बंधन जन्मोंका - 1 Dr. Damyanti H. Bhatt द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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बंधन जन्मोंका - 1

( बंधन जन्मोंका ) ( उपन्यास.... यह एक लव स्टोरी हैं । नायक और नायिका के दों जन्मों की कथा आलेखित की गई हैं। । कहानी पांच प्रकरणमें विभाजित हैं।यह कहानी मेरी अपनी रचना हैं, और बिल्कुल कल्पना आधारीत हैं,,, कोई घटना या स्थान के साथ इसका कोई संबंध नहीं हैं।आशा हैं कि सबको पसंद आएगी । पढकर कृपया आपना प्रतिभाव संमिलित करे । )

कहानी....... बंधन- जनमों के.......................................(प्रकरण-1).

शाम के 7-30,,, बज रहे है...

कलकताकी सूमसाम सडक रोशनी से प्रकाशित है, एक युवान अपनी युवानी पर सवार फूल स्पीड में कार चला रहा हैं और सोच रहा हैं,मैं कब हावरा ब्रीज पहोंचूंगा कब मैं सोनु को मिलूंगा ,उसे सबकुछ बताउंगा , वह बारबार घडी देख रहा हैं, घर से निकले हुए अभी दस मिनट तक नहीं हुआ हैं। ऐसे कार चला रहा है, मानो कार नहीं सुपर फास्ट हावरा एक्सप्रेस दौड रहा हैं। उस्के मनकी रफ्तार इससे भी तेज चल रही हैं ।वो सोच रहा था की सोनु को मैं सरप्राइज दूंगा ,बंगला,कार, सोनेका हार सबकुछ एकसाथ देकर उसे चकित कर दूंगा। सोने का हार सोनु के गले को चार चाँद लगा देगा। सोना तो खुशी से पागल हो जाएगी कि पप्पाने हमारी बात मान ली हैं।अभी तक पप्पाको मेरी शादी उसके दोस्त की बेटी के साथ करनी थी, लेकिन माँ ने उसे मना लिया हैं।

सूरज खुशी के मारे ऐसा उछल रहा था कि मानो गंगा में बाढ आई हो। कलकता सीटी टावरसे हावरा ब्रीज का अंतर करीब ढाई घन्टे का हैं, वह सोचने लगा कि अब मेरी मंझिल दूर नहीं हैं। मैं अभी वो फांसला तय कर लूंगा और मैं अपनी महेबूबा सोना को नीली टेकरी के पास काली हील पर काली मंदिरमें मिलूंगा,जहाँ आज मिलने का वादा किया हैं,, जो सालोसे मेरा इंन्तजार कर रही हैं। सारी दुनिया मेरी मूठ्ठीमें होगी, सारा आसमां मेरे कदमोमें होगा।मैं और सोनु हंमेश के लिए एक हो जाएंगे। अब हमें कोई जुदा नहीं कर पाएंगे। हमने पांच साल इन्तजार किया हैं। हम तडपे हैं। चौदह साल की सोना थी, मैं सोलह साल का तबसे हम एकदूसरे के साथ हैं। खाना,गाना,खेलना,कूदना,नाचना, सब एकसाथ।

सूरजको कोलेज का पहला दिन आज भी याद हैं। जब पहली बार सोनाको मिला था, अरे मिला क्या था , टकराया था, कोलेजकी सीडी पर सोना के साथ । गोलमटोल चेहरा, घूंघराले बाल, चमकती आंखे, आंखे नहीं मानो दो केमरा हो, व्हाइट स्कीन, हिरनी जैसी चाल, स्कायब्लू स्कर्ट , टायमें सोना की मुद्रा वह आज भी भूला नहीं हैं। वही सनसनी गोली की तराह आवाज, ऍ...य...मिस्टर ,,,दिखाई नहीं देता ,क्या,,,,,देखते नहीं चलते ,,,कि दिनमें भी होंश नहीं हैं,,,,,कभी लडकी नहीं देखी ,,क्या,, आंखे फाडफाडकर क्या देख रहे हो ,,,,,कि सेंडल निकालु क्या,,,,बाप रे इतने सारे सवाल,,,सूरज कुछ समझे , सोचे इससे पहले सवालों की मानो मशीनगन फूट्टी,,,,धड..धड..धड...धड....सूरजने सोनाकी किताबे इकट्ठी की और हाथमें थमाते हुए धीरेसे बोला,,, आई एम सोरी.... सो सोरी................

सोनाने अपने कंधेसे सूरजको धक्का दिया,और बोली इट्स ओके,, न जाने कहां से आ जाते हैं,,, नोन सेन्स,,,नो मेनर्स,,,हं... कहकर सोना ठहाँका लगाकर अपनी सहेलीओं के साथ चली गई । सूरज तो जमीन पर स्टेच्यु हो गया था,सोना का मिजाज देखकर ।उसी दिन सूरजने ठान लिया था की वह सोनाको एक दिन जरूर पाठ पढाएगा और सारी हवा निकालेगा। ठीक एक महिना बीत गया था , इस बातको , सूरजने अपने दोस्तो के साथ शर्त लगाई थी कि यदि एक महिने के अंदर अंदर इस लडकी को ठीकाने नहीं लाया, आई लव यु नहीं बुलवाया तो मैं इस कोलेज छोडकर चला जाऊँगा ।

तबसे लेकर सूरजने छानबीन शुरू की ,दोस्तोने बताया की सोना एक मिनिस्टर की बेटी हैं, ऐकलौती होने के कारण उस्का गुस्सा उस्की नौक पर रहता हैं। वह किसीकी नहीं सूनती, यह कोलेज उस्के पिता एम.के. नाणावटी का हैं।बडे बापकी बेटी होनेके कारण ,घर हो या फेक्टरी उस्की न चलने पर वो आसमान सर पर उठा लेती हैं। उस्की कई फेक्टरीयां भी चलती हैं। यू की पढाईमें तेज हैं, लेकिन जितनी तेज पढाईमें हैं , उससे ज्यादा कई गुना उस्का दिमाग तेज चलता हैं।

सूरजने अपने पक्के दोस्त सलमान को कहा, सुन , कल हमलोग कालीमंदिर जाएंगे, सलनानने कहा,कौन कौन, सूरजने कहा, मैं और तु साथमें रहेंगे, बाकी,सब समीर,अनिल,सागर, और पांचे लडकियां सोना, सायरा,माया,हीना,खूश्बु य़े सब आगे चलेंगे । हम पीछेसे । वहाँ पर बडा मौज-मस्ती करेंगे,पीकनीक मनाएंगे।प्रोग्राम तय हुआ।