यारी - 3 Prem Rathod द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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यारी - 3

मैं जैसे ही स्कूल बैग्स की तरफ बढ़ने वाला था कि तभी किसी ने पीछे से मेरा गला पकड़ लिया। मैं कुछ कर पाता उससे पहले ही उसने मेरे चेहरे पर कपड़ा ढक दिया और मुझे मारना शुरू कर दिया।करीब एक 1 मिनट तक ऐसा चलता रहा, उसके मारने से ऐसा नहीं लग रहा था कि जैसे वो गुस्से में मार रहा हो तभी अचानक मुझे आवाज सुनाई दी।

'Mummy ...Mummy....Mummy अब बस करो थोड़ा तो रहम करो अपने बेटेे' पे इतना बोल कर वह हंसने लगा।

मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था कि क्या जो आवाज मैंने सुनी है यह वही है जो मैं सोच रहा हूं?आखिरकार उसनेे मेरे चेहरे से कपड़ा हटा दिया कपड़ा हटने पर मैंने अपने सामने देखा तो केतन और Abhi खड़े थे। केतन खड़ेे-खड़े मुझे देख कर मुस्कुरा रहा था तो Abhi का मुंह अभी भी खराब था, शायद वह जबरदस्ती ऐसा मुंह बनाने की कोशिश कर रहा था।यह देख कर मुझे हंसी आ गई, इतना शोर शराबा सुनकर मेरे मम्मी पापाा अपने कमरे से बाहर आ गए। मेरे मम्मी पापा को देखकर दोनों नेे उन्हें नमस्ते किया।
'तो तुम दोनों आ ही गए' मेरी मम्मी ने उन दोनों को देखते हुए कहा।
'क्या मतलब?.....इसका मतलब आपको यह पहले से ही पता था कि यह दोनों इस त्यौहार पर यहां आने वाले हैं,इसका मतलब जब मैंने आपसे पूछा तो आपने मुझसे झूठ कहा की तुम्हें इस बारे में कुछ पता नहीं है' मैंने अपनी मां की तरफ देखते हुए कहा।
'हां भाई हम सब ने मिलकर तुझे Surprise देने के लिए यह सब Plan किया था' केतन ने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा।
'आऊंच...... वैसे तेरा Surprise बहुत दर्द देता है' मैंने खड़े होते हुए कहा अब मुझे पता चला कि पार्क में पार्थ की क्या हालत हुई होगी। अच्छी बात है कि उसकी तरह यहां पर 3 लोग मुझे नहीं मार रहे थे। मुझे इस तरह से खड़े होते हुए देखकर सभी लोग हंसने लगे।
'साले इतनी जोर से मारने की क्या जरूरत थी?'मैंने Abhi की तरफ देखते हुए कहा
'wow... मजा आ गया तू मेरी शादी में नहीं आया उसकी भड़ास भी निकल गई और मेरी Punching Practice भी हो गई'
हम सब बातें कर रहे थे कि तभी एक लड़की दरवाजे पर खड़ी मुस्कुरा रही थी,हम सबका ध्यान उसकी तरफ गया उसे देखकर मेरी मम्मी ने उससे कहा 'अरे बेटी दरवाजे पर क्यों खड़ी हो अंदर आओ ना' मेरी मां की बात सुनकर वह Abhi के पास आकर खड़ी हो गई। वह करुणा थी अभी की पत्नी,मैंने उसे सिर्फ शादी के तस्वीरों में ही देखा था।
उसने Red Colour की साड़ी पहन रखी थी,हाथ में कंगन और सिंदूर लगाया हुआ था।जैसे India का Culture है, ऊपर से यह राजपूत परिवार की लड़की थी इसीलिए यह संस्कार उसने होना स्वाभाविक था।सर Abhi के लिए जैसी लड़की चाहते थे यह बिल्कुल वैसी थी।हम दोनों ने एक दूसरे को देखकर नमस्ते किया।
'तो यह है मेरी कॉलेज का वह दोस्त जो अपने ही दोस्त की शादी में नहीं आया था और जिससे मैं तुम्हें मिलवाना चाहता था'अभी को इस तरह बोलते देखकर मैं उसे घूरने लगा और वह मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी।
'अरे तुम सब लोग कब से खड़े हो बैठो ना,मैं तुम सब के लिए पानी लेकर आती हूं, वैसे भी तुम सब सफर करके थक गए होगे' मेरी मां ने सबसे कहा।
'नहीं आंटी आज नहीं करुणा भी साथ है और वैसे भी मैं सीधा घर से पहले यहां पर आया हूं और पापा से भी नहीं मिला फिर कभी आऊंगा' Abhi मेरी मां के सामने देखते हुए कहा 'और कल सुबह टाइम पर घर पर पहुंच जाना कल सुबह मिलेंगे' यह बात उसने मेरी तरफ देखते हुए कही और इतना बोल कर वह तीनों वहां से निकल गए।
इन तीनों के जाने के बाद मैं अपने कमरे में गया।जैसी होली मनाने के बारे में मैंने सोचा था, यह बिल्कुल वैसा ही था। मेरे सभी दोस्त वापस आ गए थे,पर अभी तक प्रकाश नहीं पहुंचा था इसलिए मैंने उसे मैसेज किया।क्योंकि उसे फोन करो और एक बार में ही वह उठा ले ऐसा सात जन्मों में नहीं हो सकता।
'Hi.... Bill Gates कहां पर अटक गए हो Abhi और कहते हैं दोनों ही यहां पर पहुंच गए हैं'थोड़ी देर इंतजार करने के बाद उसका Reply आया 'कल सुबह तक पहुंच जाऊंगा'
उस का मैसेज देख कर मैंने मोबाइल बेड की साइड पर रख दिया और लाइट्स ऑफ कर के सो गया।आज मैं बहुत खुश था क्योंकि बहुत सालों बाद हम सब दोस्त दोबारा मिलने वाले थे यही सब सोचते सोचते कब में नींद के आगोश में चला गया मुझे पता ही नहीं चला।
सुबह 5:30 बजे मेरा Alarm बजा तब मेरी आंख खुली मैं फ्रेश होकर Jogging पर जाने के लिए तैयार हुआ सुबह Jogging और चलने जाना या मेरा Daily Routine था,क्योंकि सुबह की ताजी हवा में टहलना मुझे बहुत पसंद था और वैसे भी हमारा शहर पहाड़ों के बीच बसा हुआ था इसलिए यहां सुबह का मौसम बहुत अच्छा रहता था।यहां पर ना तो बड़े शहरों की तरह Pollution और ना ही हाथ में बैग लेकर अपनी मंजिल की तरफ दौड़ने वाले लोग मिलते थे एक तरफ से कहूं तो यह मेरा छोटा सा Dream City था,छोटा पर खूबसूरत।यही वजह थी कि मैंने दूसरे शहर में जॉब के लिए मना कर दिया था।
मैंने घड़ी में देखा तो 5:45 बज रहे थे,इसलिए अभी ज्यादा उजाला नहीं हुआ था मैं चलते हुए शहर के परेड ग्राउंड तक पहुंच गया।यहां पर सभी लोग सुबह सुबह Exercise के लिए आते थे, पर मैं बहुत कम ही यहां पर आता था क्योंकि मुझे ज्यादातर पहाड़ के ऊपरी इलाकों में दौड़ना बहुत पसंद था।मैं वहां से जाने ही वाला था कि तभी पीछे से मुझे एक आवाज सुनाई दी।
'अरे जरा रुक जा.....' मैंने पूछे मुड़कर देखा तो रघु दौड़ते हुए मेरी तरफ आ रहा था कॉलेज के बाद मेरा यही एक दोस्त था,जिससे मैं ज्यादातर मिलता था उसने 12th Standard से ही आर्मी मैं जाने का अपना मन बना लिया था। जैसे आर्मी उसका सपना हो और उसने इस सपने को पूरा करने के लिए अपनी जी जान लगा दी थी। छुट्टी में भी जब भी वो यहां पर आता तो मुझसे जरूर मिलता। उसने Military पैंट, ब्लैक टी शर्ट और Shoes पहन रखे थे।उसका शरीर ट्रेनिंग की वजह से किसी पत्थर जैसा सख्त हो गया था।
'अरे यार कभी तो कोई और कपड़े पहना कर अभी तू छुट्टी पर है बॉर्डर पर नहीं'
'A Soldier Never Off Duty और वैसे भी तुझे पता ही है कि मुझे इससे कितना प्यार है'इतना बोल कर वह हंसने लगा।
'वापिस कब आया?'
'बस अभी कल शाम को ही लौटा हूं वैसे तू सर के यहां आने वाला है ना?'
'मतलब तुझे भी Invitation मिल गया'
'हां कल जब मैं लौटा उसके थोड़ी देर बाद सर घर पर आए थे और उन्होंने मुझे आने के लिए कहा है'
हम दोनों बातें करते हुए जा रहे थे कि तभी हमें केतन और Abhi मिल गए। रघु को देखकर Abhi ने कहा 'ओहह.... तो यह हमारा Chocolaty Boy वापस आ गया' इतना बोल कर वह हंसने लगा रघु दिखने में सावला था इसलिए Abhi पहले उसे मजाक में खूब चिढ़ाता था।रघु को Chocolaty Boy शब्द से बहुत गुस्सा आता था क्योंकि अभी उससे Indirectly कालिया कहता था।
'ओहो अपनी बहन का प्यारा इकलौता नन्ना मुन्ना भाई वापस आ गया' इतना बोल कर हम सब हंसने लगे। कॉलेज के दिनों में जानवी ने Abhi को भाई बनाया था,पर Abhi उससे बहुत चिढ़ात था क्योंकि वह सर के साथ हमेशा बहस करती थी इसलिए Abhi को उसके नाम से भी नफरत थी।रघु की बात सुनकर वो उसे गुस्से से देखने लगा।
'वैसे अपना ढोकला कहां है कहीं दिखाई नहीं दे रहा' रघु ने बाकी सब की तरफ देखते हुए कहा।
'अरे वह मैंने कल उसे रात को मैसेज किया था उसने कहा था कि सुबह तक पहुंच जाएगा शायद अपने घर पर सो रहा होगा'
'यह अपनी आदत से कभी बाज नहीं आएगा हमेशा Late, वैसे उसे अपने काम से फुर्सत मिल गई। पहले भी जब भी उसे फोन करते थे 'तो देखूंगा,टाइम मिलेगा तो आऊंगा......' हमेशा ऐसा ही कहता था।नहीं हम तो बेरोजगार है जो अपने टाइम पास करने के लिए उसे फोन करते हैं न,पापा को मैंने कहा था उसे बुलाने की क्या जरूरत है?'Abhi गुस्से में प्रकाश को बकता गया।
'ओ मम्मी जी जरा आराम से'हमें दूर से प्रकाश की आवाज सुनाई दी जो चलते हुए हमारी तरफ आ रहा था।उसे देख कर Abhi ने अपना मुंह दूसरी तरफ कर दिया।
'कैसे हो सब?' उसने हम सब की तरफ देखते हुए कहा,पर Abhi अभी भी दूसरी तरफ देख कर खड़ा था।इसलिए उसने Abhi की तरफ देखते हुए कहा 'मेरे भाई मैं काम की वजह से मना करता था बाकी मुझे भी तुम सबके साथ वक्त बिताना बहुत पसंद है'
'अच्छा मान लिया कि तू काम में उलझ जाता था, पर एक बार....दो बार....बार-बार ऐसा करने से सामने वाले को भी यही लगेगा कि तू जानबूझकर ऐसा कर रहा है। हमें भी काम होते थे पर किसी तरह Manage करके हम सब आते थे क्योंकि हम पैसों को जिंदगी की बस एक जरूरत समझते हैं जिंदगी नहीं।'Abhi गुस्से में उसकी तरफ देखकर बोलता गया।
'इसीलिए तो मैं आया हूं अपनी गलती सुधारने क्योंकि "FRIENDS" का मतलब ही यही होता है कि 'Few Relations In Earth Never Die'पिछली सब पुरानी बातों को भूल कर यह त्यौहार enjoy करने और एक बात जो मैंने तुम सबसे छुपाई थी,मैंने ही सर को ईस Festival Celebration बहुत रिक्वेस्ट की थी' उसकी यह बात सुनकर हम सब उसको देखते ही रह गए।
'तूने कब कहा था सर से Celebration के लिए?' केतन ने चौक ते हुए पूछा।
'पहले तो सर ने कहा कि अगर मैं Celebration करना चाहता हूं तो मैं खुद ही सबको क्यों नहीं Invite कर देता?पर Abhi मुझसे गुस्सा था इसलिए जो मैं उसको invite करता तो वह सीधा मना कर दिया था इसलिए मेरे समझाने पर सर ने हां कर दी तो अब समझे या अभी भी गुस्सा बाकी है?'
Abhi उसे देखकर कुछ नहीं बोला इसलिए केतन ने उसके पास जाकर उससे कहा 'भूल जा भाई सब कुछ पिछली बार की सभी बुरी यादों को भूल जाए और सिर्फ अच्छी बातें याद कर, काफी सालों बाद हम सब इकट्ठा हुए हैं क्यों ना इस त्यौहार को यादगार बनाया जाए'
केतन की बात सुनकर Abhi कुछ देर तक ऐसा ही देखता रहा फिर जाकर प्रकाश के गले लग गया। हम सब को यह देख कर खुशी हुई ।मैंने घड़ी देखी तो 6:15 बज रहे थे इसलिए मैंने सब से कहा 'चलो भी अब या यही खड़े-खड़े सिर्फ बातें ही करनी है'
'बातें करते करते वक्त का पता ही नहीं चला चलो ऊपर पहाड़ों की तरफ चलते हैं'केतने ऊपर की तरफ इशारा किया।
'हां मैं भी सुबह वही घूमने के लिए जाता हूं'
हम सब उस तरफ चलने लगे। इस पहाड़ पर बहुत सारे घने पेड़ थे। यहां पर एक कच्चा रास्ता था जो ऊपर की तरफ जाता था, सुबह का वक्त होने की वजह से ठंडक भी बहुत अच्छी थी, पेड़ों पर चिड़ियों के चहचहाने की आवाज सुनाई दे रही थी।मैंने अपनी बाईं तरफ देखा तो सामने के पार के पीछे से सूरज निकल रहा था। उसकी सुनहरी किरणे पेड़ों के बीच में से आती हुई हम सबके चेहरों पर पड़ रही थी ।आखिरकार हम पहाड़ के ऊपर पहुंच गए,वहां से हमारा पूरा शहर दिखाई देता था सूरज ने अपना कोमल प्रकाश चारों तरफ बिखेर रखा था।
'वाह क्या खूबसूरत नजारा है' केतने सामने की तरफ अपनी नजर घुमाते हुए कहा
'मुझे पता था कि तुझे जरूर पसंद आएगा मैं हर रोज सुबह यही पर आता हूं'हम थोड़ी देर वहां बैठकर इधर उधर की बातें करने लगे फिर करीब 7:30 बजे वहां से अपने अपने घर की तरफ चल पड़े।
Abhi अपने दूसरे घर की तरफ चल पड़ा।वैसे तो सिर्फ कहने के लिए घर था,बाकी यह किसी आलीशान बंगले से कम नहीं था। एक बड़ा सा आंगन,2 मंजिला बिल्डिंग,जिसमें करीब 9-10 कमरे होंगे और ऊपर एक खूबसूरत टेरेस जहां से पीछे का खूबसूरत पहाड़ दिखाई देता था और उसके बिल्कुल पीछे एक छोटा सा झरना बहता था।
रघु और प्रकाश भी अपने घर की तरफ चल पड़े। मेरे और केतन कहां घर पास में होने की वजह से हम दोनों साथ अपने घर की तरफ जा रहे थे।
'ओह हां मैं एक बात बताना तो तुझे भूल ही गया कि कीर्ति वापस आ गई है'
'क्या?...... कब?'
'3 दिन पहले ही....'
'तुझे कैसे पता?'
'कल जब मैं तुम जिस जगह पर जाते थे वहां पर गया था तो वह पहले से वही पर बैठी थी।उसने यहां आने के बारे में तुझे नहीं बताया?'
'नहीं बस मैसेज और फोन पर बातें होती थी पर बीच में पता नहीं क्यों अचानक से उसके फोन और मैसेज आने बंद हो गए थे।मैंने कई बार ट्राई किया,पता करने की भी कोशिश की पर कुछ पता नहीं चला।फिर अचानक से 1 दिन उसका मैसेज आया तब से कभी-कभी उससे बात होती थी'
'उसे पता नहीं क्या हो गया है,तू उसे देखेगा तो तुझे यकीन ही नहीं होगा कि यह वो कीर्ति है,जिसे हम कॉलेज में जानते थे।काफी बदल गई है वो मेरे पूछने पर भी उसने कुछ नहीं बताया'
मेरी बात सुनकर केतन कुछ सोचने लगा हम दोनों थोड़ी देर तक ऐसे ही चलते रहे तभी मेरा घर आ गया।
'अच्छा ठीक है मैं चलता हूं Abhi के यहां मिलेंगे'
'ठीक है'इतना बोल कर वह अपने घर की तरफ चल पड़ा।कॉलेज के दिनों में कीर्ति सबसे ज्यादा क्लोज थी तो था केतन,ऐसी कोई बात नहीं होती थी जो वह केतन को ना बताती हो। हम सब तो उसके एक अच्छे दोस्त थे पर शायद केतन उसके लिए दोस्त से भी बढ़कर था,यह मेरे लिए ताज्जुब की बात थी कि केतन को भी कीर्ति के बारे में कुछ नहीं पता था।
मैं तैयार होकर Abhi के घर की तरफ अपनी बाइक लेकर निकल पड़ा मैं घर के आंगन में Enter हुआ तो ध्रूविल और ओम मुझे अभी के साथ सभी तैयारियां करते हुए दिखाई दिए। ध्रुविल एक Photographer था और ओम एक म्यूजिक स्टूडियो में काम करता था।वह दोनों अभी के घर के पास ही रहते थे।ओम अपने लैपटॉप में म्यूजिक के लिए इंतजाम कर रहा था। थोड़ी देर में सारी तैयारियां खत्म हो गई तभी रघु और प्रकाश आ गए हम पांचों खड़े होकर बातें कर रहे थे कि तभी हमें जानवी आती हुई दिखाई दी वह सर के पास जाकर कुछ बातें करने लगी उसे देखकर रघु अभी के पास गया।
'किसके पापा हैं? वह पहले डिसाइड कर ले, क्योंकि जितना हक वो सर पर जता रही है उसे देख कर मुझे नहीं लगता कि तेरा नंबर आएगा' इतना बोल कर वह हंसने लगा और Abhi उसे गुस्से में घूरने लगा।
धीरे-धीरे करके सोसाइटी कि सब लोग आने शुरू हो गए थे। अब तक केतन भी आ चुका था, सर ने होली की तैयारियां बहुत अच्छे से करवाई थी। एक टेबल पर कई सारे रंग Balloons और Cold Drinks पड़ी हुई थी,तो दूसरी तरफ म्यूजिक का भी अच्छा Arrangement किया गया था। केतने धीरे से Abhi के पास आते हुए 'कहा Abhi ठंडाई का क्या इंतजाम है?
'क्या मतलब?'
'अब तुझे मतलब समझाना पड़ेगा क्या?'
'इसके बारे में सोचना भी मत अगर पापा को पता चल गया ना तो आज हम सब की शामत आ जाएगी'
तभी हम सबको सामने से कीर्ति आती हुई दिखाई दी उसने White ड्रेस पहन रखा था। कानों में झुमके,पैरों में पायल,खुले बाल, हल्की सी लिपस्टिक और गुलाबी गाल।उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि खूबसूरती में जैसे उसका कोई मुकाबला ही ना हो।बाकी सब का पता नहीं पर केतन की नजर उसके चेहरे से हट नहीं रही थी उसको इस तरह से देख कर हम सब की हंसी छूट गई।
'क्या हुआ?तुम सब हंस क्यों रहे हो?'उसने हम सबके पास आते हुए पूछा।
'यह तुम हमसे नहीं हमारे इस केतु भाई से पूछो' Abhi ने केतन के सामने देखकर कहा। जो अभी भी अपना चेहरा दूसरी तरफ करके खड़ा था उसको इस तरह देखकर हम सब के साथ की थी भी हंसने लगी।
'अच्छा तुम लोग रुको मैं सर से मिल कर आती हूं'इतना कहकर वह सर से मिलने के लिए चली गई
'आखिरकार हमारे कॉलेज टाइम के Romeo-Juliet मिल ही गए इस बारे में आप कुछ कहना चाहेंगे मिस्टर केतन' प्रकाश अमिताभ की Mimicry करते हुए बोला हम सब एक बार फिर हंसने लगे,हम सब बातें कर रहे थे तभी हमें सर घर से बाहर आते हुए दिखाई दिए। उन्होंने White कुर्ता पहन रखा था और चेहरे पर मुस्कान लिए सबके सामने खड़े थे।
'काफी सालों बाद मुझे यह मौका मिला है शादी के बाद कई साल बाद Abhi वापस घर लौटा है' उसके बाद उन्होंने हम सब की तरफ देखा और कहा 'मेरा परिवार एक बार फिर इकठ्ठा हुआ है इसलिए इसकी खुशी में मैंने यह Celebration रखा है' उसके बाद उन्होंने Abhi के चेहरे पर रंग लगाया और Celebration शुरू किया।
होली के त्यौहार की वजह से सभी लोगों ने ज्यादातर सफेद कपड़े हीं पहन रखे थे। ओम ने जाकर म्यूजिक शुरू किया,मैं बस कब से यही मौके का इंतजार कर रहा था मैंने टेबल के पीछे से एक बाल्टी मैं पक्का रंग मिला देने के लिए ध्रुविल से कहा था मैंने उसे उठाई और दौड़ते हुए Abhi पर डाल दी और इसी के साथ होली का त्यौहार जोरों शोरों से शुरू हो गया।चारों तरफ रंग ही रंग उड़ रहे थे सभी लोग संगीत में मस्त होकर एक दूसरे को रंग लगा रहे थे। मैं दौड़ते हुए रघु को रंग लगाने वाला था कि तभी Abhi ने मुझसे कहा
'अरे Azim उसे रंग लगाने का कोई फायदा नहीं क्योंकि उसका लिए को पहले से ही भगवान ने रंग कर भेजा है'इतना बोल कर वह हंसने लगा
रघु ने गुस्से में टेबल के पास पड़ी दो बाल्टीया उठाई।उसने पानी के गुब्बारे रखे हुए थे और एक के बाद एक Abhi को मारना शुरू कर दिया ऐसा एक भी गुब्बारा नहीं था जो उसे ना लगा हो।
'सॉरी सॉरी यार आगे से नहीं बोलूंगा'
'अरे बुरा ना मानो होली है इतना कहकर वह फिर शुरू हो गया' अभी रघु रुका ही था कि तभी केतन ने पीछे से रंग की प्लेट उठाई और अभी के सर पर डाल दी 'अरे Abhibhai आप तो रही गए'वह हंसते हुए इतना कहकर वहां से भाग गया
'केतन मैं तुझे छोड़ूंगा नहीं'इतना कहकर अभी ने बाल्टी उठाई और केतन के पीछे भागा
'यह अपना ढोकला किधर गया?' मैंने चारों तरफ अपनी नजर घुमाई तो प्रकाश मुझे पानी के टंकी के पास खड़ा हुआ दिखाई दिया।वह पानी में रंग मिला रहा था उसने रंग मिलाकर पाइप उठाई और सब को पानी उड़ाने लगा।थोड़ी देर बाद हम सबने Cold Drinks पी और उसे पीकर गानों का मजा लेने लगे।
हम सब गानों पर Dance कर रहे थे तभी केतन की नजर कीर्ति पर पड़ी जो एक कोने में बैठी हुई थी और सब को देख रही थी। केतन को यह बात अजीब लगी क्योंकि होली तो उसका सबसे पसंदीदा त्यौहार था,सिर्फ होली नहीं बल्कि सब त्योहार का मजा वह पूरे दिलो जान से उठाती थी यह सोचकर केतन उसके पास गया।
'अरे कीर्ति क्या हुआ? तुम यहां पर अकेले क्यों बैठी हुई हो? तुम्हें होली नहीं खेलने क्या?'
'नहीं मेरा मन नहीं है..... तुम जाओ और होली का मजा लो'
'ऐसे कैसे मन नहीं है?होली तो तुम्हारा पसंदीदा त्योहार है'
'पहले पसंद था मैंने कई सालों से होली खेलना बंद कर दिया है'यह सुनकर केतन कुछ नहीं बोला उसे भी लग रहा था कि कीर्ति वाकई में कुछ छुपा रही है क्योंकि वह पहले ऐसी नहीं थी जरूर उसके साथ कुछ ना कुछ तो जरूर हुआ है।
'अच्छा कोई बात नहीं होली नहीं खेलना नहीं है तो मत खेलो, पर थोड़ा सा रंग तो लगाने दो'
'नहीं तुम जाओ और मुझे परेशान मत करो'
'अरे बस थोड़ा सा ही रंग लगाऊंगा ज्यादा नहीं' कीर्ति के बार-बार मना करने के बावजूद भी केतन रंग लगाने के लिए उससे बहस करता रहा। आखिरकार कीर्ति ने गुस्से में आकर कहा 'तुम्हें कितनी बार मैंने मना किया मुझे यह सब पसंद नहीं है जाओ और तुम खेलो मुझे नहीं खेलना'
कीर्ति को इस तरह से बात करते देख वह उसे देखता ही रह गया।कीर्ति उठकर अंदर चली गई 'मत लगाओ मैं तो चला' इतना बोल कर वह वापस आकर हमारे साथ खेलने लगा।करीब तीन-चार घंटों तक बिना रुके हम सब होली खेलते रहें पूरा आंगन तरह-तरह के रंगों से रंग चुका था।मैंने टाइम देखा तो करीब 1:30 बज रहे थे,सब लोग आंगन में बैठे थे और कोल्ड ड्रिंक पी रहे थे।
'मजा आ गया यार कई सालों बाद ऐसी होली खेली'प्रकाश ने सीप लेते हुए कहा
'Abhi अपनी बाइक निकालो और सब चलो मेरे साथ' मैंने सब के पास जाते हुए कहा
'पर जाना कहां है?'
'तू चल तो सही हम जिस जगह जा रहे हैं वहां पर तुम सबको बहुत मजा आएगा'
'अच्छा ठीक है'इतना बोल कर वह अपनी बाइक लेने चला गया।हम सभी लोग बाइक लेकर पहाड़ वाले रास्ते की तरफ चल पड़े।करीब 15-20 मिनट ड्राइव करने के बाद मैंने बाइक एक कच्चे रास्ते की तरफ बढ़ा ली,रास्ता नीचे की तरफ जा रहा था इसीलिए सब ध्यान से बाइक चला रहे थे,आखिरकार मैंने बाइक एक जगह पर रोक दी।
'बस अपनी अपनी बाइक यहीं पर रखो आगे हमें थोड़ा चलकर जाना पड़ेगा' मेरी बात सुनकर सभी अपनी बाइक पर रखकर मेरे साथ चलने लगे यह जंगल वाला पहाड़ी इलाका था। 5 मिनट चलने के बाद मैं चलते-चलते रुक गया थोड़ी झाड़ियों को हटाकर एक जगह पर जाकर खड़ा हो गया। सभी ने सामने की तरफ देखा तो खुशी के मारे उछल पड़े।
हम सब जंगल के बीचों-बीच आई नदी के पास पहुंच गए थे। हम सब नदी के किनारे एक खड़े थे।नदी का पानी एकदम साफ था, सामने थोड़े पेड़ दिखाई दे रहे थे और ऊपर से सूरज की रोशनी उस पर पड़ने की वजह से वह और भी सुंदर लग रहा था।
'अब इंतजार किसका कर रहे हो चलो जल्दी' ध्रुविल दौड़ते हुए नदी की तरफ बढ़ने लगा और उसके पीछे हम सभी ने दौड़कर पानी में छलांग लगा दी।पानी का बहाव तेज ना होने की वजह से हम सब ठंडे पानी का मजा ले रहे थे।
तभी हम सब ने देखा कि रघु सामने एक चट्टान पर खड़ा था।जो करीब 9-10 फीट ऊंची होगी।हम सब को पता चल गया कि वह क्या करने की सोच रहा है, हम सब लोग उसे ऐसा करने से मना कर रहे थे,पर उसने दौड़ते हुए ऊपर से पानी में छलांग लगा दी।