जिंदगी से मुलाकात - भाग 2 Rajshree द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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जिंदगी से मुलाकात - भाग 2

बारिश अब थोड़ी थोड़ी हल्की हो रही थी बूंदे छतसे टपकते हुए दिखाई दे रही थे।
बूंदे प्लास्टिक के गमले पर गिर रही थी जिसमें गुलाब का फूल बारिश के तूफान के कारण मुरझा गया था।
बादल हट चुके थे, सूरज सीना ताने बादलों से ऊपर उठकर आया था, इंद्रधनुष्य बन चुका था।
रिया थोड़ी आगे बढ़ी की तभी "अभी मैं जिंदा हूं।" का नारा लगाते हुए एक बूंद उसके गालों पर आकर गिर गई।
अचानक कुछ ख्यालो ने निसर्ग की सुंदरता ने रिया के मन को झंझोड कर रख दिया।
कुछ ख्याल उसके मन में उभरने लगे।
अपने दोनों आँखों को बंद करके, अपने दोनों हातो को फ़ैलाते हुए वो हर एक वाक्य को अपने अंदर समाने लगी-
हा इस पल मे मैं हूं।
छोटीसी तो है मेरी जिंदगी।
अगर आज भी मैने वही किया जो मैं पूरे एक साल से करती आ रही हूं ,तो और एक दिन फिर यह सोचने में निकल जाएगा, मैंने अगर सोचा था तो फोन क्यों नहीं किया?
जीवन को मैं बताना चाहती हूं, इतना सब कुछ मिलने के बाद भी मेरी लाइफ कितनी अकेली है तुम्हारे बिना पर हिम्मत ही नहीं होती।
क्या बोलने वाली थी मैं नहीं जीवन को ,सारी गलती मेरी थी या दोष हालत पर डाल देती।
इसलिए हर बार सोचा छोड़ दो पर आज नहीं आज मुझे उसे फोन करना ही है।
रिया झट से घर के अंदर गयी।
सोफे पर रखा हुआ फोन उठाया और जीवन को फोन लगाया।
नंबर अस्तित्व में नहीं है यह सुनकर रिया ने बिना कुछ सोचे समझे उसके घर पर फोन लगाया।
टेलीफोन से जीवन का रिकॉर्ड मैसेज सुनाई दिया।
रिकॉर्ड मैसेज के अनुरूप रिया ने वॉइस मैसेज डालने की हिम्मत की- "अच्छा हुआ तुमने फोन नहीं उठाया नहीं तो मेरी बोलने की हिम्मत ही नहीं होती।
मुझे नहीं पता तुम मुझे कितना गलत समझते हो पर मैं इतना जानती हु कि मेरा दिल आज भी तुम्हारे लिए धड़कता है।
मैं जिद्दी थी अभी भी हूं, मैने एक पल में सारे रिश्ते तोड़ दिए और अपनी ही बनाई हुई दुनिया में खो गई।
दिन तो अच्छे से कट जाता है लेकिन जब रोज शाम थक जाती हु, तो मुझे याद आता है कि, तुम किस तरह सिर दर्द को अपनी उंगलीयो से छु मंतर कर देते थे
तुम्हारी वो 2 चम्मच वाली स्ट्रांग मिल्क कॉफी मै आज तक नहीं बना पाई।" I know you think i'm gone mad but ... But I still need you.
रिया अपने दिल को संभालते हुए अपने आंसुओं को पोछते हुए जीवन से आखरी बार बोली- "प्लीज एक बार रिप्लाई जरूर देना अगर हमसफर बनकर हम एकसाथ नही रह सके तो एक पागल दोस्त की जगह ही तुम्हारी जिंदगी में दे देना।"
"गुड नाइट जीवन।"

इतना कहकर रिया फोन बंद कर देती है। इन सब बातों के साथ ही उसके ऊपर का तीन साल का बोझ एक ही झटके में उतर गया।

"क्या शब्द है ना पश्चाताप जिसको इसका मतलब समझ में आ गया उसके लिए जीवन ज्यादा नहीं पर थोड़ा हल्का हो जाता है।"

फोन सोफे पर रखकर रिया चैन की सांस लेते हुए बैठ गई कि तभी बाहर से किसी की आवाज सुनाई दी।