तलब - 1 Raavi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तलब - 1

अक्सर रात की तन्हाई और आँखों से ओझल नींद.. हमें वो सारी बातें..सारे किस्से याद करा जाती है जिनको हम दिनभर काम में बिज़ी रहकर नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करते है...

पर ये रास्तों के लंबे सफ़र कहाँ इजाज़त देते है की हम भूलने की मजाल कर पाए...

ट्रैन की खिड़की के बाहर पसरा घनघोर अंधेरा..अंदर आती ठंडी-ठंडी हवा..हवा के झोंकों से कान के पीछे दबाई लटों का बार-बार गालों तक आना..और फिर से उन्हें कान के पीछे दबाने की माया की हर बार की तरह नाकाम कोशिश..

थोड़ी देर ये खेल खेलकर माया ने बालों को हवा के भरोसे छोड़ा और अपने पुराने काले पर्स के अंदर से फोन और इयरफोन निकाले..और फोन में म्यूज़िक एप्लीकेशन ऑन की...
बिल्कुल भी मन नहीं था के किसी भी तरह से..कोई भी याद मन को भारी कर जाए..
और ये सफ़र काटना मुश्किल हो जाये.

इसलिए फ़ोन में रॉक सांग प्लेलिस्ट की फ़रमाइश हुई और रॉक सांग की रिक्वेस्ट मिलते ही रॉक..हिप हॉप..आईटम सांग्स और इसी कैटेगरी के सारे गाने अपने आप लाइन में आके लग गए..

थोड़ी देर बेबी डॉल और चीटिया कलाइयाँ से मन बहलाया गया..
पर आख़िर में अपनी औक़ात पर तो आना ही था..तो फाइनली अपनी पसंद की सॉफ्ट रोमांटिक सांग लिस्ट चलना शुरू हुई...

सीट पे सर टिकाये ..आंखे बंद किये माया जैसे गानों के हर एक लिरिक को फ़ील कर रही थी
और उसका ये कम्फर्ट ज़ोन उसे उसके दौर में लेकर जा रहा था जिसको याद ना करने की कोशिश वो इतनी देर से कर रही थी...आख़िर उसके सामने था....


जुलाई की वो 18 तारिख़ का सीन...
ऑटोमोबाइल कम्पनी के ऑफिस की कैब में पास- पास बैठे माया और रोहित...
हमेशा की तरह इधर उधर की बातें करते हुए जब रोहित ने माया से कहा था..
तुमसे बात करना बहुत अच्छा लगता है...बोर नहीं होता हूँ कभी...
अगर शादीशुदा नहीं होता तो तुम्हें प्रोपोज़ ज़रूर करता..भले फिर तुम जो भी जवाब देती पर मैं हर कोशिश करता तुम्हे अपनी ज़िंदगी मे लाने की...बहुत अच्छी लगती हो तुम
हमेशा मज़ाक की बातों पर रिएक्ट करना आता था माया को..
पर ये मज़ाक नही था..
बहुत ही सीरियस होकर..आँखों मे आँखें डालकर पूरे विश्वास से कही हुई बात थी..
जो एक हल्की तीखी चुभन के साथ मेरे दिल के अंदर तक गयी थी..

कोई नया नया जवान हुआ लड़का इस तरह की बात करे तो उससे निपटना आता था माया को..

पर यहाँ 35 साल का शादीशुदा..समझदार...अपनी ज़िम्मेदारी को अच्छे से समझने वाला...विकसित सोच वाला एक इंसान था..
जो इंसान के बात करने के तरीके से उसके मन को भांप सकता था..
जो सबका अच्छा करने में विश्वास रखता था पर कोई बुरा करने पे आये तो इनकी बुराई की हद को नहीं नाप सकता था..
जैसे को तैसा टाइप..
जिसके लहज़े में जी हुजूरी नहीं थी..
जैसा साथियों से बातचीत..ग़लत होने पर उनको सुनाना.. वैसे ही मालिक बेवज़ह के काम के प्रेशर और बात के तरीक़े पे मालिक को सुनाना...
सब मुँह देखते रह जाते जब रोहित इस लहज़े से मालिक से बात करता और कंपनी का मालिक फिर अपनी बात का टॉपिक ही बदल लेते...

कंपनी के बाकी इंचार्ज और मैनेजमेंट पर्सन काफ़ी चीढे़ रहते थे रोहित से..
क्योंकि इस तरह बेबाक़ी से वो सब मालिक से बात नहीं कर पाते थे...
वो सब तो किसी तरह से चमचागिरी करके अपनी नौकरी बचाने और प्रमोशन करवाने के बहाने ही ढूँढा करते थे..पर रोहित में वो गुण नही था...

कई बार ऑफ़िस की मीटिंग्स में मालिक से बहस में बोल भी पड़ता था..
"हाँ तो आपको अपना स्टैंड रखने वाले एम्प्लाइज तो चाहिए नही..हिसाब करो ना मेरा..हाँ जी , हाँ जी करके काम नही कर सकता मैं..ग़लत को ग़लत ही बोलूँगा"...

पर बॉस लास्ट में उनके साथ कोई मज़ाक करके बहस को खत्म कर देते..रोहित की ईमानदारी वो भी जानते थे..

हाँ.. ग़लत को सही कहना और दूसरे एम्प्लॉयीज की बुराई करके खुद को कंपनी का सगा बताना उसके व्यवहार में नही था..पर ईमानदारी..अपने काम के लिए..
जिसकी वजह से बॉस इंचार्ज और मैनेजमेंट पर्सन के द्वारा हर बार की गई रोहित की बुराइयों को नज़रअंदाज़ कर देते थे...

उसके इसी अंदाज पर फीमेल एम्प्लॉयीज दीवानी रहती थी रोहित की....
इनडायरेक्टली फ्लर्टिंग में सिंगल हो...या मैरिड..सारी कोशिशों में लगी रहती थी..
रोहित बात सबसे करता पर भाव किसी को नही देता..
अगर किसी से अच्छी बनती थी और किसी को वो सबके सामने बिना किसी की परवाह किये सपोर्ट करता था..
तो वो मैं थी...

ऐसा नहीं था के मुझपे रोहित का असर नहीं था...
पर शादीशुदा थे ना...
और मुझे बाकि लड़कियो जैसे टाइम पास के रिश्ते बनाना नहीं आता था..
तो अपनी इस फीलिंग को मन में दबा के रखा था...
अक्सर सोचा करती थी..की कितनी लकी वाइफ है इनकी..जिनको रोहित मिले.. परफैक्ट हस्बैंड...

पर आज रोहित ने मुझसे शादी की इच्छा जताई थी...
क्या कहूँ..कैसे रियेक्ट करूँ..
कुछ समझ नही आ रहा था..
जिसके साथ इतना कम्फ़र्टेबल थी हमेशा से..आज उसी की आँखों में देखने में शर्म आ रही थी..उनकी नज़दीकी जैसे साँसों को तेज़ और गर्म पे गर्म किये जा रही थी...





माया की ज़िंदगी में आए इस मोड़ में उसका जवाब
दोनों की ही ज़िंदगी को बदलने वाला था...


कहानी का अगला भाग जल्द लेकर आऊँगी...
अपने सुझाव और राय ज़रूर दे..जिससे मैं कहानी में आगे और सुधार ला सकूँ...
धन्यवाद🙏