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पागल-ए-इश्क़ (पार्ट -3)


डूब कर तेरी तन्हाइयों में मुझें मर जानें दो.. !
तिरे इश्क़ में जो मुझें सवर जानें दो.. !!

रेनू शून्य थी पर मन में कई सबाल उठ रहें थे और वही रोहन मौन था.. तो वहां दयाल जी निशब्द थे.. रेनू की नज़रे दोनों पर प्रश्न चिन्ह की तरह टिकी थी..

रोहन ये पागल कौन हैं..?
रोहन ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा था
पता नहीं दीदी मैं तो अप्पा को बचपन से ही देखता आ रहा हूं.

बिटिया आप तो खामखं परेशान हों रही हैं..
नहीं अंकिल जब उस पागल ने मुझें छुआ तो पता नहीं मुझें कुछ अलग सा महसूस हुआ..

बेटी वो बहुत नेक इंसान हैं इसलिए.. मैं खूब उसे काफ़ी दिनों से देखता आ रहा हूं.. अब घर चलो बेटी..
हां दीदी चलिए ना...
रेनू उस पागल की तरफ देखती हैं... जो पीठ देकर बैठा दूर से दिखाई दें रहा हैं..
अंकिल क्या ये अपने बंगले के ही सामने बैठते हैं.
हां बेटी जब ये प्लाट बंगले के लिए गोपाल सहाब ने खरीदा था तब से ही वो यहीं पर इसी दशा में था... उसने आज तक कभी भी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया.. यहां से सभी लोगोंने उसे पहले हटाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं हटा.. फिर हम सबका धीरे धीरे इससे लगाव होता चला गया.. वो किसी के हाथों से दिया कुछ नहीं खाता.. सिर्फ महक मेम के हांथो के सिबाय..बेटी
रेनू के कदम अप्पा की तरफ धीरे धीरे बढ़ने लगते हैं
दीदी.. गाड़ी इधर हैं..
आप लोग पहुँचो मैं आती हूं.. इतना कह कर रेनू अप्पा की और जाने लगती हैं.. और कहती हैं
आप लोग घर पहुँचो मैं अभी आती हूं.. !
रेनू आहिस्ता आहिस्ता क़दमों से साहिल के पास पहुँचती हैं.. और उसके पीछे चुप चाप ख़डी हों जाती हैं
साहिल शून्य में एक टक नज़रे गढ़ाए देख रहा हैं और सिसक रहा हैं..
अप्पा..
इतना सुनते ही साहिल फ़ौरन पलट कर देखता हैं..
ग.. गुड़िया... !..साहिल के मुंह से अभी भी खून गिर रहा हैं.. और वो फटी हुई आंखो से बस रेनू को देखें जा रहा हैं उसकी ये हालत देख कर रेनू भी रो पडती हैं. साहिल रेनू को रोते हुए देख वहां से लगड़ाते लगड़ाते दौड़ लगते हुए चला जाता हैं.. रेनू को पता नहीं चलता कि अप्पा वहां नहीं हैं.. वो अपना मुंह भींचे ख़डी ख़डी सिसकारियां भरती हैं तभी उसे महसूस होता हैं कि किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा हैं वो फ़ौरन पलट कर देखती हैं जो महक ख़डी हैं रेनू मां से लिपट जाती हैं..
मम्मा मुझें क्यों ऐसा लग रहा हैं.. मैं क्यों किसी पागल अजनवी के लिए इतना रो रही हूं.. मुझें नहीं पता मम्मा उस पागल में कुछ तो हैं..
महक उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोलती हैं..
अब बस भी करो बेटी चलो घर चलो.
नहीं मम्मा... म... म.. मैं क्यू उसके लिए रोये जा रही हूं..?
घर चलो बेटी..
मम्मा वो मुझें गुड़िया क्यों बोल रहा हैं.. उसने मुझें वो डॉल भी दी.. क्यों मम्मा क्यों..?
बेटा तुम अभी घर चलो...मैं तुम्हे बताती हूं. और महक रेनू को अपने साथ घर लें जाती हैं. रेनू रोते रोते बोलती जाती हैं
मां उसे बहुत चोट लगी हैं उसके मुंह से खून भी बह रहा हैं
हां हां बेटी डॉ को फोन कर दिया हैं वो आते ही होंगे सब ठीक हों जाएगा...
और दोनों महक विला में समा जाते हैं.
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एम्बुलेंस आ चुकी थी अस्पताल कर्मी अप्पा को लें जानें के लिए मशक्कत में लगें थे.. बड़ी जोर जस्ती के बाद ही साहिल को एम्बुलेंस में बैठाया गया था.. महक एम्बुलेंस में पहले से ही मौजूद थी उसे देख साहिल चुपचाप बैठ जाता हैं.. महक अस्पताल कर्मियों को जानें का इशारा करती हैं.. वो लोग जल्दी से उतर कर एम्बुलेंस का दरवाज़ा बंद कर देते हैं..
साहिल मैं हूं ना तुम्हारे साथ.. अब कोई शैतानी नहीं बिलकुल चुप बैठो.. पता हैं तुमने क्या किया..?
साहिल अपना सिर झुका लेटा हैं
क्या ज़रूरत थी तुम्हें डॉल चुराने की..?
देखो क्या हालत बना दी तुम्हारी.. अब मैं एक नहीं सुनूगी चुपचाप लेट जाओ..
साहिल देखता हैं..
मैंने कहां ना लेट जाओ
और वो लेट जाता हैं..
और एम्बुलेंस अस्पताल की तरफ दौड़ जाती हैं
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शाम हों चली थी घर में माहौल गम गीन सा था रेनू अपने कमरे में गुम सुम सी बैठी थी.. रोहन भी ड्रॉइंग रूम में चुपचाप बैठा था... उसे मां और दयाल जी के आने का इंतज़ार था.
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डॉक्टर के केविन में महक और दयाल बैठे हैं तभी डॉक्टर मित्रा आते हैं..
अरे बैठिये आप लोग.. और डॉक्टर अपनी चेयर पर बैठता हैं.
अब कैसी तबियत हैं?
डॉक्टर गहरी सांस छोड़ते हुए बोलता हैं
अभी कुछ भी कहां नहीं जा सकता फेफड़ों में इंफेक्सोन काफ़ी फेल रहा हैं.. ऊपर से खून भी काफ़ी बह गया हैं.. कमज़ोरी भी हैं..
इंफेक्सोन य ये कैसे हों सकता हैं.?
हों जाता हैं अगर लम्बे समय से सर्दी जुखाम हों और फिर ये तो वैसे भी खुले में..
जभी मेम सहाब अप्पा पिछले कुछ दिनों से खाना भी नहीं खा रहा था..
दयाल जी आप ये बात हमें अब बता रहें हों..?
सॉरी मेम सहाब गलती हों गयी.. मैंने सोचा शायद यूं ही..
अभी क्या करना हैं डॉ. मित्रा..?
देखिये अभी जबतक टेस्ट की रिपोर्ट नहीं आ जाती हैं तब तक मैं कुछ भी नहीं कह सकता.. जबतक इनको यहीं रखना होगा.. आप निश्चिंत हों कर घर जाइएगा यदि कोई बात होंगी तो फोन कर दूंगा.. मेडिसन देदी हैं और नींद का इंग्जेक्शन भी देदिया हैं.. बाकी स्टॉफ हैं देख भाल के लिए.
जी बहुत बहुत धन्यवाद डॉ. मित्रा.
जी धन्यवाद कैसा मैडम.. जाते जाते काउंटर पर.
जी जी बिलकुल वो मैं देखें लेती हूं.. इतना कहते हुए दोनों डॉक्टर के केविन से बहार निकल जाते हैं.
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कंटीन्यू पार्ट -4

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