वोरेन बफेट......बचपन VIJAY THAKKAR द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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वोरेन बफेट......बचपन

वोरेन बफेट......बचपन

ईश्वर इस धरा पर एक अच्छा इन्सान पैदा करने में बहुत देर लगाता है और अभी तो वैसे भी कलियुग विद्यमान है, तो ऐसी संभावनाएं कमोबेश कम ही होती है... पर फिर भी हर युग मे कोइ ना कोई तो फरिश्ता आ ही जाता है l

३० अगस्त १९३० के दिन संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के मध्य पश्चिमी हिस्सेमे नेब्रास्का प्रोविन्सके ओमाहा में, एक ऐसे ही विश्वप्रतापी बालक ने जन्म लिया जिसका नाम रखा गया था वोरेन बफेट l

वोरेन बफेटके पिता का नाम था हार्वर्ड और माता का नाम था लीला (स्टाल) I वोरेन की माँ दुबली पतली कद-काठी की पर एकदम खुश मिजाज़ महिला थी, जब की उनके पिता हावर्ड गंभीर प्रकृति के पर दयालु इंसान थे l हावर्ड एक इन्स्युरन्स एजंट थे पर बादमे एक स्थानीय बैंक “यूनियन स्ट्रीट बैंक” में सीक्यूरिटीज़ सेल्समेन का जॉब करते थे, पर किस्मत को शायद कुछ और ही मंज़ूर था l अगस्त १३, १९३१ वोरेनके पहले जन्मदिन के ठीक दो सप्ताह पूर्व ही उनका बैंक बन्द हो गया और हॉवर्ड आ गए बेरोजगारों की कगार में l बड़े ही कठिन समय का सामना हुआ...घोर हताशा और किस्मत को कोसने के दिन आ गए और अब तक की बचाई हुई धन राशी भी खत्म हो गई...पर हॉवर्ड उन लोगों में से तो नहीं थे की जो परिस्थितिओं के सामने झुक जाए.. हौसला उनका बुलंद था.. प्रचंड मनोबल और प्रबल इच्छाशक्ति के वे धनी थे, बस उन्हों ने तो अपनी खुद की स्टोक ब्रोकरेज कम्पनी खोल दी l हॉवर्ड के एकनिष्ठ प्रयास और साथ में किस्मत भी मेहरबान हुई तो नए कारोबार में भी वे सफल ही रहे और खूब नाम कमाया l सन १९३० के पूरे दशक में उनकी अच्छी खासी धनराशी की कमाई हुई l

राजकीय फ़लक पर भी उनका नाम अग्रपंक्तिमे आ गया और रिपब्लिकन पार्टी की और से कांग्रेसमें चार टर्म तक उन्हों ने सकारात्मक योगदान दिया l मजबूत इरादे और कामियाबियों को हर दम गले लगानेवाले हावर्ड के तीन संतान थे जिनमें दो बेटियाँ, बड़ी बेटी थी डोरिस और छुटकी थी रोबर्टा.. और दो बहनों के

बिच दूसरे नंबर पर था बेटा वोरेन l नीली आँखें गोरा रंग गुलाबी गाल और सुनहरे बालोंवाला यह बच्चा आगे जाकर विश्व का सबसे बडा रईस और शेयर बाज़ार की दुनिया का सबसे महान निवेशकों में से एक

बननेवाला था l वोरेन का जन्म एक दिलचस्प मोड़ पर हुआ था l सन १९२९ में अमेरिका के शेयर मार्केट में भूचाल आया और शेयर मार्केट बुरी तरह से ध्वस्त हो चूका था, और उसी के ठीकठीक १० महीने बाद नेब्रास्का के ओमाहा में यह महाशय पैदा हुए l उनके जन्म के ठीक एक साल बाद अगस्त १३, १९३१ वोरेन के पहले जन्मदिन के दो सप्ताह पूर्व ही उनके पिता हावर्ड जहां नौकरी करते थे वह बैंक बन्द हो गया और नौकरी छूट जाने के बाद वह शेयर मार्केट के बिजनेस मे आ गए तो जैसे एक क़ुदरती संकेत मिल रहा हो की इस परिवार की कोई ना कोई लेनदेन शेयर मार्केट के साथ है और उस वक्त किसे पता भी था के यही परिवार में शेयर बाज़ार का बादशाह पैदा हो चूका है l

“होनहार बिरवान के होत चिकने पात” मतलब अच्छे गुण आरम्भ में ही दिखाई देने लगते हैं, ठीक वैसा ही वोरेन के व्यक्तित्वमें भी दिखने लगा था l पूत के पाँव पालने में पहचाने जाते हैं l होनहार बाप का बेटा भी होनहार ही निकला l वोरेन असाधारण बुध्धिप्रतिभावाला बालक था, एकदम तेज़ दिमाग था पर सामाजिक तौरतरिकोंसे उनका बिलकुल सरोकार नहीं था l अपनी आयु से ज्यादा गंभीर यह बालक के बारे में ऐसा भी कहा जाता था की वोरेनने कभी बचपन जीया ही नहीं, उन्हों ने तो शैशव से सीधा प्रौढत्व धारण कर लिया l सामूहिक खेलों में उनकी जरा सी भी रूचि नहीं थी पर वह पिंगपोंगके उत्कृष्ट खिलाड़ी थे l बचपन में बिलकुल अकेलेपन के आदि वोरेन के व्यक्तित्व का एक और पहलु यह भी था की बचपन से ही उन पर बिजनेस करने और पैसे कमाने का जुनून सवार था, और वही कारण था की उन में अपने काम के प्रति पूरी निष्ठा एवम समर्पणभाव

रहता था l

वोरेन को बचपन से ही विडियो गेम बेहद पसंद थी और वह उस के आदि हो गए थे l बच्चों के खिलौने से खेलने की उम्रमे, महज़ पाँच साल की आयु में वोरेन अपने घर के साइड-वोक पर च्युइंगम का ठेला लगाते थे और आतेजाते राह्दारियोंको

चिकलेट्स बेचते थे l बचपनमे वोरेन का एक दोस्त हुआ करता था रसेल और इन दोनों ने मिलकर पैसे कमाने के कई नुस्खे अपनाए l दोस्त रसेल के घर के सामने चौराहे पर जहां खूब भीड़ रहती थी वहां उन्होंने लैमनेड भी बेचा l कभी दोनों साथ में तो कभी वोरेन अकेले बस कुछ भी करके पैसे कमाने की तरकीबें करते थे l छह साल की उम्र में वोरेन अपने दादा के ग्रोसरी स्टोर से कोका-कोला की छह बोतलें २५ सेंट में खरीदते थे और फिर उसे घर-घर जा कर पांच-पांच सेंटमें बेच कर ५ सेंट मुनाफे की कमाई कर लेते थे, उसी तरह वह च्युइंग गम भी बेचा करते थे l उनके हमउम्र बच्चे चिबिड्डी ( कूदने का खेल) और जैक जैसे खेल खेलने में मग्न रहेते थे और तब वोरेन ने तो पैसे कमाना शुरू भी कर दिया था l

रसेल के घर के सामने एक गेस स्टेशन हुआ करता था और जब वोरेन की उम्र करीब नौ साल की रही होगी तब यह दोनों बच्चे वहां लगी सोडा मशीन के पास जा कर सभी बोतलों की कैप गिनते, तब उन्हें देखनेवाले तो यही सोचेंगे की बच्चे खेल रहे हैं पर यह महज़ खेल नहीं था, पर यह तो उनका प्रारम्भिक मार्केट सर्वे था की कौन सी ब्रेंडका मार्केट में चलन ज्यादा है और उसके मुताबिक कौन सा बिज़नैस करना फ़ायदेमंद रहेगा l वोरेन को बचपन से ही आंकड़ों से बहुत ज्यादा लगाव था तो वह अपने दोस्त बाब रसेल के साथ दुपहर से लेकर शाम तक भीड़भाड़ वाले चौराहे पर बैठे रहते और आती जाती गाडियों के नम्बर लिख लेते और शाम को अँधेरा होते ही घरमे जाकर फ्लोर पर बिछा देते और फिर “ओमाहा वर्ल्ड हैराल्ड” खोल कर गिनती करते के कौन सा नम्बर कितनी बार दिखता है और इस तरह वह अपनी पूरी कॉपीबुक भर देते l उन्हों ने अपनी ११ साल की ही उम्र में अपनी उम्र के हिसाब से बहुत ही बड़े निवेश की दुनिया में कदम रख दिया l बफेट ने अपनी बड़ी बहन डोरोसी के साथ मिलकर $ ३८ का एक के हिसाब से तिन शेयर “सिटी सर्विस” के खरीद लिए, पर बदकिस्मति से उनकी यह खरीदारिके बाद तुरंत ही “सिटी सर्विस” के शेयर की कीमत गिरने लगी और $ ११ तक कम होकर $ २७ हो गई ! वोरेन गभरा तो गए पर उनके स्वभाव की एक विशेषता यह थी की उन में धैर्य और लचीलापन पहेलेसे ही था तो इस घबराहट के बावजूद भी उन्हों ने अपने शेयर को उस वक्त तक पकड के रखा जब तक वह फिर से उतनी ही उँचाई प्राप्त ना कर ले ! और हुआ भी ऐसा हीl

“सिटी सर्विस” के शेयर का मार्केट उँचाई की और बढ़ने लगा l जैसे ही उन शेयर की कीमत $ ४० हुई बफेटने तुरंत ही उन्हें बेच दिए l खैर उस वक्त तो उन्हों ने राहत की साँस ली पर यह राहत आगे जा के एक बड़ी भूल साबित हुई और पछतावे का कारण बनी l कुछ ही समय में “ सिटी सर्विस” के शेयर की कीमत शूट-अप हुई और बढ़कर $ २०० तक जा पहुँची l यही गलतिमें से वोरेन बफेटको इन्वैस्टमैंट के क्षेत्र का एक बुनियादी सबक सिख ने को मिला,कि शेयर मार्केट में “धैर्य अत्यन्त आवश्यक गुण है l”

सन १९४३ में वोरेन १३ साल के हुए और महज़ १३ साल की उम्र में ही उन्हों ने अपना पहला आयकर विवरण दायर किया और अपनी साईकिल के ३५ डालर को एक व्यय के रूप में घाटा दिया l वोरेन ने कभी घर घर जा कर न्यूज पेपर बेचे तो कभी अलग अलग गोल्फ कोर्समें जा कर उपयोग में लिए हुए पुराने पर फिर भी बिक्री योग्य बोल ले आकर उसेभी बेचा तो अपने उच्च विद्यालय के अन्तिम वर्ष में बफेट और उनके एक साथी नें 25 डालर में एक इस्तेमाल की हुई पिनबाल मशीन खरीदी और उसे एक बार्बर शॉप में उसे रख दिया l बाद में उन्हों ने तीन मशीनें अलग अलग जगहों पर लगाई और खूब पैसे कमाए l

जब वोरेन की स्कूली शिक्षा ख़त्म हुई तब उनके सेविंग्स खाते में $ ५००० जमा थे जो आज के हिसाब से $ ७०००० हो जाते l

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विजय ठक्कर

दिनांक: २२/०५/२०१६

सन्दर्भ सूचि :

* “THE SAGES” by Charles R. Morris

* “BUFFET – THE MAKING OF AN AMERICAN CAPITALIST “by Roger Lowenstein

* “THE SNOWBALL – Warren Buffett and Business of Life “by Alice Schroeder