मुंबई, सुबह 6.45 बजे
वैसे तो मुंबई शहर कभी नहीं सोता, हां मगर कुछ सड़कें जरूर सुनसान होती है। ऐसी ही एक सुनसान सड़क पर वहां की शांति को भंग करते हुए एक एम्बुलेंस जा रही थी, भारत के मशहूर अभिनेता रोहित श्रीवास्तव के घर की ओर। रोहित श्रीवास्तव बहुत ही उमदा कलाकार थे। 1970 के दशक में बॉलीवुड में उनका ही राज था। 2000 के साल में उन्होंने अपने बेटे जय को बतौर अभिनेता बॉलीवुड में लॉन्च किया। रोहित श्रीवास्तव के बेटे जय ने भी अपने पिताजी का नाम रोशन किया और वो भी बहुत जल्द एक सुपरस्टार बन गया। लेकिन आज 20 साल बाद ऐसा क्या हुआ कि जय अपनी जान लेने के लिए राज़ी हो गया। जी हां वो एम्बुलेंस जय को लेने जा रही थी जिसने आत्महत्या करने की कोशिश की थी।
एम्बुलेंस रोहित के घर पहुंची और तुरंत जय को एम्बुलेंस में डालकर हॉस्पिटल की ओर रवाना हो गई। रोहित के घर पुलिस और मीडिया भी आ गई थी। घर के बाहर हजारों की भीड़ जमा हो चुकी थी। कुछ ही देर में अखबार और न्यूज़ चैनल पर ये खबर आने लगी कि, जय ने आत्महत्या करने का प्रयास किया। हर तरफ चर्चा होने लगी की जय ने ऐसा आखिर क्यों किया? सोशियल मीडिया पर भी हर जगह यहीं चर्चा होने लगी। इन सबका जवाब एक चिट्ठी में शामिल था जो जय ने अपने कमरे में छोड़ रखी थी।
चिट्ठी कुछ इस तरह से थी,
पापा-मम्मी,
मुझे माफ़ कर देना पर अब मैंने अपनी जान लेने का फैसला कर लिया है। अफसोस, मैं आप के जैसा नहीं बन सका पापा। जब मेरा जन्म हुआ तभी आप लोगो ने ये सोच लिया कि मुझे भी एक बॉलीवुड स्टार बनाएंगे। स्कूल के हर ड्रामा हर इवेंट में मुझे आप लोगो ने किसी शॉ-पीस की तरह पेश किया। मुझे नहीं पता होता था कि मुझे क्या करना है, पर मैं कैसे भी कर के आप लोगो को खुश रखने की कोशिश करता रहा। मेरी मजबूरी को आप लोगो ने मेरा टैलेंट समझ लिया। मुझे विदेश पढ़ने भेजा, मुझे सारी सुविधाएं दी गई। जो मैं नहीं मांगता था वो भी मुझे मिल जाता था, पर अफसोस मुझे जो चाहिए था वो मैं आप लोगो से नहीं मांग सका।
मुझे एक चित्रकार बनना था, मैं अपनी इस कला से लोगो को मंत्रमुग्ध कर देना चाहता था। शायद में ही आप लोगो को ठीक से नहीं समझा पाया कि मुझे क्या चाहिए। इसीलिए आप लोगो ने मेरे पेशन को मेरी हॉबी समझ ली और उस दिशा में मुझे आगे ही बढ़ने नहीं दिया। हां शायद जो दौलत और शोहरत मुझे हीरो बनकर मिली उतनी पहचान मुझे उस क्षेत्र में ना मिल पाती, पर मेरे लिए पैसों से बढ़कर दिल का सुकून ज़्यादा मायने रखता था, और सुकून मुझे पैंटिंग कर के ही मिलता था। मैंने बहुत कोशिश की पापा पर अपने आपको सफल नहीं बना पाया। लोगो की और आप की नजरों में मैं शायद बहुत ही सफल इंसान हूं पर अगर आप लोग मेरे नज़रिये से देखेंगे तो पता चलेगा कि मैं कितना बड़ा लूज़र हूं। हां स्टार किड होने के नाते मुझे बॉलीवुड में प्रवेश के लिए कोई संघर्ष नहीं करना पड़ा, पर उसके बाद के सफर में जो मैंने संघर्ष किया उसके तो कोई मायने ही नहीं थे।
रोज मैं यहीं दुआ करता कि आज मेरे काम की कद्र हो, मुझे मेरी पहचान मिले। पर जब भी मैं कुछ अच्छा करता था तो उसकी सीधी तुलना पापा आपसे होती थी कि, ‘अच्छा तो करेगा ही स्टार का बेटा जो है’ और जब अच्छा नहीं कर पाता था तब भी लोग कहते थे कि, ‘एक स्टार का बेटा होकर भी इतनी घटिया एक्टिंग…!’ मेरी तारीफों में भी मैं कहीं नहीं था और मेरी बुराइयों में भी। एक बाप हंमेशा चाहता है कि उसका बेटा उससे आगे निकले, आपने भी यहीं सोचा था पर एक बेटा अपने बाप से कभी आगे नहीं बढ़ सकता ये बात मुझे पता थी और इसीलिए मैं आपसे बेहतर या आपसे कम होने के लिए काम नहीं करता था पर अपनी खुद की पहचान बनाने के लिए मैं ये काम करता था। सोचता था जो मेरे नसीब में था वो ही हो रहा है तो उससे ही खुश रहूं। लाख कोशिश के बावजूद मैं खुश नहीं हो पाया।
जैसे तैसे मैं अपने मन को मना के और अपने सारे आलोचनाओं से मुक्त हो के मैं एक्टिंग सीख गया। ये भी हकीकत है कि जितने मौके मुझे मिले उतने मौके हर किसीको नहीं मिलते। मैंने सफलता हांसिल की पर उसकी कोई खुशी नहीं हुई मुझे। सुपरस्टार बनना भी मुझे खास कुछ पसंद नहीं आया। कहते है कि उगते सूरज को लोग सलाम करते है। रीमा भी मेरी ज़िंदगी में तभी आयी जब मैं सबसे टॉप पर था। रीमा से मैंने प्यार किया, शादी की, दो बच्चे भी हुए। मैं खुश था पर मेरी फिल्में अब कुछ कमाल नहीं कर पा रही थी। मैंने जब बॉलीवुड में कदम रखा था तभी मुझे पता था कि आलोचनाएं और तुलनाएं तो होंगी ही पर तब इतना मीडिया नहीं था। अब के युग में जितने माध्यम हो गए है उतनी आवाज़े हो गई है। कोई एक गलत अफवा और किसी की ज़िंदगी तबाह। मेरा केरियर डूब रहा था और साथ ही रीमा भी मुझसे दूर होने लगी साथ ही उसने मेरे दोनों बच्चो को भी मुझसे दूर कर दिया। तलाक लेकर और जायदाद से अपना हिस्सा लेकर रीमा मुझे छोड़कर चली गई, साथ ही बच्चो की कस्टडी भी उसने अपने पास ही रखी।
मीडिया पर ऐसी ऐसी न्यूज़ आने लगी कि जिसे चाहकर भी अनदेखा नहीं किया जा सकता था। उन लोगो ने ये समझा ही नहीं कि मैं स्टार किड से पहले एक इंसान हूं। मैं अपना अस्तित्व भूल के कैसे भी कर के ये काम तो कर ही रहा था पर अब मैंने अपने होने का वजूद भी गंवा दिया था। इतना सब कुछ होने के बाद अब मैं सहन नहीं कर शका और मैंने मरने का फ़ैसला किया। मेरी आत्मा तो मर ही चुकी थी बस अब शरीर की बारी थी। मैं आप में से किसी को मेरी मौत का जिम्मेदार नहीं मानता, बस शायद मैं ही इस दुनिया की ताल से ताल ना मिला शका। अपना ध्यान रखिएगा मम्मी-पापा और मेरे दोनों बच्चों की भी खबर लेते रहिएगा। बस चलता हूं अलविदा।
आई एम सॉरी 🙏
5 साल बाद। इटली,
“आप जय श्रीवास्तव है ना? रोहित श्रीवास्तव के बेटे?” एक आदमी ने इटली की एक बड़ी आर्ट गैलरी के मालिक से पूछा।
“नो डियर। मैं जेकब हूं।” आर्ट गैलरी के मालिक ने कहा।
“ओह, सोरी!” ये कहकर वो आदमी चला गया पर गैलरी का मालिक सोच में पड़ गया,
वैसे जय को मरने के बाद भी उसकी पहचान ना मिली, पर मुझे मेरी नई पहचान मिल गई। उस दिन मैं मरने से जरूर बच गया पर सही मायने में उसी दिन मेरा पुनर्जन्म हुआ।
रोहित श्रीवास्तव ने मीडिया और सभी लोगो में ये खबर फैला दी कि उनका बेटा मर गया। इसके बाद मीडिया और लोगो के मुँह तो बंद नहीं हुए, पर रोहित जी ने जय को एक नई जिंदगी जरूर दे दी। अब वो अपनी मर्ज़ी का मालिक था। वो जो करना चाहे वो करता था। उसने इटली में ही अपना घर बसा लिया और वहीं की एक लड़की से शादी भी की जो उससे प्यार करती थी, उसकी दौलत या शोहरत से नहीं। वो एक सफल चित्रकार तो बना ही साथ ही एक उमदा इंसान भी। कभी कभी वो अपने दोनों बेटों और माँ बाप की खबर भी ले लेता था।
दौलत ना शोहरत कोई यहां, बातें यहां अब जुनून की होगी।
दिन कितने भी थे गर्दिश में, रातें यहां अब सुकून की होगी।
✍️ Anil Patel (Bunny)