बंधन जन्मोका - 6 Dr. Damyanti H. Bhatt द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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बंधन जन्मोका - 6

(-- Many many thanks to Dear readers, and Matrubharti.com गत प्रकरणमें हमने देखा कि सोना ओर उस्के दोस्त सोनाके मामाके घर घूमनेके लिए जाते हैं । वहां ठहरनेका पूरा इन्रजाम उन्के मामाने किया हुआ हैं । और पूरा का पूरा दार्जिलिंग घूमनेका प्लान हैं । अब आगे......)

प्रकरण-6.........

(सेकन्ड – डे-) रोप-वेः---

सोनाने कहा, आज हम लोग रोप वे- द्वारा यानि की केबल कार के द्वारा पूरे दार्जिलिंग को चक्कर लगाएंगे ।ये राईड सीस्टम बड़ी पूरानी हैं । ये यात्रा विस्मयपूर्ण, रोंमांच से युक्त हैं, और आह्लादक भी उतनी,यहाँ पर सेंन्ट जोसेफ नामक स्कूल स्थित हैं,जो यहाँ का सबसे बड़ा महंगा स्कूल हैं। जहां मैने पढाई की थी । सोनाने कहां,सब बड़े आश्चर्य के साथ देखने लगे ।

(थर्ड डे-)

जापानी पीझ-पगौडा मंदिरः- ये 12 की.मी.दूरी पर हैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

सोनाने कहा, ये जापानी शैलीमें बना हुआ एक बौधमंदिर हैं । फूजी धरमगुरूके द्वारा बनाया गया हैं । यहाँ पर बुध्धका चार अवतार दर्शाया गया हैं । साथमें यहाँ सांचीका स्तूप भी हैं । ये स्थान विश्वशांतिके लिए प्रसिध्ध हैं । ओह,,, आई,,,सी,,,सायराने कहा । सलमानने कहा, और हा, हमलोग शादी करने यहां आयेंगे,सब हसने लगें ।

(फोर्थ-डे ) ओब्वेझीटरी हीलः-

आज हम घूमेंगे,ओब्वेझीटरी हील, यह हील समुद्रसे 7000 फीटकी ऊँचाई पर स्थित हैं । यहाँसे दार्जिलिंगकी सुंदर वादियोंका नजारा साफ दिखाई देताहैं और खास बात यहां महाकालका बड़ा पूराना मंदिर भी हैं, जो जगप्रसिध्ध हैं।

(फीफ्थ डे-) सोनाने कहां, ये हे शींघालीला नेशनल पार्कः- जो हिमालया बीअर का होम माना जाता हैं । समीरने कहां, सोना तुम्हारा दार्जिलिंग तो बड़ा अजीब हैं। सारी अजायबी तो यहां ही छूपी हुई हैं हा, समीर भैया सोनाने कहां,वो तो हे । यहीं से सीधा सब बताशीयालूप आए । जहाँ आज़ादी में हुए शहीदोंकों श्र्ध्धांजलि दी जाती हैं।यहाँ फोटोग्राफी बड़ी अच्छी होती हैं । दार्जिलिंग की सैर करनेके बाद सब को इतनी थकावट थी, भोजन भी करने का मन नहीं था, फिर भी थोडा सा भोजन करके सब आराम करने चले गए। सोना तो सपनोंकी दुनियामें इतनी खो गई थी कि जब सबेरे सूरजने उसे जगाया तब जागी, सूरजने कहा, चलो सोना हमें वापिस जाना नहीं हैं ? सोनाने कहा, इतनी भी क्या जलदी हैं ? जाते हैं ना, आरामसे, सूरजने कहा , नहीं बाबा, मैंने माँ को बोला था । हम शामतक आ जाएंगे – छे दिनों के बाद, तो अभी निकलेंगे तब जाके हम शाम कों पहूँचेंगेना ? अभी नास्ता करना हैं ? ओ.के. सोनाने कहा,आई, करीब एक घण्टेके बाद दोंनो गाडियाँ दार्जिलिंग की सड़क पर दौडने लगी । सलमान और समीर कार चला रहे थे । सूरज धून बजाने लगा, वादा करले, साजना,,,, हम हर जनम मिलते रहेंगे,,,,,,,,,,,,,कब जवाहर रोड आ गया, पता ही न चला । सोनाको छोडके सूरजने स्टीयरींग घूमाया,सीटी टावरकी ओर ।

बंगलेकी उपर लिखा था –सूरज-- सूरजने घरके अंदर जाके माँ को प्रणाम किया । माँने पूछा आ गया, बेटा, कैसी रही तेरी, दार्जिलिंग की टूर ? जबरदस्त माँ, सूरजने कहा, तु आई होती तो बड़ा मझा आता, चल जा, मश्का न लगा अपनी माँ को,मैं सब समझती हूं । सूरज अपनी धूनमें इतना मस्त था कि उसे मालूम भी नहीं था कि वह कार चला रहा हैं । रास्तेमें सड़क पर हैं, ये सब द्रश्य एक चलचित्र की तरह उसके सामने आ रहे थे।सूरज, सूरज, जब सोनाने जोरसे पुकारा, तब सूरज अपने विचारोंमें से बाहर आया, उसे मालूम हुआ कि वह स्टीयरींग पर हैं । इतना अपने विचारों की दुनियामें खो गया था। सूरजने कहा, हा सोना, मैं आ रहा हूँ । गाडी रूकने ही वाली थी । कि न जाने कहाँ से सूरजकी कार एक पहाडी पथ्थर की शीलासे टकराई, सामने थोडी ही दूरी पर सोना दिल थामे खड़ी थी । और बिना पलक झपकाये सूरजकी राह देख रही थी । भयंकर टकरावसे कार हवामें उछली और,,,,,सूरजके साथ खाईमें जा गिरि ।

सोना तो हतप्रभ सी हो गई । कुछ समझे, सोचे उससे पहले,सूरजकी कार,,,,,,,सूरज सदाके लिए उसकी जिंदगीसे जा चूका था । सोनाने जोर जोरसे चिल्लाना शुरू किया । लेकिन सूननेवाला कोई न था । सोना फूटफूटकर रोने लगी, सोना दौड़ी,,,,,आसपास उसकी मदद करनेवाला कोई न था,,,,,,,,,,,,,,, पूरी ताकत से चिल्लाई,,,,,,,,,,,सूरज,,,,,,,सूरज,,,,,,, पहाडीयोंमेंसे उसकी आवाज़ टकराकर इकोमें परिवर्तित होती थी । सोना बड़ी व्यग्र थी , अब क्या करे ? सोनाका सर चकराने लगा,उसे कुछ सूजता नहीं था । उसकी पैरों तलेकी धरती फीसल जाती थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,उसको सूरजसे किये हुए वादे याद आए । वो सोच रहीँ हैं कि अब जी ने से क्या फायदा ? मैं भी इस दुनिया को अलविदा कह दूं। वह बडी चट्टान पर खड़ी ये सोचरही थी कि अचानक कब वह पीछे खिसकी और खाईमें जा गिरि । पता हीं नहीं चला,,,,,,,,,,,,,,,,

उधर,,,,रातको-10 बजनेको आया,,, सूरजकी माताजी शर्मिला बार बार घड़ी देखने लगी, उसने अपने पति पंकजजी को फोन लगाया । सूरज अभी तक घर नहीं लौटा ,अब क्या करे ? आपको तो कोई परवाह ही नहीं हैं, बीझनेस ही आपके लिए सबकुछ हैं । हम माँ- बेटे कुछ नहीं । रातको 11 बजनेको आए, अबतो पंकजजी को भी चिंता होने लगी,,, शर्मिला की बात तो सहीं हैं,,,,, ( क्रमशः...)...