paraye sparsh ka ahsaas - last part books and stories free download online pdf in Hindi

पराये स्पर्श का एहसास(अंतिम भाग)

ऑफिस में काम करने वाली औरतो का बॉस यौन उत्पीड़न करते है।औरतो को नौकरी बचाये रखनेव के लिए चाहे अनचाहे समर्पण करना पड़ता है।आज उसे लग रहा था।जो उसने सुना सही था।तभी तो न चाहते हुए भी उसे बॉस के साथ आना पड़ा था।वह साथ आ तो गई थी,लेकिन जहाँ तक समर्पण का सवाल है। चाहे जो हो जाये, वह समर्पण नही करेगी।चाहे उसे नौकरी छोड़नी ही क्यों न पड़े।सुमित्रा सोच विचार में खोई थी,तभी कार होटल के कंपाउंड में आकर रुकी थी।
"कम ऑन,"कार से उतरते हुए बॉस बोले थे।बॉस की आवाज सुनकर सुमित्रा यंत्र चालित गुड़िया की तरह कार से उतरी थी।पहली बार इतने बड़े होटल में आई थी।होटल के कंपाउंड में एक से एक महंगी,अलग,अलग मॉडल और डिजाइन की कारे खड़ी थी।
बॉस सुमित्रा को होटल के अंदर ले गए थे।होटल का हाल खचाखच भरा था।बॉस ने अपनी टेबल पहले ही बुक करा लू थी।हॉल के फ्लोर पर ऑर्केस्ट्रा बज रहा था।उनके बैठते ही बेयरा चला आया।
"क्या लोगी?व्हिस्की या बीयर।"
"सर् मैं ड्रिंक नही करती।"
"कभी कभी ड्रिंक करने में बुराई नही है।आजकल औरते करती है,"बॉस बेयरा से बोले,"एक रम और एक कोक ले आओ।"
बेयरा आर्डर लेकर चला गया था।सुमित्रा ने चारों तरफ नज़र घुमाकर देखा था।होटल का हॉल भव्य और सुसज्जित था।वंहा मौजूद हर मर्द के साथ कोई न कोई सुंदर औरत थी।औरतों के कपडो से उठ रही भीनी भीनी सुगन्ध से हॉल के वातावरण में खुशबू घुली थी।बेयरा रम और कोक रखकर चला गया था।
"लो,"बॉस रम और सुमित्रा कोक पीने लगी।
अचानक फ्लोर पर एक युवती जिसके जिस्म पर नाममात्र के वस्त्र थे,प्रकट हुई।उसने मोहक अंदाज मेंअभिवादन किया था।फिर वह ऑर्केस्ट्रा की धुन पर थिरकने लगी।वह शिला की जवानी जैसे गीतों पर डांस करने लगी।उसके डांस को देखकर लोग वाह वाह कर रहे थे।काफी देर तक थिरकने के बाद वह बोली,
"आइए
और फिर एक एक करके जोड़े डांसिंग फ़्लोर पर पहुचने लगे।
"कम ऑन,"बॉस सीट से उठते हुए सुमित्रा से बोले।
"मुझे तो डांस नही आता।"सुमित्रा ने पीछा छुड़ाने के लिए कहा था।"
"डोन्ट वरी।मैं हूँ न।"बॉस ने सुमित्रा का हाथ पकड़ लिया।उसमे इतना साहस नही था कि बीस का हाथ झटक देती।वह निरीह प्राणी की तरह बॉस के साथ खिंची हुई चली गई।
डांसिंग फ्लोर पर मर्द औरत एक दूसरे से चिपटकर डांस कर रहे थे।बॉस ने भी सुमित्रा को अपने से चिपका लिया ।बॉस नाचने लगे।सुमित्रा को डांस नही आता था।वह जैसे तैसे बॉस के साथ कदम से कदम मिलाने का प्रयास करने लगी।बॉस के नथुनों से निकलती गर्म सांसे उसकी गर्दन और गालो को छूने लगी।उनके मुंह से निकलते शराब के तेज भभके ने उसका मुंह अजीब कसैला से कर दिया था।बॉस उसे बांहो मे भरकर थिरक रहे थे।सुमित्रा का अपने शरीर पर कोई नियंत्रण नही था।वह पूरी तरह बॉस के रहमो कर्म पर थी।डांस के बहाने बॉस ने भरपूर फायदा उठाया था।डांस की आड़ में उसके उभारो से छेड़छाड़ से भी नही चुके थे।फिर भी वह चुप रही थी क्योंकि उसकी नौकरी पक्की होने का पूरा दारोमदार बॉस की रिपोर्ट पर निर्भर था।
सुमित्रा रात को बारह बजे घर पहुंची थी।उसे अपना शरीर अजीब लिजलिजा सा लग रहा था।पराये मर्द के स्पर्श का एहसास उसे ऐसा लग रहा था,मानो उसका शरीर गंदगी में से गुज़रा हो।उसे अपने शरीर पर असंख्य कीड़े रेंगते हुए महसूस हो रहे थे।
घर आते ही वह बाथरूम मे घुस गई।एक एक करके अपने शरीर से सारे कपड़े उतार फेंके।शॉवर चलाकर उसके नीचे खड़ी हो गई।पानी की नन्ही नन्ही बूंदे उसके सिर पर गिरकर उसके निर्वस्त्र शरीर पर फैलने लगी।वह हाथों से अपने शरीर को मसलने लगी।पराये मर्द के स्पर्श से उसका शरीर गंदा हो गया था।वह पानी से धोकर उस गंदगी को हटा देना चाहती थी।


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