अनजान रीश्ता - 37 Heena katariya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनजान रीश्ता - 37

पारुल सेम आइस्क्रीम शॉप के बहार कार पार्क करते है। तभी पारुल सेम से कहती हैं कि आइस्क्रीम कार में ही ऑर्डर कर ले । जब एक ही आइस्क्रीम मंगवानी है तो खामखां शॉप में जाके क्यों समय बर्बाद करे। यह सुनकर सेम मुस्कुराते हां कहते हुए आइस्क्रीम शॉप पर कॉल करके ऑर्डर करता है। पारुल और सेम ऐसे ही दोनों ऑर्डर का वैट कर रहे थे । तभी क़ार की खिड़की पे खटखटाने की आवाज आती हैं। सेम कार का शीशा नीचे करता है। तभी सेम ऑर्डर लेते हुए पेमेंट कर रहा होता है । तभी पारुल ऑर्डर का पेक खोलती है तो उसमें सिर्फ एक ही चोकोलेट आइस्क्रीम थी जिसे देख के पारुल का मूड बिगड़ जाता है। पारुल सेम से कहती हैं।


पारुल: ( दुःखी होते हुए ) सेम!!

सेम: हम्म!!?


पारुल: वो तुमने सच में एक ही आइस्क्रीम मंगाई है?


सेम: हां तो मैंने पहले ही तो कहा था कि हम एक ही आइस्क्रीम खाएगे।


पारुल: हां पर मुझे लगा तुम हर बार की तरह पहले परेशान कर रहे हो और फिर सारी फेवरेट आइस्क्रीम ऑर्डर करोगे।


सेम: ( मुस्कुराते हुए मुंह बिगाड़ते हुए ) सोरी बेब पर हर बार सरप्राईज नहीं मिलते ये रीयल लाईफ मूवी नहीं । यहां पर कभी अच्छे पल तो कभी बुरे पल भी आते है।


पारुल: ( मुंह बिगाड़ते हुए ) सीरियसली सेम!! आई मीन तुमसे किसने कहा कि यह रीयल लाईफ है। जिस तरह से लाईफ चल रही हैं उस हिसाब से तो किसी मूवी के केरेक्टर जैसी ही फिलिंग आती है ।तुम ज्यादा मत इतराओ समझे!!!


सेम: ( मुंह बिगाड़ते हुए ) ओह हैलो मैडम अगर में किसी मूवी या बुक का केरेक्टर होता ना तो फिर लड़कियां जान छिड़कती मुझ पर । अब तुम ही बताओ भला कोन सी लड़की होगी जिससे में पसंद ना आऊ। मै संस्कारी हूं; अच्छा लुक भी है; नौटी भी हूं; समजदार भी हूं;। अब तुम बोलो और क्या चाहिए किसी लड़की को एक अच्छा प्यार करने वाला हसबैंड । लेकिन यहां देखो तुम!! ( मुंह बिगाड़ते हुए ) तुम्हे कोई कदर ही नहीं है मेरी ।


पारुल: ( मुंह बिगाड़ते हुए ) किसने कहा ये सब गुण तुममें है। ऐसी बेकार बाते तुमसे कही ही किसने ये पहले बताओ!! मुझे तो तुम अभी घमंडी दिख रहे हो। और हां तुमसे ज्यादा दिमाग का दही करने वाला इंसान मैंने आज तक नहीं देखा । बड़े आए ( सेम की नौटंकी करते हुए ) संस्काली भी हूं!!...


सेम: ओह हैलो!!! पहले तो मैंने जो कहा वह सही है। और दूसरी बात यह कि मै ऐसे बिल्कुल भी बात नहीं करता।


पारुल: हाहा!! ठीक है। घमंडी इंसान ज्यादा कोई बड़ी बात नहीं है तुम्हारे जैसा बनना। यूं तो कोई भी बन सकता है तुम्हारे जैसा ( मुंह बिगाड़ते हुए )।


सेम: ( मुस्कुराते हुए ) ओह रियली!! हां तो फिर मेरे जैसा ही क्यूं चाहिए? मुझसे अच्छा ही ढूंढ लो।( पारुल के करीब जाते हुए)।


पारुल: ( दूर जाते हुए ) क्या... क्या कर र...हे.. हो... औ... औेर... रही बात तुम्हारे जैसे बनने कि तो... तो... वो .... तुम...ने... क....हा... था..।


सेम: ( मुस्कुराते हुए पारुल के मुंह पर लगी आइस्क्रीम हाथ से पोंछते हुए।) हा...!! एसा मैंने कब कहा!! और रही बात में क्या कर रहा हूं तो तुम्हें क्या लग रहा है?...


पारुल: तू...म... ये बद.....तमि...जी.. करना बं...द.. करोगे...या... न...ही..।


सेम: ( मुस्कुराते हुए पारुल के कान में कहता है) अच्छा!! मैंने कब बदतमीजी की!! और तुम यूं हकला क्यों रही हो। ( सेम के हाथ में लगी आइस्क्रीम खाते हुए ) ।


पारुल: ( सेम को धक्का देते हुए ) बदतमीज गलिज़ इंसान!!!


सेम: ( हंसते हुए ) हाहाहाहाहा.... ओह गोड... क्या चल रहा है तुम्हारे दिमाग में हां!! कितनी गंदगी भरी हुई है। ( पारुल को चिढ़ाते हुए ) छिछिछी!!!!! है भगवान एक तो मै इतना शरीफ और देखो इस पारो की बच्ची !!! क्या सोच रही है।


पारुल: ( शर्म से लाल हो गई थी। (चिल्लाते हुए) सेम के बच्चे!!! उल्लू के पट्ठे!! मैंने पहले ही कहा था मुझसे बदतमीजी मत करना लेकिन तुम!!! ( सेम के ऊपर आइस्क्रीम फेकते हुए!!)


सेम: ( जोर जोर से हंसते हुए ) आए हाए!!! मरजावा... मेरी बसंती तुम्हारी यही अदा पे तो हम दिल हारे हैं । पर मैने तो तुमसे आधी आइस्क्रीम ही मांगी थी । पर तुमने तो... ( शर्ट पर से आइस्क्रीम खाते हुए )।


पारुल: ( मुंह बिगाड़ते ) यक्कक...!! छिछिछी!!! सीरियसली!!


सेम: ( मासूम बनते हुए) क्या!!


पारुल: सेम कसम से कह रही हू अगर और परेशान किया तो तुम!!!!


सेम: ( आइब्रो ऊपर करते हुए ) तो क्या !!!?


पारुल: तो सच कह रही हूं!!! मुझसे बुरा और कोई नहीं होगा देख लेना!!।


सेम: ( गुनगुनाते हुए ) तुमसे बुरा होगा भी कोन!!!


पारुल: क्या !! क्या कहा अभी तुमने !!!


सेम: क्या कुछ भी नहीं कुछ भी नहीं कहा मैंने!।


पारुल: ( मुंह बिगाड़ते हुए) शहम्मम!!!


सेम: ( मुस्कुराते हुए ) ओके फाईन बाबा!!! सॉरी ( कान को पकड़ते हुए ) ।


पारुल: मुझे कोई बात नहीं करनी हर बार परेशान करते हो!! मज़ाक की भी हद होती हैं । जब देखो तब मज़ाक ही करते रहते हो । कभी तो सीरियस रहा करो।


सेम: ( मुस्कुराते हुए ) और तुम्हे कैसे पता मै सीरियस नहीं हूं!! हमम??


पारुल: अच्छा तो इतने मज़ाक क्यों करते हो!!


सेम: ( पारुल की ओर देखते हुए ) वो क्या है ना पारो तुमने खुद को देखा ही कहा है!! जब गुस्सा करती हो तब तो खुदा कसम चांद की खूबसूरती भी कम पड जाए इतनी कातिलाना लगती हो तुम!! इसी वजह से में हर बार तुम्हे परेशान करता हूं।


पारुल: हो गया तुम्हारा!! तो अब चले!!।


सेम: कहां!!?


पारुल: जहा हम जा रहे थे वहां!!।


सेम: वहा भी चलेंगे पर यार बस भी करो अब गुस्सा थूक भी दो । तुम तो जानती हो कितना बडा बेवकूफ हूं मै!! हो जाती है गलती मुझसे लेकिन तुम तो समझदार हो!! माफ कर दो!! प्लीज... प्ली.. प्लीज...।


पारुल: फाईन!! कर दिया माफ अब चले!!


सेम: सच में!!


पारुल: हां अब चले!!!


सेम: अरे!! ऐसे कैसे मेरी बसंती अभी तो काफी कुछ बाकी है।


पारुल: (आइब्रो को ऊपर करते हुए) क्या मतलब!!!


सेम: मतलब ( कार का दरवाजा खोलते हुए ) यह!!


पारुल: ( चिल्लाते हुए) ओह माय गॉड!!! सीरियसली!! मै जानती थी तुम!! ( सेम को गले लगाते हुए)।


सेम: ( मुस्कुराते हुए) वेल वेल!!! अगर मुझे पता होता की सिर्फ कुछ आइस्क्रीम की वजह से मुझे गले लगा लोगी तो बा खुदा मै पूरी आइस्क्रीम शॉप ही खरीद लेता।


पारुल: ( सेम से दूरी बनाते हुए ) ओह!! प्लीज वो तो मै कुछ ज़्यादा ही खुश हो गई थी इस वजह से!!


सेम: हा हा..! वोटएवर!!


पारुल: ( मुस्कुराते हुए सारी आइस्क्रीम ओर केंडिस को बॉक्स में से लेते हुए) जो भी हो यार थैक्यू!! मुझे पता था तुम मुझे नाराज़ कर ही नहीं सकते!!।


सेम: योर वेलकम!! चलो अच्छी बात है ( मुस्कुराते हुए) कम से कम तुम मुझे थोड़ा बहुत तो जानती हो।


पारुल: थोड़ा बहुत !! मिस्टर में तुम्हे बहुत अच्छी तरह से जानती हूं!।


सेम: अच्छा!! जैसे कि!!।


पारुल: जैसे कि तुम्हे पिंट्स पसंद नहीं है। तुम्हे भिंडी की सब्जी भी बिल्कुल पसंद नहीं है। तुम वैसे तो मजाकिया हो पर साथ साथ समझदार भी हो । तुम्हे ज्यादा दिखावा करना पसंद नहीं है। तुम्हे जो लोग पसन्द है उनके साथ समय बिताना ज्यादा पसंद करते हो! और तुम सब से बड़ी बात दिल के सच्चे और अच्छे हो!! खूबसूरत भी हो!! ।


सेम: ( मुस्कुराते हुए पारुल की ओर देखते हुए ) क्या!! बात है भाई हमे तो लगा था एक हम ही है जो तुम्हारे बारे में जानते है लेकिन महोतरमा आप भी कुछ कम नहीं है । आखिरकार अब समझ आया क्यों हमारा दिल आप पे आया।


पारुल: तो फिर पारुल व्यास नाम है हमारा !!


सेम: ( पारुल के हाथ में बॉक्स को कार पर रखते हुए) ( पारुल के हाथ को अपने हाथ में लेते हुए) तो जब तुम मुझे इतना जानती ही हो तो ये बात भी जान लो पारो!! समीर रायचंद की लाईफ का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा तुम हो। और तुम्हारी खुशी के लिए मै कुछ भी कर सकता हूं तो चाहे जो भी हो खुशी कि बात हो या गम की में हमेशा तुम्हारे साथ हूं और रहूंगा।


पारुल: मिस्टर. रायचंद शुक्रिया पर आप इतने सीरियस ना बने। क्योंकि आप क्यूट ही अच्छे लगते हैं । अगर यूं सीरियस बने तो दुनिया में प्रलय आ जाएगा!!।


सेम: ( पारुल के बाल बिगाड़ते हुए ) ठीक है प्रिंसेस!!।


पारुल: ( चौंकते हुए ) क्या!!


सेम: क्या!! इसमें चौंकने वाली कोन सी बात है मैंने सिर्फ प्रिंसेस ही तो कहा!!।


पारुल: ( अविनाश के सारी बाते याद आती हैं ) सेम!! ये नाम नहीं !!


सेम: क्या हुआ पारो तुम अचानक इतनी घबरा क्यों गई!!?


पारुल: कुछ नहीं बस गर्मी की वजह से शायद!!
सेम: ओह हा राइट!! तुम चलो जल्दी से कार में!!
पारुल: हम्म!!
सेम: अच्छा एक बात बताओ हम इतने समय से साथ में है। हमने कभी एक दूसरे के बचपन के बारे में बात नहीं की। मतलब कहा बड़े हुए!! वगेरह वगेरह!!
पारुल: बचपन!!?
सेम: हा बचपन आई मीन तुम्हारी भी तो कुछ खास यादे होगी । जैसे कि मेरी मेरे भाई के साथ है । हम दिन भर शैतानी करते थे !! और ना जाने क्या क्या!!!
पारुल: अम्म!! वो अक्तयुली!!!

तभी सेम का फोन बजता है । तो वह पारुल के लिए कार का दरवाजा खोलते हुए फोन में बात करने लगता है । पारुल भी बॉक्स में से एक आइस्क्रीम निकालकर खा रही होती हैं । उसके दिमाग में अविनाश की सारी यादें घूम रही थी। जिस तरह से उसने पारुल के साथ बरताव किया था। वह चाह कर डर को अपने मन से निकाल नहीं पा रही थी । मानो जैसे अविनाश उसके दिलो दिमाग पर बस गया हो । सेम भी बात करते हुए कार चलाने में व्यस्त था और पारुल अपनी सोच में डूबी हुई थी ।