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चील घर

वैसे तो हम गांव के रहवासी थे,पर पढ़ाई के लिए पास के कस्बे में किराए के मकान में रहते थे क्योकी उस समय गांव में स्कूल सिर्फ आठवीं कक्षा तक ही था इसके आगे की पढ़ाई के लिए बाहर ही जाना पड़ता था।
साथ वाले पास के कस्बे में पढ़ाई के लिए गए तो में भी घर वालो से पूछकर उन्हीं के साथ वहा चला गया।

में वैसे छोटी उम्र से ही थोड़ा निडर था ,और भूत जैसी बातो में विश्वास नहीं रखता था ,पर ये पहला मौका था जब घरवालों से दूर हुआ था और दोस्तो के साथ रह रहा था, हमने इसके पहले कभी भी शहर के रूप रंग ना देखे थे,गांव की सादगी भरी जिंदगी ही देखी और जीये थे।


हमने जो किराए से कमरा लिया था वो उस कस्बे के सरकारी अस्पताल के सामने ही था,कमरा इसलिए हमे पसंद आया क्योंकि पूरे कस्बे में यही हमे सबसे कम दाम में मिला और यहां मकान मालिक की भी किच किच नहीं थी वो यहां नहीं रहते थे।

उनका निवास किसी दूसरे शहर में था और केवल महीने में एक बार ही वो किराया लेने यहां आया करते थे,हम दो लोग कमरे में एक साथ रहते थे ,मेरे साथ मेरे बचपन का दोस्त दीपक रहता था हम दोनों एक ही गांव से थे और यहां भी एक ही स्कूल में एक ही क्लास में पड़ते थे।

‌उस समय हमारी उम्र लगभग 16/17 साल की थी,हम खाना दोनों लोग मिलकर घर पर ही बनाते थे और प्रत्येक सप्ताह शनिवार कि शाम को पैदल गांव चले जाते और सोमवार की सुबह बापस अपने किराए के कमरे में आ जाते थे,उस समय हम 10वी में थे।
‌अभी तक सब सामान्य था,हमे यहां रहते हुए ये दूसरा सप्ताह था,तभी एक दिन मोहल्ले के लड़कों की बाते मेरे कानो में पड़ी शायद उन्होंने मुझे नहीं देखा था,मैने सुना वो उस कमरे के बारे में बात कर रहे थे जिसमे हम रहते थे,एक लड़का बोला कि ना जाने इन्हें उस कमरे में कैसे नींद आ जाती है और कैसे ये लोग वहा रहते है जहा आजतक कोई भी किराएदार दो चार दिन से ज्यादा नहीं रह पाया।

दूसरा लड़का बोला शायद अभी इन्हें ये पता नहीं है कि वो कहा रह रहे है इतनी बात के बाद उनमें से एक ने मुझे देख लिया और ये चर्चा यही पर बंद कर दी गई।लेकिन अब में सोच में पड़ गया कि आखिर क्या है इस कमरे में जो हमे पता नहीं है ,ये सारी बात मैने शाम को अपने मित्र दीपक को भी सुनाई,पर वो बोला ऐसा कुछ नहीं है।

‌आज रात मुझे नींद नहीं आई में उसी सोच में डूबा था कि आखिर क्या है इस कमरे में अगले दिन दो अक्टूबर के कारण हमारे स्कूल की छुट्टी थी और हम कमरे पर ही थे,में दोपहर में बाहर निकला तो पता चला कि बस स्टैंड के रोड पर एक एक्सिडेंट हो गया जिसमें दो लोगो की मौके पर ही मौत हो गई ।
‌में वापस अपने कमरे में आ गया तभी थोड़ी देर में एम्बुलेंस की आवाज आई हम दोनों दोस्त बाहर निकले ,तो पता चला ये उन्हीं दोनों लोगो की लाशे अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए लाई गई है जिनका एक्सिडेंट हुआ था,और अस्पताल का वो हिस्सा ( कमरा )जो हमारे कमरे के सामने था वो चीलघर था ये भी हमे आज पता चला , चील घर हमारे यहां पोस्टमार्टम हाउस को बोलते है ।
‌आज हमे पता चला कि वो लड़के उस दिन क्यों ऐसा बोल रहे थे कि हम कैसे इस कमरे में रहते है,शायद इसीलिए इस कमरे का किराया इतना कम था,वैसे हम निडर थे लेकिन आज की घटना देखकर दीपक बोला घर चलो और हम अपने गांव पहुंच गए दो दिन बाद सोमवार को फिर स्कूल के लिए आना पड़ा।

आज हमे सच पता चलने के बाद ये पहली रात थी इस कमरे में रात के बारह बज चुके लेकिन हमे नींद नहीं आ रही थी तभी बाहर कुछ आवाज मिली जैसे कोई बातचीत कर रहा हो दरवाजा खोलकर देखा तो वहा कोई नहीं था अब डर और बड़ गया रात में ही फैसला लिया की जल्द से जल्द हम इस कमरे को छोड़ देंगे पर दीपक ने बताया कि महीना गुजरने में अभी बीस दिन बाकी है।

और इस महीने का किराया हम दे चुके थे,अब हमे बीस दिन कैसे भी यही काटने है ,अगले दिन हम फिर स्कूल चले गए शाम को कमरे पर आए और फिर रात में बाते करते हुए कब नींद आ गई पता ही नहीं चला,आज उस घटना को चार दिन बीत गए आज दीपक की कुछ तबीयत ठीक नहीं थी शायद उसे बुखार था इसलिए वो आज स्कूल नहीं गया ,में जब शाम को स्कूल से वापस आया तो उसका बुखार और ज्यादा बड़ चुका था में उसे अस्पताल ले गया और इलाज कराया ।

खाना व दवा देकर में आज एक दोस्त के जन्मदिन में सरीक होने चला गया लेकिन वहा के माहौल में ऐसा खोया की समय का पता ही नहीं चला कि कब रात के ग्यारह बज गए हालाकि में निडर था इसलिए अकेला ही वापस चला आया मेरे कमरे तक जाने के लिए में रोड से अंदर एक संकरी गली से जाना पड़ता था,गली के यहां आकर मेरे पांव अपने आप रुक गए उस चील घर का डर मेरे अंदर पैदा हो गया शरीर का रोम रोम खड़ा हो गया में आगे जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हूं ।

लेकिन तभी मुझे उस गली में एक पांच छह साल का बच्चा खेलता हुआ दिखा ,मेरा डर दूर हो गया और में उसके पास जाने लगा में उसके पास पहुंचने ही वाला था कि अचानक एक औरत सामने से आती दिखी और उस बच्चे को पकड़ के अपने साथ ले गई,मैने सोचा शायद ये उसकी मा थी और उसे घर ले गई और में अपने कमरे के अंदर चला गया दीपक लेटा हुआ था हालाकि अब उसकी तबीयत कुछ ठीक थी ।

दूसरे दिन रात के बारह बजे फिर मुझे कमरे के बाहर गली में किसी के दौड़ने कि आवाज आई मुझे डर लगा लेकिन फिर खयाल आया कि कहीं वहीं बच्चा फिर से ना आ गया हो और मैने देखने के लिए गेट खोला और देखा हां ये वहीं बच्चा था जो बाहर खेल रहा था जैसे ही मैने उसे बोला की इतनी रात को यहां क्या कर रहे हो वो भाग गया मै भी अंदर आकर सो गया।

अगली रात फिर वही हुआ दीपक तबीयत ठीक ना होने के कारण सो रहा था और मुझे फिर बाहर से बच्चे के खेलने की आवाज आ रही थी ,में बाहर निकला तो वो बच्चा मेरे गेट की सीढ़ी पर ही बैठा था आज में उसके पास पहुंच कर बाजू से बैठ गया ,और मैने उसे बोला छोटू तू कहा रहता है उसने जवाब दिया यही मैने सोचा इसी मोहल्ले की बोल रहा है और मैने दूसरा सवाल किया तेरे पापा तुझे कुछ नहीं बोलते तू इतनी रात को रोज अकेले घूमता है,उसने गुस्से के लहजे में बोला पापा ने मारा है मुझे और मेरी मां को

मैने सोचा घर में कुछ अनबन हो गई होगी तो इसके बाप ने मार पिटाई कर दी होगी मैने कहा चल अब घर जा और अकेले जाने में डर लगे तो में साथ चलू हालाकि मुझे खुद बाहर जाने में डर लगता था,लेकिन वो अकेला चला गया लेकिन मैने देखा वो सीधा मेरे यहां से उस चील घर की ओर गया और अंधेरा होने के कारण मुझे आगे दिखाई नहीं दिया में अंदर आया और मेंने सोचा कि कल इसकी मां से कहूंगा कि आप कितनी गैर जिम्मेदार है बच्चे को संभाल नहीं सकती।

अगली सुबह होते ही हम स्कूल चले गए ,जब लौटकर कमरे पर पहुंचे तो मैने बच्चे की बात आज दीपक को सुनाई पर दीपक बोला की हमारे आजू बाजू जहां तक ये गली गई है वहां कोई भी परिवार वाले रहते ही नहीं है सब पढ़ने वाले लड़के ही यहां किराए से रहते है पर मुझे यकीन नहीं हुआ,और मैने दीपक से कहा कि आज रात को अगर वो बच्चा फिर आएगा तो में तुझसे मिलवाऊंगा।

रात के लगभग एक बजे का समय था और बच्चे की फिर आवाज आई ,मैने दीपक को जगाया और दरवाजा खोला ,दीपक ने जैसे कि बच्चे को देखा वो बेसुध होकर वहीं गिर पड़ा और बच्चा भी ना जाने कहां चला गया,में दीपक को उठाकर कमरे में ले आया,पानी छिड़का तब जाकर होश में आया ,होश में आते ही चिल्लाया ये वही है ,ये तो वही है

मैने दीपक से पूंछा कोन क्या है तू क्या बोल रहा है आराम से बता मुझे ,दीपक अभी तक कांप रहा था धीरे से रुहासे शब्दो में बोला वो जो बच्चा था वो भूत है ,मैने फिर से कहा वो बच्चा तू उसे देखकर डर गया,वो मुझे रोज मिलता है वो भूत कैसे हो गया? दीपक बोला तुझे नहीं पता तू उस दिन स्कूल गया था और उसी दिन एक लड़के और उसकी मां की लाश चील घर आई थीं,लोग कह रहे थे कि कुएं में कूंदकर आत्महत्या की है,किसी पास के गांव के रहने वाले हैं।
मुझे अभी भी इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था कि वो छोटा बच्चा एक भूत है।

पर जब सुबह अस्पताल जाकर पता लगाया तो ये बात तो सही निकली की एक मां बच्चे की लाश कुछ दिन पहले पोस्टमार्टम के लिए आई थी,पर ये बच्चा वहीं था इसका पता तब लगा जब मोहल्ले वालो ने बताया कि इस गली में कोई ऎसा बच्चों वाला परिवार रहता ही नहीं अब ये सोचकर मेरी सांसे फूल रही थी की वो बच्चा जिससे में बाते करता था वो मर चुका था।

आज की रात गुजरना बड़ी मुश्किल थी ,अब हम दोनों डरे हुए थे,रात को जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया ,दीपक की भी कल का नजारा देख कर हालत पतली थी ,हमने सोने की बहुत कोशिश की लेकिन डर के मारे नींद कहा,रात के बारह बज गए और बाहर आज अचानक रोने की आवाजे आना सुरु हो गई ,आवाज सुनकर दीपक बोला ये वही है दरवाजा मत खोलना और उसने कुछ मंत्र बोलने सुरु कर दिए।

डर मुझे भी लग रहा था लेकिन किसी का रोना मुझसे ज्यादा देर तक सुना ना गया और में देखने के लिए दरवाजा खोलने खड़ा हुआ दीपक चिल्लाया पागल हो क्या वो वहीं है ये सब नाटक है ,पर मैने कहा यदि कोई और मुसीबत में हुआ तो,और दरवाजे की तरफ जाने लगा शरीर पसीना पसीना हो गया लेकिन हिम्मत करके दरवाजा खोला और बाहर झांका ,मैने जो देखा उस पर भरोसा नहीं होता ,मैने देखा कि रोने कि आवाजे उसी सामने बने चील घर से आ रही है।

चील घर का गेट बंद है लेकिन किसी महिला और बच्चे कि रोने की आवाजे उसी के अंदर से आ रही थी ये आवाजे बेहद दर्द भरी थी ,आगे जाने की मेरी हिम्मत ना हुई इसलिए वापस कमरे में आ कर गेट बंद कर दिया हालाकि वो आवाजें आज पूरी रात आती रही ,सुबह होते ही हम दोनों ने फैसला किया कि इन मां बेटे के बारे में पता लगाएंगे ,मुझे उस बच्चे की कहीं बात भी याद थी कि पापा ने मुझे और मां को मारा है और हम फिर से अस्पताल पहुंच गए ,वहां से थाने पहुंचे ,तो पता चला कि उस महिला का पति शराब पीने का आदी था और शराब के नशे में ही उसने वीवी और बच्चे की हत्या कर दी थी और लाश कुएं में फ़ैक दी ,इस पूरी घटना में पति के आरोपी होने का पता पुलिस को आज ही चला था और आज उसे गिरफ्तार कर लिया गया ।

सब पता चलने के बाद हम वापस लौट आए,उनकी इस घटना को सोचकर बहुत दुख हुआ, आखिर उस बच्चे की क्या गलती थी बेचारा,आज की रात डर की जगह शायद उनके साथ हुए अत्याचारों का दुख ज्यादा था इसलिए हम आज पूरी रात हम सो ना सके, लेकिन एक बात समझ में नहीं आयी कि आज कोई भी आवाजे बाहर सुनाई नहीं दी, हमारे कमरे के महीने को पूरा होने में केवल पांच दिन और बाकी बचे थे ,लेकिन बचे हुए दिनों में भी कभी वो आत्माएं हमें ना दिखी और ना ही कोई उनकी आवाज सुनाई दी ।

शायद उनकी आत्माओं को मुक्ति मिल चुकी थी ,वो उनके हत्यारे के बारे में बताने के लिए ही आज तक वहां भटक रही थी,वो कुछ बोलना चाहती थी ,फिर हमने वो कमरा छोड़ दिया और दूसरी जगह लिया फिर भी जब भी उस चील घर की गली की तरफ कभी जाना होता है तो वो मंजर आज भी आंखो के सामने आ जाता है।

सभी आत्माएं बुरी नहीं होती शायद वो अपने दर्द ,दुख ,अत्याचारों के बारे में किसी को बताना चाहती है पर डर के कारण कोई उनकी सुनना नहीं चाहता ।
चील घर में ना जाने कितनी ऐसे आत्माए आज भी किसी कि तलाश में है जो उनके दर्द उनकी आपबीती सुने,और उन्हें न्याय दिला कर मुक्ति दिला सके।



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