DUNIYA MERI MUTTHI MEIN PART - 2 Amar Kamble द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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DUNIYA MERI MUTTHI MEIN PART - 2





जोया ने दो coffee cups लाकर टेबल पर रखें। माया ने file में देखते हुए पूछा, “Karan Saxena, huh?” जोया ने कहा, “Yeah! दिखने में और behaviour में कितना फर्क है इसके!” माया ने पूछा, “तो तू पक्का यहीं case लेगी?” माया ने सिर हिलाया। माया ने पूछा, “कब जा रही है?” माया ने कहा, “Evening. चलेगी?” माया ने कहा, “मैं जरुर आती पर वो अर्जून...” जोया ने कहा, “समझ गई।” माया ने उसे file दी। जोया ने उसके adress पे गौर करते हुए कहा, “मुझे ही जाना होगा। I hope कि वो घर पे हो!”

करन ने आंखें खोली। वो बेड पे था। घड़ी में छह बज रहे थें। करन आईने के सामने आया। सूखा हुआ चेहरा, बिखरे बाल और माथे पे चोट! वो bathroom में चला गया। घड़ी का बड़ा कांटा सरकते हुए तीन पे आया और सवा छह बज गए। करन fresh होकर hall में आया। Table पर carrom board था, कौड़ियां बिखरी पड़ी थीं। करन chair पे बैठ गया। उसने कौड़ियां इकठ्ठा की और board लगाया। White कौड़ी पे निशाना लगाकर उसने striker छोड़ा। दो white कौड़ियां hole हुई और जोया दरवाजे में आई। करन को देखकर उसने कहा, “Hi!” करन ने पूछा, “कौण हो तुम?” जोया ने अंदर आकर कहा, “जोया। जोया, psychology की student.” करन ने उठकर पूछा, “यहां क्यूं आई हो?” जोया ने वो फाइल निकाली। करन ने खड़ी आवाज में कहा, “मुझे हाथ भी लगाया तो I sware I’ll kill you!” जोया ने पूछा, “Don’t worry, I’m not a doctor.” करन ने पूछा, “चाहती क्या हो?” जोया ने कहा, “Actually तो मुझे एक project करना है sessional work के लिए, पर मैं तुमसे दोस्ती करना चाहती हूं।” करन ने पूछा, “मुझे ऐसा क्यूं लग रहा है कि तुम कोई साजिश रच रही हो?” तभी बाहर बिजली। बादल छा गए थें। जोया ने कहा, “शायद ये सोच तुम्हारी नहीं है। हर दर्द के पिछे एक कहानी होती है। मैं तुम्हारा बिता हुआ कल जानना चाहती हूं।” तभी करन ने चिल्लाकर carrom board निचे गिराया। जोया पिछे हटी। करन ने खिंचकर उसे दरवाजे तक लाया और कहा, “क्या समझती हो तुम अपने आप को? फरिश्ता हो? मेरी problem कोई नहीं solve कर सकता। बहोत वक्त ले लिया मेरा now please get out!” तभी बारिश शुरु हो गई। जोया ने पूछा, “तो... मैं चलूं?” करन उसे देखते हुए कुर्सी के पास आया। जोया ने पास आकर कहा, “तुम्हें बताना होगा करन! Please?” करन ने जोया की ओर देखा। अतीत की यादें ताजा होने लगीं।

Building के terrace पर करन और महक खड़े थें। महक ने परेशान होकर कहा, “करन तुम समझते क्यूं नहीं? ये तुम्हारी पूरी जिंदगी का सवाल है।” करन ने कहा, “महक मैं बस इतना जानता हूं कि मैं तुमसे प्यार करता हूं और हमें शादी करनी है।” महक ने पूछा, “और फिर क्या? कैसे काटोगे जिंदगी एक अन्धी लड़की के साथ?” करन ने कहा, “मैं तुम्हारी आंखें बनूंगा। पर ये तभी मुमकिन है अगर तुम मुझसे प्यार करती हो। Do you luv me?” महक ने पूछा, “करन please!” करन ने कहा, “ठिक है, हम बीस floors की building पर खड़े हैं। या तो तुम मेरे साथ होगी या फिर मेरी जान मेरे साथ नहीं होगी।” महक ने काफी समझाया पर करन अपनी ज़िद पर अड़ा रहा। अंत में महक राज़ी हो गई।
करन और महक दरवाजे में खड़े थें। करन ने कहा, “और याद रहे, दिनभर कोई भी आए, दरवाजा मत खोलना। मैं आने पर फोन करुंगा। और हां, अपना ख्याल रखना।” और घर छोडा। महक ने उसे bye किया। करन अपने केबिन में बैठा था। तभी बाहर से आवाज आई, “हम अंदर आए?” करन ने कहा, “Yes!” दरवाजे से चार गुंडे – किशन, लखन, मदन, राजा अंदर आए। किशन ने पूछा, “पहचाना हमें?” लखन ने सामने कुर्सी पर बैठकर कहा, “तीन साल पहले, तुने हमको एक हिरन की शिकार करने के जुर्म में जेल में सड़ने भेजा था।” मदन ने पूछा, “याद आया?” करन ने कहा, “तुम लोग जरा भी नहीं बदले! मैंने सोचा कि जेल में जाकर कुछ असर पड़ेगा।” राजा ने दुसरी कुर्सी पर बैठकर कहा, “असर! असर तो बहुत ही पड़ा है और जल्द ही तुझे इसका demo भी दिखाएंगे।” करन ने कहा, “ये एक restricted forest है। यहां जानवरों की शिकार और पेड़ों की कटाई पे पाबंदी है। ये पता होने के बावजूद तुमने शिकार की तो और क्या अंजाम होना था!” किशन ने कहा, “उस वक्त तो हम कुछ नहीं कर सके; पर इस वक्त अगर हमारे आड़े आए तो खटिया खड़ी कर देंगे तेरी!” करन ने झट् से उनपे गन लोड की और कहा, “एक officer को उसके ही केबिन में धमकी देने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी? अभी के अभी चलते बनो वरना... I think you better know!” चारों उसे घूरते हुए वहां से निकलें। बाहर आकर वे अपनी जीप में बैठें। राजा ने मुंह में सिगरेट पकड़ी तभी पास खड़े हवालदार ने सिगरेट जलाते हुए कहा, “पागल कुत्ते को गोली मारने से बेहतर है कि उसकी दुम पे पांव दो और उसकी तडप का मजा लो।” लखन ने कहा, “साफ साफ बोल।” हवालदार ने धीरे से कहा, “मस्त पटाखे से शादी रचाई है। शादी को पन्द्रह दिन ही हुए हैं। और एक पते की बात बोलूं, बीवी भी अन्धी है बाप!” चारों ने लालची नज़र से एक दूसरे की ओर देखा। हवालदार के हाथ में नोटों का बंडल पड़ा और जीप आगे चली गई।