"ज़िंदगी के खूबसूरत होने के मायने क्या हैं?"
"तुम्हारी आँखों मे एक टक देखते जाना!"
"भक...तुम्हे तो बस मौका चाहिए होता है!"
"लेह...गुस्साती काहे हो?"
"गुस्सा न करूं तो क्या तुम्हारी आरती उतारूँ?"
याद है ,आज 14 मार्च है !
"तो..?"
"अरे गधा...आज माँ का जन्मदिन है!"
"बहुत बड़ी पार्टी है मेरी कोठी में...!"
"तुमको एक चीज याद नही रहता है,पता नही कैसे चलाओगे घर संसार अपना!"
इतना कहते हुए चाँदवी ने गगन के कलाई को पकड़ कर उसकी रिस्टवाच पर नज़र डाली...." ओ माय गॉड...ओ माय गॉड गगन उठो साढ़े आठ बज गए!"
अब चलो भी ,नही तो माँ गुस्सा करेगी मुझ पर ।
"अरे मेरी पंजाब मेल रुक तो जरा" मुस्कुराते हुए उठा गगन ।
गगन और चाँदवी पिछले एक डेढ़ घँटे से रोज गार्डन के इस बेंच पर बैठे हुए थे,
और अपने सुनहरे भविष्य को लेकर चर्चा कर रहे थे,ये उनके रोज के शेड्यूल में शामिल था।
उनकी शाम रोज गार्डन में ही गुज़रती थी ।
गार्डन से बाहर निकलने के बाद गगन और चाँदवी गगन की हीरो होंडा स्प्लेंडर पर सवार हो कर सीधे सिविल लाइंस की ओर निकल पड़े ।
चाँदवी बहुत खुश थी क्योंकि आज उसकी मम्मी इंदु देवी का जन्मदिन था ।
"इंदु देवी..एक शोसल वर्कर ,एक नेत्री ,शहर की एक बहुत ही ऊंची हस्ती थी और उनकी इकलौती बेटी थी चाँदवी सिंह ।
चाँदवी आज अपने और गगन के रिश्ते की बात करने वाली थी अपनी मम्मी से...इसीलिए उसके चेहरे पर अलग ही चमक दिख रही थी तो आंखों में थोड़ी हया भी ।
गगन रविदास...दलित समुदाय का एक बहुत ही होनहार और अपने कॉलेज के छात्र दल एक एक उभरता हुआ नेता ।
जैसे ही गगन और चाँदवी ,उस आलीशान कोठी के सामने पहुंचे कोठी के चकाचौंध में गगन को अपना वजूद खोता हुआ महसुस हुआ ।
"चाँदवी... अच्छा तो अब मैं चलता हूं !"
चाँदवी ,गगन को बड़ी बड़ी आंखों से देखते हुए पूछी "कहाँ चलता हूँ?"
गगन ने कुछ बोलने के लिए मुह खोला ही था कि चाँदवी उसकी बात बीच मे ही काटती हुई बोली..."न न न ना... आज मैं कोई अर्ग्यूमेंट्स नही सुनने वाली!"
चलो मतलब अंदर तक चलो खाना पीना खा कर ही जाने दूंगी अब तो तुम्हें ।
गगन आखिरकार चाँदवी की जिद के आगे झुक गया और अपनी मोटरसाइकिल ले कर कोठी के मेन गेट के अंदर प्रवेश कर गया ।
अंदर पार्टी अपने पूरे शबाब पर थी सभी लोग इंदु देवी को बधाइयां दे रहे थे
ऐसे में पार्टी के बीच मे उनकी बेटी एक साधारण से जीन्स टी शर्ट पहने युवक के साथ चहकती हुई आई "हैप्पी बड्डे मम्मा" बोल कर सीधे अपनी मां के गले से लग गई "
"थैंक यू बेटा" पर तुम कहाँ थी आज भी लेट ?"
मम्मा इनसे मिलिए ये है गगन...मेरे कॉलेज में पढ़ते हैं ।
मेनी मेनी हैप्पी रिटर्न्स ऑफ द डे...आंटी
थैंक यू बेटे...
आपके जन्मदिन के अवसर पर इन्हें खास तौर पर ले कर आई हूं
ओके बेटा.... पहले पार्टी एन्जॉय करो फिर मैं भी मिल लूंगी ।
तनवी ने फिर गगन को खाना खिलाया और फिर दोनों पार्टी की शोर शराबे से बचते बचाते कोठी के अंदर चाँदवी के कमरे तक पहुंच गए ।
दूसरी सुबह इंस्पेक्टर राघवन अपनी पूरी टीम के साथ नेशनल हाइवे पर दुर्घटनाग्रस्त हुए हीरो होंडा स्प्लेंडर के पास से एक अज्ञात शव का पंचनामा कर रहा था,जिसका चेहरा बुरी तरह विभत्स हो चुका था ।