क्या आप जानना चाहेंगे? - जिंदगी के कुछ उपायुक्त अनुभव Sanaya द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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क्या आप जानना चाहेंगे? - जिंदगी के कुछ उपायुक्त अनुभव

जिंदगी के कुछ अनुभव
भाग - 1
दोस्तों हम सब के पास एक जिंदगी होती है। सबका अपना अपना अबस्था और परिस्थिति अनुसार जिंदगी को लम्बा या छोटा माना जाता है। जैसे हम उदाहरण के लिए एक बूढ़े आदमी को लेते है। उस बूढ़े इंसान के पास उनके कुछ संतान रहतेथे। तो उनको अपना संतान से प्यार और लागब होना स्वभाभिक है। उनकी यह इच्छा थी की वो अपने पोता पोती के मुख देखसके, अगर उनकी ये इच्छा पूरी हुई तो दूसरे लोगो के हिसाब से उनकी जिंदगी लम्बी और सुखद माना जाता है, पर इसकी जगह उनकी इच्छा पूरी नहीं हुई तो दूसरे लोग कहेँगे की बिचारे यह बूढ़े आदमी इतनी जल्दी चल बसें कितनी छोटी जिंदगी है।
आज का हमारा बिषय है..
संतुस्टी
एक शहर था जहा कई सारे माध्यम पारिवारिक स्थिति के लोग रहते थे। उन परिवार मे से एक परिवार था राम प्रसाद का। उनकी एक पत्नी और दो बच्चे थे। राम प्रसाद जी एक दुकानदार थे। वे अपनी दुकान बहत अच्छी तरह से चलाते थे। उनके ब्यापार फायदेमंद होता जारहा था।पर पिछले कुछ दिनोसे राम प्रसाद जी बहत चिंतित थे। वो रात भर सो नहीं पाते थे, एक प्रकार की छटपटी और परिसानी होती थी। उनका उस छटपटी से उनका जिबनचर्या पूरा बिगड़ गया था। अब तो वो दुकान और ग्राहक को पूरी तरह अपना समय नहीं देते थे। इसलिए उनका चला हुवा फायदेमंद ब्यापार दिन प्रति दिन बिगड़ती जारही थी। राम प्रसाद का ध्यान दुकान मे नहीं था।
राम प्रसाद की पत्नी सरिता को ये सब होते हुवे देखकर बहुत परिसान होगयी थी। उसका पति का ध्यान ना ही घरमे था ना तो दुकान मे। अब तो राम प्रसाद का अपना सुन्दर और सुखद जीवन नर्क समान होगया था। ये देखकर एक दिन सरिता अपनी पति से पूछती है।
सरिता - "क्या हुवा आपको? आपको कौन सी परिसानी इतनी सतरहि है जो आप अपना ध्यान दुकान और घर पर नहीं लगरहेहो?"
राम प्रसाद - "उस दिन के बाद मुझे बहत छटपटी महसूस होती है। कोई भी काम मे मन ही नही लगता।"
सरिता - "कौन सा दिन? क्या हुवा था उस दिन?"
राम प्रसाद - "मुझे एक दोस्त ने अपने घर बुलाया था। मे उसके घर गया था। पर उसका घर और उसका रेहेनसेहेन देखकर मे तो दंग रहगया। उसका घर बहत बड़ा और शानदार था, उसके पास दो गाड़िया थी, वो अपने बच्चोकों स्कूल भेजनेके लिए एक ड्राइवर रखा था, उसके घर पर मेहेंगी मेहेंगी सामान और फर्नीचर रखे हुए थे। मुझे लगा मे एक राज महल मे गया था। मेरे दोस्त के घर से वापस लौटने के बाद मेने सोचा की जो मेरे दोस्त के पास है वो मेरे पास क्यों नहीं? जब मैंने बहत सोचा उसके बाद मुझे अपना अतीत याद आया, की हमारे दस लाख रुपये नुकसान मे चला गया था। तुम्हे तो याद ही होगा।"
सरिता अतीत को याद करते हुवे - "हा मुझे याद है, पर वो बाते तो बहत पुरानी है। अब उन बातोंको याद करके क्या फ़ायदा?"
राम प्रसाद - "सोचो सरिता अगर हमारे पास वो पैसे होते तो हमारा दुकान कितना अच्छा चलता और आज मेरे पास वो सब होता जो अभी मेरे दोस्त के पास है।"
सरिता अपनी पति का हाथ पकड़ती है और समझकर कहती है - "अगर आप अपनी अतीत के बारेमे ही सोचकर जो अब हमारे पास है वही खोरहे है। माना की अतीत की गलतियां सोचना अच्छी बात है पर उसके बारेमे ज्यादा सोचकर बर्तमान भूलकर बिगाड़ना भी तो सही नहीं है।"
राम प्रसाद - "मैंने इस बात को भूलने की बहत कोसिस की पर हर स्थिति मे मुझे यही याद होता है, अब तुम ही बताओ की मे क्या करू?, सरिता।"
सरिता - "आप अपनी अतीत पे ज्यादा ध्यान मत दीजिये, और उस चीज मे भी ध्यान ना दीजिए की दूसरोके पास क्या है? आप इस बात को सोचिये की आप के पास क्या है? अगर आप सोचते जायेंगे तो ऐसा कुछ नहीं होगा जो आपके पास नही है। आप के पास घर है, उपायुक्त धन और संपत्ति है, अपने बच्चोका भबिष्य बनाने के लिए अच्छा बातावरण है, और भी बहत कुछ है। आप अपनी बर्तमान पर ध्यान दीजिये तो अपने आप भबिष्य सफल होगा।"
राम प्रसाद अपनी आँखे खोलकर - "तुम सही केहेरही हो। मुझे अपना बर्तमान सुधारकर भबिष्य बनाना चाहिए।"
उस दिन के बाद राम प्रसाद ने अपनी पूरी मेहनत और लगन से काम किया और वे सफल ब्यक्ति बना।
सरिता ने सच कहा था की इंसान को अपनी अतीत की पीड़ा, दुख, गलतिया को ज्यादा ध्यान ना देकर अपनी बर्तमान पर केंद्रित होना चाहिए। अगर हमें अतीत से कुछ लेना है तो वो है सिर्फ सिख। अगर इंसान अपनी अतीत मे ही डुपकर बर्तमान को नजरअंदाज करदे तो उससे बड़ी गलती कुछ नहीं होगा। मे ये नहीं कहूँगी की सफलता के लिए अतीत की गलतियोका सोचना अच्छी बात नहीं है। पर उस गलती के बारेमे ही सोचकर बर्तमान और भबिष्य भूल जाना भी समझदारी नहीं।
धन्यवाद
हम फिर लौटेंगे दूसरा भाग लेकर जिसमे होंगी कोई नहीं सिख या अनुभब।
प्रणाम जी 🙏🙏🙏🙏🙏