उफ्फ ये मुसीबतें - 1 Huriya siddiqui द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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उफ्फ ये मुसीबतें - 1

हम सब बहोत आम है बेहद आम दरअसल कहा जाए तो हम आम जनता है
कभी कभी तो आम खाने के भी लाले पड़ जाते हैं अरे बात बजट की आ जाती है और कभी कभी बिन बुलाए मेहमान भी आ जाते हैं जिसके चलते अपने हिस्से के आम कुर्बान करना पड़ता है और इस कुर्बानी में मुझे जबरदस्ती शामिल किया अफसोस . हम मध्यर्गीय जीवों का जीवन बड़ा ही सरल होता है जितना सरल होता है उतना ही कठिन भी होता है इस बात से काफी लोग रिलेट कर सकते हैं क्योंकि हमारे इंडिया में नौजवानों की और बेरोजगारों की संख्या सबसे ज्यादा है वैसे ही मध्यमगीय परिवार भी काफी मात्रा में पाए जाते हैं इस प्रकार के धर्मसंकट से हम दो चार होते रहते हैं और इसी compromises के साथ जीना पड़ता है लेकिन हम तो ठहरे जंबो अरे हमने तो दो बार पी सी एस प्री क्वालीफाई किया है।हम क्यों करने लगे कॉम्प्रोमाइज हम तो अब्बू की लात खा कर ही मानते हैं। लेकिन साथ ही हमारा अपने छोटो पर भी बड़ा रोब है इज्जत की गारंटी तो हम नहीं लेते हैं लेकिन डर बहुत है हमारा छोटे बच्चों की चॉकलेट टॉफी खिलौने सब पे हमारा हक रहता है बिना किसी हिचक के। खैर अब आते हैं हमारे घर पर में आपको हमारे घर ही नही बल्कि हमारे दिल बहुत बड़े मिलेंगे हमारा घर बहुत ही छोटा सा और प्यारा सा है असल में ये सब कहने की बात है घर छोटा ही है मगर प्यारा शब्द तो यूं ही लगाना पड़ता है जिससे मन को अच्छा लगे जैसे सजावट के केक पर चेरी, नेता और झुट, बारिश और मच्छर। और ऐसे ही इस छोटे से घर में हम सब बड़े प्यार और मिल्लत के साथ लड़ाई झगड़े करते हुए रहते हैं असल में लड़ाई झगड़े ही होते हैं ज्यादातर। इस छोटे से घर की कई सारी खासियत है जैसे जोक किसी एक को सुनाई पर हंसता पूरा घर है चाहे वो तस्वीह पढ़ती दादी हों या फिर पेपर पढ़ते हुए मेरे जब्बू या फिर बगल में बैठी मेरी बहन जिसको मैंने जोक सुनाया, सब के सब हंसने यहां तक की किचन में रोटी बनाती हुई मेरी मंझली बहन भी हंसने लगती है । ये तो हुई मज़ाक की बात, कभी कभी तो अब्बू डांटते किसी एक को हैं पर हम सब सब कन्फुजिया जाते है कि डांट पड़ किसको रही है ।हाँ इससे भी एक बड़ा ही अच्छा किस्सा याद आया एक बार हम तीनों बहनें कमरे में बैठकर पढ़ाई कर रहे थे सबकी नजर किताबों गड़ी हुई थी दरअसल गड़ी नहीं गाड़ी गई थी क्योंकि पिताजी घर में ही मौजूद थे अचानक उनकी गराजदार आवाज़ आई ये कय किसने तोड़ा? मेरी तो जान ही निकल गई आखिरकार सुबह में किया हुआ मेरा कांड अब्बू को पता चल ही गया इनके आगे तो बड़े से बड़े जासूस भी पानी भरते हैं। लेकिन मैंने तो उस कप की लाश ठिकाने लगा दी थी फिर उन्हें वो कहां बरामद हुआ,

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