होप इस हेल
एपिसोड ५
समंदरके पास अपने मनको शांत करके विहान अपने रूम में वापस आया। तब तक रात के 9:00 बज चुके थे। अपना डिनर उसने रूम में ही मंगा लिया। वो बस टीवी ऑन करके बैठे बैठे अपने आगे के काम के बारे में सोच रहा था। उसे ये तो पताथा कि उसे किसको मारना है, लेकिन उसका तरीका अभी भी खोज ही रहा था। बिना सबूत छोड़ें इस इंसानको मारना बहोत मुश्किल था। लेकिन फिर भी उसे ये काम करना तो था ही।
तभी सामने फिल्ममें एक डायलॉग सुनकर उसे एकदमसे नई ऊर्जा मिल गई। - जो नज़र म सा जाए वो सिर्फ आधा सच होता है। ये बात उसके दिमाग में बैठ गई। उसने तुरंत ही एक प्लान बनाया। जिसके लिए उसे कुछ आदमियों की ज़रूरत थी। और वो बहोत अच्छी तरेह जानता था कि पैसोंके लिए यहां पर कोई भी कुछ भी कर सकता है।
उसने अपना डिनर फिनिश किया। वो बस रूम से बाहर निकलने ही वाला कि उसका फोन बजा। फोन उसके क्लाइंट का था। चसने अपनी जैकेटको हल्का सा ऊपर उठाते हुए ईयरबर्ड्स अपने कान में लगाए और फोन रिसीव किया। : आज रात को तुम्हे ये काम खत्म करना है। लेकिन तुम्हें पता होना चाहिए तुम्हें मारने से पहले कुछ हासिल भी करना है।
" मुझे काम सिखानेकी इतनी हिम्मत बहोत कम लोगों में होती है। लेकिन फिर भी अगर पैसा मिल रहा है तो मैं कुछ भी सेहेन कर सकता हूं। तुम बस इतना करो कि मुझे कवर करनेकी तैयारी अच्छे से करो। क्योंकि जो मैं करने वाला हूं इसके बाद तुम्हें डैमेज कंट्रोल करना भारी पड़ने वाला है। "
" उसकी चिंता तुम मत करो। तुम बस इतना काम पूरा करो। इंफॉर्मेशन मिली है कि कल वो लॉन्च करने वाली है। और तुम्हें उससे पेहले ही पार्सल लेना होगा। "
विहान की आंखों में गुस्सा छलक आया। उसने फोन काट दिया। वो अपने साथ कुछ जरूरी चीज़ें लेकर नीचे पार्किंगमें गया। अपनी फेवरेट हार्लेडेविडसनकी सवारी करते हुए मुंबई की उन सुनसान सड़कों पर किसी शहंशाह की तरह निकल पड़ा। तभी उसको एक मैसेज मिला। जिसमें लिखा था : आज रात आपको मैं पार्सल दे दूंगी। आप ठीक 11:30 बजे लेब पर आ जाना। ये मैसेज जुली का था।
विहान ये खबर पाकर खुश हो गया। उसे लगा कि अब उसका काम जल्दी ही खत्म होने वाला है। लेकिन उसे पता नहीं था कि बहोत जल्द वो एक ऐसे चक्रव्यूहमें फसने वाला था जिसमें से निकलना उसके लिए मुश्किल हो जाएगा।
***
राधिकाने सारी इनफोर्मेशन एनालाइज़ कर ली थी। तभी उसके फोन पर मैसेज आया। मैसेज में लिखा था " 5G की स्पीडसे काम करो वरना तुम फेल हो जाओगी। इस बातका मतलब राधिका अच्छे से समझती थी। उसने फौरन सब कुछ छोड़छाड़ कर अपनी आर्सेनल चेक करके जो जो जरूरी था वह सब इकट्ठा करना शुरू कर दिया। उसने एक बड़ा सा बॉक्स उठा कर फ्लैट के बाहर रखा। एक और बेग भरके जल्दीसे अपने फ्लैटसे बाहर निकली। अपनी छोटी नेनोंमें बैठकर निकल गई। उसे लोकेशनतो पेहले से पता था। लेकिन वक्त आज उसके खिलाफ था। अब तक उसने ऐसी कई सिचुएशन देखी थी। लेकिन एक और नई सिचुएशन नए खतरेके समान थीं और वो उसके सामने बिना डरे बड़े जा रही थी।
करीब रात के 10:30 बजे राधिका अपनी मंज़िल के पास पहुंच चुकी थी। उसने अपनी गाड़ी रोड के साइडमें पार्क की और वहां से पैदल ही शिवाजी पार्क की गलियोमें चलने लगी। राधिकाकी यहीं खूबी काफी मशहूर थी, उसका नेटवर्क दुनिया के टॉप एजेंन्ट्समें उसे शामिल कराता था। ऐसी कोई जगाह नहीं थी जहां पर उसके आदमी या इनफॉर्मर ना मिले। यही बात उसे अपने हर मिशन में बहोत हेल्प करती थी।
वो धीरे-धीरे एक पानकी दुकानकी तरफ बढ़ी। इसका शटर बंद था लेकिन उसने ये नोटिस कर लिया कि दुकान चालू है। क्योंकि शटरकी नीचेकी दरारसे रोशनी आ रही थी। जिसका मतलब अंदर लाइट जल रही थी। राधिकाने अपने फोन से एक नंबर मिलाया और बस इतना कहा : आई एम आउट।
थोड़ी देर बाद शटर ओपन हुआ। अंदर से एक काला मोटा भद्दा इंसान दिखा। वो चेयर पर बैठा हुआ समोसे खा रहा था। उसकी आंखोंमें से समोसेके तीखे होनेकी वजाह से आंसू निकल रहे थे। फिर भी वो किसी सात जन्मोंके भूखे के माफिक बस खाए जा रहा था। उसने खाते खाते ही उंगलीसे इशारा करके राधिका को सामने पड़ी चेयर पर बैठने को कहा। और अपना आखिरी समोसा खत्म करके राधिका की ओर मुड़ा।
" लगता है मैडम जी को आज हमारी ज़रूरत पड़ी। और आप बताएं उससे पेहले ही मैं केह देता हूं हर एक बात की एक बीयर।"
राधिकाने बिना कोई जवाब दिए बाहर की ओर इशारा किया। वो आदमी शटर खोलकर बाहर गया और देखा कि राधिका अपने साथ एक बॉक्स लेकर आई थी। पेहले तो उसे शक हुआ, पर फिर उसने वो बॉक्स खोला तो उसमें कई सारी बियर पड़ी मिली। उसने वो सब बीयर उठाकर अंदर ली। राधिका के सामने ही एक पेग बना कर बैठ गया।
" मेरा एक आदमी है वहां, आपको अभी मैं उससे कोन्टेक्ट करवा देता हूं। पर हमारे धंधेमें उसूल ज़्यादा मायने रखते हैं। आपको वो अपना चेहरा कभी नहीं दिखाएगा, ना ही आप उससे कभी पेहचान पूछेंगे। इतना केहकर उस आदमीने एक मोबाइल नंबर राधिकाको दिया। राधिका बस उसे घूरते हुए वहां से निकल गई। वो आदमी बिना कुछ फील किए अपनी बियर पार्टीमें मशगूल हो गया।
उस आदमीसे कोन्टेक्ट करनेके बाद राधिकाको थोड़ा आराम मिल गया। हालांकि उसके पास इनफॉर्मर थे। पर वो अपनी आदत की तरह अनऑफिशियल तरीकेसे काम करना चाहती थी। उसे लगता था ये तरीका उसके लिए सही रहेगा। वो बिल्कुल सही थी। क्योंकि सरकारी विभाग में भी अब हलचल शुरू हो गई थी।
तभी राधिकाको एक फोन आया : "वक्त आ गया है। वैसे तो मैडम रात को कहीं नहीं जाती। तो रात को 11:00 बजे जाने का एक ही मतलब हो सकता है। "
***
डॉक्टर मेनन अपनी गाड़ी को जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी लेब पहुंचाना चाहती थी। मुंबई के जिस रास्ते पर नॉर्मली गाड़ियों की लाइन लगी रेहती थी वहां सन्नाटे का साम्राज्य था। लॉकडाउन की वजाह से आधे लोग तो वैसे ही घरमे थे, और आधे लोग रात को निकले नहीं थे। कभी-कभी कोई पुलिस या मेडिकल स्टाफकी गाड़ी उनको दिख जाती थी। जिससे उनको ये एहसास होता था कि चाहे कुछ भी हो जाए ये लोग अपना काम कभी नहीं रोकेंगे। डॉक्टर मैंनन यही काम करने जा रही थी। उनके मनमें ये दृढ़ निश्चय भी था कि वो जो कर रही है वो सही है। चाहे दुनिया को ये गलत लगे, चाहे लोग उनका सही आशय ना समझे, लेकिन वो अपने अंतःकरणमें ये बात अच्छे तरीकेसे जानती थी कि उनकी सोच और उनका काम दोनों एकदम सही थे।
वो अपनी लेब के बाहर पहुंचे। उन्होंने देखा कि लैब का गेट खुला हुआ था। उनको थोड़ा डाउट हुआ और उन्होंने जल्दी से अपनी गाड़ी पार्क की और जल्दी-जल्दी लैब में एंटर हुई। वो उस रूम की तरफ बढ़ी जहां पर उन्होंने वैक्सीन का फोंर्मूला और कुछ टेस्टिंग किट रखे हुए थे। लेकिन उन्हें ये एहसास तो पहले ही हो चुका था कि उनके अलावा भी कोई यहां पर है। वो दबे पांव लॉबी से होते हुए धीरे-धीरे अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगी। और धीरे से बिना आवाज़ किए उन्होंने अपने कमरे का दरवाज़ा खोला तो उन्होंने देखा कि कोई उस लेबमें कुछ ढूंढ रहा था। उन्होंने बिना किसी देरी के तुरंत ही कमरे की सारी लाइट ऑन कर दी। वो इंसान एकदम से सरप्राइज़ होकर खड़ा हो गया। डॉक्टर मेनन उसे देखकर एकदम चौक गई। वो इंसान और कोई नहीं बल्कि जूली थी।
" तुम यहां क्या कर रही हो?"
" बस अपना काम कर रही हूं।" जूली को अपने पकड़े जाने का एहसास हो गया।
" और वो काम क्या है? डोंट टेल मी कि जो मैं सोच रही हूं वो बिल्कुल सही है। "
" आप कभी गलत नहीं सोचते। और इससे पेहले की आप पूछे की ये क्यों, मैं खुद ही बता देती हूं कि पैसा ईमान से ज़्यादा कीमती होता है। इसके लिए तो मुझे इतने पैसे मिल रहे हैं कि मैं पूरी लाइफ आराम से खा सकूं। " इतना केहकर जूली डॉक्टर मेननकी तरफ बढ़ी। उसके हाथ में छोटी सी हेक्लर पिस्टल थी। डॉक्टरने ये देखा और वो घबराकर अपने कदम पीछे लेने लगी।
लेकिन तभी अचानक से जुलीको सीधे सर पर गोली पड़ी। और खून की धारा उसके सर से निकलने लगी। वो ज़मीन पर धड़ाम से गिर प।डी। डॉक्टर मेनन इससे पेहले कुछ समझ पाती, विंडो से एक आदमी आया और ज़मीन पर फैला खून देख कर बोला : खून देखकर काफी इरीटेशन होती है लेकिन फिर मेरा काम ऐसा है तो क्या करूं। और आप से वादा भी तो किया है।
डॉक्टर मेनन अचंभित होकर उसकी तरफ देखने लगी। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि अचानक दो ही पल में क्या हो गया। लेकिन अपने आप को संभालते हुए उन्होंने भी उसकी मदद करनी शुरू कर दी। दोनों सबूत साफ करने में लगे थे। डॉक्टर मेननने पूछा : हमने यहां मिलने का तो तेय नहीं किया था।
" लेकिन मुझे पक्का यकीन था कि हम यहां ही मिलेंगे। क्योंकि मुझे लगा था कि आप से पेहले वैक्सीन लेने के लिए कोई तो आएगा ही। और देखो मैं हमेशा की तरेेह फिर एक बार सच्चा साबित हुआ।"
" ओ कम ऑन, इतना भी ईगो अच्छा नहीं। पर तुम हर बार काम कर लेते हो तो तुम्हें माफ किया। अब सबूत साफ हो ही गए हैं तो साथ में वैक्सीन और उसका फोंर्मूला भी ले ही जाओ। आखिर मैं टेंशन से निकल जाऊं।" डॉक्टर मेननने जेसे कोई मां अपने बेटेको किसीके हाथों में सौंपती है वैसे ही अपनी इजाद की हुई अनमोल चीज को उस आदमी के हवाले कर दिया। वो जानती थी कि ये आदमी इसे अपनी जान देकर भी संभाल लेगा। ये अकेला एक आर्मी के बराबर था। कोई जानता भी नहीं था की ये कहां से है। इन शॉर्ट ये डॉक्टर मेननका वो सीक्रेट था जिसे कोई जानता नहीं था। वो आदमी मुस्कुराते हुए बोला :
"आप जो कर रहे हैं वो बिल्कुल सही है। खुद पर बस भरोसा रखना और उससे ज़्यादा मुझ पर।"
इतना केहकर वो आदमी एक पल में वहां से गायब हो गया। डॉक्टर मेनन समझ नहीं पाई लेकिन उन्हें नया नहीं लगा। वो उसे कई सालों से जानती थी। उन्होंने इस सिचुएशनको हैंडल कर लिया। पर उनके सामने अब एक और बड़ी सिचुएशन थी क्योंकि विहान उपाध्याय वहां पर मौजूद था।
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जूली का मेसेज मिलते ही विहान अपने काम की तरफ बढ़ने लगा। उसके पास बहोत वक्त था लेकिन उसे अपना काम जितना हो सके उतना जल्दी खत्म करना था। इसीलिए वो 11:00 बजे से पेहले ही लेब के पास पहोच चुका था। लेब के मेईन वाले पार्किंग के पास एक छोटा सा कंपाउंड था। जिसकी वोलके पास विहानने अपनी बाइक छोड़ दी। वो चला गया लेब का नक्शा वैसे भी उसके पास था। बाकी सारी इनफोर्मेशन जूलीने पेहले ही दे दी थी। लेबकी एंट्रेंस के पास थोड़ी गाड़ियां और बाइक वहां पर पार्क हुई थी। इसीलिए उसने अंदर जाना सही नहीं समझा।
वो वॉचमैनके कमरे के पास दीवार के पास चला गया। वहां से लेब के मेईन गेट और लेबकी एंट्रेंस पर नज़र रखने लगा। अभी सिर्फ 11:00 ही बजे थे। उसका इंतज़ार थोड़ा और बाकी था। धीरे धीरे लेब से लोग l अपना अपना काम खत्म करके जाने लगे थे। 11:10 तक लगभग सभी लोग वहांसे निकल चुके थे। तभी एक स्कूटी अंदर आई। विहान ने थोड़े ध्यान से देखा तो वो समझ गया की ये जूली थी। वो मन में ही बोला : इतनी सुंदर लड़की को इतनी छोटी जिंदगी कैसे दे दी भगवान।
विहान वहीं बैठा रहा। वो चाहता था कि पेहले जूली अपना काम कर ले। फिर जब सब उसके हाथ में आ जाएगा तब वो उसे मार देगा। जूनी लेब में एंटर हुई। और अंधेरे में ही वेक्सीन वाले कमरे की ओर जाने लगी।
थोड़ी देर बाद एक बैंज कार लेबके मेइन गेटसे अंदर दाखिल हुई। उसमें से एक लड़की फटाफट नीचे उतरकर एंट्रेंस की सीढ़ियां चढ़ने लगी। विहान को ये सबकुछ समझ नहीं आया। उसे लगा की कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाए। वो तुरंत ही निकला और दबे पाव लेबमें जाने की कोशिश करने लगा। छुपते छुपाते वो चला भी गया। लेकिन तब तक वो लड़की वहां से गायब हो चुकी थी।
बिहान अपने नक्शे के आधार पर जल्दी से उस कमरे की ओर बढ़ने लगा। वो बस उस कमरे के दरवाज़े पर पो़हचा ही था की तभी उसे गन चलनेकी आवाज़ आई। वो वहीं रुक गया। वो तुरंत ही पास के एक रूम में चला गया। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। अचानकसे ये क्या हो गया। लेकिन फिर वो उस कमरेकी खिड़कीके पास गया। उसने धीरे से वो खिड़की खोली। कमरेमें पड़ी रस्सीको लेकर उस खिड़कीसे खुद को बांध लिया। वो खिड़कीसे बाहर निकलकर ऊपर के छज्जे पर अपने दोनो हाथ रख कर हैंड स्टैंड पोजीशनमें लटक गया। वो धीरे धीरे साइडमें मुव होने लगा। ऐसे ही वो लेबके उसी कमरेकी खिड़कीकी ओर पहुंच गया जहां से उस आदमीने जूली पर गोली चलाई थी।
जब उस खिड़की पर पहुंचा तब बेंज कार वाली लड़की और एक लड़का जूलीकी खूनसे सनी हुई लाशको ठिकाने लगा रहे थे। उसके लिए ये कोई नई बात नहीं थी। पर अपना प्लान फेल होते हुऐ वो नहीं देख सकता था। उसे लगा कि अभी जाकर उन दोनों पर धावा बोल दे। लेकिन फिर उसने सोचा कि जो आदमी इतनी दूर से पूरी तैयारीके साथ आया हो उससे अभी पंगख न लेना ही अच्छा होगा। एंड मोर इंपोर्टेंटली अभी उसका काम खत्म नहीं हुआ था। ये सोचकर वो उस खिड़कीसे धीरेसे कमरे के अंदर दाखिल हुआ। खिड़की के पास में कई सारे बक्से, मशीन और कई सारी दवाइयोंके कार्टून पड़े हुए थे। विहान तुरंत जाकर उनके पीछे छुप गया और उन दोनों की बातें सुनने लगा।
उसने सुना कि वो लोग वेक्सीन और फॉर्मूला की बात कर रहे थे। वो तुरंत थोड़ा बाहर की ओर सरका। तभी विहान ने देखा की वो लड़की उस आदमीको एक बॉक्स दे रही थी। अगले ही पल वो आदमी वहां से गायब हो गया। विहान ये देख के सन्न रह गया। उसे समझ नहीं आया की एकदम ये क्या हो गया।
पर उसने खुद को संभाला और जल्दी से डॉक्टर मेननके सामने आ गया। वो समझ गया था की अब उसका प्लान फेल हो चुका है। पर उसे अपना काम तो करना ही था। अब उसे इस लड़कीकी ज़रुरत थी। यही उसे वेक्सीन तक ले जाएगी।
डॉक्टर मेनन विहान को देखकर चौक गई। पर इससे पहले वो कुछ समझती, विहानने उन्हे एक इंजेक्शन दे दिया। उनकी आंखों के सामने विहान का चेहरा धुंधला होने लगा। और धीरे धीरे वो चेहरा दिखना बंद हो गया।