होप इस हेल - 4 kuldeep vaghela द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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होप इस हेल - 4

होप इस हेल
एपिसोड ४
अपनी हार्ले डेविडसनको मुंबईकी गलियों से गुजारता हुआ वो अपनी यादों को भी जी रहा था। जैसे-जैसे वो इस मुंबई को - इस शेहेर को देख रहा था वैसे - वैसे वो अपने पुराने मुंबई और इस नए मुंबईको एक साथ जी रहा था। वो देख रहा था कि कैसे कभी ये शेहेर पहले एक हसीनाकी तरेह मुस्कुराता हुआ खिलता हुआ था। इसके पीछे कई लोग खूनी इरादे लिए छिपे रहते थे। पर अब ये इरादे साफ-साफ दिखाई दे जाते हैं। जैसे कि कोई चुड़ैल बिना किसी के डर के पूरी रात घूमती रेहती हो। वैसे ही इन इरादोंके साथ इंसान खुलेआम इस शेहेर में घूमता रहता है। ये सोचते सोचते कब वो अपने मंज़िल पे आ गया उसे पता भी नहीं चला।
उसने होटलके बाहर ही आदमीको बाइक पार्क करनेके लिए दे दी। और खुद अंदर चला गया। वह देख रहा था कि 26/11 के बाद मुंबई में होटलों में काफी अच्छा खासा सुधार आ गया था। लेकिन लोकड़ाउन की वजह से बहोट काम लोग थे। शायद वो सब भी उसी की तरेह मोटी रकम देकर रुके थे। उसे इस सब से कोई फर्क नहीं पड़ता था, क्योंकि उसका काम ही उसके लिए सबसे इंपॉर्टेंट था। होटल के रिसेप्शन पर उसने अपना नाम बताया विहान उपाध्याय। ये पहली बार था जब उसने अपनी असली पेहचान अपने कामके समय उपयोग में ली थी। पता नहीं क्यों, पर उसे लग रहा था कि इस मिशन में उसे अपने असली आइडेंटिटी, अपना असली कैरेक्टर सब कुछ झोंक देना पड़ेगा। उसके पास फर्जी पेहचान की कोई कमी नहीं थी। पर अपनी सिकस्थ सेंस पर भरोसा करके उसने अपनी असली पेहचान ही यहां पर काम में ली थी और क्या पता वो शायद सही ही सोच रहा हो।
रूम में थोड़ी देर आराम करने के बाद वो खिड़की के पास गया। मुंबई की उस शाम और अपने सामने रहे समंदर का भरपूर आनंद अपने मन में संजोने लगा। हालांकि उसने ये सब पहले भी देखा था। लेकिन बहोत समय बाद वो अपनी पुरानी महबूबा मुंबई का ये नज़ारा देख रहा था। कोई अनाथको जेसे मां बाप मिल जाए वेसी उसकी मनःस्थिति थी। सामने समंदरके किनारे कुछ बच्चे खेल रहे थे। कुछ बहुत ही मेहेंगी मेहेंगी गाड़ियां वहां पर आई थी। उनमेंसे कुछ अमीरज़ादे समंदरका लुफ्त उठा रहे थे। ढलता हुआ सूरज दो रंगों की संध्या बना रहा था। जैसे वो बता रहा था कि ये शेहर भी इतना ही दोरंगा है। जहां पर एक ही ज़मीन पर एक दूसरे से काफी अलग काफी जुदा ज़िन्दगी गुजारने वाले लोग एक दूसरे से अनजान एक साथ रहते हैं।
ये सब देखकर उसे भी थोड़ी देर टेहेलनेका मन किया। वो नीचे चला गया, उस समंदरके पास जो किसी का ना होकर भी सबका था।
***
राधिका अपने फ्लैट में लैपटॉप पर कुछ काम कर रही थी। उसके आसपास कई सारे फोटोस, निशान, मार्कर वगैरा चीज़ें पड़ी थी। राधिका कोशिश कर रही थी कि अपने मिशनमें आने वाली मुसीबतों को पहले से ही भाप ले। उसे ये तो पता था कि ये इतना इज़ी नहीं होने वाला। लेकिन ये सब टारगेट्स देखकर ये बात कन्फर्म हो रही थी। डॉक्टर मेननको बचाने के चक्कर में राधिका को न जाने कितने कितने पावरफुल बंधुओं से टक्कर लेनी पड़ेगी। इनमें से अभी तो उसके पास होम मिनिस्टर राणे, आर्म्स डीलर सावंत और एक अननोवन किलर की इनफार्मेशन थी इन सबके अलावा आर्यन शर्मा भी इस लिस्ट में शामिल था। राधिकाने इन सबका बैकग्राउंड, हाल ही की एक्टिविटी और पर्सनल इंफॉर्मेशन इकट्ठा करना शुरू किया। डार्क वेब पर ये सब वेरीफाइ करना उसे सही लगा। डार्क वेब किसी भी इनफार्मेशन को मिनटों में दिला सकता है। पर ये रुल्सके खिलाफ होने से राधिकाको हमेशा बादमें प्रॉब्लम होती थी। पर वो हर काम अपने तरीके से करने के लिए ही बदनाम थी।
होम मिनिस्टर राणे, आदमी ईमानदार था पर इसकी इमानदारी हद से ज़्यादा थी। अपने देश के लिए हमेशा तैयार रेेहने वाले ये मिनिस्टर कभी-कभी अपनी इसी बात की वजाह से बड़ी मुसीबत में फंस जाते थे। राधिका को पक्का यकीन था कि जैसे ही फैक्सीन बनेगी तो मिस्टर राणे देशसेवा के लिए ज़रूर लेना चाहेंगे। सरकार मैं होने की वजाह से उनका हक और फर्ज दोनों था।
आर्म्स डीलर सावंत। ये आदमी मुंबई-महाराष्ट्रका सबसे बड़ा हथियारोंका धंधा करता था। लेकिन रॉ को लगता है कहीं ना कहीं इसके लिंक बहोत बड़े बड़े पावरफुल आदमियोंके साथ थे। बचपनकी गरीबीने इसे इतना दर्द दिया था कि ये पैसा कमानेके लिए कुछ भी कर सकता था। यहां तक कि इसमें इसी पैसेके लिए अपने प्यार को भी कुर्बान कर दिया था। जिसके किस्से तो बहोत ही मशहूर है। राधिकाको ये समझने में ज़्यादा देर नहीं लगी कि ये यहां पर राधिका या डॉक्टर मैनन के लिए नहीं पर उस वैक्सीन के लिए था। जिसके बाद वो बहुत पैसेवाला बन सकता था।
लेकिन राधिकाको कॉन्ट्रैक्ट किलार्की कुछ ख़ास इंफॉर्मेशन नहीं मिली थी। वो सिर्फ इतना ही जानती थी कि कोई डॉक्टर मैननकी जान का दुश्मन बना हुआ है। राधिकाको उसकी सिक्स्थ सेंस ये बता रही थी कि कहीं-ना-कहीं इसके पीछे आर्यन शर्माका बहोत बड़ा हाथ हो सकता है। पर उसके पास सबूत नहीं थे, वैसे भी उसे कहा अभी साबित करना था। उसे तो बस डॉक्टर मैननकी जान ही बचानी थी। वो वैक्सीन भी लानी थी। उसने आर्यन शर्माकी इंफॉर्मेशन एनालाइज़ की। ये आदमी नीचे से ऊपर बहोत ही मेहनत करके और अपने दिमाग की वजह से आया था। पॉलीटिशियन, बिज़नेसमेन और कई सारे बड़े-बड़े लोग इसके लिए काम करते हैं। इसने अपनी अलग ही जगाह मेडिसिन इंडस्ट्री में बनाई थी। हालांकि उसकी इमेज एकदम क्लीन थी लेकिन इनर सर्कल में या कहें कि अंदर की दुनिया में सबको पता था कि ये आदमीने कितने कांड किए हैं।
राधिकाको लगता था कि आर्यन शर्मा वैक्सीनके पीछे इसीलिए पड़ा है ताकि वो या तो इसे आनेसे रोक सकें या तो फिर उससे अपना फायदा करवा सके। क्योंकि अगर ये वैक्सीन सरकारके हाथ लग गई तो उसके लिए बहोत मुशकील हो जाएगी। शायद इसीलिए वो चाहता था कि जैसे ही डॉक्टर मैनन वैक्सिंग बनाए सबसे पहले वो उसके हाथ लगे।
राधिकाकी इतनी सारी प्रेडिक्शनतो बिल्कुल सही थी। लेकिन वो इस बात से बिल्कुल अनजान थी कि इन सब के अलावा एक और पार्टी है जो इस मेहफिलमें शामिल है। जो सबसे ज़्यादा खतरनाक और ताकतवर है। एक बार तो राधीकने ये सोचा भी था। लेकिन उसे इसकी पॉसिबिलिटी बहोत कम लग रही थी। इसीलिए उसने करीम को फोन लगाया। उसके बाद जो उसने सुना उससे राधिकाके होश उड़ गए। उसे लगा कि अपना काम उसे और जल्दी खत्म करना होगा।
***
डॉक्टर मेनन अपने घर पर थी। टीवी में न्यूज़ देख रही थी, जहां पर न्यूज़ वाले ये उम्मीद जता रहे थे कि काश इस वायरस की वैक्सिन जल्दीसे आ जाए। वो मन ही मन मुस्कुरा रही थी। पर उन्हे पता था की वैक्सीन बन गई है। बस इंतज़ार था तो उसे सरकारको देने का। लेकिन उनके मनका एक डर उन्हे बहोत ज़्यादा सता रहा था। कहीं अगर वेक्सीन गलत हाथोंमें पड़ गई तो इस वायरससे ज़्यादा तबाही वो इंसान मचा सकता है। इसीलिए उन्होंने एक ऐसे आदमी को मुंबई बुलाया था जो उनके बिल्कुल काम का था। ना तो उसे कोई जानता था ना ही उसकी कोई भनक किसी को लग सकती थी। वो खुद नहीं जानते थे कि वो आदमी ये सब कैसे कर लेता था। कहीं भी कभी सा जाना, अपनी उम्र से ज़्यादा जानना और ऐसी कई बतें डॉक्टर मेनन को अजीब लगती थी। पर इस वक्त वहीं सबसे सही इंसान था उनके लिए।
वो यही सोच रही थी कि जैसे ही वो आए तो उसे वैक्सीन देकर वो खुद थोड़े दिनों के लिए गायब हो जाए, ताकि उन्हेंभी पता चले कि आखिर इस वेक्सीनकी कीमत क्या है। क्यूकि पिछले कई दिनों से उन्हे लग रहा था कोई उन पर नज़र रख रहा है। कभी हॉस्पिटल जाते हुए उनके पीछे कोई बाइक आ जाती, कभी रास्तेके साइडमें कोई आदमी इस लॉकडाउन के समझ में भी फुटपाथ पर बैठा हो, कभी उनके घर के बाहर अनजान आदमी आकर रातको सो जाता और वो नई लड़की जूलीभी इन्हें कुछ अजीब सी लग रही थी। वैसे भी एक एजेंटकी बेटी होने के कारण डॉक्टर मेननका दिमाग इतना तो चल ही सकता था कि को अपने आसपास कुछ गड़बड़ को पेहचान सके। वो बिल्कुल सही भी थी, क्योंकि कई लोग उन पर बाज़की तरेेह नज़रें गड़ाए हुए थे।
तभी डॉक्टर मेननका फोन बजा और सामने से एक आवाज़ आई: मैं आ गया हूं। और मैं कल सुबह नहीं बल्कि अभी आपसे मिलकर ये काम खत्म करना चाहता हूं।
डॉक्टर मेननने बिना किसी आर्ग्युमेंटके उसकी बात मान ली। क्योंकि वो भी जानती थी कि जितना जल्दी वो ये खत्म करेंगे उतना ही उनके लिए अच्छा होगा। उन्होंने अपनी फेवरेट बेंज़ कार निकाली और अपनी लेब की तरफ चल दी। इस बात से बिल्कुल अनजान की उनके पीछे एक आदमी किसी से फोन पर बात कर रहा था।
"वक्त आ गया है। वैसे तो मैडम रात को कहीं नहीं जाती। तो रात को 11:00 बजे जाने का एक ही मतलब हो सकता है। "
आज डॉक्टर मैननकी गाड़ी में एक बहोत ही प्यारा गाना बज रहा था। : लग जा गले कि फिर ये हंसी रात हो ना हो।
और शायद ये गाना सच होने वाला था। वो नहीं जानती थी कि आगे उनकी ज़िन्दगी एक ऐसा मोड़ लेने वाली है जहां से वापस आना उनके लिए काफी मुश्किल होनेवाला है। उनके अलावा कई लोग कई दिनों से इसी रात का इंतज़ार कर रहे थे। सबके नसीबमें आज वो आ चुकी थी। क्या होगा आगे ये कोई नहीं जानता था। यहां से हर किसी की ज़िन्दगी बदलने वाली थी। जिसका किसी को भी अंदाज़ा नहीं था।
और इन सब से बहोत दूर एक गांव में एक ९० साल का बुड्ढा आदमी अपनी चारपाई पे लेटा हुआ सोच रहा था : क्या उसके परिवारकी परंपरा जो उसने अब तक संभालकर रखी है वो कायम रहेगी या फिर ये सैलाब आने वाले दिनोंमें उसको बाहर ले जाएगा।