कहानी - माय डिअरेस्ट पापा - 1 S Sinha द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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कहानी - माय डिअरेस्ट पापा - 1

भाग 1 - यह कहानी सिंगल पेरेंटिंग की कहानी है जिसमें दिखाने की कोशिश की गयी है कि पत्नी के जाने के बाद एक अकेला पुरुष किस तरह अपनी बेटी को पालपोस कर बड़ा करता है .....


कहानी - माय डिअरेस्ट पापा - 1

“ पापा , आप कैसे हैं ? तबीयत ठीक है न ? मैंने आपके अमेरिकन वीजा के लिए सभी पेपर्स आज अपने दोस्त के साथ भेज दिया है . आपको दो तीन दिनों में मिल जाएंगे . मैंने आपका अपॉइंटमेंट ले लिया है और वीजा फी भी जमा करवा दिया है . मेरा दोस्त आपको पूरा डिटेल समझा देगा . आप जल्द से जल्द अपना वीजा बनवा लें . “ डॉ आद्या ने सुबह सुबह फोन कर अपने पिता रिधान को कहा


आद्या रोज इस समय पापा को फोन किया करती थी . इस समय अमेरिका में रात होती थी और सोने से पहले वह जरूर एक बार पापा से बात करती थी .

“ बेटे मैं ठीक ही हूं . तुम्हारी बतायी सारी दवाईयां समय पर ले रहा हूँ . अब इस उम्र में कुछ न कुछ तो लगा रहता है . अमेरिका में आकर मैं क्या करूँगा , सुना है मेरे जैसे बूढ़े वहां बोर होते रहते हैं . “


“ पहले तो आप अपने को बूढ़ा कहना छोड़ दीजिये . उम्र बस एक नंबर है . वैसे भी मैं आपको बोर नहीं होने दूंगी . आखिर बेटी किसकी हूँ , आपने कभी मुझे बोर होने दिया था , नहीं न ? और फिर डॉ अद्वैत जो है , वो बोरियत भगाने का स्पेशलिस्ट है . फिर कुछ ही महीनों में आप नाना भी बन जायेंगे . “


“ वो तो ठीक है लेकिन . . . “


“ अब लेकिन वेकिन कोई एक्सक्यूज़ नहीं चलेगा . आद्या ने बीच में ही रिधान की बात काट दी फिर आगे कहा “ पापा आपसे एक ख़ास बात पूछनी थी . “

“ हां , पूछ बेटे . “


“ पापा प्लीज बुरा न मानेंगे . कुछ दिन पहले मेरे वार्ड में एक इंडियन प्रौढ़ औरत भर्ती हुई है. वह औरत इस उम्र में भी बहुत सुंदर लगती है . उसके पूछने पर मैंने अपने शहर और आपके बारे में चर्चा की . उसकी बातों से लगा कि वह आपको भी नजदीक से जानती है . बातों बातों में उसने कहा कि वह भी हमारे शहर की है और मेरी माँ को भी जानती है . “


“ अच्छा , तुमने उसे क्या कहा ? “


“ मैंने बस इतना ही कहा कि जब मैं एक साल की भी नहीं हुई थी , मेरी माँ का कैंसर से निधन हो गया था . पर पापा वह बोल रही थी कि . . . . “


रिधान ने बीच में टोका “ हेलो , हेलो . क्या हुआ ? तुम मुझे सुन रही हो ? मैं कुछ सुन नहीं पा रहा हूं , लगता है नेट का प्रॉब्लम है . बाद में फिर फोन करना , अगर मेरी आवाज सुन रही हो तो गुड नाईट , बाय बेटे . “


“ हैव अ गुड डे पापा , बाय . “ आवाज सुन कर रिधान अनजान बना रहा .


दरअसल कोई नेट प्रॉब्लम नहीं था . रिधान बेटी से उस औरत के बारे में कोई बात नहीं करना चाहता था . पर रिधान अंदर अंदर बहुत डर गया था . करीब 30 साल पुराना जख्म फिर से हरा होने लगा था . उसके दिमाग में पुराने दिनों की बातें रिवाइंड होने लगी थीं .


रिधान देखने सुनने में अति साधारण था , ऊपर से रंग कोयले से शायद ही कम रहा होगा . वह अपने माता पिता पर गया था . ठीक इसके विपरीत उसकी पत्नी विद्या अत्यंत सुंदर थी करोड़ नहीं तो लाखों में एक जरूर थी . विद्या के पास विद्या थी पर लक्ष्मी नहीं थी . वह एक गरीब ब्राह्मण की बेटी थी जिसका गुजर मुख्यतः पूजा पाठ से ही होता था . विद्या बी ए पास कर पड़ोस के एक मिशनरी स्कूल में पढ़ाती थी . रिधान एक अच्छे खाते पीते परिवार का इकलौता बेटा था . विद्या के पिता उसके पारिवारिक पुरोहित थे और रिधान के परिवार के पूजा पाठ और अन्य संस्कार किया करते थे . विद्या जब छोटी थी तो पिता के साथ अक्सर वहां जाया करती थी.


रिधान पढ़ लिख कर लेक्चरर बना . उसके माता पिता रिधान की शादी किसी गोरी सुंदर लड़की से करना चाहते थे ताकि उनकी अगली पीढ़ी की संतान ठीक ठाक हों . उन्होंने पंडित से विद्या को अपनी बहू बनाने की बात कही और कहा कि बस एक जोड़े वस्त्र में बेटी को विदा करें , उन्हें और कुछ नहीं चाहिए . पंडित को विद्या के अतिरिक्त दो और बेटियों की शादी करनी थी . उन्होंने इस प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार कर लिया .


रिधान और विद्या की शादी हुई . रिधान तो विद्या जैसी अत्यंत सुंदर पत्नी पा कर बहुत खुश था . विद्या मजबूर थी उसकी पसंद नापसंद का पश्न नहीं था . रिधान के कानों में बात गयी कि जब वह विद्या के साथ घर से


निकलता तो शरारती युवक कानाफूसी करते “ कौवे की चोंच में अनार की कली “ . रिधान समझदार था , इन बातों का उस पर कोई असर नहीं होता पर विद्या मन ही मन चिढ़ कर रह जाती .


इधर रिधान की मां का देहांत हो गया था और उसके पिता अपने गांव चले गए . शादी के दो साल बाद विद्या ने एक पुत्री को जन्म दिया . रिधान आद्या बेटी को पा कर बहुत खुश था पर विद्या के चेहरे पर ख़ुशी का कोई संकेत नहीं था . संयोगवश आद्या के नाकनक्श तो माँ जैसे अच्छे थे पर रंग पिता रिधान जैसा था . बेटी होने पर विद्या बहुत उदास दिखती थी . फिर भी रिधान ने आद्या का जन्मोत्सव बहुत धूमधाम से मनाया . रिधान ने महसूस किया कि विद्या को बेटी से कोई लगाव नहीं था . उसे आश्चर्य था कि जिस औरत ने बच्ची को नौ महीने कोख में रखा और अपने खून से उसका पालन पोषण किया वह ऐसा बर्ताव क्यों कर रही है . आद्या की देखभाल रिधान और एक आया करते थे .


विद्या जिस मिशनरी स्कूल में पढ़ाती थी उसमें एक इंडियन अमेरिकन टीचर रिचर्ड भी था . तीन साल के लिए उसकी पोस्टिंग इंडिया में हुई थी . रिचर्ड एक तलाकशुदा , हैंडसम और स्मार्ट युवक था . विद्या उसकी ओर आकर्षित हुई . रिचर्ड को भी औरत की जरूरत थी . दोनों में नजदीकियां बढ़ीं . एक दिन बातों बातों में विद्या ने रिधान से कहा “ मैं अब दोबारा माँ नहीं बन सकती . कहीं दूसरी बेटी भी आद्या की तरह भूतिनी हुई तो मैं बर्दाश्त नहीं कर सकूंगी . मैं आपको दूसरी संतान नहीं दे सकती हूँ . काले कलूटे लड़कों को भी गोरी सुंदरी चाहिए , मेरी बेटी को कोई नहीं पूछेगा और उसे शायद सारी जिंदगी कंवारी रहना पड़े . “


रिधान विद्या को समझाता “ हर किसी की सुंदरता का मापदंड सिर्फ गोरी चमड़ी ही नहीं होती है . हमारी आद्या बेटी हो या अगर भविष्य में भी बेटी हुई तब भी अभी से उसके लिए चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है . मैं अपनी बेटी को पढ़ा लिखा कर इतना सक्षम बनाऊंगा कि वह हज़ारों लड़कों को अकेले धूल चटाएगी , तुम देखना . “


पर विद्या के मन में कुछ और ही प्लान था . अभी आद्या एक साल की भी नहीं हुई थी कि एक दिन अचानक विद्या पति और बेटी को छोड़ कर चली गयी . उसके इस तरह जाने का कोई स्पष्ट कारण रिधान नहीं समझ सका . उसने विद्या के स्कूल में पता किया तो उसे मालूम हुआ कि रिचर्ड का कार्य काल समाप्त हो गया था . उन दोनों

ने चुपचाप अमेरिका जाने की तैयारी कर रखी थी . रिधान बेटी को सीने से लगाए देर तक रोता रहा . उसकी बेटी की उम्र अभी कुछ भी समझने की थी ही नहीं . रिधान और उसकी आया दोनों मिल कर आद्या की देखभाल करते . रिधान ने विद्या की कोई निशानी घर पर नहीं रहने दिया था , सभी को नष्ट कर दिया या उसे फेंक डाला . आया सिर्फ दिन भर घर में रहती और शाम को उनके खाने पीने का इंतजाम कर चली जाती थी . रात में रिधान ही आद्या की देखभाल करता . उसके चलते अक्सर रात में ठीक से सो भी नहीं सकता था . वह बेटी के डायपर चेंज करता , उसे बोतल से दूध पिलाता , जब तक वह सो नहीं जाती उसे गोद में ले कर लोरियां सुनाता .

कुछ ही दिनों बाद आद्या का पहला जन्म दिन था . उसने सिर्फ अपने निकटतम मित्र और उसकी पत्नी को बुलाया था . साधारण तरीके और सादगी के साथ उसका जन्म दिन मनाया . उसके मित्र ने कहा “ यार अभी सारी जिंदगी पड़ी है . तुम्हें दिन भर कॉलेज में रहना होता है . तुम शादी क्यों नहीं कर लेते ? आद्या को माँ मिल जाती और तुम्हें पत्नी , जो आद्या की देखरेख करती . “


“ आद्या को माँ नहीं सौतेली मां मिलती . जब अपनी माँ ही उसे त्याग कर चली गयी तो मैं सौतेली से क्या उम्मीद रख सकता हूँ . इसलिए मैंने दूसरी शादी न करने की सोची है . “


उस रात रिधान को नींद नहीं आ रही थी , वह बस आंखें मूंदे पड़ा था . उसकी बंद आंखों से आंसू गिर रहे थे , तभी आद्या की कोमल अंगुलियों का स्पर्श उसे महसूस हुआ . आद्या उसकी ओर एकटक से देखे जा रही थी और उसके हाथ सहला रही थी . उसके चेहरे पर रह कर मंद मुस्कान बिखर जाती . न जाने क्यों रिधान को लगा कि मानो बेटी उसे हौसला दे रही हो और कह रही हो - डोंट वरी पापा , हम होंगे कामयाब . “


उसके बाद से रिधान ने भी कमर कस लिया कि वह आद्या को अकेले ही पालपोष कर इस लायक बनाएगा कि लोग देखते रह जाएंगे . वह घर से सीधे कॉलेज जाता और फिर वापस सीधे घर आता था . कॉलेज से भी हर घंटे दो घंटे पर बेटी से विडिओ चैट करता . उसकी दिनचर्या में कॉलेज और आद्या के अलावे और कुछ नहीं था . कुछ लोग उसका मजाक उड़ाने से भी नहीं चूकते , कहते - सुंदर पत्नी चाहिए थी न . देखा कैसे लात मार कर चली गयी . उसके करीबी दोस्त उसकी तारीफ़ करते पर बीच बीच में उसे दूसरी शादी करने की सलाह भी देते जिसे वह अस्वीकार कर देता .

नोट - उपरोक्त कहानी पूर्णतः काल्पनिक है


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