कहने को तो बस कहानी है पर किसे पता यह सच है या कल्पना। आज मैं कहानी लिख रही हूं जिसमें ना तो राजा है ना रानी है, ना भूत प्रेत,ना ही परियां। यह कहानी सच की है। दिन है तो रात भी है, सुबह है तो शाम भी है, सुख है तो दुख भी है और वैसे ही सच है तो झूठ भी है। सच का कोई गवाह नहीं होता।मेरी नज़र में सच दिखता नहीं बल्कि महसूस किया जाता है। इस कहानी का कोई अंत नहीं। सच तो वह है जो रहस्य बन कर रह जाता है। तो चलिए एक सवाल से शुरूआत करती हूं।
सच कितने तरह का होता है?
ज़ाहिर है मुझे पागल समझ रहे होंगे आप। अगर आप ध्यान से वह पढ़े जो मैं पूछना चाह रही हूं तो शायद समझ जाएं।सच...
एक आप का सच
एक मेरा सच
एक सच जो सच है
और एक वह सच जो दिखाया जाता है
अब मेरे प्रश्न को फिर से पढ़िए और सोचिए क्या मेरा यह पूछना गलत था? पर यह बात भी है कि जो दिखता है वह बिकता है। जो आपको बताया ,दिखाया जाएगा, सच तो आप उसी को मानेंगे।पर क्या वह सच है भी है या नहीं, यह कोई नहीं जानता। पढ़ते वक्त मत सोचियेगा कि अंत में आपको एक उत्तर मिलेगा।खुशी-खुशी कहानी खत्म हो जाएगी, जिसे आप अंग्रेजी में 'हैप्पी एंडिंग'कहते हैं।
और अब दूसरा प्रश्न
आज के समय में क्या आपने किसी सच्चाई की मूरत को हंसते हुए देखा है?
यह भी कोई सवाल है?आपका ऐसा सोचना वास्तविक है, पर हमें तो यही सिखाया गया है कि अंत में जीत सच्चाई की होती है।ज़ाहिर है हम इस बात पर विश्वास भी करेंगे।
तो सोचिए उस इंसान के बारे में जिसने हमेशा सच बोला हो उसे हमेशा सच बोलने पर तालियाँ ही मिली हों।सच तो वह है जिसे खरीदने वाले,ऐसे पाताल में दफनाते हैं जहां कोई पहुंच नहीं सकता। अब दोहराइये मेरा यह प्रश्न भी, क्या यह भी गलत था?
आपके सच को आप जानते हैं,
मेरे सच को मैं, और,
जो असल में सच है उसे कोई नहीं जानता,
पर जो दिखाया जाता है उसे सब जानते हैं। अब किस सच को जानना चाहेंगे आप?
सच का सामना क्या वाकई में मुश्किल है ?
बहुत से लोगों को ऐसे कहते सुना है कि सच ही तो है जाकर सीधा सीधा बोल दो,पर कई कई बार जवाब यह मिलते देखा है कि उसमें सच का सामना करने की हिम्मत नहीं है। मेरी यह बातें कइयों के लिए संभावना है,
कईयों के लिए कुछ अपने अनुभव,और,
कईयों के लिए बकवास।
और एक आखरी सवाल सच का रूप क्या है ?
अरे सच तो सच ही है, कैसा रंग,कैसा रूप? आपका ऐसा सोचना भी गलत नहीं, तो फिर उस सच को काले सच की उपाधि क्यों मिली,जो जिंदगी में अंधेरा ले आए?
मेरी बातें आपको सच से दूर ले जाने की नहीं बल्कि उसे करीब से जानने की है। मैंने कहा था,आपको उत्तर नहीं मिलेगा मेरे सवालों का।पर हाँ, आपको सवाल जरूर मिलेंगे, जिन्हें जानने की उत्सुकता तो आप में भी होगी।
सच के बहुत से पहलू हैं,
कुछ तेरे हैं कुछ मेरे हैं
पर दिखता वही है,
जो दर्शाया जाता है,पर जानना तो वह है,
जो एक रहस्य है।
-Bolti khamoshi
Radhika Setia