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हस तुस अर कोरोना

1st लक्डाउन् खतम होने मे बस् 1 दिन् बाकि था। लेकिन उस् एक दिन का इन्तेजार खुसि को ऐसा था जैसे क प्यासे को पानि का रेहता हे। पर शुभा का एक न्युज् सारे उमिद् पे पानि फैर् दिया था । कितने सारे सप्ने भरे थे खुसि के आखोंमे । कैसे लक्डाउन् खतम होगा और् कैसे खुसि आपनि फ्रेण्डस् के साथ् फिर् से मिल् पायेगि, कैसे खुसि मन भर के आइस्-क्रिम् खा पाएगि । इन् सबसे खास् कब् व आपनि ड़ा (VEER) से मिल् पाएगि ।
खुसि 25-26 साल कि एक शुशिल् सि लडकि, दुनिया के साथ् कदम् मिलाके चालने वालि, थोडि मडर्ण्ण थोडि फिल्मि मिजाज् कि , फिल्मि कि तरहा इमोसन्स्, फिल्मि दुनिया मे जिना उसको बहत् पसन्द थि । शुभा उठने से रात् से सोने तक् सब कुछ फिल्मि ष्टाइल् मे होने से खुसि को वहुत् खुसि होति थि । और इसमे VEER कैसे छुट् साक्ता है...? किसि फिल्म मे खुसि ने देखा था डार्लिं को सर्टफर्म मे ड़ा केहेते है तो बास् खुसि भि सुरु हो गयि आपनि डार्लिं को ड़ा वुलाने मे ।
ड़ा से मिलने कि एक्साइटमेण्ट तो खुसि को बहुत था, लेकिन् 14 तारिख् शुभा 10 बजे जब् MODI JI केहेने लगे करोना को भगाने के लिए हामे कुछ और् दिन् उससे छुपके रेहना पडेगा और् इसिलिये लक्डाउन को 15 अप्रेल् नेहिं बलकि 3 मे तक लक्डाउन् कण्टिन्यु करना पडेगा तो मानो खुसि के पेरो तलें जमिन् खिसक् गया...खुसि मन हि मन मे केहने लागि..
खुसि-मोदि जी हमने आपका क्या बिगडा था जो इतनि बडि सजा दे रहे हैं..चाइना बालों ने उनके चिजें तो हमारे देशमे जबरदस्ति घुसाते जा रहे हैं और अब उनका बिमारि भि हमारे देश मे तैहलका मचा दिया है..इन सब मे ज्यादा नुकशान तो मुझे हो रहि है...
टिभि को देखके खुसि कुछ फिल्मि डाइलग् मारते मारते उदास हौके चालि गयि आपनि कमरे मे..फटाफट आपनि ह्बाटसप् वालि ग्रुप् मे अपडेट् देने लागि लकडाउन को लेके..Hello friends फिर से वहि काम पे लगजाओ, दिन भर कुछ फिल्म्-सो, फिर् कुछ नौया खाने का रेसिपि अर् रात को चाटिं वाटिं करके सो जाना नेहिं तो करोना आ जाएगा.. क्यौं की खुसि अभितक् करोना को लेके सिरियस् नेहि हुइ थी..
15 अप्रेल् तक् तो खुसि के लाइफ मे सबकुछ ठिक् हि था.. लेकिन् लकड्उन बढने कि खबर अब खुसि को बेचैन् कर रहा था..खुसि तो बस् एक झलक देखना चाहति थि ड़ा का, पर ये तो सम्भब हि नेहि था.. दिन् बढता रहा, रात् गुजरति रहि फिर् एक दिन अचानक् शाम् को खुसि कि फोन् रिं हुआ..खुसि फोन् देखि तो फोन् पे लिखा था ड़ा..खुसि एक्साइटमेण्ट मे कल् रिसिभ् करते हि दुसरि तरफ से आवाज् आया-जलदि से घरके बाहार आओ..खुसि कुछ कहे उससे पेहेले बीर् कहने लगा देखो ज्यादा दैर् तक मै रुक् नेहि शकता तो जलदि मिलो आके...खुसि कि खुसि का कोइ ठिकाना नेहि था.. खुसि फटाफट् बाहार निकल गयि.. सबसे छुपके ड़ा से मिलने...ड़ा से मिलते हि खुसि कि मन को शुकुन मिल गयि..एक महिने के बाद् वो लोग् मिल रहे थे तो खुसि होना तो जाहिर सि बात् है...लेकिन् ये खुसि कुछ पल के लिये थि.. क्यौं की इसी बीच खुसि को कोरोना आपने कबजे मे कर लिया था..खुसि हस्पिटाल मे थि, करोना से लढ रहि थि..जब् खुसि कि ट्राभेल् हिष्ट्री निकालि गयि तो वो किन् किन् लोगों से मिलने गयि थि किन् किन् जगाह पे गयि थि सब कुछ बाहार आने लगा तो खुसि जिस् ड़ा को छुपाना चाहति थि वो भि इन् सबके साथ् बाहार आया. सबसे बडि बात् बीर् भि कोरोना संक्रमित था.. और बीर् कि वजाह से हि खुसि करोना के साथ् ये जंग लढ़ रहिथि....।
खुसि ये लडाइ हार गयी...जिस ड़ा से वो कुछ दिन के लिये दूर नेहि रेहपाति थि कोरोना ने उसको बीर से हमेसा के लिये दूर करदिया था..

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