हमारी मिनी रानी (बिल्ली) Jignesh Shah द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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हमारी मिनी रानी (बिल्ली)

बात कुछ समय पहले की है, हा कई दिनो से मरेे घर पर नया महेमान बिल्ली के रूप में आया था, हमने नाम रखा था मिनी जो मेरे घर आ जाया करती थी,हमारा डायनिंग टेबल छे व्यक्ति का था और हम सब घर में पांच है, हा छट्ठी जगह हमारी मिनी ने ले ली थी, हर वक्त डायनिंग टेबल के एक चैर पर कोने में आके डेरा जमा लेती थी , हम सबसे इतनी दोस्ती थी और वक्त वक्त पे खाने पीने की जरूरत समय समय पर पूरी कर देते थे,कई दिन तक मिनी का आना जाना चला ,एक दिन हम सब बाहर गाब सामाजिक काम से गए थे,मिनी एक दिन साम को दूध पीने के वक्त घर आई पर हमतो थे नहीं,थोड़ी देर बैठी रही फिर सामने वाले अंकल की नजर मिनी पर पड़ी ,वेे समझ गए और अपने धर से दूध लाकर दिया पर मिनी दूध पिए बिना ही चली गई, वापस आने के बाद हमने उनसे सुना तो दुख हुआ उस दिन से हमने बाहर जाने से पहले मिनी के वक्त से पहले घर के दरवाजे पे खानेपीने की व्यवस्था हो जाए उसका ध्यान रखते थे,ज्यादातर समय मिनी हमारे घर ही रहने लगी,घर के बाहर जो झुला था उस पर एक गादी रखी थी उस पर भी मेरे पास आकर बैठ जाती थी में धूप हो तो मिनी को दुपट्टे से ढकता था मेरे साथ मिनी को भी झुला खाने में अच्छा लगता था,थोड़ी देर में सो जाती थी,हमसे लगाव था उसे ,हमारे घर में कभी कोई मिनी के कारण कुछ नुकसान नहीं हुआ, एक दिन में बीमार था पूरा दिन घरमे सोया रहा ना जाने मिनी को कहा से सेंस आई कि मिनी कहीं नहीं बहार गई और बहुत ही मुश्किल से कुछ खाया, फीलिंग्स हमारी इक दूजे के लिए ज्यादा जो हो गई थी,कभी हिंदी सॉन्ग के मजे लेती तो कभी हमारे साथ घूमती,हमारे साथ कभी कार में घूमाने ले जाते,कभी मेरी छोटी दीदी कविशा मिनी को अच्छे से तैयार करती और उसे गोगल्स भी पहनाती फिर दोनों गोगल्स पहनकर फोटो खींचकर उसे फेसबुक पर वो डालती, दोनों की खूब बनती थी ,लगता था एक सदस्य है घर की,
एक बार मिनी बाहर से दो दिन तक घर पर नहीं आई, हम सब परेशान थे,घर में काम करने वाले मासी ने चारों ओर तपास करी तब जाके मालूम हुआ मिनी को किसी ने मार दिया है,और मिनी घर के पीछे वाले रास्ते पर बेजान सी पड़ी है ,हमने तुरंत ही जाके देखा तो लगा सायद किसी विहिकल से टकरा गई लगता था,बहुत ही दुखी थे हम,एक भाई को बुलाकर एक गड्ढा खुदवा के उसमें मिनी को रखा, साथ में उसका दुपट्टा जिससे उस पर ढकते थे घरमे बैठती थी तब और वो सब चीजें जो मिनी से जुड़ी थी,बाकी रही तो सिर्फ उसके पास गुजारी याद और हमारे साथ खींची हुई कुछ तस्वीरें,वापस घर आके नहाके बैठे, उस रात हमने कुछ खाया नहीं और अच्छे से सोया नही ,दो दिन तक हमें चैन नहीं था ,इतने में एक बिल्ली को रास्ते से जाते देखा,हमें मिनी याद आ गई मगर उस वक्त मेरी हिम्मत उसे बुलाने की नहीं हुई ,
क्युकी दिल से किसी के साथ जुड़ने के बाद उसकी अचानक से बिदाई अब बर्दाश्त नहीं हो सकती...हा मगर हमें आज भी कोई भी बिल्ली में मिनी जरूर नजर आती हैं...कहानी में जिस मिनी का जिक्र किया है इस के साथ मैने भी झुला खाया है ये हकीकत है...आभार...