जिंदगी की सफर वेंटिलेटर तक vani द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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जिंदगी की सफर वेंटिलेटर तक

आज मे आपक एक कहानी सुनाती हु जिसका मे हिस्सा भी हु ओर किस्सा हु।साम के साडे सात बजे थेे ,घर मे चहल पहल थी, अचाानक घर मे एक इन्सान का आना हुआ , वो सीधे चलकर रसोईघर तक चला गया जहा मम्मी खाना पका रही थी। ओर वो आदमी मम्मी से कुछ बात कही मम्मी तुरंत ही भागते हुए हमाारे पास आई जहा सारे घर के लोग जमा होकर बेथे थे, ओर वो इतनी घबरा गई थी उन्हे डेख कर बाकी के लोग भी घबरा गए, समाचार ही कुछ ऐसे थी वो बहोत घबरा कर हम सब को कहने लगी भाई की हालत बहुुत नाज़ुक हे ओर उसे दुुुुसरेअस्पताल मे ले गए हैं, समाचार सुनते ही सब घबरा गए ओर मे तो सबसे ज्यादा घबरा गईं थी,तुरंत ही फोन उथााया ओर मामा को फोन कर डीया, ओर जेसे ही मामा ने फोन उठाया तुरंत ही शुरू हो गई, भाई की तबियत कैसी है? वो ठीक है?? डोकतर क्य
कह रहे है?? वो थीक तो हो जाए गाना??मामा ने सामने से कहा गभरा ने की कोई बात नहीं है वो ठीक हो जाएगा,लेकिन मे इतना गभरा गई थी की मुझसे रुका ही नही जा रहा था मैंने मामा से मेरी भाई से एक बार बात करवा दीजीए, मामा ने कहा भाई को आइ सी यु मे भरती कीया गया है उसे अभी बात नहीं की जा सकती है ।मे थोड़ी देर तुम्हारी बात उसे करवा दूंगा ।चल अब मे फोन रखता हु डोकतर बुला रहे है।अब तो सबकी हालत ओर खराब हो गई, क्या हुआ होगा??उसकी हालत इतनी नाज़ुक होग की उसे आई सी यु मे भरती कीया गया है।एसे सोचते सोचते सब सोने की कोशिश कर रहे थे ,लेकिन किसी को नींद नहीं आ रही थी ,मे तो मेसेज कर कर मामा से पुछती रहती थी ,केसा है भाई??कैसी तबियत यत है उसकी??ओर मामा जवाब मे अच्छी है अभी वो सो रहा हे एसा बता ते रहेते थे ,लेकिन ना मुझे उनकी बात से संतोष हो रहा था नाही मुझे नींद आ रही थी, रात के बारा बजे थे ,मेरा बडा भाई घर पे नही था ओर मे उसका इंतजार कर रही थी, घर पर जो हुआ उसे फोन कर कर बता ना मुझे सही नहीं लगा इस वजह से मैंने उसे नही बताया था।रात के साडे बारा बजे थे भाई जेसे ही आया मे तुरंत ही डोरकर दरवाजा खोला ओर बहार चली गई ओर एक ही सांस मे सबकुछ बता दिया, ओर मेने कहा मुझे अभी अस्पताल जाना है क्या हम अभी जा सकते है? भाई ने कहा हा चलो ,मम्मी ने बताया मुझे भी आना है, मेने तुरंत अस्पताल फोन कीया ओर पुछा की घर से कुछ जरूरी सामान लाना है,हम अभी आ रहे है अस्पताल, लेकिन रात के साडे बारा बजे थे उस वजह से उनहोंने मना कर दिया ओर कहा अभी डोकतर किसी को भी अंडर जाने नही डेगे तुम सुबह आ जाना,ओर फोन रख दिया मामा ने ।ओर हम भी उनकी बात मान ली ओर सो गए,
ये मेरी पहली कहानी है,अगर आप को पसंद आये तो आपका प्रतिभाव जरुर दीजियेगा ताकि मे दुसरा भाग लिख शंकु।