AATMA KI AAHAT books and stories free download online pdf in Hindi

आत्मा की आहत

एक गांव में एक लड़की थी जिसका नाम था दक्षा |जो एक बेहद खुबसूरत लड़की थी |उसका गांव का नाम था येशानपुर |वो अपनी पढ़ाईपूरी करके जर्नलिस्म का काम कर रही थी |उसे बूथ प्रेतों में विश्वास नहीं था पर बोहोत ही उत्सुक्त रहे थी थी वो इन चीज़ों पर |एहि उत्सुक्त उसके ज़िन्दगी का सब से बड़ा कतरा बन सकताथा ये किसीने नहीं सोचा था |

उसने सुना की बिरजापुर नामक गांव में एक ऐसी जगा है की जो भी वह जथा है लौट के वापस नहीं आ सकता| उस जगह का नाम था नेवालामिनार |वो अपनी दोस्त सहिती के साथ उस जगह देकने निकल गयी |बिर्जापुर येशानपुर से ५०० किलोमीटर दूर था |पर सारेजगह अछेसे देखने के लिए वो सड़क के रास्ता चुना और अपनी गाडी लेके निकल गए |उनको वह जाने केलिए पूरी २४ घंटे लगी और वो लोग वह पहुँच गए |गाडी से निकल थे ही दक्षा को कुछ अजीब सी महसूस होने लगी |पर उसने उस पर उठना ध्यान नहीं दिया और आगे बढ़ गयी |आगे बढ़ते ही उसे कुछ अजीब से गबराहट होने लगी पीर भी उसने आगे बड़ी |देकते ही वो नेवालामिनार तक पहुँच गयी |वो मीनार देखने में किसी पुराण राजा का हवेली लगरही थी जो पूरी तरह से जला हुआ था |उतना जलने के बावजूद भी वो दिखने में बोहोत सुन्दर था और उतनाही डरावना भी |वो और उसके दोस्त ने हिम्मत करके अंदर गयी पर जो इंसान उन्हें राह दिखने आया था वो दर के मारे वह से चला गया |जैसे ही वो दोनों अंदर गए दरवाज़ा बंद हो गया |वो दोनों बोहोत दर गए पर वो दोनों ने सोचा की "शायद हवा से बांध हुआ होगा "और आगे निकल गए |वो उस मीनार के कोने कोने की जञ्ज कर रहे थे अचानक से उनके पीछे से कुछ गुज़र ने की आहात आयी जब वो दोनों पीछे मुद कर देखे थो वह कुछ नहीं था |फिर से वो दोनों अपनी तलाश में उस हवेली के अलग अलग दिशाओं में चले गए तभी सहिती को किसी ने उसका नाम से पुकारने की आवाज़ आयी और वो उस तरह जाने लगी और एक कमरे के पास पहुँच गयी वो कमरा उस हवेली के सारे कमरों से बोहोत अलग था |तभी दक्षा भी उस कमरे के पास पौंची |उन्दोनो ने उसकमरे के अंदर जाने का फैसला लिया और उस दरवाज़ा कोला |उसे खोलने के बाद जो उन्होंने देखा उससे उनका होश उद्गाये उन्होंने देखा की उस कमरे में बोहोत सारे लाशे पड़ी थी और सीदा दरवाजे के सामने एक लड़की की तस्वीर थी जो बिलकुल दक्षा की मामी की तरह थी तभी उस तस्वीर के आगे एक आत्मा प्रकट हुई और उनसे कही की "चले जाओ एहसे ........च ........ले .........जावो"तब दक्षा ने हिम्मत कर के पूछा की "कौन हो तुम ,तुम्हे क्या चाही ये और तुम इनसब को क्यों मारा "तब उस आत्मा ने अपना कहानी बताना शुरू किया

"मेरा नाम नेवाला है |में इस हवेली और पूरी बिर्जापुर की युवरानी थी | मेरे पापा राजवर्दान इस गांव के राजा |में बोहोत कुश थी अपनी ज़िन्दगी में पर जब से वो चुड़ैल यानि मेरी बड़ीमा की बेटी चित्रणी मेरे घर आयी तब से मेरी सारी कुशिया गायब हो गयी वो तंत्र मन्त्र भी जान थी थी और उसके ज़रिये वो मुझे मार दी और में ऐसा बूथ बनगयी मेरे मरने के बाद मेरे पापा को उसके असलियत पता चली जब उन्होंने ये पूछा की वो मुझे क्यों मार्डी तब उसने कहा की वो इस राज्य का युवरानी बनना छह थी थी इस लिए मुझे मार दी |ये सुनकर मेरे पापा उसे ज़िंदा जल्दी तबसे वो यह की डरावनी चुड़ैल बनगयी वही सब को मारथी है थकी वो फिर से ज़िंदा हो सके वो पुरे १०० लोगो को बलि देकर ज़िंदा होजायेगी अब थक उसने ९८ लोगो का बलि चढ़ाई तुम दोनों आखरी दो लोग हो इस लिए तुम दोनों भाग जाओ " तब दक्षा ने पूछा की "क्या उसे रोकने का कोई तरीका नहीं है "तब नेवाला बताया की "एक रास्ता है उसे जहा जलायाथा वह उसके अस्थिका होंगे उसे वह बहार के कुआंअभ में मिलना होगा तभी उसके आत्मा की शांति होगी जैसे ही उसके शांति होगी तभी में मेरी आत्मा यह से आज़ाद होगी और स्वर्ग पहुँच जाएगी "|वो सुन कर दक्षा और सहिती उसके अस्थि के लिए जाने लगे तभी अचानक चित्राणी का बूथ आये और उनपे हमला करना शुरू किया थबी नेवाला उनको मदद करने आयी और वो दोनों चले गयी और चित्रणी के अस्थिया लेके उस कुए में दाल दी |तबसे लेके आज थक नेवालामिनार की कोई कहानी बहार नहीं आयी |दक्षा के हिम्मत के लिए उसे बोहोत इज़ात मिली |नेवाला और चित्रणी के आत्मा को शांति मिलगई |

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