छूना है आसमान - 11 - अंतिम भाग Goodwin Masih द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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छूना है आसमान - 11 - अंतिम भाग

छूना है आसमान

अध्याय 11

मुख्य अतिथि के मंच पर पहुँचते ही प्रेक्षागार एक बार फिर तालियों की आवाज से गूँज उठता है। तालियों का शोर खत्म हो जाने के बाद उद्घोषक कहता है, ‘‘हमारे आने वाले सिंगिंग रियलिटी शो के लिए तीसरा स्थान पाया है......अंकित सिन्हा ने......।

अंकित का नाम पुकारते ही हाॅल में तालियां बजने लगती हैं। अंकित सिन्हा मंच पर आकर मुख्य अतिथि से अपना पुरस्कार लेकर जाता है। उसके बाद ......उद्घोषक कहता है, और दूसरे नम्बर पर हमारे रियलिटी शो का हिस्सा बनी हैं, दीपिका......दीपिका अग्निहोत्री......।

प्रेक्षागार में दीपिका के लिए तालियाँ बजती हैं। दीपिका मंच पर आकर अपना पुरस्कार और मुम्बई जाने का टिकट लेकर चली जाती है। उसके जाने के बाद उद्घोषक कहता है, ‘‘और अब बारी आती है उस महान प्रतियोगी की, जिसने इस प्रतियोगिता में सर्वाधिक अंक लेकर पहला स्थान प्राप्त किया है। और उस प्रतियोगी का नाम है......उद्घोषक के प्रतियोगी का नाम बताने से पहले ही प्रेक्षागार में बैठे लोग हो......हो......करके शोर मचाने लगते हैं, तो उद्घोषक रुक जाता है और दर्षकों को देखकर मुस्कुराता है फिर कहता है, ‘‘चलिए, पहले नम्बर पर आने वाले प्रतियोगी का नाम आप लोग ही बता दीजिए......।’’

उद्घोषक के इतना कहते ही प्रेक्षागार में से एक साथ शोर मचता है। चेतना......फिर सब एक साथ कहने लगते हैं......चेतना......चेतना......चेतना......काफी देर तक प्रेक्षागार में चेतना......चेतना षब्द गूँजता रहता है। उसके बाद उद्घोषक जोष के साथ जोर से कहता है, ‘‘आप लोगों ने बिल्कुल ठीक कहा......हमारी आज की इस प्रतियोगिता की पहले नम्बर की विनर हैं......चेतना......।

चेतना का नाम सुनते ही अलका खुषी से उछल पड़ती है और प्रेक्षागार में तालियों का शोर गूँजने लगता है।

रोनित चेतना को लेकर मंच पर आता है। चेतना हाथ जोड़कर सबका शुक्रिया अदा करती है। खुषी के मारे चेतना की आँखों से आँसू बहने लगते हैं। चारों तरफ से फोटो पत्रकार चेतना के फोटो खींचने लगते हैं। मुख्य अतिथि चेतना की खूब तारीफ करते हैं उसके बाद उसे मुम्बई का टिकट देते हैं और साथ ही पुरस्कृत भी करते हैं।

उद्घोषक चेतना से कहता है, ‘‘चेतना, तुम इस प्रतियोगिता की नम्बर वन बनकर, कैसा फील कर रही हो......?’’

पुरस्कार लेकर चेतना माइक पर कहती है, ‘‘सच पूछिये तो मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है कि मुझे पहला पुरस्कार मिला है। मेरे लिये तो यह एक सपने जैसा लग रहा है, क्योंकि मैंने इस सम्मान की अपेक्षा भी नहीं की थी।’’ कहते-कहते चेतना एकदम रोने लगती है। वह रोते-रोते दर्षकों से कहती है, ‘‘आप लोगों ने मुझे जो प्यार और सम्मान दिया है, मेरे लिए तो वही सबसे बड़ा पुरस्कार है। आप लोगों ने मुझे चुनकर रियलिटी शो में जाने का मौका दिया इसके लिए भी मैं आप सबकी शुक्रगुजार हूँ और कोषिष करुँगी कि आने वाले रियलिटी शो की भी मैं विनर बनकर आप सबका मान रखूँगी।’’

सब लोग चेतना की बातों पर ताली बजाते हैं। चेतना अपनी बात जारी रखते हुए आगे कहती है, ‘‘इसके अलावा मैं आप सभी दर्षकों से एक अनुरोध करना चाहूँगी, यदि आपके घर में या आपके आस-पड़ोस में कोई बच्चा शारीरिक या मानसिक रूप से अपंग या अक्षम है, तो उसे नजरअदांज न करें। उसे बेकार की चीज समझ कर उसे स्टोर रूम या अकेले कमरे में न फेंक दें। न ही उसे उपेक्षित करें। उसे अपाहिज या लंगड़ा-लूला कहकर उसका मनोबल न तोड़ें, बल्कि उसका मनोबल बढ़ायें, अगर उसके अन्दर कुछ करने की क्षमता है या वह कुछ करना चाहता है, तो उसको आगे बढ़ने का मौका दें, उसकी सराहना करें, उसका उत्साहवर्धन करें, ताकि वह हीन भावना से ग्रसित होकर कुंठित न हो सके, बल्कि आगे बढ़कर आपका नाम रोषन करने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भी बन सके, क्योंकि प्रतिभा किसी के भी अन्दर हो सकती है। बस उसे पहचानने और निखारने की जरूरत होती है। ऐसे बच्चे को अयोग्य या बेचारा कहकर उपेक्षित न करें, नहीं तो उसका कोमल और भावुक हृदय टूट जायेगा। मैं ऐसा इसलिए कह रही हूँ, क्योंकि मैंने उस उपेक्षा, उस कड़वाहट और नफरत को खूब झेला है और झेल भी रही हूँ, इसलिए उसका अहसास मुझे है। अगर मेरे ट्यूटर रोनित सर, मेरे आत्मविष्वास और हिम्मत को न बढ़ाते तो मैं पूरी तरह टूटकर बिखर जाती, इसलिए मैं अपने रोनित सर को थैंक्स कह रही हूँ। थैंक्स सर! मुझे इस मुकाम तक पहुँचाने के लिए।“

चेतना की मार्मिक और दिल को छू लेने वाली बातों को सुनकर उसकी मम्मी-और पापा के साथ-साथ हाॅल में मौजूद सभी दर्षकों की आँखों में आँसू आ जाते हैं।

मंच से नीचे आते ही लोग चेतना को घेर लेते हैं। कोई उसका फोटो खींचता है, तो कोई उसका आॅटोग्राफ लेता है। बड़ी मुष्किल से चेतना की मम्मी-पापा और अलका भीड़ को चीरकर चेतना के पास पहुुँचते हैं। उसके पास पहुँचते ही अलका ‘‘दीदी......’’ करके उससे लिपट जाती है। चेतना भी उससे लिपट कर फूट-फूट कर रोने लगती है। फिर वह अपने पापा और मम्मी से लिपट कर रोती है। उसी समय उसकी मम्मी कहती हैं, ‘‘बेटा, तूने तो हमें डरा ही दिया था।’’

‘‘हाँ बेटा, सुबह से लेकर अब तक हम तुम्हें ढूँढ़ ही रहे थे, अगर रोनित हमें यहाँ नहीं बुलाता, तो शायद ही हम यहाँ आ पाते।’’ उसके पापा ने भावुक होकर कहा।

‘‘साॅरी अंकल, साॅरी आण्टी, चेतना के लिए आप लोगों को इतना परेषान और दुःखी होना पड़ा, इसके लिए मैं आप लोगों से क्षमा चाहता हूँ। दरअसल मुझे मालूम था कि अगर आपको बताकर चेतना को यहाँ लाऊँगा, तो आप हरगिज इसे न तो यहाँ आने देतीं और न ही इस कार्यक्रम में पार्टीसिपेट करने देतीं और चेतना की प्रतिभा भी कुंठित होकर इसके इन्दर ही दम तोड़ देती। इसलिए चेतना की प्रतिभा को उभारने और निखारने के लिए ही मुझे यह योजना बनानी पड़ी थी।’’ रोनित ने चेतना की मम्मी-पापा से क्षमा माँगते हुए कहा।

‘‘बेटा, क्षमा तुम्हें नहीं हमें तुमसे और चेतना से माँगनी चाहिए, क्योंकि मैंने इसकी प्रतिभा को पहचानने में भूल कर दी। खैर, तुमने मेरी आँखें खोल दीं, तुमने मुझे मेरी भूल का अहसास करवाकर, मुझे बहुत बड़े पाप से बचा लिया, जिसके लिए मैं तुम्हारी आभारी रहूँगी।’’ चेतना की मम्मी ने अपनी भूल को स्वीकार करते हुए कहा।

‘‘इसकी कोई जरूरत नहीं है आण्टी, हाँ, आपसे एक अनुरोध और आग्रह है कि चेतना को कभी बेकार की चीज समझकर इसका दिल मत तोड़ना, क्योंकि इसने अपनी प्रतिभा आपको दिखा दी है और ईष्वर ने चाहा तो यह बहुत जल्दी प्रोफेसनल सिंगर भी बन जायेगी।’’

‘‘तुमने बिल्कुल ठीक कहा बेटा, आज तक तो लोग यह कहते थे कि चेतना हमारी बेटी है, लेकिन कुछ दिन बाद जब यह सिंगर बन जायेगी तो लोग यह भी कहेंगे कि हम चेतना के पापा हैं।’’

‘‘और मैं चेतना की छोटी बहन अलका, क्यों दीदी, सच है न......।’’

अलका की बात पर चेतना जोर से हँसती है और अलका को अपने आप से चिपटा लेती है। दीदी, आप जब मुम्बई जायेंगी, तो मुझे अपने साथ ले जायेंगी न ?’’

‘‘हाँ-हाँ क्यों नहीं, जरूर लेकर जाऊँगी।’’

‘‘चेतना बेटा, एक बात समझ में नहीं आयी ?’’ चेतना की मम्मी ने कहा।

‘‘क्या मम्मी ?’’

‘‘यही कि तुम यहाँ कब और कैसे आयीं ?’’

‘‘चेतना को यहाँ मैं लेकर आया।’’ रोनित ने कहा।

‘‘तुम ?’’

‘‘जी, हाँ। आण्टी जी, चेतना यहाँ आने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। मैं ही इसे यहाँ जबरदस्ती लेकर आया था, क्योंकि मैं जानता था कि चेतना के अन्दर एक अच्छी सिंगर होने की काबिलियत है। मैंने इसकी आवाज को सुना है। इसकी आवाज में वो सब है, जो एक प्ले बैक सिंगर की आवाज में होता है। इसलिए मैं नहीं चाहता था कि चेतना की कला सिर्फ इसीलिए दब कर रह जाये, क्योंकि आप नहीं चाहती कि यह सिंगर बने। लेकिन मैं चेतना की कला को यूँ ही मरने नहीं देना चाहता था, मैं चाहता था कि चेतना की आवाज लोगों तक पहुँचे, यह सिंगर बनकर अपने पैरों पर खड़ी हो और यह इसने आज यहाँ आॅडिषन में आकर साबित भी कर दिया कि यह सिंगर बन सकती है। आण्टी जी, चेतना न सिर्फ सिंगर बनकर आत्मनिर्भर बनेगी, बल्कि यह अपने जैसे बच्चों के लिए मिसाल भी बनेगी।

रही बात चेतना को यहाँ लाने की, तो जब आप अलका को स्कूल छोड़ने गयीं थीं उसी समय मैं चेतना को घर से ले आया था। चेतना तो चाहती थी कि आप लोगों को यहाँ आने के बारे में बता दे, लेकिन मैंने मना कर दिया था। जब आप लोग चेतना को ढूँढ़ रहे थे और परेषान हो रहे थे, उस समय भी चेतना ने मुझसे कहा था, कि मैं आप लोगों को बता दूँ कि यह यहाँ है, लेकिन मैंने आप लोगों को सिर्फ इसलिए नहीं बताया, क्योंकि आप यहाँ आकर चेतना को वापस ले जातीं और चेतना का सिंगर बनने का सपना धरा-का-धरा रह जाता। इसलिए मैंने आप लोगों को यहाँ तब ही बुलाया, जब चेतना का नम्बर आने वाला था। और उसके बाद जो कुछ भी चेतना ने किया वह सब आपने देख व सुन लिया।

आण्टी जी, मेरी वजह से आप लोगों को जो भी परेषानी हुई उसके लिए मैं आप लोगों से एक बार फिर क्षमा माँग रहा हूँ।’’

अब इसकी कोई जरूरत नहीं है बेटा, तुमने जो किया चेतना की बेहतरी के लिए किया। बेटा आज तुमने हमारी आँखें ही नहीं खोली हैं बल्कि एक अच्छे टीचर होने का हक भी अदा कर दिया है। चेतना की मम्मी ने रोनित से कहा। फिर वह चेतना से बोलीं, ‘‘चेतना बेटी, अपनी मम्मी को माफ नहीं करोगी ?’’

‘‘माफ तो करूँगी, लेकिन एक शर्त पर।’’

‘‘षर्त! कैसी शर्त ?’’

‘‘यही कि पापा के साथ आप और अलका भी मेरे साथ मुम्बई जायेंगी।’’

‘‘हाँ, मैं तुम्हारे साथ जरूर चलूँगी।’’

‘‘और मैं, मुझे अपने साथ नहीं ले जाओगी ?’’ रोनित ने मजाकिया अंदाज में कहा।

‘‘सर, आप, आपके बिना तो मैं अब एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाऊँगी, इसलिए आप कैसे रह जायेंगे।’’ चेतना के कहते, सब लोग जोर से ठहाका मार कर हँस पड़े।

समाप्त