नी रुहाँसे मन से बोलती है|

“कोई ख़ास बात …कोई वाकया…जो आप बताना चाहें….” महिपाल पूछता है

दिलीप की पत्नी सोचने की कोशिश करती है फिर बोलती है, “ऐसा तो कुछ खास नहीं….वो बहुत खुश थे…सालों बाद मिलने जा रहे थे….फ़ोन पर बताया भी था कि दिवाकर जी के घर पहुँचने वाला हूँ|”

“एक बार समय देख कर बता सकती हैं कितने बजे फ़ोन पर बात हुई थी?” महिपाल पूछता है

फिर दिलीप की पत्नी फ़ोन देखती है और बोलती है, “उस रोज़ दो-तीन बार बात हुई थी…ये वाली कॉल शाम 6:23 की थी….इसके बाद मैंने फ़ोन किया था करीब साढ़े सात बजे….हाँ 7:36 लेकिन बात साफ़ नहीं हो पाई…यहाँ ज़ोरों की बारिश हो रही थी…बोल रहे थे नेटवर्क प्रॉब्लम है|”


महिपाल मनोज को देखता है |

“ठीक है आप इंतज़ार कीजिए…और कुछ भी याद आए तो मुझे फ़ोन कीजिए…ये मेरा नंबर है…और एक बात आप बॉडी जोधपुर ले जाएँगी या जयपुर में ही?…” महिपाल पूछता है

“यहाँ तो मेरा कोई है भी नहीं….मेरा भाई आ रहा है, फिर हम जोधपुर ही जाएंगे” इतना बोल कर दिलीप की पत्नी रोने लगती है|

“देखिए आप परेशान मत होइए..आपको कोई भी हेल्प चाहिए फ़ोन कर दीजिएगा…हम लोग पूरी मदद करेंगे” महिपाल सांत्वना देता है|

महिपाल और मनोज हाथ जोड़ कर जाने लगते है तभी दिलीप की पत्नी पीछे से बोलती है, “इंस्पेक्टर साहब एक बात और..उस रात मैंने टाटा स्काई रिचार्ज कराने के लिए भी फ़ोन किया था….वो टीवी बंद हो गया था और बच्चे ज़िद कर रहे थे…पर उधर से फ़ोन किसी लड़की ने उठाया था…फिर तुरंत फ़ोन कट गया| मुझे लगा मौसम खराब है इस लिए क्रॉस कनेक्शन लग गया होगा…फिर दोबारा लगाया तो बात हुई पर क्लियर नहीं थी, तेज़ बारिश के कारण बात साफ़ समझ नहीं आ रही थी|”

महिपाल वापस बाइक से उतरता है और नज़दीक आता है फिर पूछता है, “रिचार्ज हुआ था?”

“हाँ रिचार्ज तो दस मिनट के बाद हो गया था” दिलीप की पत्नी बोली

“कौन सा कनेक्शन है?” महिपाल पूछता है

“टाटा स्काई!” दिलीप की पत्नी जवाब देती है

“कनेक्शन ID मिल सकती है क्या?” महिपाल पूछता है

“जी वो तो घर पर होगी…जब जाउंगी तो दे पाउंगी..” दिलीप की पत्नी बोलती है

महिपाल सर हिला कर वापस बाइक की तरफ बढ़ता है|

“इंस्पेक्टर साहब…रुकिए.. ID है….वो जब रिचार्ज के लिए बोला था तो उनको ID व्हाट्सएप किया था…ये देखिए” दिलीप की पत्नी मोबाइल दिखाते हुए बोलती है

महिपाल ID अपनी पॉकेट डायरी में नोट करता है फिर मोबाइल पर कुछ सर्च कर फ़ोन करता है…..फ़ोन कान पर लगे लगे ही बाइक पर बैठता है और मनोज को चलने का इशारा करता है| फिर चलती बाइक पर फ़ोन कान से दूर करता है और मनोज से कहता है, “मानसरोवर”

मनोज बिना कुछ पूछे बाइक मानसरोवर की ओर मोड़ देता है

महिपाल इशारा करता जाता है और मनोज बाइक चलाता जाता है, दोनों एक मोबाइल शॉप पर रुकते है महिपाल बाइक से उतरता है और चारो तरफ नज़र दौड़ता है, फिर दोनों मोबाइल शॉप के अन्दर चले जाते हैं और दुकान के मालिक के बारे में पूछते है|

“दुकान मालिक से बात करनी है” महिपाल आराम से बोलता है

“जी कहिए” दुकानदार बोलता है

“आप की दुकान में CCTV नहीं है?” महिपाल पूछता है

“सर मोबाइल की दूकान है …आप एक काम कीजिए वो तीसरी गली में गर्वित इलेक्ट्रॉनिक्स है उनके पास मिलेगा CCTV, कंप्यूटर….” दूकानदार समझाता है|

“जी नहीं मेरा मतलब CCTV लगा नहीं है..” महिपाल अपनी बात समझाता है

“कौन है आप?…क्या काम है?..इनकम टैक्स वाले हो क्या?” दूकानदार ताना मारते हुए बोलता है

“ए तमीज से…SI हैं….अभी हंसी अन्दर डाल देंगे” मनोज गुस्से में बोलता है

महिपाल मनोज को समझाता है फिर दुकानदार से बोलता है, “आप टाटास्काई रिचार्ज करते है?”

“जी”

ज़रा देख कर बताइए 24 नवम्बर की शाम एक रिचार्ज किया था इस ID पर….” महिपाल एक कागज़ दिखता है|

“सर एक मिनट…..,बदरी….वो रिचार्ज वाला रजिस्टर लाइयो….एक मिनट सर” दुकानदार बोलता है

दुकान पर काम करने वाला लड़का, बदरी रजिस्टर ला कर दुकानदार को दे देता है और वहीं पास खड़ा हो जाता है।

दुकानदार रजिस्टर चेक करता है और बोलता है, “जी एक रिचार्ज है पांच सौ का”

“एक लड़की ने कराया था” बदरी मुस्कराते हुए बोलता है।

“ओ हो…तुझे बड़ा याद है” मनोज बदरी से बोलता है

“वो साहब शाम को आई थी, और सिगरेट पी रही थी…इसीलिए…” बदरी शरमाते हुए बोलता है

“फोटो खींची…फोटो…” मनोज बदरी से मज़ाक में कहता है

बदरी शर्मा जाता है और सर हिला कर मना कर देता है|

महिपाल मनोज को इशारा करता है, दोनों दुकान से बाहर निकल जाते है| इस बार महिपाल बोलता है, “क्या लगता है कौन हो सकती है? किसी औरत का चक्कर..?”

“हाँ सर था तो एक नंबर का रसिया…डॉली और दिवाकर की बहन दोनों के चक्कर में था..सर कहीं दिवाकर की बहन तो नहीं…”

महिपाल कुछ सोचता है जैसे मानो कुछ याद करने की कोशिश कर रहा हो। फिर बिना कुछ बोले मनोज को बाइक स्टार्ट करने का इशारा करता है| बाइक पर बैठे–बैठे महिपाल फ़ोन पर किसी से बात करता है फिर चालू फ़ोन पर मनोज को रास्ता बताता जाता है|

स्वरचित कहानी
स्वप्निल श्रीवास्तव(ईशू)
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आखिरी भाग 14/14 : शह और मात

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