उपकार Harsh Bhatt द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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उपकार

वर्षा ऋतु अपना आधा वक्त काट चुकी थी , जंगल मे नदिया उफान पर थी, तब उसमें एक लोमड़ी का बच्चा कूदने की जिद करने लगता है, उसके मां-बाप उसको समझाते है पर वो मानने को तैयार नही होता, वो उस बच्चे को ले कर हर जानवर के पास जाते है कि कोई उसके बच्चे को समझाए पर कोई उस अड़ियल बच्चे को समझाने में सफल नही होता तब सारे जंगल की माँ कुदरत के पास वो लोमड़ी का जोड़ा जाता है तब 'कुदरत' उस अड़ियल बच्चे को समझाने हेतु उस लोमड़ी मां-बाप को जंगल के राजा शेर के पास जाने को बोलती है ।
तब लोमड़ी जोड़ा उस अड़ियल बच्चे को ले कर जंगल के राजा शेर के पास जाते है, और हाथ जोड़ कर कहते है "सरकार ये मेरा बच्चा नदी में कूदने की जिद लगाए बैठा है तो आप उसे समझाए" ।
उस शेर ने भी जंगल की माँ कुदरत की बात सुनी थी इसी लिए उसने उस चालाक लोमड़ी के बच्चे को समझाने को तैयार हो जाता है ।
शेर उस चालाक लोमड़ी जोड़े को कहता है कि तुम अपने इस अड़ियल बच्चे को मेरी गुफा में छोड़ जाओ में इस बच्चे को समझा कर तुम्हारे घर भेज दूंगा, लोमड़ी को अपने बच्चे को खोने का डर था क्योंकि शेर तो शेर ही होता है, वो जंगल का राजा होने के नाते किसीकी भी गलती माफ नही करता,उनको डर था कि कही शेर उसके बच्चे की गलती पर उसे मार न दे । पर चालाक लोमड़ी के जोडे के पास उस शेर के अलावा कोई ओर चारा भी नही बचा था, वो उस बच्चे को उस शेर के पास छोड़ कर जाते है ।
शेर कभी उस लोमड़ी के बच्चेको गुस्से से समझाता तो कभी प्यार से समझाता आखिर वो बच्चा शेर की बात मान गया । और शेर ने उस लोमड़ी जोडे को बुला कर उस बच्चे को सौप दिया ।

शेर उस चालाक लोमड़ी को की हुई मदद हर बार दरबार मे बड़े गुरुर से बताता, ये सुन कर वो चालाक लोमड़ी जोडे का गुरुर को ठेस पहुचने लगती है । वो जोड़ा शेर को सबक सिखाने का मौका ढूंढने लगे ।

आखिर उस जोडे को वो मौका एक दिन मिल ही जाता है, हुआ यूं कि एक दिन उस शेर का बच्चा एक झाड़ी में जाने की अपने पिता से जिद करने लगता है उसको शेर पहले हां कहता है,पर उसके बाद उसको नेवले ने उसे उस झाड़ी में बसे एक जहरीले साँप की की गई बात याद आती है , वो उस बच्चे को समझाने की कोशिश करने लगता है की उस झाड़ी में एक जहरीला सांप रहता है वो तुम्हे डस लेगा, पर वो बच्चा अब अपने बाप को ये कहने लगता है की आप ऐसे कैसे मुकर सकते है , मैने मेरे दोस्तों को में उस झाड़ी में जा रहा हूँ ये बात दिया है ,में तो जाऊंगा ही ।
चालाक लोमड़ी जोड़े को ये बात पता चलती है, वो इस बात का फायदा उठा कर उस शेर के परिवार में दरार करने का एक बहुत ही घिनोनी साजिश को अंजाम देने का खयाल आता है , ओर वो शेर के पास जैसे उसकी मदद करने गए हो वैसे जाते है ।
वो उस शेर ओर उस शेर के बच्चे को कहने लगते है हम लोमड़ी है हम सारे जंगल की हर एक झाड़ी में घूमते फिरते है, माना की उस झाड़ी में जहरीला सांप है पर उस सांप ने तो हमे कभी नही डसा । जैसा अनुभव नेवले को हुआ वैसा ही अनुभव हमे हो ऐसा किसने बोला है। अब उस शेर के बच्चे की जिद पूरी करने की बात को हवा मिल जाती है वो उस जिद को पूरा करने के लिए अब दुगुनी जिद करने लगता है ।
अब हार थक के वो शेर अपने बच्चे को कहता है कि तुम्हे मेरी बात माननी नही है ओर उस लोमड़ी की बात सही लगती है तो जाओ तुम उस लोमड़ियों की बात मानो ओर जब सांप डसे तो मुझे फरियाद मत करना ।
वो नादान बच्चा उस झाड़ी में चला जाता है बाद में वो सांप उस शेर के बच्चे को डस लेता है तो वो वो लोमड़ियों को आवाज़ लगाते हुए कहता है की ये सांप ने तो मुझे डस लिया आपने तो कहा था कि नही डसेगा ।
तब वो चालाक लोमड़ी जोड़ा कहने लगता है, "हमने ऐसा नही कहा था की वो सांप नही डसेगा हमने तो ये कहाँ था की उस सांप ने हमे कभी नही डसा" । अब ये तुम्हारी जिद थी तो भुगतो । ऐसा बोल के लोमड़ी सारी मुसीबत से अपना पल्ला झाड़ लेता है ।

तब उस बच्चे को अपने बाप की बात न मानने का अफसोस होने लगता है पर अब देर हो चुकी होती है ।

सिख: आप किसकी मदद कर रहे है या किसकी मदद ले रहे है ये बात का ध्यान हमेशा रखे ।