लगान - पर्दे के पीछे का संघर्ष Niraj Bishwas द्वारा फिल्म समीक्षा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

लगान - पर्दे के पीछे का संघर्ष

इस फिल्म ने मेरे दिल को छुआ है क्योंकि शायद यह एक ऐतिहासिक फिल्म थी जो हमें जीतते हुए दिखाती है और अक्सर हम भारतीय चाहते हैं अपने राष्ट्र की जीत अंग्रेजी हुकूमत से। मै भी शायद इसी वजह से फिल्म को पसंद किया परंतु कल जब मैंने इस फिल्म के बनने की कहानी को जाना तब से इस फिल्म में काम करने वाले हर एक हर एक शख्स के प्रति सम्मान पैदा कर दिया है। मैं आज आपको बताने वाला हूं लगान के बनने कि कहानी जो आपके अंदर पैदा करेगी भारतीय संस्कृति के लिए सम्मान, जिसने दिखाया है भारतीय विविधता में एकता, और साथ ही साथ ही जीवन में कभी हार ना मानने की अनमोल सीख ।इस फिल्म में शानदार अभिनय किया है आमिर खान ने ,राजस्थान कच्छ के लोगों ने ,ब्रिटेनसे आए ब्रिटिश कलाकारों ने और साथ ही क्षेत्रीय कलाकारों ने ।सबसे पहले बात करते है ब्रतिश एक्टर पौल ब्लैकथ्रोन जिसने फिल्म में कैप्टन का रोल किया है ,उन्हें तीन 3 घंटे में हिंदी के 3 शब्द भी याद नहीं हुए थे और उन्होंने फिल्म में कैप्टन का रोल किया है जो सबसे बड़ा चैलेंज था।उसके बाद उनकी बहन का रोल में ब्रिटिश एक्ट्रेस रचल शेली जिन्होंने ठीक उनके उनके उलट काम किया है उन्हें डायलॉग सीखने में ज्यादा समय नहीं लगा और उन्होंने फिल्म में एक ऐसे महिला के तौर पर काम किया है जो भारतीय संस्कृति के प्रति संवेदनाएं रखती हैं और इस गांव के लोगो की कठिनाई के प्रति भी संवेदनाएं रखती है। हालांकि वास्तविक जीवन में भी वह भारतीय संस्कृति के प्रति बहुत ज्यादा संवेदनाएं रखती हैं।उनके हिसाब से सबसे मुश्किल काम था भारतीय कलाकारों को सुनना क्योंकि कलाकारी में दूसरे कलाकारों को सुनना भी एक बहुत अहम हिस्सा होता है और इस चीजों में उन्हीं बहुत दिक्कत हुई क्योंकि आपको उस परिस्थिति से रिएक्ट करना होता है ।आगे बात करते हैं आमिर खान की क्योंकि वह अक्सर मुंबई में रहें और वह हिंदी बोलते थे इस वजह से उन्हें अवधि बोलने में काफी दिक्कत हुई और कई सींस के दौरान वो बोलते बोलते रुक जाते थे क्योंकि वह हिंदी बोलने लग जाते थे और कई क्षेत्रीय कलाकार इस चीज का मजा भी लेते थे।आमिर खान के हिसाब से उन्होंने इस चीज की पूरी तैयारी की थी उन्होंने सोचा था वह उत्तर प्रदेश के किसी गांव में जाकर रहेंगे और वहां के लोग के बीच कुछ समय बिताएंगे तो वहां के भाषा और संस्कृति के बारे में जान पाएंगे ,उनके रहन-सहन के बारे में जान पाएंगे। लेकिन वो प्रोड्यूसर होने के कारण अपना यह काम नहीं कर सके और इस वजह से भी उन्हें काफी परेशान होना पड़ा।फिल्म के लोकेशन्स की वजह से भी काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा। जैसे कि वह जहां शूटिंग कर रहे थे वहां पास ही आर्मी बेस थी तो jet ko लगातार दिन में तीन चार बार गुजर ना होता था तो इस वजह से कई बार शूटिंग रोकनी पड़ती थी और हर बार लगभग 20 मिनट का और इस वजह से उनके काम में देरी हो रही थी।और साथ भी कई समस्या जैसे रेगिस्तान में तेज आंधियां चलती है तो इस वजह से भी शूटिंग को रोकना पड़ता था और वहां पर बहुत ज्यादा गर्मी होती थी तो बहुत से लोगों को एडजस्ट करने में भी दिक्कत हुई होगी।फिर एक दिन अचानक executive producer रीना दत्ता आए और उन्होंने मुख्य लोग की मीटिंग बुलाई और उन्होंने यह बात कह दी की यदि काम शेड्यूल टाइम से नहीं हुआ तो वो काम बंद कर देगी।और इस जगह पर मुख्य रोल निभाया आमिर खान ने ,उन्होंने ने डायरेक्टर और एक्सक्यूटिव प्रोड्यूसर के बीच संतुलन बिठा कर काम किया और वो अक्सर आशुतोष गोविर्कोर को अपने हिसाब से काम करने छूट देते थे।
उन्हें शूटिंग क्रिकेट की शूटिंग के लिए 10000 लोगों को बुलाया मगर वे नहीं आए और फिर जब वो आए तो मॉडर्न ड्रेसेस में जब की उन्हें ब्रिटिश युग के भारतीय लोग चाइए थे इसलिए सब के लिए खाने के वायवस्था और धोती कुर्ते की वावस्थया की गई जो एक टेढ़ी खीर थी ।ब्रिटिश से आए कलाकार में से दो ऐसे भी थे जिन्हें भारतीय संस्कृति इतनी पसंद आया,उन्होंने भारतीय रीति रिवाज से शादी की और आमिर और उनकी धर्मपत्नी ने कन्यादान किया।