जिंदगी का सफर वेंटिलेटर तक भाग 2 vani द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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जिंदगी का सफर वेंटिलेटर तक भाग 2

अब तक की हमारी कहानी ये थी की अचानक एक आदमी हमारे घर मे आजाता है ओर सीधे चलकर रसोईघर तक चला जाता है, ओर मम्मी को कुछ बता ता है ,वो सुनकर मम्मी आकर हमे बताती है,खबर ये थी की मेरे भाई को डुसरे अस्पताल मे ले जाया गया था ।हम रात के साडे बारा बजे अस्पताल जाने वाले थे लेकिन मामा के मना करने पर नही गए थे।
अब आगे
रात को नही जापाए उस बाट के अफसोस कै साथ सुबह जल्दी उठ गए ,ताकि अस्पताल जल्दी जा सके ।
सब लोग जल्दी से तैयार होकर अस्पताल जाने के लिए तैयार थे,
मेरे बडे भाई ने कहा मुझे थोडा सा काम हे काम खत्म होते ही हम चलेंग,
मम्मी ओर मै अस्पताल जल्दी जाने के लिए बेचैन थें, मेरे मन मे हजारों खयाल आ रहे थे ,मम्मी का भी यही हाल था जो उनका चेहरा देखकर समझ आ रहा था,समय बीत रहा था मम्मी की हालत ओर खराब हो रही थी वो बेचैन होकर मुझपे चिल्ला ने लगी चलो हम लोग अस्पताल चले जाते हैं ,भाई उसका काम खत्म कर कर आ जाएगा, मेने कहा हम साथ ही चले जाते है, भाई का काम थोड़ी देर मे खत्म हो जाएगा, उतनी डेर मे भाई अपना काम खत्म कर कर आ गया ओर बहार से ही आवाज दी
चलो जल्दी हमे जाना है,
हम सब अस्पताल जाने के लिए घर से निकले ,
हमारा घर गांव मे है ओर अस्पताल शहेर मै था ,एक घंटे के सफर के बाद हम अस्पताल पहुचे ओर जल्दी से मामा को फोन कर के उनको बहार बुला लिया हमे लेने के लिए,
अब हमारी किस्मत का खेल शुरू हुआ
हम सुबह के बारा बजे अस्पताल पहुचे ओर अस्पताल का ये उसूल था की सुबह कै पोने बारा से बारह बजे तक आइ सी यु मे मरीज को देखने के लिए उसके घर वाले जा शकते है लेकिन सिर्फ तीन ही लोग,अब हुआ यु की हम जब तक आइ सी यु तक पहुचे बारह बज गए थे ,ओर हमे भाई से मिलने आई सी यु मे नही जाने दिया गया,हम ने जाके डोकतर से भी बात की हमे एक बार भाई से मिलने के लिए जाने दीजीए लेकिन डोकतर ने मना कर दिया की आप की जिद के कारण हम मरीज को परेशान नही कर सकते,
हम इतने पास होकर भी इतने दुर हो गए ,ओर ये हमारी जिंदगी की सबसे बड़ी दुरी भी हो शक्ती थी,लेकिन
डोकतर को भाई की हालत मे कोई भी बदलाव नजर आए, या दवाईयों ओर किसी भी चीजों की आवश्यकता हो तो डोकतर मम्मी ,पापा को बुलाते है,
इस वजह से अब कुछ ज़रुरत पडने पर डोकतर बुलाए गे तब मम्मी आइ सी यु मे जायेगी एसा हम सब ने मिलकर फ़ैसला किया । ताकी मम्मी भाईको देख पाए।
अब यह भी निश्चित हो गया की मुजे ओर ओर मेरे बदे भाई को आइ सी यु मे हमारे भाई से मिलने नही जाने दिया जाएगा ।ओर उस वजह से पापा ने हमे घर वापस जाने को कह दिया ।ओर कहा की मे फोन कर के तुम लोगों को यहा के हालात बटाटाँ रहूँ गा अब तुम लोग घर वापस चले जाव ओर घर जाके तुम्हारी बदी बहेन का खयाल रखना ।
हम आज भी उसे नही मिल पाए।
हमारे आइ सी यु मे नही जा पाने के तीन कारण थे ।
पेहला हम देर से अस्पताल पहुचे थै।
दुसरा अस्पताल के नियम के कारण केवल तीन ही लोग मरीज को मिलने जा सकते थै।
तीसरा हमारी बदी बहेन जिसका नव मा महीना चल रहा था जो घर पे दादी के साथ अकेली थी ओर उसे हमारी कभी भी जरूरत पद शक्ती है।
हम आज भी हमारे भाई से नही मिल पाए उस दुख के साथ वापस घर आ गए।