पहला कदम Saaz द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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पहला कदम


एक किस्सा आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करना चाहूँगी।

तो बात कुछ ऐसी है, कि काफ़ी कठिनाइयों और एक लंबे समय के इंतज़ार के बाद मेरी बड़ी बहन ने एक अतुल्य ख़ुशी से हम सभी को अवगत करवाया।
एक ऐसी ख़ुशी के मन प्रसन्न हो उठा मानो ज़िंदगी में एक नयी बहार आयीं हो, जैसे पतझड़ में सावन महका हो, एक ऐसी ख़ुशी जिससे आज तक अनजान थी मैं, एक ऐसी ख़ुशी की शायद इसे शब्द देना भी उचित नहीं।

दो फूल आये हमारी बगिया में, आज तक बस यही पता था कि एक फूल गुलिस्ताँ बना देता है और अब जाना कि उसके गुलिस्ताँ बनने की ख़ुशी क्या होती है। आज जाना कि उस समय के एहसास क्या होते हैं, बहुत अद्भुत।

दो फूल! ये ईश्वर की सर्वोच्च देन है, शायद एक माँ बनने की ख़ुशी बहुत अतुल्य होती है शायद, पर उससे जो और भी रिश्ते बनते हैं उनकी ख़ुशी बयान नहीं कर सकती मैं, पर जब मैं खुद एक मौसी बनी वो ख़ुशी मेरी ज़िंदगी की सर्वश्रेष्ठ ख़ुशी थी।

और अब जब मेरे बच्चे हँसते हैं, खिलखिलाते हैं, वो पल हसीन हो जाता है। अब उनकी हर हरक़त पर घर रंगीन हो उठता है। उनकी नादानीयों पर प्यार आता है। इससे ख़ूबसूरत शायद कोई ख़ुशी नहीं।

जब पहली बार ऊंगली पकड़ी तब से लेकर अब तक सारे पहले कदम उनके सहेज कर रखे हैं ज़ेह्न में।

उन्हें घुटने चलते देखा, उन्हें पैर सम्भलते देखा, रुकते, गिरते, हमारी ज़िंदगी में रंग भरते देखा और खुदको कई रंग बदलते देखा। हर अदा हर मंज़र हसीं देखा।

एक पहला कदम उनको हर दिन रखते देखा।
इससे ख़ूबसूरत जहान में शायद कोई ख़ुशी नहीं।

आज जब ये सांसारिक रचना देखती हूँ तो खुद को ईश्वर का शुक्रगुज़ार मानती हूँ, चूँकि ईश्वर रचियता है और एक नयी ज़िंदगी को जन्म देने की क़ाबिलियत उन्होंने हम(स्त्री) को दी, मैं बहुत सौभाग्यशाली हूँ शायद के मैं एक लड़की हूँ।

मैं स्त्री होने की बात का ज़िक्र यहाँ ये बताने के लिए कर रही हूँ, कि एक औरत कमज़र नहीं होती, शायद उससे ज़्यादा शक्तीशाली एक मर्द नहीं हो सकता, आपको जीवन की सबसे अनमोल ख़ुशी से अवगत करवाती है और बेहद दर्द सह कर आपकी झोली में अपना अंश ख़ुशी से रख देती है।

औरत शक्ति के रूप में त्याग की मुरत होती है।

मेरे जीवन के इस अनमोल किस्से ने मुझे बहुत सी बातों से मिलवाया सच कहूँ तो मुझे एक स्त्री होने पर गर्व महसूस करवाया।
आज बहुत सी बातें समाज में ये मिलती हैं कि हमारे बच्चे हमारी नहीं सुनते, वो अपनी दुनिया में मगन नज़र आते हैं, इत्यादि। परंतु आपने कभी ये जाना के इसके पीछे की वजह क्या है, मुझे लगता है हम जैसा बीज बोते हैं फल भी ठीक वैसा ही मिलता है, पर इस बात को अलग रखते हुए मैं ये बताना चाहती हूँ कि परिवर्तन ही संसार का नियम है, ठीक उसी प्रकार जिस पीढ़ी से आप आए वो पीढ़ी आप फ़िर दौहरा नहीं सकते। इसकी सीधी वज़ह सिर्फ़ समय है। मैं आप सभी को ये कहना चाहूँगी के किसी और को बदलने से पहले आप बदलाव को अपनाये, ये आपकी और आपके बच्चों की बेहतरी के लिए ज़रूरी है। फ़िर आप ये सोचिए के कहीं आप कुछ ज़्यादा अपेक्षाएँ तो नहीं रख रहे उनसे,आज कल माता-पिता की हवा में महल जैसी अपेक्षाओं के अनुरूप बच्चा खुद को दवाब में मेहसूस करने लगता है और इसका प्रभाव कई बार काफ़ी गहरा हो जाता है।

*बदलना है तो पहले खुद बदलाव को अपनाए*

बच्चे ख़ुशी होते हैं, पर आज वो मेरी हर सोच का हिस्सा बन गए, ये जो उनकी उपस्थिति है मेरी सोच में उससे पाया कि जीवन चाहें कितना लंबा और जैसा भी रहा हो, पर आप जब ये जहान छोड़ कर जाओ तो पीछे अपना अंश इस तरह छोड़ो के लोगों में आप हमेंशा ज़िंदा रहो...❣

Saaz ©