घृणा का फल Deepankar Sikder द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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घृणा का फल

भारत के एक ग्राम में एक परिवार रहता था, छोटा परिवार था जिसमें एक बेटा और उसके मां और पापा रहते थे।
उनका अपना तो कोइ घर नहीं था लेकिन वो कीराए के घर रहते थे।
बेटे का नाम गोपाल था और मा का नाम गुलाब देवी तथा पिताजी का नाम हंसराज गोयल था। गोपाल के पिताजी रेडी लगाते थे जिसमे वो भिन्न भिन्न प्रकार के स्ट्रीट फूड बेेेचा करते जैसे समोसे, पकौड़ीया, बर्गर आदि।
परिवार में सब अच्छा चल रहा था, गोपाल भी अपने पिताजी की मदद करता उनके काम में और जब भी उसे समय मिलता तो वो अपने पिताजी के पास चला जाता और बिक्री कराने में मदद करता।
प्रति दिन की आमदनी अच्छी हो जाती और घर का हाल भी अच्छा हो गया था।
एक दिन हंसराज गोयल गोपाल के मा से गोपाल के शादी की बात कहता है। " अब हमारा बेटा शादी लायक हो गया है, तुम क्या कहती हो गोपाल की मां? हमे अपने बेटे की शादी करनी चाहिए?"
इस पर गोपाल की मा कहती है " हा गोपाल के पिताजी मुझे भी लगता है के अब उसकी शादी हमे करादेनी चाहिए। आपका अच्छा विचार है।"
तो हंसराज अब बेटे के शादी के विचार में डूब जाता है और अगले ही दिन वो अपने भाई(श्याम गोयल) के यहां चला जाता है और अपने भाई को गोपाल के शादी के बारे में बताता है।
हंसराज श्याम गोयल से:- भाई मै गोपाल की शादी करना चाहता हूं कोई अच्छी लड़की नजर में हो तो बताना।
श्याम गोयल:- भाई ये तो अच्छी खबर है। तुम गोपाल की शादी कर रहे हो। मै बोहोत खुश हुआ ये खबर सुनकर। ठीक है भाई मै जरूर बतात हूं जैसे ही कोई खबर मिलती है तो।
हंसराज गोयल:- ठीक है भाई अभी मै चलता हूं काम के लिए देरी हो रही है।
और इतना कहकर हंसराज वाहा से चला जाता है और तभी गोपाल अपने चाचा के पास आता है, और उनके पास बैठ जाता है।
गोपाल:- नमस्ते चाचा जी कैसे हो?
श्याम गोयल:- नमस्ते बेताजी, आओ बैठो, तो....
गोपाल: क्या हुआ चाचा जी ऐसे क्यू मुस्कुरा रहे हो?
श्याम गोयल:- बात ही कुछ ऐसी है।
गोपाल:- तो बताओ ना चाचा जी मै भी तो जानूं वो बात।
श्याम गोयल:- अच्छा बताओ तुम्हे कैसी लड़की पसंद है शादी के लिऐ?
गोपाल(शर्माता है) चाचा जी कैसी बात कर रहे है आप आज?
श्याम गोयल:- पर अगर तुमको शादी करनी है तो अपनी पसंद तो बतानी पड़ेगी ना।
गोपाल:- किसकी मेरी शादी?
श्याम गोयल:- और क्या मेरी शादी पागल, तेरी ही बात कर रहा हूं मै। आज तेरे पिताजी आए थे और तेरे लिए लड़की ढूंढने को बोला।
गोपाल:- ( शर्माता है) पर अब मै क्या बताऊं आपको और मा पापा को पसंद जो पसंद हो उसी से शादी कर लूंगा मै।
श्याम गोयल:- ठीक है हम अच्छी ही लड़की ढूंढेंगे तेरे लिए। हाहाहा पागल लड़का।
और फिर गोपाल भी वाहा से चला जाता है और अपने घर आकर अपने मा का हाथ बटाता है, और अपने मा से पूछता है " क्या मेरी शादी की बात ठीक है मां"
गुलाब देवी इसपे कहती है" हां बेटा अब तुम्हारी उम्र हो गई है तो मैंने और तुम्हारे पिताजी ने फैसला किया है के अब तुम्हे ही ग्रहस्ती देदे संभालने को। हम चाहते है के अब तुम और बहू घर को संभालो।
और दोनों बाते करते हुऐ काम करते रहते है।
अब कुछ दीन बाद गोपाल के चाचा जी उसके बुआ(सुनीता अग्रवाल) और एक आदमी के साथ आते है जो के बिचोलिया होता था।
श्याम गोयल:- गोपाल के बापू देखो कोन आया है?
हंसराज गोयल:- अरे बेहेना आई है वाह क्या बात है काफी दिन बाद वो भी बिन बताए कैसी और ये महाशय को है?
आओ आओ सभी बैठो।
हंसराज सभी को बेठाता है और नाश्ता लगवाता है सभी के लिए।
सभी आपस में हाल चल पूछते है और सभी ऑपचारिक्ता पुरी होने के बाद सुनीता बताती है के उन्होंने गोपाल के लिए एक लड़की देखी है और वो काफी सुन्दर भी है। आगे कहती है के उन्होंने लड़की वालो को गोपाल की फोटो भी दिखाई तो उनको भी गोपाल पसंद आया है।
बुआ की बात सुनकर गोपाल की मा कहती है " क्या आप लड़की की फोटो लाएं है हमे भी तो देखे लड़की को"
और तभी सुनीता उनको लड़की का फोटो दिखती है और लड़की का नाम कमला बताती है।
गुलाब देवी:- लड़की लंबी, गोरी और बाल भी सुन्दर है। मुझे तो लड़की पसंद आई।
अब लड़की सबको पसंद आजाती है और लड़की वालो से भी गोपाल के परिवार का परिचय हो जाता है। गोपाल के घर में सब खुश है गोपाल के मा पापा को लड़की वालो से कोई मांग भी नहीं थी तो इसपर लड़की वाले भी खुश हुए, और देखते ही देखते कुछ दीन में गोपाल और कमला की शादी हो गई।
गोपाल भी खुश था और दोनों मिया बीवी एकदुसरे के साथ खुश दिख रहे थे। दोनों आपस में ज्यादा समय बिताते और गोपाल रोज कुछ ना कुछ बाजार से सबक लिए कुछ ना कुछ लाता, और गोपाल का काम भी अच्छा चल रहा था।
ये सब गोपाल की मा गुलाब देवी नहीं सह पा राही थी, उसको लग रहा था के उसका बेटा सब कुछ बहू के लिए ही कर रहा है और पैसा बेकार में बर्बाद कर रहा है।
और गुलाब देवी को कमला का पहनावा भी पसंद नहीं आरहा था। कमला घर में ती शर्ट और लोवर तथा हल्के कपड़े पेहती। तो वो इस वजह सी अब बहू से लडने झगड़ने लगी उसको ताने देती।
लेकिन फिर भी कमला सब कुछ सह जाती लेकिन जब ज्यादा परेशान होती तो वो गोपाल को इसके बरे में बताती। और इन सब में हो रोज कोई मा कोई तनाव रहता घर में।
अब इनसब के चलते कमला प्रेगनेंट हो गई और उसको बेटा हुआ। घर में खुशी का माहौल था।
लेकिन गुलाब देवी अभी भी बहू से खुश नहीं थी और बहू को समय से खाना नहीं देती और तरह तरह से उसको वेदना देती। लेकिन उस वक़्त गोपाल ने कमला को संभाला।
गोपाल को पता था के उसकी मा जो भी कर रही है वो ठीक नहीं है लेकिन फिर भी वो मा के तरफ ही रहता और उसके पिता की भी गुलाब देवी की ही तरफ रहते।
कमला वो सब सेहती और मन मन मै खुद को कोसती रहती "काश मै याहा आती ही नहीं"
सभी के व्यवहार से कमला दुखी हो चुकी थी लेकिन वो कर भी क्या सकती थी।
कई साल बीत गई बच्चा 7 साल का हो गया और बच्चे का नाम जतिन था। अब गोपाल की मा जतिन के भी कान भरने लगी और उसको ही उसके मा के खिलाफ भड़काने लगी।
गोपाल कुछ भी लाता घर तो गोपाल को मा उसको छुपा लेती।
घर का माहौल एकदम बिगड़ गया था तो एक दिन कमला गोपाल से कहती है।
"मै इसे माहौल में और नहीं रह सकती, सब कुछ बिगड़ चुका है यहां और मेरा दम घुटता है"
पर गोपाल ज्यादा ध्यान नहीं देता है उसको बातो को और कमला को सिर पर चूम सो जाता है।
कमला भी दूसरी तरफ मुंह कर बिना कोई आवाज किए आंसू बहाते हुए सो जाती है।
अगले दिन प्यार से कमला अपने बेटे को बुलाती है " बेटा जतिन यह आना"
लेकिन जैसे की उसकी अम्मा ने उसके मन में उसके ही मा के लिए जहार घोला हुआ है तो जतिन का भी जवाब नकारात्मक ही होता है उसके मा की लिए।
कमला निराश हो जाती है " वाह अब मेरा बेटा भी मेरा नहीं रहा।"
कमला निराश होकर अपने कमरे में चली जाती है और आखिर कार वो अपने घर पर अपने मा पापा को फोन करती है और सबको अपने वेदना के बारे में बताती है।
उसका दुखड़ा सन उसके घर के सभी सदस्य आते है और गोपाल के घर पे उसके मा पापा से बात करते है लेकिन गोपाल के मा पापा का व्यवहार उनके प्रति एकदम कड़वा ही होता है और कोई भी किसी निष्कर्ष पर नहीं पोहोंचते।
आखिर में कमला के मा पापा उनसे तलाक़ के लिए बोलते है तो कमला त्यार हो जाती है। और कमला वहीं से अपने मा पापा के साथ अपने घर चली जाती है और बेटे को गोपाल के पास ही छोड़ देती है।
कुछ दिन बाद दोनों का तलाक हो जाता है, और दोनों अलग हो जाते है।
अब कुछ दीन गुजर जाते है के गोपाल के पिता जी का देहांत हो जाता है। सभी शोक में चले जाते है और अब गोपाल का काम भी बंद था।
गोपाल को अब कमला की याद आने लगी वो उसको फोन करता- " कमला वापस आजाओ मेरे से गलती हो गई है और मै अपनी गलती को सुधारना चाहता हूं.... मुझे एक मौका तो दो खुद को सुधारने का.."
कमला:- नहीं काफी मौके दिए थे मैने तुम्हे लेकिन तुमने तब मुझे नजर अंदाज किया आेर तुमने मेरी बातो को सुना तक नहीं था। तो अब भुगतो और रहा अपने मा के साथ अब। मै अब कभी नहीं आऊंगी उस नर्क में कभी।
इतना कहकर कमला फोन रख देती है। गोपाल बोहोत परेशान हो जाता है पहले बीवी को खोया और फिर पापा को।
इतना सब होने के बाद वो खुद को काबू में नहीं रख पा रहा था और वो शराब पीने लगा, कई कई दिन तक शराब के नशे में घर पर पड़ा रहता।
गुलाब देवी:- बेटा काम पे जा कैसे चलेगा घर बच्चा भी भूखा है, कम्सेकम उसके लिए तो काम पे जा और शराब पीना बन्द कर।
गोपाल:- मुझे नहीं करना कोई काम.... जो करना है करो... मुझे शराब दो बस।
गोपाल को हालत बुरी थी उसने सबसे काफी उधर भी कर लिया। गोपाल को अब बस कमला की ही याद सताती थी लेकिन वो उसको अब नहीं मिलने वाली थी, क्यूकि उसकी शादी उसके घर वालो ने एक अच्छे परिवार में करवा दी थी उसके शादी की बात सुनकर गोपाल को और दुख हुआ। वो पूरा पूरा दिन घर पर ही पड़ा रहता। और काम ना करने के वजह से उसके पास पैसे भी नहीं थे उप्पर से कर्जदार रोज उसके दरवाजे पे आते पैसा मांगने और रोज उसकी मा कोई मा कोई बहाना बना कर उनको भेज देती।
सब बिगड़ चुका था गोपाल की जिंदगी में तो एक दिन गोपाल ने फैसला किया के वो भी अब इन सब से दूर हो जाएगा और अगले दिन ही वो अपना बैग लगता है और बिना किसी को कुछ बताएं घर से निकल जाता है।
और आज वो कहा है किसी को नहीं पता। लेकिन गुलाब देवी के बहू के लिए घृणा के वजह से उसका घर तबाह हो गया और एक छोटा बच्चा अपने मा बाप से अलग हो गया।