जींदगी Vipul Borisa द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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जींदगी

बात थोड़ी सी लंबी है,लेकिन पढ़ना जरूर अभी तो वैसे भी सब के पास वक़्त है ही।

अभी पिछले दो दिनों में दो दिग्गज अभिनेताओ का निधन हो गया।सारे social media पे बस एक ही शब्द दिखाई दे रहा है,"RIP"। मेने इन दिग्गज अभिनेताओ की मृत्यु से कुछ मेहसूस किया है,जो इस post के द्वारा आप को सिर्फ बताना चाहता हु।शायद, मेने जो मेहसूस किया काफी लोगो ने भी किया हो। में कोई सलाह या मशवरा नही दे रहा हु इस post द्वारा सिर्फ मेने जो feel किया हे बता रहा हु। ये जो मेने feel और मेहसूस किया आप सब ने कही ना कही सुना या पढा भी होगा, कोई motivational speaker से भी सुना हो ।

ऋषिकेश मुखर्जी और राज कपूर जी बहोत अच्छे मित्र थे।और,मेने कही पढा था ऋषिकेश मुखर्जी ने फ़िल्म "आनंद" राज कपूर जी से प्रभावित होकर ही बनाई थी। एक आदमी जिसे कोई गंभीर बीमारी हे, उसे पता हे के वो मरनेवाला हे, फिर भी वो आदमी अपनी बीमारी को अपने जीवन पे हावी नही होने देता। खुल के खुश हो के और जिंदादिली से जीता हे और वेसे ही मरता भी है। सोचो अगर हमे पता चल जाये के हमारे पास इतना वक़्त ही बाकी हे, तो हम क्या करेंगे ? पहले तो बहोत दुःखी हो जायेगे लेकीन फिर हमारे लिये उतना वक़्त priceless हो जायेगा।हम सब उसे अच्छी तरीके से जीने की कोशिश करेंगे। हम सब यही करते हे जब हमे पता चलता हे, या एहसास होता हे तभी जीना शुरू करते हे,ये इन्सानी फिदरत हे। आप को पता हे आपके पास कितना वक़्त हे ??? किसीको नही पता लेकीन यार मृत्यु आनी हे इक दिन ये हम सबको पता हे, क्योंकि मृत्यु से बड़ा कोई सच नही। परंतु जीवन से बड़ा कोई आनंद भी नही। इसीलिये तो कहते हे,"जीन्दगी लंबी नही बड़ी होनी चाहिये।

इरफान खान के कुछ statement और एक audio social media पे बहोत चल रहा हे, शायद आप सब ने भी पढ़ा और सुना होगा। जब इन्सान को मालूम होता हे तभी वो सोचना शुरू कर देता है। इरफान ने इक statement मे ऐसा कहा है,"पॉजिटिव रहने के अलावा हम कर भी क्या सकते है।" आदमी कोई भी हो लाचार हो ही जाता हे।लेकिन, जज़्बा देखिये इंसान का वो लड भी रहा हे और ऐसे वक़्त इस तरह बोलने के लिये भी हिम्मत चाहिये। इक audio उनका बहोत चल रहा हे, जिसमे उन्होंने इक इंग्लिश कहावत बोली हे,"जींदगी जब आप के हाथ में नींबू थमाती हे, तो उसकी शिकंजी बनानी चाहिये।" फिर उन्होंने कहा बोलना आसान हे, लेकीन जब जींदगी नींबू थमाती हे ना तो.......।इरफान फ़िल्म जगत के लिये बहोत कुछ करके गये, काफी कुछ कर भी सकते थे अपने और अपने परिवार और फ़िल्म जगत के लिये लेकीन नही कर पाये। हा लेकीन वो लडे जरूर इक योद्धा की तरह।

और दूसरी तरफ रिशी जी जिन्होंने जींदगी जी larger than live उनका glowing face और वो सदाबहार सी मुसकान मरते दम तक वैसी ही रही। उनका इक video भी हाल ही मे काफी viral हो रहा हे, इक लड़का उनकी ही फ़िल्म का गाना उनके पास खड़े होकर गा रहा हे, और वो हॉस्पिटल के बेड पे लेटे हुये हे,लेकीन उनके चेहरे पर ना कोई डर ना कोई शिकन हे, वही स्माइल हे उस video मे उनके चेहरे पर,सही मायनो मे रिशी जी मे ही इक असल "आनंद" मुजे दिखा हे।

ये दोनों हस्तियाँ फ़िल्म जगत से जुड़ी हुई थी और सिनेमा हमारे भारत और भारतीय संस्कृति का आईना हे।भारतीय लोग फिल्मों से और फिल्मी कलाकारों से ज्यादा जुड़े हुये हे।दुनिया मे ऐसे कई लोग होंगे जो ऐसी भयंकर बीमारीओ से लड़ते होंगे,लड़कर जीते होंगे और मर भी जाते होंगे।इन दोनों शख्सियत के पास साधन,सुविधा और पर्याप्त धन सब कुछ था,हा ये सब अगर हो तो काफी हद तक लड़ाई आसान हो जाती हे।लेकीन, अगर आत्मविश्वास ना हो तो ये सब भी कुछ काम का नही हे।अगर आप के पास आत्मविश्वास और passion हे तो आप कुछ भी हासिल कर सकते हे, कोई बाधा ये आपको हरा नही सकती।

मेने इन दो अभिनेता की मृत्यु से दो अहम बाते सीखी, एक की इन्सान अपने धर्म,नाम,दौलत,शोहरत और रुतबे से नही जाना जाता,वो अपने कर्म और काम से ही जाना और याद किया जाता हे, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण इरफान खान हे। दूसरी की अगर जीना हे आपको अपने लिये तो उसके लिये कोई मुक्कमल वक़्त नही होता,और जीना भी ऐसे चाहिये इन्सान को मौत को भी आपको ले जाने में शर्म आये,जिसका उदाहरण रिशी जी हे।

मे जानता हु,यहाँ हर इक पुरुष पेहले इक पिता,पुत्र,पति या भाई हे।और हर इक स्त्री पेहले बीवी,बेटी,माँ या बहन हे।सब की अपनी अपनी समस्याएं हे, किसीको personal हे, तो किसीको professional, तो किसीको और कुछ,होगी समस्याए होगी ही हर इक व्यक्ति के जीवन मे होगी। और शायद समय निकाल कर पूरी ये post अगर आपने पढ़ी भी हे तो भी कुछ देर तक ही दिमाग में क्लिक करेगी,फिर वापस जैसे थे, उसमे खुद में भी आ गया। लेकीन, सच जानिये जीवन इक संघर्ष ही हे सब के लिये, इसी लिये खुद के लिये जीना शुरू कीजिये और खुद से जीना शुरू कीजिये। जो अच्छा लगे कीजिये, अच्छा मतलब जो आपकी अच्छी आदतें जो अच्छी चीज हो वो कीजिये, वक़्त नही,कल करेंगे,बाद में देखेंगे, मेरे पास इतना पैसा इतनी सुविधा नही ये सब बहाने हे, अगर आपके पास passion हे तो आप सब कर सकते हे, सब।अगर,हो सके तो अपनी बुरी आदतें छोड़ दीजिये, नही छूट रही तो बहोत कम कर दीजिये।व्यायाम, योग , ध्यान कीजिये, म्यूजिक सुनिये, पसंदीदा फ़िल्म देखिये, कभी मन हो तो अकेले में नाच भी लिया कीजिये, धूमना पसंद हो तो धूमिये मगर अभी नही लॉक डाउन खुलने के बाद।और हो सके तो अच्छा काम कीजिये, किसीकी मदद कीजिये, और हा हर मदद पैसे से ही होती हे ऐसा नही हे, किसी के मुँह पे आपकी वजह से मुस्कान आती हे, वो भी बड़ी मदद हे, कोई आपका साथ पाकर खुश रहता हे, तो वो भी मदद ही हे।किसीकी खुशी की वजह बनिये।

तो यार जीना शुरू कीजिये आज से अभी से अब से क्योंकि वक़्त ठहरता नही हे।

  • विपुल बोरीसा