आखरी मिलन Sankhat Nayna द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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आखरी मिलन

प्यारे तो हमने कर लिया। बहोत ज्यादा प्यार किया तुमसे। ये उस वक्त की बात है जब हम दोनों शहेर में मिले थे। मैने तुम्हे देखा और तुमने मुझे देखा। बस,,, एक दूजे को देखते हुए रेह गए। फिर बाद में तुम चले गए। मुझे लगा तुम मजे भुल गए होगे में ही तुमसे प्यार कर बैठी लेकिन में गलत थी तुम भी मुझे प्यार कर बैठे। इस प्यार की गहराई इतनी बढ़ी कि तुम मुझे ढूंढ़ते ढूंढ़ते मेरे गांव तक आ गए। तुमने पहली बार इजहार किया तब में दर गई थी घर वालो से सबसे इसलिए जवाब दिए बिना चली गई। यार ये हमारा कैसा प्यार था तुम्हारी जात मुझे पता नहीं थी मेरी तुम्हे। जात की छोड़ो, हमे एक दूजे का नाम ही नहीं पता था। तुम मुझे अच्छे लगते थे और में तुम्हे।
उस दिन की बात है जब मैंने तुम्हे मेरे गांव में देखा हम दोनों फिर से देखते ही रह गए। तुमने कागज का टुकड़ा फेंका उसमे कुछ लिखा था। पर मैंने नहीं लिया क्युकी मुझे पढ़ना लिखना नहीं आता था। अरे में भी पागल हूं। में किसी और से पूछ लिया होता। हमारी कहानी शुरु तो हो गई, एक दूजे से इतना प्यार करते थे कि दोनों के प्यार में नाम पता ही भूल गए। मेरे गांव में खुशी से मिलते थे। दूर से एक दूजे को देख लेते थे।
में तुजे देख के खुश हो जाती थी तुम मूजे। तुम वापस चले गए कहा से आए थे कहा गए कुछ पता नहीं था। एक दिन में गांव के बाहर सहेली के शादी में हा ही रही थी तब तुम्हे देखा मैने तुम्हे तीन महीने के बाद देखा था। लेकिन, मुझे ऐसा लगा कि तीन साल हो गए। तुम्हे देख के रोना आ गया था। तुम भी रो रहे थे। तब मुझे ऐसा लगा कि तुम मेरे लिए ही हो और में तुम्हारे लिए। फिर हम एक दूजे में खो गए देखते ही रहे। फिर तुम चले गए। धीरे धीरे तुमने चिट्ठियां लिखना शुरु किया। में तुम्हारी चिठ्ठी लेकर सहेली के घर जाती थी। वो मुझे सब पढ़के सुनाती थी। हम हमारी छोटी सी जिंदगी में खुश थे। हम एक दूजे से मिलना चाहते थे। बाते करना चाहते थे। लेकिन हमारी किस्मत में मिलना लिखा ही नहीं था। तुम भी रोते थे और में भी। चिठ्ठियों में बाते तो होती रहेती थी।
में बहुत खुश थी। तब घर पे खुछ लोग आए थे मेरी सहेली का भाई भी आया था। उसने मुजे पुछा: आज क्यों इतना खुश हो? मैंने खुशी में सब बता दिया और उसने मेरे चाचा, भाई को बोल दिया। पापा ने कहा लड़का अच्छा हो तो शादी करवा देंगे। लेकिन सहेली के भाई ने तुम्हारा अता पता, जात मालुम की। मुझे जो नहीं पता था वो उसे पता लग गया। में जात पात से प्यार नहीं करती थी तुमसे प्यार करती थी। लेकिन लोगों हमारे प्यार के दुश्मन बन गए। पता कर ही लिया कि तुम मुसलमान हो। मुझे तो कुछ पता नहीं था हम दोनों दूसरे दिन मिलने वाले थे। हम बहुत खुश थे। २ साल के बाद मिलने वाले थे बाते करने वाले थे। तुम्हारी आवाज़ सुनना चाहती थी। लेकिन, वो हमारी मुलाकात आखरी बन गई। हम दोनों मेरे गांव के धोध के पास मिले। तुम मुझे देख कर रो पड़े मैंने तुम्हे प्रपोज किया तुमने बाद में प्रपोज किया। हाथो में हाथ डाल के बैठे थे। तब,,, मेरे गांव के लोगो को देखा सब गुस्से में हाथ में कुल्हाड़ी, लकड़ी ले कर आ रहे थे। तब तुमने मुझे बताया मेरी सहेली के भाई के बारे में की तुम्हे वो धमकी देने आया था और तुम मुसलमान हो। लेकिन खुदा और भगवान ने हमें बनाया है सबका खून एक है। तो जात पात क्यों? हम डर गए थे। तुमने कहा मेरे लिए मर सकती हो? मैंने कहा हम हमारी मिलन कि घड़ी को आखरी बना देते है। हम दोनों एक दूजे को देख कर रो पड़े और पानी में कुद पड़े। हमने सोच लिया था ऐसी दुनिया में वापस नहीं आएंगे कहा प्रेम के दुश्मन हो। प्लीज किसीके प्यार के दुश्मन मत बनो। हमारा देश हिंदुस्तान एक है। सब एक है फिर क्यों हिन्दू मुस्लिम? ये काल्पनिक लेख है। धन्यवाद।