बंधन जन्मोंका - 5 Dr. Damyanti H. Bhatt द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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बंधन जन्मोंका - 5

बंधन जन्मोंका-5 ( धन्यवाद , प्रिय पाठक एवं मातृभारती का । सोना और सूरज का एक्झाम पूर्ण हुआ । अब प्लान के मुताबिक सब दोंस्तों दार्जिलिंग घूमने जाते हैं। अब आगे....)

(प्रकरण- 5)

सब लोग एक्झाम की तैयारीमें लग गए। सोनाने सूरजको बता दिया कि एक सप्ताह तक तुझे उसे मिलना भी नहीं हैं, और फोन भी नहीं करना हैं। क्योंकी हमारी केरीयर का सवाल हैं, सोनाने कहा,सूरजने कहा, यार इतना भी झुल्म, मैं मर जाऊँगा। यार,तुझे देखे बिना,,,,,सोनाने कहा, नहीं,,,नहीं,,,नहीं,,,सूरजने कहा, अच्छा चलो ऐसा करते , दिनमें एकबार, हम फोन पर मिलेंगे। इसकी क्या जरूरत हैं, सोनाने कहा, सूररजने कहा, शायद तुझे नहीं होंगी, लेकिन मुझे तो हैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,ओ.के. देखेगे ।

मार्च-अप्रैल चल रहा हैं, मौसम भी करवट बदल रहा हैं, सोनाके मन का पंखी तो कबका उडाउड कर रहा हैं, कि कब एक्झाम पूर्ण हो और कब हमसब दार्जिलिंग जाए। यू कि वह पहलीबार तो दारजिलिंग नहीं जा रहीं हैं। कई बार गई हैंष फिर भी,,,,,अरे हा,,, गई हुई क्या,,, उस्का तो ननिहाल ही दार्जिलिंग हैं। उसके मामा-मामीकी बड़ी कोठी हैं, वहां पर, इसीलिए तो ये सब दोस्तोको वहां घूमने ले जाना चाहती हैं। प्रोग्राम फिक्स था, एक्झाम पूर्ण होने के बाद दूसरे ही दिन ये सब लोग निकलनेवाले थे। सोना ये सब सोचती थी। इतनेमें फोन की घन्टी बजी, सोनाने रिसिवर उठाया, हल्लो,,डार्लिंग, सूरजकी आवाज़ थी। डार्लिंग के बच्चे,,,, अभी दिखाती हूँ, तुझे। चिडाया हुआ स्वरमें वह बोली, तुझे मना किया था, फिर क्यू,, बादमें बोली, अच्छा, बोल, कल एक्झाम होल में मिलते हैं, तु कैसी हैं ? अच्छी,भली हूँ, तु कैसा हैं ? अच्छा ,बाय,,,बाय ।

करीब एक सप्ताह एक्झाममें बीत गया। सब दोस्त कोलेजके गार्डनमें बैठे थे । सूरजने सलमान को कहा, मैं अपनी बड़ीवाली कार लेके आता हूँ, ,इसीलिए तु रहने दे, हम 6 लोग हैं, तीन मेरे साथ, तीन सोनाके साथ, सफर आराम से कट जायेगा। सलमान ने कहा, अच्छा,सूरजने कहा, दार्जिलिंग बहुत खूबसूरत जगह हैं, और सबसे बड़ी बात, सोनाके मामाका घर हैं। इसीलिए, हमे कोई दिक्कत नहीं होंगी। क्यों ,सोना ? सोनाने कहा, यस, यु, आर मोस्ट वेलकम एन्ड मोस्ट कम्फर्ट इन माय दार्जिलिंग हाउस । सायरा, सलमान, समीर, माया, सबने एकसाथ कहा, चीयर्स, तो चलो कल सुबह 8 बजे मिलते हैं।

सुबह 8 बजे सब लोग कोलेजके गार्डन के पास अपने सामान के साथ खडे हैं। सोना अपनी कार में से उतरी, और ड्राईवरको बोली, थोडा साईडमें रखो,इतनेमें सूरज और सलमान भी आ गए, सबने अपनी अपनी जगह ले ली,कलकता से दार्जिलिंग ज्यादा दूरी पर नहीं हैं। गाडीयोंमें गीत बजता हैं कि चला जाता हूँ,,, अपनी धूनमें,,,, सबलोग बेहद खुश हैं।

उधर दारजिलिंगमें मामा-मामी तो नहीं थे, केनेडा गए हुए हैं, लेकिन इन 6 लोगों का पूरा का पूरा इन्तझाम हो गया था। नौकरको पहले से ही सब समझा दिया गया था।गाडियाँ नोबल हाउस आकर रूकी, नौकर , दौडा, वो राह ही देख रहे थे। इनमेसे सोना और उनके दोस्त लोग उतरे , भोलुकाकाने सबका सामान उनके कमरोंमें पहुँचाया। भोलुकाकाने सबके लिए ब्रेकफास्ट रखा। सभी दोस्तोने बढियासा ब्रेकफास्ट समोसे,पकौडे,पूडी,चटनी, ज्यूस,फल,इत्यादी खाया, इतनेमें घड़ी 11 का संकेत कर रही थी। सोनाने आवाज़ लगाई, भोलुकाका, ओ- भोलुकाका, भोलुकाका आए, बोले, हं,बिटिया, क्या बात हैं ? सोनाने कहा, देखो हम घूमने जा रहे हैं। दोपहरका खाना यहां आकर खाऐंगे,तैयार रखना, ओ.के. बेबी, भोलुकाकाने कहा, चलो एक ओवरव्यू दार्जिलिंग का ले ले , बादमें कल आरामसे घूमेंगे ।

सोनाने कहा, ये सब पहाडियाँ,वादियाँ वेस्ट बेंगोल कलकतासे 20 की.मी.की दूरी पर ही पहाडियों के बीचमें बसा हुआ दार्जिलिंग अपने आपमें बहुतही मनमोहनेवाला सौंदर्ययुक्त शहर हैं। हम इसकी सैर करेंगे,कतरा,कतरा,घूमेंगे,आपलोग भी कया याद रखोगे, दार्जिलिंग का सैर,इतना घूमाऊँगी। कल सुबहसे हमारी जर्नी शुरू होंगी। अच्छा,चलो अब लौटते हैं। सब वापिस नोबल हाउस आ गए, भोजन के बाद आराम किया। शामको क्रिकेट खेला, फिर सुबह जल्दी उठना था। इसीलिए सो गए।

(फर्स्ट डे-) टायगर हिलः---

सभी दोस्तों टायगर हिलके लिए निकले। यहाँ से कांचनजंघा का बड़ा मनोरम द्रश्य देखने को मिलता हैं। ये जगह दार्जिलिंगसे 14 की.मी. दूर हैं। यहाँसे सूर्योदयका नजारा शानदार देखनेको मिलता हैं। यहाँ पर खूबसूरत घाटियों,पहाडियाँ, नदीयों को देखकर मन प्रसन्न हो उठता हैं।बड़ा लुभावना स्थान हैं,ये , यहां से माउन्ट एवरेस्ट की चोटी देखो साफ साफ दीखाई दिखाई देतीहैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,( क्रमशः......)