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वो भूली दास्तां, भाग-१२

यह सुनकर चांदनी व उसकी दादी एकदम से सकते में आ गए । चांदनी की दादी ने मीरा देवी से कहा
"बहन जी, तलाक यह आप क्या कह रही हैं। आप भी बेटी वाली हो। कुछ तो सोच समझकर बोलो। ऐसी क्या गलती हो गई हमारी बेटी से। अरे, बीमार ही तो हुई थी और अब सही भी हो गई । हमने तो आपको भी तंग नहीं किया। खुद ही उसकी तीमारदारी कर ली। जो कुछ हुआ उसे भूल जाओ और मेरी पोती को लिवा लाओ। आपसे उम्र में बड़ी होकर भी हाथ जोड़ती हूं आपके। इस बुढ़ापे में यह दुख मत दिखाओ।" कहते हुए उनकी आंखों में आंसू आ गए।
"आप मेरी बेटियों की अपनी बेटी और हमारी अपने आप से तुलना ना ही कीजिए और अब रोने धोने से कोई फायदा नहीं। सही हो गई क्या गारंटी है । 2 महीने अस्पताल में रही है। पता है ना डॉक्टर ने कितनी बड़ी बीमारी बताई थी उसे ! ऐसे हालात में ठीक भी हो गई तो क्या हमारी वंशवेल आगे बढ़ा पाएंगी। मेरे बेटे को पत्नी का सुख दे पाएंगी! इसलिए आप कुछ नहीं हो सकता आप लोग जा सकते हैं।"

कहते हुए वह उठने लगी । अपनी सास की बेइज्जती होते देख चांदनी की मम्मी का सब्र का बांध टूट गया और वह गुस्से से बोली
"ऐसे कैसे आप रिश्ता तोड़ दोगे । और यह क्या आपने कैंसर की रट लगा रखी है। मेरी बेटी को ऐसी कोई बीमारी नहीं थी। झूठ बोल रहे थे यहां के डॉक्टर। दामाद जी को बुलाओ। हम उनसे बात करना चाहते हैं। आखिर हमारे सामने क्यों नहीं आ रहे वह। जब तक हम उनसे बात नहीं कर लेंगे। हम यहां से नहीं जाएंगे।"
"यह क्या बदतमीजी है ! क्या आप मेरे घर में धरना देकर बैठे रहोगे। जब मैंने कह दिया कि जो मेरा फैसला है, वही मेरे बेटे का है तो!"
"रिश्ता आप लोगों ने भिजवाया था। हम नहीं आए थे, पहले आपकी चौखट पर। इसलिए बुलाइए उन्हें!"
नीचे का शोर शराबा सुन आकाश नीचे आया। उसे आता देख मीरा देवी बोली " तुम यहां क्यों आए हो! ऊपर ही रहो। मैं बात कर लूंगी इन लोगों से।"
आकाश को देख चांदनी की मम्मी ने कहा "दामाद जी ऐसी क्या गलती हो गई मेरी बेटी से, जो आप उससे ना तो मिलने आते हो और ना ही फोन करते हो अब और यह तुम्हारी मां क्या कह रही है कि तुम तलाक लेना चाहते हो, चांदनी से! आखिर क्यों? तुम तो उसे इतना चाहते थे फिर!"
उसे चुप देखकर वह फिर बोली "आखिर तुम बोलते क्यों नहीं! कोई तो कारण बताओ! जिसे सुनकर हमें पता चले कि कि आखिर हमारी गलती क्या है या तुम्हारे मन में क्या चल रहा है। एक बार मिल लो उससे। आमने सामने बैठकर जो गलतफहमियां हैं उन्हें दूर करो। बेटा तुम्हारे इंतजार में आंखें बिछाए बैठी है वो। "
"अब मेरा उससे कोई नाता नहीं। मम्मी ने जो आप लोगों से कहा, वह सही है और वही मेरा फैसला है।" कहकर आकाश फिर ऊपर चला गया।
उसका जवाब सुन चांदनी की मम्मी का दिल धक से रह गया उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि आकाश इस तरह बदल जाएगा।
"अब तो आपने आकाश का जवाब भी सुन लिया ना या और कुछ सुनना बाकी है। वैसे हमने आप जितने बेशर्म लोग नहीं देखे। जो इतना सुनने के बाद भी यही खड़े हैं। उठिए जी, आप क्या यहीं बैठे रहेंगे। इन लोगों को शायद काम ना हो, हमारे पास तो काम है। बेकार में इतना समय बर्बाद कर दिया।" यह कह मीरा देवी उठकर अंदर चली गई। पीछे पीछे उनके पति भी।
यह सब सुन रोहित बोला "मम्मी और कितनी बेइज्जती करवाओगे चलो घर।"
सब भारी कदमों से घर के अंदर घुसे। रोहित तो सीधा गुस्से से अपने कमरे में ही चला गया। सबके उतरे व चिंतित चेहरे देख चांदनी ने पूछा "मम्मी,आप इतने परेशान क्यों हो! क्या बात है! क्या छुपा रहे हो आप मुझसे।"
"कुछ नहीं बिट्टू। बस वो तेरी दादी की बीमारी और इतनी देर वहां बैठे रहे तो थक गए और कुछ नहीं। जा तू पानी ला दें और थोड़ी चाय भी बना ला।"
चांदनी ने पानी दिया और कुछ ही देर में चाय भी ले कर आ गई। जब सब ने चाय पी ली तो वह अपनी मां के पास बैठ कर बोली " मम्मी सच सच बताओ। क्या बात है। आप कहां गए थे और इतना परेशान क्यों हो। वैसे मुझे इतना तो पता है कि परेशानी का कारण मैं ही हूं। जो भी कुछ है बताओ।"

"बता तो दूं पर तू सहन नहीं कर पाएगी मेरी बिटिया! लेकिन अब छुपाने से काम ना चलेगा।" कह वह अपनी आंख में आए आंसू पोंछने लगी।
"मम्मी 2 महीने अस्पताल में रहने और इतनी दुख, तकलीफ और दर्द झेलने के बाद, अब मैं बड़े से बड़ा दर्द भी सहन कर सकती हूं। आप बताओ तो सही!"
"यह दर्द उससे भी बड़ा है!"
"मम्मी आप पहेलियां मत बुझाओ! जल्दी से बताओ। अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा।"
उसकी बात सुन चांदनी की मम्मी ने उसे मीरा देवी व आकाश के साथ हुई सारी बातें बता दी।
"यह क्या कह रही हो मम्मी आप। मुझे यकीन नहीं हो रहा। अपनी सास की बातों को तो मैं मान भी लूं लेकिन मेरे आकाश जी, कभी मुझे छोड़ने की बात नहीं कह सकते। आपको जरूर सुनने में गलती हुई है ।" चांदनी आंखें फैलाते हुए बोली
"नहीं बिट्टू हमसे सुनने में कोई गलती नहीं हुई। अपनी दादी से पूछ ले।"
"सही कह रही है तेरी मम्मी। वह तो हमसे बात ही नहीं करना चाहते थे। बड़ी मुश्किल से बाहर आए और दो टूक जवाब दे चले गए । हमारी बात सुनने के लिए रुके तक नहीं।" दादी ने कहा।
"नहीं मम्मी, ऐसा नहीं हो सकता। मुझे लगता है, सामने उनकी मम्मी खड़ी थी इसलिए उन्होंने ऐसा बोल दिया। वरना वह मेरे बारे में कभी ऐसा नहीं कह सकते। हां देखा है मैंने अपनी मां की बात नहीं काटते वह। वह मना लेंगे उन्हें और जैसे ही उनका गुस्सा शांत होगा, वह मुझे लेने जरूर आएंगे। पूरा विश्वास है मुझे उन पर।" चांदनी मुस्कुराते हुए बोली।

"पागल हो गई है तू। या जानबूझकर समझना नहीं चाहती। अब आकाश वैसा नहीं रहा बदल गया है वह। हमने देखा है उसका असली चेहरा। काश पहले ही उसके नकाब के पीछे चेहरे को पहचान जाते तो तेरी जिंदगी बर्बाद ना होती।" उसकी मां समझाते हुए बोली।
"नहीं मम्मी उनके लिए ऐसा मत बोलो। वह तो दिल के बहुत अच्छे है। बस अपनी मां की बात नहीं काटते। जितनी अपनी मां को इज्जत देते हैं ,उससे बढ़कर मुझे प्यार करते हैं। इतना तो मैं उन्हें समझती ही हूं।"
" इतनी तरफदारी मत करो उसकी। आज तक चुप रही। क्योंकि मैं समझती थी वह काम में व्यस्त होगा और तेरे लिए परेशान। लेकिन मैं गलत थी। वह तो डरपोक और कायर निकला। जिसने अपनी मां की गलत बातों का विरोध करने का साहस नहीं, जो अपनी पत्नी को मुसीबत में देख उसका साथ देने की बजाय भाग जाए, उसे कायर नहीं कहें तो और क्या कहें! मैं तो भगवान का शुक्र मानती हूं कि जल्द ही उसकी सच्चाई सामने आ गई। वरना देर हो जाती तो! अरे वह क्या तुझे छोड़ेंगे हम ही उनसे रिश्ता तोड़ते हैं। मुझे नहीं भेजनी अपनी बेटी ऐसे घर में ,जहां इतनी निष्ठुर सास हो। जिसके मन में दूसरे के लिए दया भाव ना हो। आकाश से तो मैं कोई उम्मीद ही नहीं रखती। वह हमारा चेहरा नहीं देखना चाहते तो हमें भी उनका चेहरा नहीं देखना आज के बाद।" चांदनी की मम्मी गुस्से में तमतमाते हुए बोली।

"मम्मी क्या हो गया है आपको। कैसी बात कर रही हो। मैंने कहा ना आपको सब ठीक हो जाएगा और यह रिश्ता तोड़ने की बात कहां से आ गई। मैं तो उनके सिवा सपने में भी किसी और को नहीं सोच सकती। उनको मैंने मन से जीवनसाथी माना है। सात जन्मों के बंधन कोई ऐसे ही बातों में थोड़ी ना तोड़ें जाते हैं। आप अपनी बेटी पर पूरा विश्वास रखो और मैं आकाश जी पर!" कहकर चांदनी चुपचाप अंदर चली गई।
चांदनी की मां को अपनी बेटी की मनोदशा देख बहुत दुख हो रही था। शाम को फोन कर, उसने रश्मि को सारी बात बताई।

सुनकर रश्मि बोली "चाची जी, आकाश आ गया है तो मैं जल्द से जल्द उससे मिलकर सारी बातें साफ करती हूं । जल्द ही आपको बताऊंगी।"
रश्मि अपने पति के साथ आकाश से मिलने उसके ऑफिस गई। उसे अचानक आया देख आकाश एकदम से सकपका गया।
रश्मि ने बिना लाग लपेट सीधे ही उससे पूछा "आकाश जी मैंने सुना है, आप चांदनी से तलाक लेने के बारे में सोच रहे हो! क्या यह सही है!"
उसकी बात सुन आकाश ने भी हां में सिर हिला दिया!
"लेकिन क्यों ऐसा क्या कर दिया उसने! जो आप इतना बड़ा कदम उठाने जा रहे हो। एक लड़की की जिंदगी से इस तरह खेलने का हक तो नहीं आपको।"
"भाभी माना वह आपकी सहेली है इसीलिए आप उसकी तरफदारी कर रहे हो। क्या जो उसने मेरे साथ छल किया, वह सही है और आपने भी तो...!" कहते हुए आकाश चुप हो गया।
"चुप क्यों हो गए आप! आज पूरी बात करिए ना। क्या छल किया है उन्होंने। आपके डॉक्टर और हॉस्पिटल वाले झूठ बोल रहे हैं और वह क्यों झूठ बोल रहे है यह तो आप अपनी मां से ही पूछिए। मेरी सहेली को पहले से कोई बीमारी नहीं थी। मैं गारंटी के साथ कहती हूं।"
"डॉक्टर क्यों झूठ बोलेंगे! उनका क्या स्वार्थ! मैंने खुद अपनी आंखों से रिपोर्ट देखी है। और इसमें मेरी मम्मी की बात कहां से आ गई। वह तो कभी हॉस्पिटल जाती ही नहीं थी। हां अगर आप मेरी मम्मी पर शक कर रही है तो मैं भी आपको कह देता हूं ,जितना विश्वास आपको अपनी सहेली पर है उससे ज्यादा कहीं मुझे अपनी मम्मी पर। वे हमेशा मेरे भले के लिए ही सोचती हैं। ऐसा ना होता तो वह कभी भी चांदनी से मेरी शादी की रजामंदी नहीं देती। "
"चलो आपकी बात सही! आपकी मम्मी सही है और मेरी सहेली झूठी लेकिन अब तो वह सही हो गई। डॉक्टर ने भी उसकी सारी रिपोर्ट नॉर्मल बताई है। फिर आप उसे क्यों नहीं ला रहे और तलाक उसकी तो कोई वजह नहीं दिखती मुझे। अगर आपको लगता है मेरी सहेली के परिवार ने आपसे झूठ बोला है तो मैं माफी मांगती हूं और मुझे पता है कि वह लोग भी उस दिन आपकी मम्मी के सामने काफी गिड़गिड़ा चुके हैं तो फिर। प्लीज आकाश जी। आपको पता है ना चांदनी आपसे कितना प्यार करती है। उसकी मम्मी ने जब आपकी कही तलाक की बात उसे बताई तो तब भी उसने इस पर विश्वास नहीं किया और साफ कह दिया कि मेरी आकाश जी ऐसे नहीं। इतना विश्वास है उसे आप पर। उसके विश्वास को मत तोड़ो।" कहते हुए रश्मि ने हाथ जोड़ दिए।
"भाभी एक बार विश्वास टूट जाता है तो फिर वह जुड़ता नहीं है। मैंने उसकी सारी रिपोर्ट देखी है और डॉक्टर से बात भी की है। मुझे नहीं लगता कि वह मुझे अब पत्नी वाला.....! समझ रही है ना आप मैं क्या कहना चाहता हूं। "
"सब समझ गई । चांदनी की तरह मुझे भी चाची की बात पर विश्वास नहीं हुआ था। फिर वह तो इतनी भोली भाली है। शुक्र है वह यहां नहीं। नहीं तो शायद आपके मुंह से ऐसी बात सुन वह सदमा से मर ही जाती । अनजाने में कितना बड़ा पाप हो गया मुझसे। जो आप जैसे आदमी के साथ उसका रिश्ता जुड़वा दिया। मैं तो सोचती थी, आप मुझसे सच्चा प्यार करते हो लेकिन आज पता चला, आप उससे नहीं उसके रंग रूप से और शरीर से प्यार करते थे। आप तो प्रेम के नहीं वासना के....! छी छी। " कहते हुए रश्मि ने अपने पति से कहा
" चलिए जी अब और नहीं यहां बैठा जा सकता।"
उसके पति ने चलते समय आकाश से बस इतना ही कहा "यार तूने ठीक नहीं किया। तेरे एक गलत फैसले से एक लड़की का जीवन बर्बाद हो जाएगा। फिर से सोच लेना।"कहते हुए वह दोनों बाहर निकल गए।
क्रमशः
सरोज ✍️


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