नमस्कार मित्रो...
हिन्दीमे कविता लिखने का ये मेरा पहला प्रयास है, इसमे कई सारी कमिया हो सकती है, शब्दो की गलतियां भी हो सकती है।
आप इसे पढ़कर अपने प्रतिभाव ओर सूचन दे जिससे आगे में ये कमिया दूर करके ओर अच्छा लिख पाऊ।
धन्यवाद ।।🙏
✍यक्षिता पटेल
अंतर्मुखी
अंतर्मुखी मनके होते है जो कुछ लोग ।
मौनके ज्वालामुखीसे भरे होते है वो लोग ।।
कम बोलनेमे सदा अव्वल आते है वो लोग ।
सुनने समझनेकी अद्भुत कला रखते है वो लोग ।।
ओरो पर निर्भर रहना पसंद नही करते वो लोग ।
खुद पर ही अतूट विश्वास रखते है वो लोग ।।
अपनोसे प्यार बहुत करते है वो लोग ।
अकेलेपनका आनंद उठाना भी बखूबी जानते है वो लोग ।।
खुदके बलबूते पर आगे बढते है वो लोग ।
खुद ही स्वयं के लिए आदर्श बनते है वो लोग ।
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ऐ जिंदगी !!
माँ से शिखा है मैंने ;
हर हाल में मुस्कुराते हुए आगे बढते रहना ।
पापा से शिखा है मेने ;
बड़ी से बड़ी कठिनाईयो में भी अपने मुकाम को हाँसिल करना।।
तुजे जितने तूफ़ान लाने है मेरी जिंदगी में तुं ला ;
ऐ जिंदगी !!!!
में भी तूफानी हुँ ;
देखती हूं कैसे तू मुझे थकाती है ।
तुज़े जितने इम्तहान लेने है मेरे, बेफिक्र बनके लेले; ऐ जिंदगी !!!!
में भी अड़िग हुँ ;
देखती हूं कैसे तू मुझे हराती है।
तुजे जितनी मुश्किले लानी है मेरी जिंदगी में....
तुं ला ऐ जिंदगी !!
में भी बहादुर हुँ ;
देखती हूं कैसे तू मुझे शिकायत का मौका देती है।
तुज़े जितना परखना है मुझे ;
तू परख ले...!!!
ऐ जिंदगी ।
में भी कोहिनूर हुँ, देखती हूं... सच्चे ज़वेरी को हिरे की पहचान हैं भी या नहीं।
तुज़े जितना उलझाना है मुजे..तू उतना उल्ज़ा ले ;
ऐ जिंदगी !!!!
में भी सुलझी हुँ, देखती हूं ,
कैसे तू मुजे फ़साती है ए जिंदगी।।
तुज़े जितना सताना है मुज़े तू सता ले,,
ऐ जिंदगी !!!!
में भी उत्साहित हुँ, देखती हूँ कैसे तू मुजे हताश करती है....।
तुज़े ज़ीतना तड़पाना है मुजे तू तड़पा ले ,,
ए जिंदगी ।
में भी मजबूत हुँ....
देखती हूं कैसे तू मुजे तोड़ती है .....।।
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ये लोग
कहते है कुछ और फिर करते है कुछ और कुछ ऐसे है ये लोग ।
दुगना रूप लिए फिरते रहते मेने देखा है मेरे चारोओर ।।
चेहरे पर चेहरा रख घूमते फिरते है जो बहुत से लोग ।
सचेत रहना मेरे दोस्त,..कुछभी कर सकते है ये लोग।।
हर पल मोकेकि तलाश में ही रहते है य लोग ।
अपने मतलबके लिए ओरोको हथियार बनाते है ये लोग ।।
बाहरसे कुछ और भीतरसे कुछ और दिखते है ये लोग।
छिपकली की तरह घडी घड़ी रंग बदलते रहते है ये लोग।।
खुदको बहोत अच्छा बताने की चाहत रखते है ये लोग।
इसके लिए वो ओरोका भी बखूबी इस्तमाल करते है ये लोग।।
अच्छे अच्छे बनके मीठी मीठी बातोंमें फोसला लेते है ये लोग ।
बिना हथियार के ही अपने मतलब का काम कर जाते है ये लोग ।।
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अच्छा बन
छोडके सारी क्रूरता, तू दयावान बन ।
ओरोके लिए ना सही,तू अपने लिए तो अच्छा बन।।
सोच न सके किसीका अच्छा तो कोई गम नहि।
पर किसीका बुरा न हो जाए इतना तो तू ख्याल रख।।
कुछ और ना कर सके तो कोई गम नही।
पर तेरे सिनेमे भी है मोमसा हृदय,,इतना तो जान सही ।।
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सपने ओर अपने
दूसरोंको समजा सकू उतनी में बड़ी नही।
पर खुदको न समझ सकू उतनी भी में छोटी नही।।
खुदको अकेला कभी मेने माना नही।
मेरे अंदर हरा-भरा एक जमाना है ।।
बसा है मुजमे एक आगका दरिया।
उसको बनाउंगी में कुछ नया कर दिखानेका झरिया।।
करूँगी में अपने सपने पूरे सारे।
उसके लिए साथ रखूंगी मेरे "अपने" सारे।।
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