अणु और मनु - भाग -5 Anil Sainger द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अणु और मनु - भाग -5

गौरव दोपहर का खाना खा कर अभी अपने कमरे में आ कर लेटा ही था कि उसके फोन की घंटी बज उठी | वह बेमन से फ़ोन उठा कर “हेल्लो”, बोलता है | दूसरी तरफ से रीना की आवाज सुन कर वह बेड पर तकिया लगा कर बैठ जाता है | रीना “गौरव तुम लाइन पर हो | मेरी आवाज आ रही है” | गौरव बोला “हाँ, हाँ बोलो” |

“गौरव क्या बात है | आज तुम जल्दी कैसे चले गए | सब ठीक तो है न” |

गौरव मुस्कुराते हुए बोला “क्या बात है मैडम आप ने कैसे फ़ोन कर लिया” |

“अरे यार आज पहली बार तुम बहुत ही अपसेट लग रहे थे और फिर तुम जल्दी भी चले गये थे | मुझे लगा कि जरूर कोई बात है बस इसीलिए फ़ोन कर लिया” |

“नहीं ऐसी कोई बात नहीं है | सिर कुछ भारी लग रहा था | असल में मुझे रात को ठीक से नींद नहीं आई थी | मैंने एक बहुत ही बुरा सपना देखा था | वह...वह मेरे दिमाग और सोच से निकल ही नहीं रहा था | बस इसीलिए मैंने सोचा कि घर जा कर कुछ आराम कर लेता हूँ” |

“ओह ! ठीक है तुम आराम करो मैं रात को तुम से बात करती हूँ | Take care”, कह कर रीना फ़ोन रख देती है | गौरव कुछ देर तो फ़ोन पकड़ कर बैठा रीना के बारे में सोचता रहता है फिर वह मुस्कुराते हुए फ़ोन को साइड टेबल पर रख कर लेट जाता है |

*

“गौरव, गौरव बेटा”, आवाज सुन गौरव की नींद खुलती है | सामने अम्मी को हैरानी से देखते हुए वह हँस कर बोला “क्या हुआ आप मुझे ऐसे क्यों देख रही हैं” |

सोनिया झुक कर गौरव के माथे को हाथ लगाते हुए बोली “क्या हुआ तुम आज कॉलेज से जल्दी कैसे आ गये और अभी तक कैसे सो रहे हो” |

“क्यों क्या टाइम हो गया है”, गौरव साइड टेबल से फ़ोन उठाते हुए बोला | फ़ोन में समय देख कर बोला “शिट आठ बज गये हैं | मुझे तो पता ही नहीं लगा” |

सोनिया गंभीर भाव से बोली “क्या हुआ बेटा | क्या बात है | बोलो बेटा” |

गौरव मुस्कुराते हुए सोनिया का गाल पकड़ते हुए बोला “कुछ नहीं अम्मी आप बेवजह चिंतित हो रही हैं | बस कल रात को ठीक से नींद नहीं आई थी | सिर में दर्द हो रहा था इसीलिए कॉलेज से जल्दी आ कर सो गया था” |

सोनिया फिर से गंभीर भाव से बोली “रात को क्या हुआ | ऐसा क्या देखा जो तुम जैसा लड़का इतना अपसेट हो गया” |

यह सुनते ही गौरव उत्साहित होते हुए बोला “अम्मी वह सपना नहीं था | मुझे तो लग रहा है वह सच ही था | वह शायद आने वाले समय की चेतावनी थी” |

“क्या मतलब ? ऐसा क्या देखा तुमने” ?

“अप्पा कहीं भाषण देने जा रहे हैं और मुझे पहले ही दिख गया है तो इसका मतलब है कि जरूर कुछ बात है” |

सोनिया गौरव के कंधे पर हाथ रखते हुए बोली “इसमें क्या बात है | तुम्हारे अप्पा तो भाषण देने जाते ही रहते हैं” |

गौरव झुन्झुलाते हुए बोला “माँ, आप समझ नहीं रही हैं | मैंने देखा कि अप्पा का भाषण खत्म होने को ही था कि.....”, कमरे में अंदर आते हुए अक्षित की आवाज सुन चुप कर जाता है | अक्षित सोनिया के पास आ कर बोला “क्या बात हो रही है माँ-बेटे में, हम भी तो सुने”?

अक्षित को देख सोनिया बोली “आप ने चाय पि ली कि वहीं छोड़ आये हैं” |

अक्षित सिर झुकाते हुए बोला “जी महारानी पी ली है” |

सोनिया मुँह बिचकाते हुए बोली “आपकी आदतों का पता है मुझे | सच बोलो” |

अक्षित मुस्कुराते हुए बोला “जी सच ही बोल रहा हूँ”, कह कर अक्षित गौरव की ओर देख कर बोला “क्या बात है भाईसाहिब आप लेटे कैसे हुए हैं | सब ठीक तो है” |

सोनिया बेड पर गौरव के पास बैठते हुए बोली “भाईसाहिब कॉलेज से जल्दी आ कर दोपहर से अभी तक सो रहे हैं और कह रहे हैं कि सब कुछ ठीक है | अब आप ही पूछिए | मैंने पूछा तो कह रहा है कि रात को एक सपना देखा था कि आप कहीं भाषण देने गये हैं | और इसीलिए भाईसहिब रात को ठीक से सो नहीं पाए” |

अक्षित भी सोनिया के साथ बैठते हुए बोला “बच्चा कुछ कह रहा है तो सुन तो लो कि आखिर वह कहना क्या चाहता है | बोलो बेटा कहना क्या चाहते हो”|

सोनिया मुस्कुराते हुए बोली “आप भी बस....”,फिर कंधे झटकते हुए बोली “आप भी छोटी सी बात को कहीं भी ले जाते हैं | अब ऐसा भी वहम इन बच्चों में न पलने दें कि हमें जो भी सपने में दिखता है वह सब सच होता है” |

“नहीं, मैं ऐसा कुछ नहीं कह रहा हूँ | मैं तो आप लोगों को याद कराने की कोशिश कर रहा हूँ कि आप लोग आम लोगों से अलग हो | बाकी सब लोग जो भी सपने में देखते हैं या फिर उन्हें कई बार वैसे ही आँख बंद करने पर महसूस होता है | वह उसे या तो समझ नहीं पाते हैं या फिर उस मेसेज को डिकोड नहीं कर पाते हैं | आम लोगों को ज्यादात्तर उनके अवचेतन दिमाग(subconscious mind) में जो भी कचरा होता है वह उनके सोते ही या आंख बंद करते ही उन पर हावी हो जाता है | उनके सोने के बावजूद उनका दिमाग काम करता रहता है | इसलिए उन में और हम में फर्क है | हम सब सालों से रोज सोने से पहले मैडिटेशन करते हैं | हम सब समय-समय पर अपने अवचेतन दिमाग से गैर जरूरी सोच को हटाते रहते हैं | अब जैसे गौरव ने जो कुछ भी सपने में अनुभव किया है हो सकता कि आने वाले समय का उस से कोई सम्बन्ध हो | उसके अनुभव को नकारा नहीं जा सकता है | हाँ, वह सच है या हो सकता है | यह तो इसकी बात सुनने के बाद ही पता चलेगा” |

सोनिया बेड से उठते हुए बोली “आप भी कई बार बहुत शक्की हो जाते हो” |

अक्षित गौरव के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला “तुम मैडिटेशन रूम में चलो और वहाँ बैठने की बजाय लेट कर उस सपने में जाने की कोशिश करो | ताकि तुम ने जो भी देखा है वह सब याद आ जाए | मैं अभी आता हूँ” | अक्षित की बात सुन गौरव कंधे झुकाए मैडिटेशन रूम की ओर चल देता है | उसके जाते ही अक्षित सोनिया को भी चलने का इशारा करता है |

सोनिया मुंह बनाते हुए बोली “मैं नहीं आउंगी, मुझे अभी बहुत काम हैं और ऐसी बेतुकी बातों में आप ही पड़ें | मेरे को ऐसी बेफ़िजूल बातें सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं है” |

अक्षित मुस्कुराते हुए बोला “सोनू जी, वो कहते हैं न, कब किस मोड़ पर ईश्वर मिल जाए इसलिए सम्भल कर और दिल और दिमाग खोल कर चलना चाहिए | फिर जब बच्चा इतना परेशान है तो हमें उसकी बात सुननी चाहिए | ठीक है या गलत उसका फ़ैसला तो सुनने के बाद ही हो सकता है” |

सोनिया अक्षित का हाथ पकड़ कर उसे बेड से उठाते हुए बोली “आप मानने वाले तो हो नहीं, अब चलना तो पड़ेगा ही.....” |

अक्षित, सोनिया का हाथ पकड़ मैडिटेशन रूम की ओर जाते हुए बोला “सोनू जी फिर एक बार में ही क्यों नहीं मान जाती हो” |

सोनिया इठलाते हुए बोली “ऐसे कै...स...से... एक बार में मान जाऊं | तुम्हारी तो मौज ही लग जायेगी” |

अक्षित मुस्कुराते हुए सोनिया का हाथ पकड़ मैडिटेशन रूम की ओर जाते हुए बोला “फिर किसकी मौज लगाना चाहती हो” |

मैडिटेशन रूम का दरवाज़ा खोलते हुए सोनिया बोली “ऐसे कुछ भी कभी भी बोल देते हो” |

अक्षित हाथ से शांत रहने का इशारा करते हुए गौरव के पास बैठ जाता है | सोनिया के बैठते ही गौरव आँख खोल कर बोला “शुरू करूँ” | अक्षित गौरव को इशारा करता है कि वह आँख बंद कर ऐसे लेटे-लेटे ही बोलना शुरू करे |

गौरव के चेहरे से लग रहा था कि वह कुछ अजीब सा अनुभव कर रहा है | फिर उसने एक लम्बी साँस ली और बोलना शुरू किया “मुझे जितना याद है उतना ही सुना पाऊंगा | अप्पा का लोधी रोड पर स्थित किसी संस्था के काफी बड़े ऑडिटोरियम में स्ट्रेस मैनेजमेंट पर भाषण होना था | मैं जल्दी में था क्योंकि मेरे हिसाब से अप्पा के भाषण को शुरू हुए लगभग दस-पन्द्रह मिन्ट हो चुके थे | मैं दरवाज़ा खोल कर अन्दर घुसा तो देखा कि वह हॉल पूरा भरा हुआ था | मैं दरवाजे की चौखट और कुर्सियों की आख़िरी लाइन के बीच कुछ जगह थी वहीं खड़ा हो गया | आप उस समय बोल रहे थे........”, कह कर गौरव चुप कर जाता है | उसके चेहरे से लग रहा था जैसे वह कुछ भूल रहा है और काफी कोशिश के बाद भी उसे याद नहीं आ रहा है |

गौरव को चुप देख सोनिया धीरे से अक्षित के कान में बोली “तुमने क्या यहीं जाना है और क्या स्ट्रेस मैनेजमेंट पर ही भाषण देना है” | अक्षित के ‘हाँ’ में सिर हिलाते ही सोनिया के चेहरे पर गंभीरता छा जाती है | अक्षित, सोनिया के कान में धीरे से फुसफुसाया “मेरी टेबल के सीधे हाथ वाली बीच की दराज में एक नोट पैड पड़ा है उसमें उस भाषण के कुछ पॉइंट्स लिखे हैं उसे जल्दी से ले आओ” | सोनिया सुनते ही तेजी से उठी और कमरे से बाहर चली गई |

अभी वह वापिस कमरे में नोट पैड लेकर आई ही थी कि गौरव याद करते हुए बोला “उस समय आप बोल रहे थे कि ‘ऐसे स्ट्रेस या तनाव में हम जन्म लेते हैं | हमारे ज़िन्दगी के पहले ढाई-तीन साल हमारे बिना किसी तनाव के गुजरते हैं | हम अभी गर्भ के स्ट्रेस को भूलते ही हैं कि अचानक एक दिन हमें स्कूल भेज दिया जाता है.........” | गौरव जैसे-जैसे बोलता जा रहा था सोनिया के चेहरे पर एक अजीब सा खौफ़ बढ़ता जा रहा था | वह कभी नोट पैड को तो कभी अक्षित को देख रही थी | अक्षित बिलकुल शांत भाव से सुन रहा था |

अचानक गौरव ने अपनी आँखें खोली और बोला “उसके बाद मुझे कुछ याद नहीं क्या हुआ | एक कान फाड़ने वाला धमाका हुआ और चारों तरफ शोर होने लगा | उस धमाके से मेरी आँखें बंद हो गई थीं और जब मेरी आँख खुली तो मैं पसीने से लथ-पथ अपने बिस्तर पर था” |

सोनिया एक टक गौरव को देखे जा रही थी | उसके हाथ से नोट पैड कब का फिसल कर गिर चुका था | गौरव की अचानक नज़र जब माँ पर पड़ी तो उन्हें अपनी ओर एक टक देखते हुए बोला “क्या हुआ माँ” |

यह सुन सोनिया का ध्यान टूटता है और वह सकपकाते हुए बोली “कुछ नहीं बेटा | मैं तो ध्यान से तेरी ही बातें सुन रही थी” |

अक्षित गौरव के सिर पर हाथ रखते हुए बोला “बेटा, जाओ थोड़ी देर बाहर घूम कर आओ और ठंडा पानी पी कर फ्रिज में रखी आइसक्रीम खा लो | हम फिर से मैडिटेशन पर बैठेंगे और इस सपने की सच्चाई जानने की कोशिश करेंगे | लेकिन तुम्हारा दिमाग और शरीर शांत होना जरूरी है | अभी तक तुमने जो भी बताया है उससे पूरी तरह से नहीं कहा जा सकता है कि तुम्हें जो दिखा वह सच में होगा ही | अब जाओ और फ्रेश हो कर आओ” |

गौरव लगभग लड़खड़ाते हुए उठता है और मैडिटेशन रूम से बाहर निकल कर दरवाज़ा बंद कर देता है | गौरव के जाते ही सोनिया अक्षित का हाथ पकड़ कर दबाते हुए बोली “यह तो काफी कुछ आपके लिखे पॉइंट्स से मिलता-जुलता है” |

अक्षित मुस्कुराते हुए बोला “क्यों क्या हुआ, सपने तो सपने ही होते हैं | उनका हक़ीकत से क्या लेना देना” |

“आप ताने मारने से कभी नहीं चूकते | मौका तो देख लिया करो” | सोनिया गुस्से से अक्षित को देखते हुए बोली |

अक्षित मुस्कुराते हुए बोला “अब सुन कर तुम्हें समझ में आ रहा है और जब मैं बिना समझे ही बोल रहा था तो मैडम जी को मज़ाक सूझ रहा था” |

“छोड़ो इस बात को | यह सोचो कि अगर यह सच हुआ तो......” | सोनिया सकपकाते हुए बोली |

अक्षित मुस्कुराते हुए बोला “जी नहीं.......”|

सोनिया खुश होते हुए बोली “मतलब नहीं होगा | शुक्र है”|

अक्षित सोनिया के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला “शांत मेरी महारानी | तुम्हें इतना अधीर नहीं होना चाहिए | शांत रहो और मेरी बात ध्यान से सुनो | जो भी अभी गौरव ने बोला है वह बिलकुल सच है.......”|

सोनिया बीच में ही बोली “लेकिन......लेकिन तुमने गौरव को तो......” |

अक्षित उसके होंठों पर हाथ रखते हुए बोला “शांत सोनू | मैंने गौरव को जो कुछ भी बोला वह केवल इसलिए कि वह शांत हो जाए | वह शांत होगा तभी मैं उसके आने पर उसे हिप्नोटाइज कर सच्चाई जानने की कोशिश कर सकता हूँ | वह शांत होगा तभी वह देख पाएगा कि किसने और कैसे धमाका.......”|

“हिप्नोटाइज कर क्या हम पता लगा पाएंगे” |

“हाँ, अगर वह पूरी तरह से शांत हुआ | नहीं तो फिर कल कोशिश करेंगे” |

“लेकिन पता तो लग जाएगा” |

“हाँ, हमारे पास अभी तीन दिन का समय है | कोशिश करने में क्या जाता है” |

“अगर नहीं पता लगा पाए तो फिर आप मत जाइएगा” |

“सोनू, यह होना ही है तभी तो वह देख पाया.....”|

“मतलब, फिर आप देख ही क्यों रहे हैं” |

“मैडम जी, उसे दिखा ही इसलिए है कि हम उस होने वाली घटना से कुछ सबक लें और अगर वह सब कुछ बता पाए तो उसमें कुछ बदलाव लाएं | अब यह गौरव पर ही सब निर्भर है | यदि वह देख पाया तो फिर बम ब्लास्ट को रोकने की कोशिश की जा सकती.......” | अभी अक्षित अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया था कि कमरे का दरवाज़ा खुलता है और चेहरे पर शांत भाव लिए गौरव अन्दर आता है |

अक्षित, गौरव को बैठने का इशारा करता है | अक्षित गौरव के सिर पर हाथ फेरते हुए बोला “देखो बेटा मैं तुम्हें रात को सोने की स्थिति में ले जाने की कोशिश करूँगा | बस तुम्हें शांत रहना है और मैं जो भी बोलूँगा उसी पर ध्यान देना है | किसी भी तरह से तुम्हें भटकना नहीं है | शांत रह कर मेरी बातों को फॉलो करना है | ठीक है, कोई शक” | गौरव ने ‘हाँ’ में अपना सिर हिलाया और लेट कर अपनी आँखें बंद कर ली |

अक्षित ने गौरव को आँखें बंद करता देख सोनिया को पास बुलाया और धीरे से उसके कान में बोला “तुम बिलकुल शांत रहना | तुम्हारी अशांति या नेगेटिव थॉट का उस पर असर पड़ सकता है | आवाज किसी भी तरह की नहीं करना | ठीक है” |

सोनिया के ‘हाँ’ में सिर हिलाने पर अक्षित गौरव के सिर की तरफ आ कर बैठ जाता है और गौरव के माथे पर हाथ रखते हुए बोला “अब जैसे तुम रोज मैडिटेशन करते हो वैसे ही मैडिटेशन करो” | गौरव की बंद आँखों की पुतलियाँ कुछ देर तक हिलती रहती हैं | जैसे ही वह स्थिर हो जाती हैं तो अक्षित समझ जाता है कि गौरव अब स्थिर अवस्था में ध्यान कर रहा है | वह गौरव के माथे पर हाथ रखते हुए बोला “बेटा अब तुम सोने की कोशिश करो” | अक्षित बहुत ही हल्के हाथ से गौरव का माथा सहलाते हुए बोला “गौरव तुम्हें अब नींद आ रही है | तुम्हें अब नींद आनी शुरू हो चुकी है | गौरव तुम अब सो रहे हो | गौरव तुम सो चुके हो” | कह कर अक्षित अपना हाथ गौरव के माथे पर से हटा लेता है |

अक्षित बहुत ही शांत भाव से गौरव को कुछ देर निहारने के बाद बोला “गौरव अब याद करो कि तुमने सोने से पहले लेटे हुए क्या किया था | गौरव तुम्हें याद आ रहा है कि तुम बेड पर लेटे हुए हो और तुम्हारी आँखें नींद के कारण बोझिल हो रही हैं | गौरव तुम सब कुछ याद कर पा रहे हो | बोलो क्या दिख रहा है तुम्हें” |

“हाँ, मैं लेटता ही हूँ कि मेरे फ़ोन की बेल बज उठती है | मैंने फ़ोन उठा कर देखा तो व्हाटस एप्प पर कोई मेसेज आया था | मैंने मेसेज नहीं पढ़ा और नेट बंद कर दिया ताकि कोई और मेसेज न आए | मेरी आँखें भारी हो रहीं हैं | मैंने आँख बंद किये हुए ही फ़ोन को बेड के साथ पड़ी टेबल पर रख कर पासा पलट लिया है” |

“ठीक है | अब तुम सो रहे हो | तुम्हारी नींद गहरी होती जा रही है | तुम्हे शायद कोई सपना आ रहा है, देखो | ध्यान से देखो क्या दिख रहा है”|

गौरव अटकते हुए बोला “मैं भागते हुए एक बिल्डिंग के अंदर घुस रहा हूँ | वहाँ बाहर दरवाज़े के पास कई पुलिस वाले खड़े हैं” |

“ध्यान से देखो कितने पुलिसवाले हैं | क्या कर रहे हैं | और क्या-क्या है वहाँ” |

“वहाँ पर लगभग दस-बारह पुलिसवाले हैं | कोई भी मुझे नहीं देख रहा है सब दो-तीन के गुट में खड़े आपस में बात कर रहे हैं | हॉल के अंदर जाने के दो दरवाज़े हैं दोनों दरवाज़ों से पहले मैटल डिटेक्टर लगे हुए हैं | वह पुलिस वाले उन्हीं के पास थोड़ी दूरी पर खड़े हैं | मेरे से पहले एक औरत घुस रही है | मैटल डिटेक्टर से कोई आवाज नहीं आई है | शायद वह बंद कर दिए गये हैं या फिर खराब हैं | पुलिस वालों ने उस औरत की तरफ देखा भी नहीं है | दोनों दरवाज़ों के बीच एक टेबल लगी है जिस पर कुछ क़िताबें पड़ी हुई हैं और दो औरतें वहाँ बैठी हैं | वहाँ बैठी एक औरत ने अंदर जाती महिला से बोला ‘मैडम यहाँ अपने हस्ताक्षर कर दीजिए’ | लेकिन वह महिला तेजी से दरवाज़ा खोल कर अंदर घुस जाती है और उसी के पीछे-पीछे मैं भी अंदर घुस जाता हूँ |

मैं दरवाज़ा खोल कर अन्दर जा रहा हूँ | हॉल पूरा भरा हुआ है | उस हॉल में अंदर आने के दो दरवाज़े हैं, जोकि स्टेज तक जाते हैं | दोनों रास्तों पर रेड कारपेट बिछा हुआ है | कुछ लोग सीट न मिलने के कारण स्टेज के पास ही दोनों रास्तों पर बैठे हुए हैं | हॉल में लगभग दो सवा दो हज़ार के करीब लोग हैं | मैं चारों तरफ़ देख रहा हूँ | कहीं कोई खाली कुर्सी नहीं है | मैं दरवाजे की चौखट और कुर्सियों की आख़िरी लाइन के बीच कुछ जगह है वहीं खड़ा हो गया हूँ | अप्पा बोल रहे हैं ऐसे स्ट्रेस या तनाव में हम जन्म लेते हैं.....” |

जैसे-जैसे गौरव बोलता जा रहा था | सोनिया के माथे पर हल्की ठंड के बावजूद पसीने की कई बूंदे उभर आईं थी | वह पहले भी कई बार माथे पर आते पसीने को पोंछ चुकी थी | वह बार-बार अक्षित को देख रही थी | वह बिलकुल शांत भाव से गौरव की बातें सुन रहा था |

“................दोस्तों अब हम शान्ति के लिए एक प्रार्थना बोलेंगे | इस में ईश्वर एक नाम है उस अनंत अविनाशी और निराकार का | आप जिस भी धर्म या सम्प्रदाय से हैं आप राम, कृष्ण, वाहे गुरु, अल्लाह, जीजस या जिसका भी नाम लेना चाहें, ईश्वर की जगह बोल सकते हैं | अब आप मेरे साथ बोलते जाएंगे |

हे ईश्वर हमें बुद्धि, शान्ति व ज्ञान दो | हम जो भी करते हैं वह हम ही करते हैं | हमारे साथ जो भी हो रहा है वह हमारे इस जन्म या पिछले जन्मों का ही फल है | हमें बुद्धि दो........ यह.......यह क्या हुआ कहीं........ कहीं........बहुत ही तेज कान फाड़ने वाली आवाज हुयी है........................मु.........मुझे कुछ.................. छ........... कुछ भी........न.............नहीं.........” |

यह बात सुनते ही सोनिया का पूरा चेहरा पसीने से भीग जाता है | वह डर कर अक्षित के कंधे को दबाती है तो अक्षित शांत भाव से उसके होठों पर ऊँगली रख कर उसे शांत रहने का इशारा करता है | अक्षित बहुत ही शांत भाव से गहरा साँस लेते हुए बोला “गौरव शांत हो जाओ | गौरव बिलकुल शांत हो जाओ और ध्यान से सुनो तुम्हारे अप्पा बोल रहे हैं ‘दोस्तों अब हम शान्ति के लिए एक प्रार्थना बोलेंगे | ध्यान से सुनो क्या वह यही बोल रहे हैं | बोलो गौरव, सुनो ध्यान से सुनो क्या वह यही बोल रहे........”|

गौरव का अभी तक जो साँस तेज चल रही थी और चेहरे पर डर के भाव थे वह अक्षित की बात सुन चेहरे के भाव बदलने लगते हैं | वह अब साँस भी अब धीरे-धीरे लेने लगा था |

“गौरव ध्यान से सुनो अप्पा क्या बोल रहे हैं”

“हाँ, अप्पा यही बोल रहे हैं” |

“गौरव ध्यान से देखो कि क्या अभी-अभी हॉल में कोई आया है” |

“हाँ, अप्पा बोल रहे हैं दोस्तों अब हम शान्ति के लिए एक प्रार्थना बोलेंगे” |

“गौरव ध्यान से देखो कि अप्पा के प्रार्थना शुरू करने से कुछ पहले या अभी-अभी कोई आया है” |

“नहीं, मुझे याद नहीं आ रहा है कि कोई आया है कि नहीं....शायद नहीं” |

“गौरव ध्यान से देखो और याद करने की कोशिश करो, तुम सोच सकते हो, तुम देख सकते हो, देखो कोई आया” |

“नहीं कोई नहीं आ...या... है | हाँ अभी-अभी दोनों दरवाज़ों से दो लड़के अंदर घुसे हैं” |

“गौरव तुमने यहाँ खड़े-खड़े कई बार पूरे हॉल में बैठे लोगों को देखा होगा | तुम्हें बैठे लोगों में किसी का व्यवहार अजीब लगा कि नहीं | ध्यान से देखो” |

“हाँ, आगे से चौथी कतार में जहाँ एक मोटा सा आदमी सफ़ेद कपड़ो में बैठा है उससे दो सीट छोड़ कर बैठने वाला आदमी बार-बार दरवाज़े की ओर देख रहा है” |

“ध्यान से देखो कोई ओर भी है जो बाहर दरवाज़े की ओर देख रहा है” |

“नहीं, नहीं ऐसा कोई ओर नहीं है | सब अप्पा के भाषण में मस्त हैं” |

“वो दोनों लड़के किस उम्र के हैं और तुम तो दरवाज़े के पास ही खड़े हो तो क्या एक लड़का तुम्हारे पास ही खड़ा है” |

“हाँ वह लड़का मेरे ही पास खड़ा है” |

“उन लड़कों ने क्या पहना हुआ है” |

“जो मेरे पास खड़ा है उसने जीन और हरे रंग की कमीज पहनी है | दूसरे ने काले रंग की कमीज पहनी है | उसने भी शायद जीन ही पहनी है” |

“उन दोनों ने एक दूसरे को देखा और आगे की ओर बढ़ रहे हैं” |

“उस व्यक्ति को देखो जो बार-बार पीछे दरवाजे की ओर देख रहा था | वह अब क्या कर रहा है” |

“वह इन लड़कों के अंदर आते ही बाहर चला गया है” |

“अब वह लड़के क्या कर रहे हैं” |

“वह दोनों आगे जहाँ कुछ लोग सीट न होने के कारण कारपेट पर बैठे हैं उन्हीं के पास पहुँच गये हैं” |

“क्या वह दोनों वहाँ बैठ गये हैं” |

“वह दोनों वहाँ बैठने लगे हैं | बहुत जोर से.......अब मुझे कुछ सुनाई और दिखाई.......नहीं......दे रहा है | मेरी आँखे खुल नहीं रही हैं | कोई मुझे धक्का मार रहा है” |

“गौरव क्या तुम मुझे सुन पा रहे हो” |

“हाँ, कुछ कुछ......”|

“गौरव तुम दरवाजे के पास ही खड़े हो | दरवाज़ा तुम्हारे साथ ही है | दरवाज़ा खोलो और बाहर आ जाओ | गौरव बाहर आ जाओ”|

“हाँ, मैं आता हूँ | मैं आता हूँ” |

अक्षित गौरव की बात सुनकर कि ‘मैं बाहर आता हूँ’ चैन की साँस लेता है | अचानक अक्षित को महसूस हुआ कि उसके कन्धों में बहुत दर्द हो रहा है | जैसे चार पांच चाक़ू एक साथ उसके कंधे में घुसते चले जा रहे हैं | उसकी नजर अपने कन्धों पर जाती है तो वह मुस्कुरा देता है | सोनिया ने अपने हाथ के सारे नाख़ून उसके कंधे में गाड़ रखे थे | सोनिया की आँखों से अविरल आंसू बह रहे थे | जैसे ही अक्षित ने उसका हाथ पकड़ा तो उसे होश आया | धीरे से ‘सॉरी’ बोल वह आँखें पोंछती हुई सीधी बैठ गई |

गौरव को शांत देख अक्षित बोला “तुम बाहर आ गए हो | कोई बाहर खड़ा है या यहाँ कोई नहीं है” |

“नहीं यहाँ कोई नहीं है” |

“गौरव तुम शांत हो जाओ | गौरव यह एक सपना था | गौरव तुम्हें याद है कि तुम अपने बेड पर सोये थे” |

“हाँ” |

“गौरव तुमने अभी-अभी एक सपना देखा है | तुम्हें अब वह सपना याद नहीं है | तुम सुन रहे हो | तुम्हें अब सपना याद नहीं है” |

“हाँ मैंने अभी एक सपना देखा था | मुझे.... याद.... नहीं आ रहा है कि मैंने अभी क्या देखा....”?

“तुम भूल चुके हो कि तुमने कोई सपना देखा है | तुम अभी भी सो रहे हो” |

“हाँ, मैं सो रहा हूँ” |

गौरव को ऐसा बोलता सुन अक्षित के चेहरे पर एक विस्मयकारी मुस्कान फ़ैल जाती है | सोनिया की आँखे हैरानी से बड़ी हो जाती हैं | वह चाह कर भी अक्षित को कुछ बोल नहीं पाती है | अक्षित उसके कान में बहुत धीरे से “अब यह उठ रहा है | जल्दी से अपने आँसू पोंछो और बिलकुल नार्मल हो कर बैठो | आँख ऐसे बंद कर लो जैसे तुम मैडिटेशन कर रही हो” |

अक्षित ने गौरव के माथे पर हाथ रखा और बोला “गौरव उठो अब तुम्हारी नींद पूरी हो चुकी है | तुम काफी देर से सो रहे थे, अब उठ जाओ” |

“हाँ, हाँ, अप्पा मैं उठ रहा हूँ” |

“गौरव अपनी आँखें खोलो” |

गौरव अंगड़ाई लेते हुए बोला “हाँ मैं उठ रहा हूँ”, कह कर वह आँखे खोलता है | आँखें खोलते ही वह अपने आस-पास देख कर एक झटके से उठ कर बैठते हुए बोला “क्या मैं मैडिटेशन करते हुए सो गया था” |

अक्षित मुस्कुराते हुए बोला “जी नहीं, बेटा आप कह रहे थे कि आपको कोई सपना आया था और वह आपको परेशान कर रहा है | मैंने आपको कहा कि आप यहाँ लेट जाओ और ध्यान लगा कर देखो कि वह सपना क्या है जो आपको इतना परेशान कर रहा है लेकिन बेटा आप मैडिटेशन करते हुए सो गये थे | हम दोनों इन्तेजार ही करते रह गये | हम दोनों ने आपको बहुत उठाने की कोशिश की लेकिन आप उठे ही नहीं” |

“हाँ, शायद मैं सो ही गया था | क्या फिर से कोशिश करूँ” ?

“नहीं | नहीं याद आ रहा है तो कोई बात नहीं | अब आप जाओ और सो जाओ | फिर आपको कोई परेशानी हो तो बताना” |

यह कह कर वह तीनो उठ जाते हैं और मैडिटेशन रूम की लाइट बंद कर गौरव सीड़ी चढ़ कर ऊपर चला जाता है और अक्षित और सोनिया अपने कमरे में आ जाते हैं | सोनिया कपड़े बदलने के लिए कमरे में ही बने बाथरूम में चली जाती है और अक्षित बिस्तर पर आ कर लेट जाता है |

बाथरूम से कपड़े बदल कर सोनिया अक्षित के पास आ कर लेटते हुए बोली “अब आप क्या करेंगे | क्या उन दोनों लड़कों के पास बम था” |

“हाँ, लग तो यही रहा है और वह आदमी जो उठ कर गया | वह ही उनका बॉस होगा या वही यह ब्लास्ट करवाना चाहता होगा” |

“अब यह सब आप किसे बताएँगे और कौन इसे मानेगा” |

“हाँ, अब तक तो यह दुविधा थी कि आखिर गौरव परेशान क्यों है और अब यह कि इसका हल क्या है और बताया किसे जाए | चलिए देखते हैं, जब यहाँ तक पहुंचे हैं और नियति हमें यहाँ तक लाई है तो इसके आगे का हल भी खुद-ब-खुद ही मिलेगा” |

अक्षित और सोनिया दोनों एक दूसरे के गले में बाहें डाल आँख बंद कर लेट जाते हैं|

✽✽✽