अणु और मनु - भाग - 1 Anil Sainger द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अणु और मनु - भाग - 1

Copyright © Anil Sainger 2017

All rights reserved

This is a work of fiction. Names, characters, places and incidents are either the product of the author’s imagination or are used fictitiously and any resemblance to any actual person, living or dead, events or locales is entirely coincidental.

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***

अक्टूबर महीने का दूसरा सप्ताह चल रहा था | दिल्ली में ज्यादात्तर इस महीने से ठंड की शुरूआत होती है लेकिन इस बार महीने की शुरुआत में ही चार-पांच दिन जम कर बारिश होने वजह से सुबह-शाम के मौसम में हल्का-सा बदलाव आ गया था | दिन में जरूर पंखा चलाने की आवश्यकता पड़ती है लेकिन सुबह और शाम बिना पंखे के भी चल जाता है | मौसम की रंगीनी को देखते हुए गौरव और उसके दोस्तों का आज क्लास में दिल नहीं लग रहा था | गौरव का दोस्त मोहित कुछ बोल पाता इससे पहले ही क्लास में हिंदी की प्रोफ़ेसर ने आ कर कहा कि आज आपके अगले दो पीरियड नहीं होंगे | जो भी जाना चाहे वह जा सकता है | सबका दिल हो रहा था कि वह मैडम को गले से लगा लें | प्रोफ़ेसर के जाते ही मोहित अपनी सीट से उठकर बाहर की तरफ़ दौड़ पड़ता है | सिम्मी भी तेज कदमों से मोहित के पीछे-पीछे बाहर की ओर चल देती है | गौरव रीना वैशाली और कुणाल मुस्कुराते हुए बाकी सब सहपाठियों के साथ धीमी गति से बाहर की ओर चल पड़ते हैं |

“गौरव क्या बात है आज तू कुछ ज्यादा ही गंभीर मुद्रा में लग रहा है”, कुणाल गौरव के साथ कॉलेज की कैंटीन की तरफ बढ़ते हुए कहता है |
गौरव “नहीं ऐसा कुछ नहीं है” |

कुणाल कैंटीन में घुसते हुए बोला “यार बात को घुमा नहीं, कुछ तो बात है | अब मैं यह भी नहीं कह सकता कि तेरा रीना से कुछ झगड़ा वगेरह हुआ है क्या” ?

“क्यों भाई तू ऐसा क्यों नहीं कह सकता”, कुर्सी पर बैठते हुए मोहित बोला |

दोनों अचानक मोहित को देख हैरान हो एक साथ बोल उठते हैं “तेरे रिजल्ट का क्या हुआ, प्रिंसिपल ने तो तेरा रिजल्ट रोक लिया था” |

मोहित हँसते हुए बोला “उसकी हिम्मत, मुझे बुला कर दिया है”|

गौरव मुस्कुराते हुए बोला “वो तो ठीक है लेकिन रिजल्ट .....” |

“होना क्या था, जो पहले हुआ था वही इस बार भी हुआ होगा”, गौरव की बात बीच में ही काटते हुए वैशाली सिम्मी को देख कर बोली | और दोनों एक साथ खिलखिला कर हँसते हुए खाली पड़ी कुर्सियों पर बैठ जाती हैं |

कुणाल मोहित के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला “भाई इस बार फिर तीन पेपर रह गए हैं क्या और पीछे वालों का क्या हुआ” ?

मोहित शांत रहने का इशारा करते हुए बोला “इस साल सब पेपर एक साथ पास करके दिखाऊंगा” |

वैशाली चेहरा टेढ़ा कर अदा दिखाते हुए बोली “वो तो तुमने सेकंड ईयर में भी बोला था | अब तो तुम्हें मान लेना चाहिए कि पढ़ाई-लिखाई तुम्हारे बस की नहीं है” |

मोहित अकड़ते हुए बोला “बस-वस की सब है | वो तो मैं कोशिश नहीं कर रहा हूँ वरना तो कॉलेज में फर्स्ट आ कर दिखा सकता हूँ” |

कुणाल हँसते हुए बोला “भाई ये तो तू पिछले दो सालों से कहता आ रहा है | तुझे पता है न अब हम फाइनल ईयर में पहुँच चुके हैं” |

मोहित कुणाल की कमीज का कॉलर पकड़ते हुए गुस्से से कहता है “अबे ब.... जब मैं कह रहा हूँ कि कोशिश ही नहीं कर रहा हूँ तो मतलब नहीं कर रहा हूँ” |

गौरव मोहित का गुस्सा देख कर प्यार से मोहित का हाथ पकड़ते हुए बोला “भाई नाराज क्यों हो रहा है | ठीक है मान ली तेरी बात” |

मोहित गौरव को देखते हुए बोला “भाई तेरे कहने पर आज मैं इसे छोड़ रहा हूँ| एक ही बात बार-बार सुन कर पक चुका हूँ |कहीं भी साला इस बात को ले कर बैठ जाता है” |

मोहित को नर्म पड़ते देख कुणाल गौरव को देखते हुए बोला “भाई इसे बोल दे कि ये कहीं भी किसी के भी सामने गालियाँ निकालने लगता है” |

मोहित हँसते हुए बोला “तू इन लड़कियों की बात कर रहा है | इन लड़कियों की....बात....”|

वैशाली बीच में ही मोहित की बात काटते हुए बोली “क्या मतलब है तुम्हारा | क्या कहना चाहते हो | हम कोई ऐसी-वैसी लड़कियाँ हैं | बोल, बोल कहते-कहते रुक क्यों गया”?

मोहित हँसते हुए बोला “मेरा वैसा कुछ मतलब नहीं था जैसा तुम समझ रही हो | मैं तो ये कह रहा था कि आजकल तो लड़कियाँ हम से ज्यादा गालियाँ देती हैं” |

वैशाली गुस्से में बोली “तूने कब मुझे गाली देते सुना है बे चू..कहीं के” | यह सुन कर सब हँस पड़ते हैं | उन्हें हँसता देख वैशाली को एहसास होता है कि वह गुस्से में मोहित को गाली दे बैठी है | वह शर्मा कर सिर झुका लेती है |

मोहित हँसते हुए बोला “वैशाली शर्मा अब तो तीर कमान से निकल चुका | अब क्यों शर्मा रही हो | ओह ! आप तो हो ही शर्मा” |

मोहित की बात सुन कुणाल हँसते हुए बोला “वैसे ये बात तो तूने सही कही | हम लड़के तो बिना बात के बदनाम हैं | जबकि आजकल लड़कियाँ हमारे से कहीं आगे निकल चुकी हैं” |

मोहित मजे लेने के अंदाज में बोला “भाई वो कैसे | वो कैसे” ?

कुणाल मुस्कुरा कर वैशाली और सिम्मी को देखते हुए बोला “इनसे पूछो कि ये बात-बात में कोड वर्ड में गालियाँ क्यों निकालती हैं | जैसे इसने अभी चू बोला | इसका मतलब क्या होता है | इससे इसकी full form तो पूछो” |

सिम्मी बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली “तुम दोनों भी क्या फ़िजूल की बात ले कर बैठ गए हो | क्या आज तुम्हारे पास कोई काम की बात नहीं है” ?

मोहित मुस्कुराते हुए बोला “अब फंस गई हो तो काम की बात याद आने लगी | खैर मेरे पास काम की भी बात है” |

सिम्मी मोहित को उकसाने के अंदाज से बोली “बोलो मेरे रा...जा.. क्या काम की बात है तुम...हारे पास” | सिम्मी की अदा देख सब हँस पड़ते हैं |

मोहित मुस्कुराते हुए धीरे से सिम्मी की ओर झुकते हुए बोला “मेरी रानी अकेले में मिल तो बताऊंगा”, फिर सीधा बैठते हुए जोर से बोला “चलो छोड़ो
यह तो चलता ही रहता है | यह बताओ कि आज का क्या प्रोग्राम है | सालो तुम सब के तो अच्छे नंबर आये हैं, हो जाए कुछ पार्टी-शार्टी” |

कुणाल, सिम्मी और वैशाली को देखते हुए बोला “तुम्हें नहीं लगता कि आज गौरव कुछ चुप-चुप है | क्यों भाई, आज तो तेरी रीना असल में कैटरीना लग रही है और तू यहाँ किसकी याद में गुम-सुम बैठा है.....” |

मोहित बीच में ही चिल्ला पड़ता है “लो आ गई तुम्हारी कैटरीना” |

दूर से आती रीना उन सब को देख कर जोर से बोली “हाय” |

मोहित हँसते हुए बोला “बिचारी को शायद कहीं दर्द है, देखो हाय, हाय चिल्लाती हुई आ रही है” |

कुणाल “तभी हमारे गौरव का यहाँ मूड ख़राब है” | यह सुन कर सब हंस पड़ते हैं |

रीना बैठते हुए बोली “क्या बात है, सब बहुत ख़ुश नजर आ रहे हैं” |

वैशाली “खुश क्यों न हो, मोहित अबकी बार तीन पेपर में पास जो.......”|

मोहित बीच में ही बात को बदलते हुए जोर से बोला “क्या बात है रीना, आज किस पर बिजली गिराने का इरादा है”|

रीना गौरव को देखते हुए बोली “जिस पर गिराने का इरादा है वो तो SP है” |

सिम्मी हँसते हुए बोली “SP, अब ये क्या है” |

मोहित “हाँ भाई इसके पास तो पता नहीं कौन सी डिक्शनरी है | रोज एक नया शब्द ढूंढ लाती है” |

रीना अदा से बोली “S..P.. यानी शॉक प्रूफ | और शॉक प्रूफ पर बिजली पर गिराने का क्या फ़ायदा | ऐसे में तुम्ही बताओ बिजली किस पर गिराऊं” |

कुणाल आसमान की ओर हाथ फ़ैला कर रीना के सामने बैठते हुए बोला “मैं हूँ.... न..... मुझ पर गिरा दो | मैं तो SP भी नहीं हूँ” |

वैशाली कुणाल की अदा देख चिढ़ते हुए बोली “तुम तो चुप ही रहो” |

मोहित वैशाली को देखते हुए बोला “जलने में जब उसे कोई तकलीफ़ नहीं है तो तुम्हारे क्यों धुंए उठ रहे हैं” |

“मोहित तुम बहुत बार हद से आगे बढ़ जाते हो”, वैशाली आँखे गुरेरते हुए बोली |

वैशाली कुणाल सिम्मी और मोहित इस बात को लेकर आपस में उलझ जाते हैं | गौरव कुछ देर तो उनकी बातें सुनता रहता है फिर वह नजर दौड़ा कर अपने आस-पास देखने लगता है | कैंटीन में लगभग बीस या बाईस टेबल लगी हुई थी | कुछ पर चार-पांच लड़के-लड़कियाँ बैठे हुए किसी बहस में उलझे दिख रहे थे | और कुछ दो टेबल जोड़ कर आठ-दस बैठे आपस में मज़ाक कर जोर-जोर से हँस रहे थे | एक-दो टेबल पर ही बैठे लोग शांत भाव से बात-चीत कर रहे थे | गौरव को आज पहली बार एहसास हुआ कि कैंटीन में कितना शोर होता है | वह सोच कर मन ही मन मुस्कुराता है कि कैसे हमारी युवा पीढ़ी बिना बात के अपनी एनर्जी वेस्ट करती है |

चारों तरफ नज़र घुमाते हुए अचानक उसकी नज़र रीना पर पड़ती है | वह भी उसकी तरह ही अपने चारों तरफ होते हुए शोर को बहुत मासूमियत से सुन रही थी | गौरव की नजर सब तरफ से हट कर रीना पर ही अटक जाती है | वह सोचने लगता है कि सचमुच आज रीना पर फूलों वाला टॉप बहुत ही अच्छा लग रहा है | मोहित सही कह रहा था आज वह कैटरिना की तरह ही लग रही है | थोड़ी-थोड़ी देर में रीना अपने बालों की उस लट को जो उसकी बोनी टेल में से निकल कर उसके चेहरे पर आ रही थी बड़ी अदा से पीछे की तरफ करती हुई और भी सुंदर लग रही थी | यह देखते-देखते वह पुरानी यादों में खो जाता है ‘रीना से जब उसकी पहली मुलाकात हुई थी तब भी वह इतनी ही सुंदर दिखती थी जितनी आज दिखती है | वह उस दिन पहली बार जब उसके साथ आकर बैठी थी तो वह उसे लगा कि वह वही लड़की है जिसे उसने कई बार अपने सपनों में देखा था | वही आँखें वही चेहरा वही हँसने की अदा और....और वही चेहरे से बालों की लटों को नजाकत से हटाना’ | अचानक रीना की नज़र गौरव पर पड़ती है | दोनों की नज़र जैसे ही मिलती है | दोनों एक दूसरे को देखते ही रह जाते हैं | रीना गौरव को ऐसे देखते हुए शर्मा का नजरें जैसे ही झुकाती है | अचानक एक धमाका होता है और गौरव धमाके की आवाज सुन घबरा कर खड़ा हो जाता है | गौरव के इस तरह अचानक उठ कर खड़े होने से उसका हाथ सामने पड़े कॉफ़ी के कप पर लग जाता है | कॉफ़ी कप में से छलक कर टेबल पर गिर जाती है | गौरव के सब दोस्त उसे इस तरह घबरा कर उठते हुए देख अपनी बहस को भूल कर हँसने लगते हैं | मोहित हँसते हुए बोला “भाई तू तो ऐसे घबरा गया है जैसे कोई बम फूट गया हो”|

मोहित की बात सुन कर गौरव को जैसे होश आता है | वह धमाका होने वाली दिशा में देखता है | उनकी टेबल से दूर तीसरी टेबल पर बैठे स्टूडेंटस अपने दोस्त का बर्थडे मना रहे थे | गौरव ने देखा कि एक के हाथ में फूटा हुआ गुब्बारा था | यह देख कर वह मुस्कुराते हुए फिर से अपनी कुर्सी पर बैठ जाता है | उसकी नज़र जब रीना पर पड़ती है तो वह उसे बहुत ही हैरानी से देख रही थी | कुणाल अपनी हँसी रोकते हुए बोला “भाई आज पहली बार इतने ध्यान से रीना को देखा है तो धमाका तो होना ही था” |

वैशाली “वैसे हुआ क्या, इतने घबरा क्यों गए थे” ?

गौरव अपनी झेंप मिटाते हुए बोला “नहीं कुछ नहीं, बस आजकल रात को एक अजीब-सा सपना आता है | उसमें भी कुछ ऐसा ही धमाका होता है और मेरी नींद खुल जाती है | उठने के बाद काफ़ी याद करने की कोशिश करता हूँ लेकिन कुछ याद ही नहीं आता.....बस वैसा ही कुछ मुझे अभी भी महसूस हुआ था” |

सिम्मी मुस्कुराते हुए बोली “ओह ! मतलब अब रीना सपने में भी दिखने लगी है” |

रीना यह बात सुन कर भी अनसुना करते हुए बाहर की तरफ देखने लगती है | कोई ख़ास गर्मी न होने के बावजूद भी रीना के माथे पर पसीने की बूंदे साफ़ दिख रहीं थी | गौरव को उसे देख कर बहुत अजीब-सा लगा | इससे पहले की गौरव कुछ बोल पाता | सामने से दो मोटे-तगड़े बदमाश टाइप के लड़को को आते देख मोहित अपनी कुर्सी से उठते हुए बोला “दोस्तों मैं अभी गया और अभी आया” | वह लड़के मोहित को अपनी कुर्सी से उठता देख वहीं रुक जाते हैं | इससे पहले की कोई कुछ भी बोलता मोहित उन लड़को से हाथ मिलाकर कैंटीन से बाहर निकल जाता है |

सिम्मी मोहित को जाता देख लगभग चिल्लाते हुए बोली “मैंने तुम लोगों को कई बार बोला है कि इसका कोई चक्कर है | लेकिन तुम लोग मेरी बातों पर ध्यान ही नहीं देते हो | किसी दिन उसे कुछ हो गया तब तुम्हें समझ आएगा | अच्छी दोस्ती निभाह रहे हो” | इससे पहले कि कोई कुछ बोलता सिम्मी उठ कर तेजी से कैंटीन के बाहर निकल जाती है | उसे जाते देख वैशाली उसे पकड़ने के लिए भागती है | कैंटीन में बैठे बाकी सब लोग गौरव कुणाल और रीना को प्रश्न भरी निगाहों से देखने लगते हैं |

रीना उठते हुए कुणाल को देख कर बोली “चलिए हम भी चलते हैं” | उसे उठते देख गौरव और कुणाल भी रीना के साथ उठ कर कैंटीन से बाहर की ओर चल देते हैं |

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