तू खुश है ना? अरुण राय द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

तू खुश है ना?

एक छोटी सी रचना है आजकल के कथित प्रेम में पड़कर अपने बाप,भाई,परिवार का मखौल उड़ाने वाली लड़कियों के लिए.वो तो चली जाती है अपने अरमानो को पंख लगाकर अपने सपने को हकीकत बनाने बिना इस अहसास के कि पीछे उसके अपनो पर क्या बीतेगा? क्या होगा उस बाप का जिसने इतने अरमान सजाए थे उसको लेकर? वो बाप जो कभी लड़ गया था पुरे समाज से यहां तक की अपनी पत्नी से भी क्योंकि उसकी लाडली को पढ़ाई के लिए शहर जाना था।उसने तो कोई कसर न छोड़ी न तुम्हारे सपनो को पूरा करने के लिए फिर क्यों एकबार भी ये ख्याल न आया तुम्हारे मन मे कि उसको कितनी पीड़ा पहुचेगी?तुम तो चली गयी बड़े आराम से पर तुम्हे नही पता तुमने कितने लड़कियों का जीवन अंधेरे में धकेल दिया क्योंकि अब कोई बाप नही भेजेगा अपनी लाडली को शहर पढ़ने,अब कोई नही लड़ेगा उसके सपनो के लिए । उस माँ का क्या जो आस पास अपने होनहार बेटी के किस्से सुनाकर खुश हुआ करती थी ।उस मा के ममता को अपमानित करते हुवे तुम्हे दुख नही हुआ? ये मत भूलो की भविष्य में तुम भी माँ बनोगी और क्या होगा जब ये स्तिथि तुम्हारे सामने आएगी?
वो भाई जिससे कोई चौराहे पर तेज आवाज में बात नही कर सकता था उसको अब कोई राह चलता टोक जाएगा।
जो अपने गाँव समाज मे उठने वाली हर आवाज का एक वजूद था खत्म कर दिया तुमने उसको ? क्या गलती थी उसकी ? यही की बीवी के तानों के बाद भी तुम्हारी पढ़ाई के पक्ष में था?खुद पुराना मोबाइल चलाता पर तुमको लेटेस्ट फोन दिलवाया? औकात से बाहर जाकर तुम्हारे लिए लैपटॉप दिलाया ताकि तुम्हारी पढ़ाई न रुके ,क्यो किया तुमने ऐसे?
जिन लोगो ने तुम्हारे लिए इतनी परेशानी सही,इतने त्याग किये क्या तुम उन लोगो के लिए एक त्याग नही कर सकती थी?
खैर तुम आधुनिकता में अंधी तुम्हे कुछ दिखाई न दिया पर एक निवेदन है अब जो चली गई हो तो मत आना वापस कभी,बड़ी मुश्किल से जख्म भरेंगे उन्हें कुरेदने मत आना।
बस कुछ प्रश्न है जिनके उत्तर चाहता है तुम्हारा वो मजबूर बाप, वो बेबस भाई या देहरी पर रोती , मुँह छुपाती वो अभागिन माँ।
बता देना उनको समय मिले तो

🙏🙏🙏

सुन ना !
तू खुश है ना,
बाप की पगड़ी,
मां की ममता
को लात मारकर
बता न तू खुश है ना?

परिवार की इज्जत
चुल्लू भर पानी मे डुबाकर
जान से भी ज्यादा प्यार करने वाले
भाई का शीश झुकाकर,
बता न तू खुश है ना?

जो आंखे सारी रात
तेरे लिए जागी,
जिन हाथों ने कभी
तुम्हे गिरने न दिया
उन आंखों को रुलाकर
उन हाथों को छुड़ाकर
बता न तू खुश है ना?

सारे समाज, रिश्तेदारों से
यहां तक कि खुद की
पत्नी से लड़ गया तेरे खातिर
उस मजबूर बाप के
प्यार को झुठलाकर
सरेआम नीलाम कर
बता न तू खुश है ना?

चल मान लिया
तेरा प्यार सच्चा है,
पर परिवार ने इतने
दिन दिया वो क्या है?
उस प्यार को भूलकर
भरे बाजार तमाशा बनाकर
बता न तू खुश है ना??