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विचार !!

अभी आप जो सोच रहे हो वही आपके विचार है या नही ?? जरा सोचिए।। क्या आप उसे रोक सकते हो?? हा, जरूर ।। पर उसके लिए आपको अपने मन ओर दिमाग पर काबू पाने की आश्यकता होगी ।। अब सोचिए यदि आप अपने मन पर काबू पाने की ठान लो तो आप अपने कोईभी विचार को सही में रोक सकते हो या नहीं !!


आप जब मन को काबू करने के बारे में सोचोगे तभी से आप के दिमाग में वही बात दोहरानी शुरू हो जाएगी की आपको अपने मन पर काबू पाना है, सही ना !! बस यू तो फिर से वही बात हो गई जो आपको नहीं करनी थी ।।


'सोच' सही में क्या है ?? एक तरह से देखे तो हमारे जीवन मे यह बहोत आम बात है पर, जब हम यह बात को समझने का प्रयास करे तब पता चल पाता है कि जिसे हम आम बात कह रहे है वो जीवन का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण हिस्सा है ।।


हम जो भी सोचते है उसे दो तरह से देखा जा सकता है ।। एक है सकारात्मक तरीका और दूसरा नकारात्मक ।। हमारी सोच व विचारसरणी इन्ही दो विभागों में बाटी जा सकती है ।


आपको पता है हमारे दिमाग या फिर मन मे जो भी विचार आते है वह हमारे देखने या सुनने में या तो फिर हमने जो भी कुछ अनुभव किया है उसी के आधार पर आते है । ज्यादातर लोग वही सोचते है जो उन्हें सोचना ही नही चाहिए ओर उसकी वजह से ही वह अपने आप को दूसरे से या फिर खुद से ही कमजोर समझने लगते है ।।


व्यवहार में हमे सभी संबधो के बीच मे रहना पड़ता है यह बात साफ कह देती है कि जो हम सोचेंगे वही करेंगे पर कोई बात सोचे बिना जब हम किसीको कुछ भी कह देते है तो उसे हमे भुगतना भी पड़ सकता है । हर बात को सोचे बिना उसे किसीको कह देना वो सामने वाली व्यक्ति को आपके वशमें करने जैसी बात हो जाती है । जिससे लोग आपसे नाराज हो सकते है व दूर भी हो सकते है, इसलिए कोई भी बात को किसीसे कहने से पहले उस पर विचार अवश्य करे ।।


जब हम किसीभी व्यक्ति के बारे में सोचते है तो हम उस व्यक्ति की अच्छाई और बुराई दोनो देखते है ।। उसके आधार पर हम उसकी तुलना खुदसे करने लगते है , होता है ना ऐसा ?? आप जब किसी व्यक्ति में अच्छी बात देखते हो या उसके बारे में सुनते हो तो आपको उसकी अच्छाई दिखती है और सही दौर में जब आप लोगो की अच्छाईओ को देखने व समझने की कोशिश करोगे तो आपकी सोच पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और उससे आपके विचार भी सकारात्मक होने लगेगें ।। यदी आप हमेशा लोगो के और खुद की ही बुराइयों को देखते हो तो आप उसी के आधार पर विचार करेंगे जिसे आपकी सोच नकारात्मक होने लगेगी ।। आपके विचार व सोच को आप खुद बदल सकते है ।


मन की परिभाषा में सबसे पहले आपकी सोच को बदलना व आपकी विचारसरणी को बदलना ही आपके जीवन को बदल सकता है ।।


अक्सर हमारे बारे में लोग क्या सोचेंगे व लोगो के मनमे क्या होगा वही हम सोचने लगते है, और उसीकी वजह से ही हम अपनी खुद की कीमत नही जान पाते और सही दिशा में नही जा पाते । लोग तो वही सोचेंगे जो उनकी विचारधारा होगी । हमे उनके बारे में सोचकर अपनी खुद की विचारधारा को बदलना ही नही चाहिए । जो आप भी ऐसा कर रहे हो तो आपको खुद को नही पता चलेगा कि आपकी विचारशीलता कैसी है और आप कोनसे रास्ते पर जा रहे हो ।


अपने 'विचार' को बदलने के लिए पहले दुसरो के बारे में अच्छाइयां ही देखे ओर उनकी अच्छाइयों को खुद से तुलना मत कीजिये क्योकि जब आप यहा पर तुलना करने में लग जाते हो तो फिर से किसी एक कि अच्छाइयों के सामने दुसरो की बुराई दिखेंगी ओर उससे आपके विचार पर प्रभाव होगा ।।


हमारे जीवन मे अच्छे विचार व सोच की आवश्यकता हर समय पर रहती है जिसे की हम अपनी ज्यादातर परिस्थितियों में खुश रह सकते है ।।


।। आभार ।।


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