कहानी - माय डिअरेस्ट पापा - 2 S Sinha द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • My Passionate Hubby - 5

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन...

  • इंटरनेट वाला लव - 91

    हा हा अब जाओ और थोड़ा अच्छे से वक्त बिता लो क्यू की फिर तो त...

  • अपराध ही अपराध - भाग 6

    अध्याय 6   “ ब्रदर फिर भी 3 लाख रुपए ‘टू मच...

  • आखेट महल - 7

    छ:शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसक...

  • Nafrat e Ishq - Part 7

    तीन दिन बीत चुके थे, लेकिन मनोज और आदित्य की चोटों की कसक अब...

श्रेणी
शेयर करे

कहानी - माय डिअरेस्ट पापा - 2

भाग 2 ( अंतिम भाग ) आगे पढ़िए - क्या रिधान अपनी पत्नी विद्या से मिल पाता है , क्या आद्या अपनी माँ से मिल पाती है ?


कहानी - माय डिअरेस्ट पापा - 2


रिधान समझ रहा था कि सिंगल पेरेंटिंग कोई आसान काम नहीं है और बेटी का सिंगल फादर होना और भी कठिन है . सिंगल फादर माँ बाप दोनों की जिम्मेवारी जरूर उठाते हैं पर उनको उचित श्रेय विरले ही मिलता है .

रिधान को वह दिन भी याद है जब बेटी किशोरावस्था में थी . एक दिन आद्या बाथरूम में फ्लश करना भूल गयी थी . जब रिधान बाथरूम गया तो उसे कमोड में खून की कुछ बूँदें मिलीं . उसे बात तो समझ में आ गयी , पर शर्म और संकोच से वह बेटी से कुछ कह न सका . उसने अपने नजदीकी मित्र की पत्नी से मदद मांगी .वह जब आद्या के रूम में गया तो वह पिता से नजरें मिलाने में शरमा रही थी . फिर भी उसने सहमते हुए कहा “ पापा मैं बीमार हूं , मुझे किसी लेडी डॉक्टर के यहां ले चलो .”


“ तुम्हें कुछ नहीं हुआ है . पड़ोस वाली ऑन्टी आ रही हैं , वे सब ठीक कर देंगी . “


थोड़ी देर में आद्या की ऑन्टी आयीं और कुछ देर तक उसके रूम में रह कर बाहर आयीं और रिधान से बोलीं “ चिंता की कोई बात नहीं है , मैंने आद्या को सब समझा दिया है और एक किताब और जरूरी सामान दे दिए हैं .वह भी समझ गयी है और आगे भी स्थिति से निपट लेगी . भाईसाहब इसीलिए हमने कहा था कि आप दूसरी शादी कर लेते तो घर में एक औरत होती इन सब बातों के लिए . ”


आद्या बड़ी होती गयी .पढ़ाई लिखाई में सिर्फ अपने सेक्शन में ही नहीं बल्कि पूरे स्कूल में अव्वल होती थी हमेशा . रिधान ने पढ़ाई के साथ साथ उसे जीवन की समस्याओं से लड़ना सिखाया . वह कभी भी ओवर प्रोटेक्टिव नहीं हो कर खुद आद्या को संघर्ष कर आगे बढ़ना सिखाया . उसने आद्या को अपना सही हक़ और मंजिल पाने के लिए हर उचित रास्ता अपनाने की सलाह दी . हां , जहाँ जरूरत पड़ती वह स्वयं भी किसी संघर्ष में उसका साथ देता . नतीजतन कम उम्र में भी वह मैच्योर हो चली थी .


रिधान को वह दिन अच्छी तरह से याद है जब आद्या प्लस टू बोर्ड की परीक्षा में पूरे देश में दूसरे नंबर पर आयी और जब आशीर्वाद लेने के लिए झुकी तो रिधान ने एक छोटी बच्ची की तरह उसे गोद में उठा कर चूम लिया था

. इसके कुछ दिनों के बाद आद्या का मेडिकल कॉलेज में एडमिसन टेस्ट का परिणाम आया था . उसका रैंक भी पूरे देश में तीसरा था , यानि देश के सबसे अच्छे मेडिकल कॉलेज में जाना तय था . उस दिन रिधान बहुत रोया


जब बेटी को मेडिकल की पढ़ाई के लिए दूर दूसरे राज्य में भेजना पड़ा था . वह उसे छोड़ने उसके साथ कॉलेज तक गया . विदा लेने समय फूट फूट कर रो रहा था और उसके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे , पहली बार बेटी से अलग जो हो रहा था . माँ की ममता तो आद्या को कभी नसीब नहीं हुई थी , उसके लिए माता पिता दोनों रिधान ही था . आद्या उसे रोता देख बहुत दुखी हुई और रोती हुई बोली “ पापा , मैं आपको इस तरह रोता नहीं देख सकती हूँ . इससे अच्छा होगा मैं आपके साथ लौट चलती हूं और वहीँ के कॉलेज से पढ़ कर लूंगी . “


रिधान ने कहा था “ नहीं बेटे , पहली बार अपने जिगर के टुकड़े से दूर जा रहा हूं न , आंसू आना स्वाभाविक है . तू भी तो रोये जा रही है . मैं दिल से खुश हूं कि तू मेरा सपना पूरा करने जा रही है . “


रिधान अब बिलकुल अकेला पड़ गया था . वह बीच बीच में आद्या से मिलने जाता और आद्या भी लम्बी छुट्टियों के अतिरिक्त जब कभी 5 - 6 दिनों की छुट्टी होती उससे मिलने चली आती थी .इस तरह दोनों का मिलना होता और दूर रहने का अहसास थोड़ा कम होता . देखते देखते आद्या ने डाक्टरी की पढ़ाई पूरी कर ली . इस बार यूनिवर्सिटी में वह टॉप आयी थी . आद्या को आगे पी जी की पढ़ाई के लिए अमेरिका जाने की इच्छा थी जिसके लिए उसने कॉलेज में USLME ( अमेरिका में मेडिकल के लिए परीक्षा ) पार्ट 1 क्लियर कर लिया था . रिधान भी चाहता था कि बेटी एक अच्छी डॉक्टर बने और उसके अमेरिका जाने पर कोई ऐतराज नहीं था .


आद्या ने भारत में रह कर अपना पी जी पूरा किया और USLME के बाकी पार्ट्स क्लियर किये . अब वह अमेरिक जाने की तैयारी कर रही थी . रिधान कुछ उदास दिख रहा था , जब तक बेटी देश में रही दोनों अक्सर मिला करते थे . पर सात समंदर पार अमेरिका से उसका संपर्क सिर्फ फोन या लैपटॉप पर ही होना था . आद्या ने कहा “ पापा , आप उदास नहीं हों . मैं रोज आपसे बात किया करुँगी और आपको भी यथासंभव जल्द ही अमेरिका बुला लूंगी . “


आद्या को अमेरिका में बाकी पढ़ाई कर कैंसर स्पेशलिस्ट बनने की इच्छा थी . रिधान ने पूछा था “ कैंसर स्पेशलिस्ट क्यों बनना चाहती हो ? कैंसर का इलाज बहुत कठिन होता है और रोगियों की पीड़ा देख कर दिल दहल जाता है . “


“ आपने ही कहा था कि मेरी माँ की मौत कैंसर से हुई थी . मैंने तो होश में माँ का चेहरा देखा ही नहीं है . आप ही मेरी माँ भी हैं और पिता भी . पर मैं चाहती हूं कि ऐसे रोगियों की कुछ सेवा कर सकूं . “


आजकल आद्या अमेरिका में कैंसर स्पेशलिस्ट थी . उसके वार्ड में ही वह औरत भर्ती थी जो उसके माता पिता को जानने का दावा कर रही थी .


रिधान देर तक भूत की यादों में खोया रहा था . अचानक कुक की आवाज सुन कर वर्तमान में आया . यह कुक वही आया थी जिसने उसके साथ मिल कर आद्या को पाला था . कुक ने कहा “ मैंने नाश्ता टेबल पर रख दिया है , अब मैं जा रही हूं . “

रिधान ने ख़ामोशी से सर हिला कर उसे जाने को कहा . वह सोच रहा था कि हो न हो वह औरत विद्या ही है . उसे डर था कि आद्या फिर कल उस की चर्चा जरूर करेगी . और यही हुआ , आद्या फोन पर थी “ पापा आप ठीक तो हैं ? आप वीजा के पेपर मिलने पर अपने डेट पर अमेरिकन कांसुलेट जा का वीजा बनवा लें . “


“ ठीक है बेटा . “


“ पापा , आज फिर वह औरत आपकी और माँ की चर्चा कर रही थी . वह बहुत कष्ट में है . मेरे विचार से उसकी जिंदगी अब दो महीने से ज्यादा की नहीं रह गयी है . मेरे सीनियर्स भी यही कहते हैं . “


“ पर तुम क्यों उसका दुःख बता कर मुझे दुःख देना चाहती हो ? वह कैंसर की एकमात्र पेशेंट तो नहीं होगी . “


“ ओके पापा , मैं समझ सकती हूँ आप ऐसी बातें सुन कर दुखी हो जाते होंगें क्योंकि माँ की मौत भी कैंसर से हुई थी . “

“ अब उसकी बात मत करो . तुम अपना पूरा ख्याल रखो . मुझे डर लगता है प्रेगनेंसी में ऐसे वार्ड में तुम कैसे काम करती होगी . और अद्वैत कैसा है ? “


“ पापा , अद्वैत तो अद्वैत ही है . आपने तो सिर्फ उसकी फोटो देखे हैं , मिलने पर आप खुद यकीन करेंगे . मेरी जैसी काली कलूटी लड़की को ऐसा विद्वान और स्मार्ट लड़का स्वीकार करेगा , मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था . “

“ वह विद्वान और समझदार है इसीलिए उसने तुम्हारी कद्र की है . हीरे की कद्र जौहरी ही करता है . “


अगले दिन फिर आद्या ने फोन पर कहा “ पापा , वो औरत मेरे ही पीछे क्यों पड़ी है . अपनी पुरानी पर्सनल बातें मुझसे क्यों शेयर करती रहती है . आज बोल रही थी कि वह हमारे शहर से ही किसी अमेरिकन से शादी कर अमेरिका भाग आयी थी . दस साल तक साथ रहने के बाद उसने इसे तलाक दे दिया , एक बेटा हुआ था बिलकुल अमेरिकन जैसा . उसकी कस्टडी भी उसी ने ली और यह औरत सड़क पर आ गयी थी . फिर कुछ सरकारी मदद से और कुछ छोटे मोटे बेबी सिटिंग और भारतीयों के घर में खाना बनाने का काम कर पिछले 20 सालों से गुजारा करती आयी है . “


“ मुझे अब इन सब बातों में मत लपेटा करो . तुम भी सिर्फ अपने काम से मतलब रखो . “


“ आपने ही सिखाया था मरीजों से सिम्पैथी रखनी चाहिए . दवा के अतिरिक्त उनसे सहानुभूति और प्यार से दो बातें करने से उनका दर्द कम हो जाता है . मैं भी वही करने का प्रयास कर रही हूँ . “


“ पर जरूरत से ज्यादा मरीजों से नजदीकियां ठीक नहीं है , वह भी ख़ास कर तुम्हारे लिए . “


करीब डेढ़ महीने बाद रिधान अमेरिका पहुंचा . एक अरसे बाद बेटी से गले लग कर उसे बहुत ख़ुशी और शांति मिली .उसका दामाद अद्वैत भी एयरपोर्ट पर आया था , उसे देख कर रिधान का दिल बाग़ बाग़ हो गया .


रिधान को ले कर दोनों अपने घर आये . उस दिन संडे , छुट्टी का दिन था . सभी थके थे . दिन भर आराम करने के बाद शाम को सभी चाय पीने बैठे ही थे कि आद्या के अस्पताल से फोन आया “ डॉ आद्या के लिए इमरजेंसी कॉल है , आप फॉरेन अपने वार्ड में आएं . आपका पेशेंट बहुत सीरियस है , शी इस सिंकिंग . “


आनन फानन में आद्या जाने के लिए तैयार हुई और रिधान से बोली “ पापा , आप भी चलिए न . आप यहाँ का अस्पताल भी देखेंगे . आप घबराएं नहीं . मेरा अस्पताल बहुत शानदार और साफ़ सुथरा है जैसा कोई फाइव स्टार होटल होता है . “


“ मैं क्या करूंगा वहां जा कर . “


“ पापा प्लीज चलिए न मेरे लिए . आप जल्द ही लौट आएंगे . “


बेटी की जिद के आगे रिधान की एक न चली और वह बेटी के साथ अस्पताल गया . आद्या उसे पेशेंट के रूम में ले गयी . रिधान को जिस बात का डर था वही हुआ . उसकी पूर्व पत्नी विद्या ही वह पेशेंट थी . हालांकि बीमारी के चलते विद्या को पहचानने में उसे दिक्कत हुई फिर भी उसने पहचान लिया था . आद्या ने पेशेंट के पास जाकर मॉनिटर पर सारे रीडिंगग्स और रिपोर्ट देखे जिसके बाद उसने पापा से कहा “ नो होप . “


इसके बाद आद्या ने मरीज का नब्ज देखने के लिए उसका हाथ उठाना चाहा था . इसके पहले ही मरीज ने मुश्किल से आँखें खोल कर रिधान की ओर देखा . नमस्कार की मुद्रा में उसने दोनों हाथ एक साथ उठाये पर उसी पल उसके हाथ बेड की दोनों ओर गिर पड़े और आँखें खुलीं रह गयीं . आद्या ने चेक कर कहा “ शी इस नो मोर . “


आद्या ने अपने केबिन में आ कर पेशेंट की फाइल मंगवाई और डेथ सर्टिफिकेट इशू किया . फिर पापा की ओर देख कर कहा “ पापा , माय बायोलॉजिकल मदर इस डेड . वह कैंसर से आज मरी है . “


रिधान आश्चर्य से बेटी को देखे जा रहा था और सोच रहा था कि अच्छा ही हुआ जो बेटी ने अंतिम समय में माँ का दर्शन कर लिया . कुछ देर में दोनों घर आ गए तब रिधान बोला “ विद्या ने जो मेरे और तुम्हारे साथ किया था उसके चलते मुझे उससे बेहद नफरत थी . सिर्फ हमारे रंग रूप के चलते हम दोनों का अपमान और तिरस्कार किया था . मैं तुमसे और क्या बताता , कह दिया कैंसर से मर गयी थी . “


“ मैं आपकी पीड़ा समझ सकती हूं . और मैंने भी उसे कभी अपनी मां नहीं समझा था , बस एक पेशेंट के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाती आयी और किसी अन्य पेशेंट की मृत्यु पर जितनी तकलीफ होती है उससे एक कतरा ज्यादा भी उसके मरने पर मुझे नहीं है . आप तो मेरे आदर्श पिता हैं , मेरे हीरो हैं , मेरे रोल मॉडल हैं और सबसे बढ़ कर मेरे पापा और मम्मा दोनों टू इन वन हैं . “


“ और तू मेरी आदर्श बेटी है . मुझे तुम पर नाज़ है . “


“ आज मैं जो भी हूं आपकी बदौलत हूं . आपके साथ बिताया हर पल मेरे ह्रदय में स्थापित हो गया है . मैं तो कहूँगी - बिहाइंड एव्री सक्सेसफुल डॉटर इज इन्क्रेडिब्ली अमेजिंग फादर लाइक यू . “

फिर उठ कर रिधान से गले लग कर बोली “ लव यू सो मच . आई एम प्राउड ऑफ़ यू . यू आर माय डियरेस्ट पापा . “


रिधान ने बेटी का माथा चूम लिया .

=========================================================

नोट - उपरोक्त कहानी पूर्णतः काल्पनिक है