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फैसला - 1

आज अनन्या की फुफेरी बहिन शालिनी की शादी है।दुल्हन की पोशाक में सजी सँवरी शालिनी बेहद खूबसूरत लग रही है।अनन्या भी दौड़ दौड़कर घर के काम काज में अपनी बुआ का हाथ बंटा रही है।तभी बैंड बाजे की आवाज सुनाई दी यानि बारात घर के करीब आ गई है।सभी लोग बारात के स्वागत की तैयारियों में जुट गए।द्वार चार की रस्म के बाद शालिनी को जयमाल के लिए ले जाया गया।
अनन्या भी शालिनी के साथ गई तभी उसकी नजर दूल्हे के पास वाले व्यक्ति पर पड़ी ।ये क्या ये तो अमित है ये यहाँ कैसे एक साथ कई सवाल उसके दिमाग में घुमड़ रहे थे मौका मिलते ही उसने इस बारे में शालिनी से पूछा तब शालिनी ने बताया कि ये गौरव के जीजाजी हैं यानि दूल्हे की चचेरी बहिन के पति जो स्टेट बैंक में मैनेजर हैं। अनन्या आश्चर्यचकित थी उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि अमित उसे इस तरह अचानक मिल जाएगा।
हालाँकि वह अमित को भूली नहीं थी पर उसका इस तरह से सामना होगा ये भी नहीं सोचा था।अमित की दृष्टि भी उसपर पड़ी इसके चेहरे पर भी हैरानी के भाव थे।तभी पापा पापा कहता हुआ एक पाँच साल का बच्चा उसके पास आया और उसके साथ एक सुंदर युवती भी ।उसे यह जानते देर नहीं लगी कि ये युवती और बच्चा अमित की पत्नी और बेटे हैं।

अनन्या को झटका सा लगा जैसे किसी बिजली के तार ने छू लिया हो।जिस अमित के साथ वह खुद हुआ करती थी।आज उसकी जगह किसी और ने ले ली थी।इसकी जिम्मेदार वह स्वयं ही तो थी उसने ही तो अपना आशियाना खुद उजाड़ा था।आज जिंदगी के इस मोड़ पर वह नितांत अकेली और खुशियों से महरूम है तो इसकी वजह वह स्वयं है।कभी कभी इंसान क्रोध के अतिरेक और भावनाओं में बहकर कुछ गलत फैसले ले लेता है ।
ऐसे फैसले जो जिंदगी भर तडफाते रहते हैं फिर पछताने के सिवा कुछ शेष नहीं रहता।अनन्या के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था।जो अमित कभी उसकी जिंदगी हुआ करता था वही आज अजनबियों की तरह उसके सामने खड़ा था।
अनन्या अतीत की यादों में खो गई थी।कॉलेज की सबसे खूबसूरत और जहीन लड़की थी अनन्या।अनेक अच्छाइयों के वावजूद अनन्या की सबसे बड़ी कमी थी कि वह तुनकमिजाज और जिद्दी थी।वह जो ठान लेती थी वही करके छोड़ती थी।वह अपनी जिद के आगे सबको झुका हुआ देखना चाहती थी ।हो भी क्यों न माँ बाप और भाई की लाडली जो थी ।उसकी सारी फरमाइशें जो पूरी की जातीं थीं।एम एस सी करते ही उसके लिए लड़के देखे जाने लगे।
अनन्या को कोई लड़का पसंद नहीं आता था।किसी की शक्ल सूरत पसंद नहीं आती किसी की नोकरी या व्यवसाय इस बात से अनन्या के घरवाले भी परेशान थे।तभी एक रिश्तेदार के माध्यम से अमित के साथ उसके रिश्ते की बात चली ।अमित स्टेट बैंक में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत था तथा देखने में भी काफी स्मार्ट और हैंडसम था।
पहली नजर में अनन्या को अमित पसंद आ गया था।सगाई आदि की रस्म होने के कुछ माह बाद दोनों की शादी बहुत धूमधाम से सम्पन्न हो गई।
अनन्या के ससुराल वाले इतनी खूबसूरत और होशियार बहु को पाकर फूले नहीं समां रहे थे।उसकी सास ननद उसपर जान छिड़कती थीं।अमित भी उसका इस कदर दीवाना था कि एक दिन के लिए भी उसे उसके मायके नहीं छोड़ता था।कुछ महीने इसी प्रकार मौजमस्ती सैरसपाटे में गुजर गए।दोनों एक दूसरे के प्यार में पूरी तरह खो गए। फिर धीरे धीरे कुछ माह और बीत गए।अमित अब अपनी जिम्मेदारियों के प्रति गंभीर होने लगा था अपनी विधवा माँ और दोनों बहनों की जिम्मेदारी थी अमित के कंधों पर।अब सैर सपाटा भी कम हो गया।अमित का ये बदलाव अनन्या को अच्छा नहीं लगा।
वह इसके लिए अपनी सास ननद को जिम्मेदार समझने लगी।सास ननदें उसकी आंखों में काँटे की तरह खटकने लगीं।अब वह घर के काम के प्रति भी लापरवाह हो गई।मन होता तो कर लेती नहीं मन होता तो नहीं करती।पर उसकी सास ननदों ने घर के काम को लेकर कभी उससे कुछ नहींकहा।इसपर भी अनन्या की चैन नहीं मिला।फिर उसने जरा जरा सी बात पर सास ननद से झगडे शुरू कर दिए और अमित से भी नाराज रहने लगी। अमित ने उसे खूब समझाया और उसके बदले व्यवहार का कारण जानना चाहा तो अनन्या छूटते ही बोली में अब और तुम्हारे परिवार के साथ नहीं रह सकती अच्छा होगा कि वह अपने रहने का इंतजाम कहीं और करे या दूसरी जगह ट्रांसफ़र करवा ले।
अनन्या के मुख से ऐसी बातें सुनकर अमित अवाक रह गया।फिर भी उसने अपने गुस्से पर नियंत्रण रखकर अनन्या को समझाया कि ये मुमकिन नहीं है ।में अपनी माँ बहिनों को छोड़कर कहीं नहीं जा सकता उनकी जिम्मेदारी है मुझपर इसके अलावा तुम्हें कोई और तकलीफ हो तो कहो।
अनन्या तो अलग रहने की जिद ठाने बैठी थी।उसकी बेरुखी बढ़ती गई अमित ने भी साफ़ शब्दों में कह दिया कि तुम्हें मेरे साथ रहना है तो इसी घर में मेरी माँ बहिनों के साथ रहना होगा।


To be continued...

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