prem ki paribhasha na poochho books and stories free download online pdf in Hindi

प्रेम की परिभाषा न पूछो

दो दोस्त थे यश और राज दोनों की दोस्ती कक्षा ६ में हुई थी जब दोनों अपने नए स्कूल में आये थे दोनों ने अपनी १२वी तक की पढाई साथ में कर ली अब दोनों १२वी पास कर कॉलेज में जाते है दोनों एक ही कोर्स में एडमिशन लेते है/उन दोनों का घर कॉलेज से थोड़ा दूर था और रस्ते में पहाड़ी रास्ता पड़ता था जहा रोड सकरा था इसलिए उन दोनों के ही घर वालो ने उनके लिए कॉलेज बस लगवा दी थी वे दोनों उसी से आया - जाया करते थे / कॉलेज की क्लास की शुरुआत में तो वे लगभग सारी क्लासेज अटेंड किया करते थे किन्तु वे कुछ ही समय में इससे ऊब गए थे अब तो उन्हें क्लास में जाना अच्छा नहीं लगता था और वे कॉलेज की क्लास में कम और क्लास के बहार ज्यादा रहा करते थे /हलाकि दोनों पढाई में काफी होशियार थे और अपने सहपाठियों से जानकारी लेकर अपने प्रोजेक्ट , टेस्ट समय पर दिया करते थे /वे क्लास में तब ही जाते थे जब कोई प्रोजेक्ट जमा करवाना हो या कोई टेस्ट हो /क्लास में उनके पीठ पीछे कई बच्चे उनकी चुगलिया करते रहते और अध्यापको को बताते की सर वे कॉलेज तो रोज आते है किन्तु क्लास में नहीं आते लेकिन जब वे क्लास में जाते तो उनके सामने ऐसा कहने की हिम्मत किसी की नहीं हुआ करती थी / उन दोनों की दोस्ती ऐसी थी की अगर एक कॉलेज न आये तो दूसरा भी नहीं जाता था /क्लास की और कॉलेज की कई लड़किया उनसे बात करना चाहती पर वे उनकी तरफ टेढ़े मुँह भी नहीं देखा करते थे /

दोनों का रोल ना. दूर - दूर होने के कारन उनकी प्रेक्टिकल की क्लास में वे दो ग्रुप में बट गए यश एक में और राज दुसरे में और दोनों की प्रेक्टिकल की क्लास अलग -अलग समय लगती थी यश की पहले और राज की एक घंटा बाद /एक दिन की बात है दोनों को अपने- अपने समय पर अपना- अपना प्रेक्टिकल प्रोजेक्ट जमा करवाना था / इसलिए पहले प्रोजेक्ट जमा करवाने के लिए यश चला गया और राज केंटीन की तरफ अकेला बैठ गया अचानक राज की नजर एक बेहद सुन्दर , फूल सी कोमल, शबनम सी चमक वाली लड़की पर पड़ी वो उसे देखकर सिर्फ देखता ही रह गया मानो जैसे प्यासी धरती भीगे बदलो की तरफ न्याहरति हो कुछ इस तरह / कुछ देर बाद राज को सुध आयी तो देखा क्लास का समय हो गया और क्लास लेने के लिए चला गया अब यश की क्लास समाप्त हो गई थी/ यश बाहर निकला और राज से कहा की मै लाइब्रेरी में मिलूंगा तू वही आ जइयो / जैसे ही यश लाइब्रेरी की तरफ गया की अचानक देखता है एक चाँद सी सुन्दर, झील सी नेनो वाली, शबनम सी चमक वाली लड़की वो उसे देखकर, देखता ही रह गया / अब क्या यहा राज की क्लास भी ख़त्म हो गई और राज, यश से मिलने लाइब्रेरी में पहुंच गया दोनों मिले यश ने राज से कहा 'भाई यार आज मेने तेरी भाभी को देखा "राज ने भी यश से यही कहा की 'भाई मेने भी आज तेरी भाभी को देखा" /यश ने कहा 'अच्छा कहाँ है" वो राज ने कहाँ 'पहले तू बता तूने कहाँ देखा उसे" / यश ने कहा 'लाइब्रेरी आते समय और अब तू बता "राज ने उत्तर दिया 'भाई मेने उसे कैंटीन के पास देखा था" दोनों ने कहा आजा उन्हें ढूढ़ते है दोनों गए तो देखा वह लड़की कही दिखाई नहीं दी / अब उन दोनों की बस का समय हो गया था दोनों अपने घर जाने के लिए बस में बैठ गए /

अगले दिन दोनों की मुलाकात बस में होती है दोनों ही तय करते है की आज वे उन्हें ढूढ़ कर रहेंगे वे कॉलेज पहुंच जाते है और गेट के पास एक बेंच पर जाकर बैठ जाते है और गेट से एंट्री करने वालो को देखते रहते है अचानक वह लड़की दोनों को दिखती है / दोनों ही एक दुसरे से कहते है 'मिल गई यही तो है वो " इतना कहते ही वे दोनों समझ गए कि दोनों ने इसे ही देखा था / अब दोनों एक दुसरे से कहते है भाई इसका पता करते है कि कौन से कोर्स में है/ दोनों को इधर उधर से पता चला कि वह जर्नलिस्म के कोर्स में है / जर्नलिस्म कि क्लास उनकी क्लास के बिलकुल सामने थी /वे उसका नाम पता करने का भी प्रयास करते है और नाम पता चल जाता है उसका नाम ' रिया "था / अब दोनों को उसका नाम , क्लास पता चल गई थी वे एक दुसरे से कहते कि भाई यदि तू इसे चाहता है तो बात कर यश राज से कहता और राज यश से, लेकिन उससे बात करने की हिम्मत दोनों में से किसी की नहीं होतीं /रिया भी उन्हें देखा करती थी और मन ही मन वो समझ गई थी लेकिन उसे यह ना पता था की प्यार यश करता है या राज उसके लिए यह दुविधा की स्थिति थी और इधर ये दोनों पगले उसे देखकर ही अपना मन भर लिया करते थे और एक दुसरे से कहते रहते की भाई तू जा उससे कुछ बोल दूसरा कहता नहीं भाई तू जा मगर जाता कोई ना / और जब रिया किसी लड़के से बात करती तो यश और राज दोनों ही गुस्से से आग बबूला हो जाते /

प्यार तो दोनों ही रिया से करते थे परन्तु एक दुसरे से ज्यादा नहीं यश को लगता की यदि मै बोलने गया तो राज का दिल टूट जायेगा और राज को लगता की यदि उसने बोला तो यश के दिल पर चोट पहुंचेगी इसलिए वे कभी उससे बोलने नहीं गए/

एक दिन की बात है यश और राज दोनों अपनी कॉलेज बस से कॉलेज आ रहे थे की रस्ते में बस रुकी और दोनों ने देखा की रिया कॉलेज बस में चढ़ी / दोनों ने पता लगाया तो पता चला की रिया का निवास स्थान बदल गया है और अब वह रोज उनकी ही बस में आएगी- जाएगी /फिर क्या था दोनों की ख़ुशी का ठिकाना न रहा वैसे तो वे बस की पीछे की सीट पर बैठा करते थे पर रिया के आने के बाद अब आगे की सीट पर बैठने लगे अब तो वे रोज बस में आते जाते रिया को देखते और रिया उन्हें लेकिन रिया से प्यार का ईझहार दोनों में से कोई न करता / एक मित्र को लगता दूसरा बोलेगा दुसरे को लगता पहला बोलेगा लेकिन एक दुसरे की मित्रता के प्रेम में वे अपने- अपने दिल की बात रिया से न कहते /

समय बीतता जाता है की अब फाइनल पेपर आने ही वाले थे की आज पेपर से पहले का कॉलेज में अंतिम दिन था आज कॉलेज में ज्यादा विद्यार्थी तो आये न थे उनकी बस में भी सिर्फ पांच ही जने आये थे/ हा ,लेकिन यश , राज और रिया, कॉलेज आये थे / दोनों के मन में हुआ की वे आज अपने दिल की बात रिया से कह दे पर फिर वही यश कहता तू बोल राज कहता तू लेकिन हिम्मत किसी की न हुई/

अब बस के जाने का समय हो गया था ये तीनो भी बस में बैठ गए कॉलेज से बस निकल गई दोनों रिया को देखते जाते है और रिया भी एक -दो नजर उनकी ओर डाल लेती और सोचती की ये प्यार करते है लेकिन बोलते नहीं / बस धीरे- धीरे रोज की तरह जा रही थी अब बस पहाड़ी रस्ते से जाने लगी की अचानक एक ट्रक ने बस को दाई तरफ से टक्कर मार दी टक्कर मरते ही बस पहाड़ी रस्ते से निचे जा गिरी सब ख़त्म हो गया ये तीनो भी बस से गिरकर लुढ़ककर बाहर आ गए और विधि का चक्र देखो तीनो निचे जाकर ऐसे गिरे की यश दाई तरफ और राज बाई तरफ और उनके बीच में रिया और रिया का एक हाथ यश के दिल पर तो दूसरा राज के दिल पर मानो जैसे वो एक डोर हो जो एक दिल से दुसरे दिल को मिला रही हो तीनो मृत्यु की गोद में पहुंच गए लेकिन वे मरकर भी जिन्दा रहे एक दुसरे के दिल में /

इसलिए कहते है की प्रेम की परिभाषा न पूछो क्योकि प्रेम सिर्फ स्त्री -पुरुष के बीच नहीं होता प्रेम तो भाई -भाई का ,एक दोस्त से दुसरे दोस्त का भी होता है क्योकि प्रेम तो हृदय से हृदय का मेल है /

वास्तव में वे प्रेम रिया से करते थे किन्तु उससे कही ज्यादा वे एक दुसरे से किया करते थे इसलिए ऐसा प्रेम मरकर भी अमर रहता है /

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