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क्लब क्रोलिंग

क्लब क्रोलिंग

शुक्रवार की शाम थी। बॄमघम के अंतरराष्ट्रीय नृत्य समारोह के समाप्त होने में अभी दस मिनट बाकी थे। लेकिन वह चिंतित था। कहीं वह समय पर सिंफनी हॉल के बीयर बार में पहुँच भी पाएगा या नहीं? जहाँ उसके मित्र उसका इंतज़ार कर रहे होंगे। नृत्य के शो के पश्चात् उसे कम से कम पंद्रह-बीस मिनट तो चाहिए ही। कपड़े बदलने तथा मेकअप साफ करने के लिए। उसने सोच लिया था कितनी भी देर क्यों न लगे, इस बार तो वह मेकअप अच्छी तरह साफ करके ही जाएगा। पिछली बार की तरह नहीं? यह सोच वह खुद ही मुस्करा उठा।

ऐश एक सरल सुशील और मेहनती नौजवान है। उसके माँ-बाप का दिया नाम तो आशीष है। किंतु अंगे्रजी की सहुलियत के लिए उसने अपना नाम ऐश रख लिया है। वह एक सफल नृत्यकार भी है। सदा ही अपने अच्छे व्यवहार से सभी को प्रभावित कर लेता है। उसकी उम्र 26-27 वर्ष के करीब होगी। उसके चेहरे का भोलापन साफ झलकता है। अक्सर सुना है कलाकार भावुक तथा संवेदनशील होते हैं। वह भी कुछ ऐसा ही है। तभी तो उसने पे्रमबद्ध होकर एक मुस्लिम लड़की से विवाह कर लिया। उसकी एक बच्ची भी है।

कपड़े बदलकर ऐश ड्रेसिंग रूम से बाहर निकलने ही वाला था कि उसके मोबाइल की घंटी बजी। ''हाय ऐश, भूलना मत। ठीक दस बजे बीयर बार में पहुँच जाना। तुम्हारे लिए एक सरप्राइज़ है।’’

''सरप्राइज़! कैसी सरप्राइज़ कर्ण?’’

''बता दिया तो सरप्राइज़ थोड़े ही रहेगा। वहीं मिलते हैं।’’ यह कहकर उसने फोन बंद कर दिया।

सरप्राइज़ का नाम सुनकर ऐश की टाँगें काँपने लगीं। मन-ही-मन में भगवान् से प्रार्थना करने लगा कि हे भगवान् इस बार पिछले छह महीने जैसी सरप्राइज़ न हो। उसकी आँखों के सामने वही पुराना दृश्य घूमने लगा। जब इन्हीं तीनों दोस्तों कर्ण, थॉमस और जस्सी ने उसे क्लबिंग ले जाकर एक अविस्मरणीय अचंभे में डाल दिया था। अभी तक भूल नहीं पाया। उस दिन हम तो पव (बीयर बार) में ही खाना खाने वाले थे। कर्ण ने प्रस्ताव रखा चलो आज क्लबिंग करते हैं (क्लबिंग का मतलब यू.के. में जवान लड़के-लड़कियाँ एक क्लब में एक घंटा बिताकर फिर दूसरे क्लब में जाते हैं, फिर तीसरे में। रात के तीन-चार बजे तक यही सिलसिला चलता रहता है। )

''अरे कर्ण, तुम तो कुँवारे हो। मैं तो बीवी-बच्ची वाला हूँ। थोड़ा मुश्किल होगा।’’

''हाँ-हाँ, हम सब जानते हैं। भगाकर जो लाया है बीवी को। बेचारी इंतज़ार करती होगी। यह लो फोन....बता दो उसे देर से आओगे।’’ कर्ण ने ऐश को छेड़ते हुए कहा।

''हैलो नुसरत! नहीं पापा, मैं आईशा बोल रही हूँ।’’

''अब तक सोए नहीं बेटा....? मम्मी को फोन देना।’’

''ठीक है पापा।’’

''नुसरत, रात को देर हो जाएगी। खाने के लिए हमारा इंतज़ार मत करना।’’

''ठीक है, चाबी तो है न आपके पास?’’

''हाँ।’’ फोन रखता हूँ।

सबसे पहले कर्ण उन्हें क्लब फॉग में माथा टिकवाने ले गया। फॉग एक अपमार्केट क्लब है। तीनों जानते थे, जब कर्ण साथ है तो चिंता की कोई बात नहीं। कर्ण अमीर माँ-बाप का बिगड़ा नवाब है। छह फुट का लंबा हट्टा-कट्टा नौजवान, उसके शरीर पर कायदे से पहनी वेशभूषा उस पर डिजाइनर अरमानी की जैकेट, दर्पण जैसे चमकते जूते, टॉप मॉडल की बी.एम.डब्ल्यू. उसके रंग-ढंग, बोलचाल से उसके माँ-बाप की अमीरी की झलक साफ दिखाई देती है, यूँ कहिए कर्ण पूर्व-पश्चिम सभ्यता का इंफूजन है। पव में थॉमस ऐश तथा जस्सी ने तो आधा-आधा लीटर बीयर ली। कर्ण जो स्वयं को सबसे अलग समझता था, उसने एक गिलास रेड वाइन ली। आकाश और कर्ण तो बैठकर गप्पें मारते रहे। थॉमस तथा जस्सी क्लब के धुएँ के अँधेरे में डांस में लीन हो गए। डांस करते-करते जस्सी एक अफ्रीकन महिला के संग चुस्कियाँ लेने लगा। जो आयु में जस्सी से करीब बीस साल बड़ी थी। वजन कम-से-कम सौ किलोग्राम से कम नहीं होगा। जस्सी को उसके साथ मसखरियाँ करते एक घंटा हो गया। सब बोर होने लगे तो ऐश बोला, ''चलो अब कहीं ओर चलते हैं।’’ जस्सी छैल-छबीले बाबू ने सुना-अनसुना कर दिया। इतने में वह अफ्रीकन महिला जस्सी की कमर में हाथ डाले उसे बाहर ले गई। शायद कुछ कहने की कोशिश कर रही थी। डांस फ्लोर पर बहुत शोर हो रहा था। जैसे ही जस्सी उस महिला के संग बाहर निकला, महिला जस्सी के गले में बाँहें डालते हुए बोली, ''बेब वुड यू लाइक टु कम टु माई प्लेस टुनाइट, लव।’’ इतना सुनते ही जस्सी के होश-हवास गुम हो गए। वह हवा की गति से भागा। अंदर पहुँचते ही बोला, ''चलो, जल्दी यहाँ से चलो।’’ ''बात क्या है?’’ ''नहीं कुछ नहीं बाहर चलकर बताता हूँ।’’ भगवान् के वास्ते चलो प्लीज़, जस्सी ने घबराते हुए कहा। ''कहाँ चलना है।’’ थॉमस ने पूछा? ''कहीं भी, यहाँ से निकलो।’’ जस्सी एक लापरवाह सा हिप्पी टाइप का था। घिसी-पिटी जींस, कानों में बालियाँ, नाक में नथनी, लंबे-लंबे बाल, यह उसकी पहचान थी। बिल्कुल नारियल की भाँति बाहर से ब्राउन अंदर से सफेद। वह एक सफल चित्रकार होने के साथ-साथ एक संगीतकार भी था। किंतु था बिल्कुल डरपोक कबूतर।

''सब हैरान थे ऐसा क्या हो गया है?’’ चारों दोस्त एक ओर मंदिर में माथा टेकने चल पड़े, यानी कि दूसरे पब में। 'ऑल नाइट लांग क्लब’। सब एक-एक बीयर लेकर बैठ गए। थॉमस और कर्ण डांस करने में लीन हो गए। जस्सी की अभी तक हवाइयाँ उड़ी थीं। थॉमस मिस्टर कंफ्यूज अपने में ही मस्त। सदा औरतों का अभिनय कर-कर सबको हँसाता रहता। शायद इसीलिए अपनी टोली में बहुत लोकप्रिय था। डांस करते-करते कर्ण थक चुका था। बोला, ''यहाँ बहुत शोर है चलो कहीं और चलते हैं।’’ इतने में थॉमस मिस्टर कंफ्यूज बोले, ''आज कुछ नई जगह आजमाते हैं।’’ ''कौन-सी ऐसी जगह है जो हमने नहीं देखी।’’ जस्सी ने पूछा? 'गे क्लब’ ''तर्जुबा ही सही। देयर इज़ ऑलवेज अ फस्र्ट टाइम हर्ज ही क्या है?’’ इतना सुनते ही तीनों के हँसी के फव्वारे छूट पड़े। ''हँस क्यों रहे हो? मज़ाक नहीं कर रहा, थोड़ी हिचकिचाहट के बाद तीनों बड़ी उत्सुकता से 'गे क्लब’ की ओर चल पड़े। ऐश थका था, क्योंकि अभी-अभी नाट्य प्रदर्शन करके आ रहा था।

'गे क्लब’ पहुँचते ही वह हक्के-बक्के रह गए। पुरुष महिलाओं के भेष में, और महिलाएँ पुरुषों के भेष में। पूरे मेकअप और विग के साथ, उनके हाव-भाव और व्यवहार से स्त्री-पुरुष के भेद का अनुमान लगाना बहुत कठिन था। अंग्रेजी, अफ्रीकन, चीनी, भारतीय सभी स्त्रियाँ पुरुष 'गे’ थे।

ऐश और जस्सी का यह पहला अनुभव था।

''देख कर्ण, सुखी कैसे सबसे घुल-मिलकर बातें कर रहा है।’’ ऐश ने कहा। ''मुझे तो लगता है कि वह यहाँ पहले भी आ चुका है।’’ कर्ण ने कहा। ''ऐश मेरा तो यहाँ दम घुट रहा है, लगता है हम किसी दूसरे लोक में आ पहुँचे हैं।’’ कर्ण ने घबराते हुए कहा, ''देख-देख कर्ण, वह लगातार मुझे निहार रही है। मुझे डर लग रहा है।’’ अजय ने घबराकर कहा, ''निहार रही नहीं, निहार रहा है। उसकी दाढ़ी देख, उसके हाथ देखे हैं एक झापड़ मारा तो मुँह दूसरी तरफ मुड़ जाएगा। मोटी-मोटी टाँगें देख टाँगें। जिसने गुलाबी टाइट्स डाली है। वो देख नीली स्कर्ट वाली है। पिछले आधे घंटे से उसकी नज़रें तुझ पर टिकी हैं। देख, देख, कितने प्यार से तुम पर फ्लाइंग किसेज़ फेंक रही है। सुखी ने मुलायम-सी मुस्कान फेंकते हुए कहा।

''हे प्रभु, कहाँ फँसा दिया थॉमस ने? कोई आदमी आँख मारता है। कोई चुंबन फेंकता है। कोई इशारों से बुलाता है? सभी की नज़रें हम पर टिकी हैं। जैसे हम अजायबघर से भागकर आए हों। अजय तैैयार हो जा, वह तेरी तरफ आ रहा है। लगता है तुझ पर उसका दिल....’’ ''मैंने ऐसा क्या कर दिया?’’ हाय आय एम रॉबर्ट, उसने हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा। वुड यू लाइक अ डिं्रक?’’ उत्तर की प्रतीक्षा किए बिना ही रॉबर्ट चारों दोस्तों के लिए बीयर ले आया। एक नहीं दो नहीं तीन बार। हर बार वह ऐश के करीब आने की कोशिश करता रहा। आखिर में उसने ऐश की ओर अपना हाथ डांस के लिए बढ़ा ही डाला।

वह काँप रहा था। रॉबर्ट उन पर पैसा लुटाए जा रहा था। यहाँ तक कि उसने बीयर बार के काउंटर पर कह दिया था कि इन्हें जो भी चाहिए, दे देना। पैसे मेरे खाते में डाल देना। रात का एक बज चुका था।

''मेरा दम घुट रहा है, चलो घर चलते हैं।’’ ऐश ने कहा।

''अभी समय ही क्या हुआ है। वॉय डोंट यू कम टू माई प्लेस, फॉर ए ड्रिंक’’ रॉबर्ट ने खुशी से उन्हें आमंत्रित किया।

अब तक चारों रॉबर्ट की शराब इतनी पी चुके थे कि मना करने की गुंजाइश ही नहीं रही। ऐश मन ही मन में दु:खी हो रहा था। थॉमस ने किसी से पूछे बिना ही हाँ कर दी। क्लब से निकलते-निकलते उन्हें करीब दो बज गए। जैसे ही 'गे क्लब’ से बाहर निकले तो रॉबर्ट की काले रंग की लेटेस्ट रजिस्ट्रेशन की लिम्मोजीन शौफर के साथ खड़ी थी। यह देखकर चारों के मुँह खुले के खुले ही रह गए। सुखी के मुँह से निकला 'वाह’। चारों चुपचाप गाड़ी में बैठ गए। लिम्मोजीन हवा में ऐसे भाग रही थी मानो सारथी रथ को खींचे ले जा रहा हो। जैसे ही लिम्मोजीन रॉबर्ट के पेंट हाउस के सामने रुकी। सबकी आँखें चकाचौंध हो गईं।

रॉबर्ट ने पैंट हाउस बड़े सलीके और शौक से सजाया था। एक-एक कमरा अपनी सजावट की व्याख्या कर रहा था। छत पर पूरा हरा-भरा बगीचा, तारों की छाँव में हल्के-हल्के रंग-बिरंगे फूलों की महक वातावरण को महका रही थी। धीमे-धीमे चाँदनी पत्तों की ओट से झाँक रही थी। सबकुछ होते हुए भी एक अजीब-सी शून्यता थी वहाँ। एक खोखलापन, खालीपन। इतना भव्य पैंटहाउस उन्होंने जीवन में पहली बार देखा था। रॉबर्ट की नज़रें निरंतर अजय पर टिकी हुई थीं। वह बार-बार किसी-न-किसी बहाने अजय के निकट आ ही जाता। अपने पे्रम की अभिव्यक्ति करने की ताक में। ऐश की स्थिति एक हवाई जहाज में बैठे यात्री की तरह थी, जिसके हवाई जहाज में कोई तकनीकी खराबी हो गई हो। उसका साँस अंदर का अंदर बाहर का बाहर। रॉबर्ट विनतीपूर्वक बोला, ऐश क्यों न हम दोनों यहाँ मिलकर रहें। मैं तुम्हें बहुत खुश रखूँगा। ऐश कभी कोई बहाना बनाकर बाथरूम में जाता, कभी कर्ण से बातें करने लगा। ऐश पिंजरे में बंद पंछी की भाँति वहाँ से उड़ जाना चाहता था। रॉबर्ट गिड़गिड़ाए जा रहा था। प्लीज़ ऐश, केवल एक रात। ऐश पर उसकी याचना का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वह तो मन ही मन में भगवान् से प्रार्थना कर रहा था कि हे भगवान, मुक्त करा दो इस मुसीबत से। ऐश को रॉबर्ट का प्रस्ताव बड़ा अटपटा सा लगा। कर्ण तथा जस्सी ने रॉबर्ट को समझाने का बहुत प्रयत्न किया। थॉमस ने भी ऐश को समझाया। ''चिंता मत करो। सब ठीक हो जाएगा।’’ ''क्या खाक हो जाएगा?’’ ''रॉबर्ट अच्छा आदमी है। आज थोड़ी ज्यादा पी ली है।’’

''तुझे हमदर्दी है तो तू ही बिता ले रात इस नामर्द के साथ।’’ कर्ण गुस्से में बोला।

''लेकिन वह तो ऐश को चाहता है।’’ थॉमस ने रॉबर्ट की पैरवी करते कहा।

''पर तूने ही डाला है इस मुसीबत में। अब तू ही निकाल हल इसका। तू क्यों नहीं सो जाता।’’ ठीक है....तुम कहते हो तो मैं....ठीक है, नो प्रॉब्लम। इतना सुनते ही तीनों के होश उड़ गए। उन्हें यकीन नहीं हुआ। तीनों सोच में थे कि क्या वह सचमुच थॉमस को जानते हैं? मान गए थॉमस बड़ी चतुराई से छिपाया है यह राज़ तुमने। कर्ण ने कहा।

''थॉमस तुमने क्या सोचा अगर बता देते तो क्या तुम हमारे दोस्त न रहते? यार हमने तो स्कूल से आज तक लंबा सफर तय किया है, आधा जीवन साथ-साथ बिताया है। थॉमस अब यह लुका-छुपी शोभा नहीं देती।’’

जस्सी ने प्यार से कहा। ''थॉमस, मेरा तो दिल तेरे लिए रोता है। मैं तो नृत्य करते मुखौटा चढ़ाकर थोड़ी देर में दु:खी हो जाता हूँ और तू चौबीस घंटे मुखौटा चढ़ाकर कब तक जीएगा यह दोहरा जीवन। कब तक जिएगा।’’ ऐश ने उसे समझाते हुए कहा। सुखी की आँखें छलक आईं। धीरे-धीरे वह कपड़े की तह की भाँति खुलता गया। अब रॉबर्ट के साथ रात बिताने की समस्या तो हल हो गई। अब जुगाड़ यह लड़ानी थी कि कैसे? चारों ने बैठकर एक योजना बनाई कि रॉबर्ट को इतनी शराब पिलाई जाए कि उसके होश उड़ जाएँ। ऐश रॉबर्ट को उसके कमरे में शराब पिलाता रहा। जब रॉबर्ट पूरी तरह से धुत हो गया और रॉबर्ट को विश्वास हो गया कि ऐश आज उसी के साथ रात बिताने वाला है। ऐश ने रॉबर्ट को कपड़े बदलने को कहा। जैसे ही रॉबर्ट बाथरूम में गया, रॉबर्ट के बिस्तर पर थॉमस ने ऐश का स्थान ले लिया। कर्ण, अजय, जस्सी तीनों जूते हाथ में पकड़े कानों को हाथ लगाते सियार की भाँति दुम दबाकर वहाँ से भागे।

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