ईश्वरत्व का अहंकार - 2 Mahesh Dewedy द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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ईश्वरत्व का अहंकार - 2

ईश्वरत्व का अहंकार

भाग-2

अलेक को एक अपारदर्शी शीशों वाली कार में एक भव्य भवन मे लाया गया था और पहुंचते ही हिदायत कर दी गई थी कि बिना आदेश वह कहीं जा नहीं सकता है। उस आदेश का अनुपालन कराने हेतु स्थान स्थान पर अनेकों सशस्त्र संतरी खड़े हुये थे। उस भवन की चहारदीवाली इतनी उूंची थी कि उसके बाहर से अंदर का अथवा अंदर से बाहर का कोई दृश्य दिखाई पड़ना असम्भव था। अलेक का मन इन सब सीमाओं और बंधनों से अछूता सातवें आसमान पर उड़ रहा था। वह अपनी माँ की स्लम-स्थित झोपडी़ की याद को पल मात्र में अपने मन से निकालकर बाहर करना चाहता था। अलेक को जिस कमरे में रहने को कहा गया, उसमें दो बिस्तर बिछे हुये थे। गद्देदार पलंग, चमचमाता कमरा, टी. वी. आदि देखकर अलेक अभिभूत हो रहा था। फोन को छेाड़कर उस कमरे मे अन्य सभी आधुनिक सुविधायें उपलब्ध थीं। रात्रि सात बजे अलेक को भोजन हेतु एक सुसज्जित डाइनिंग हाल में ले जाया गया, जहां पंद्रह लड़के और दस लड़कियां पहले से उपस्थित थे। वे सभी अलेक के समवयस्क थे। अलेक को बैठने को जो कुर्सी मिली, उसके बांयी ओर एक लड़का और दायीं ओर एक आकर्षक किशोरी बैठी हुई थी। अलेक सकुचाया सा उनके बीच बैठकर भोजन करने लगा। अन्य लडके लडकियां भी अपने में सिमटे हुये से चुपचाप भोजन कर रहे थे। प्रारंभ में अलेक के बगल में बैठी हुई लड़की ने एक बार निगाह उठाकर उसे ध्यान से देखा अवश्य, परंतु कोई बात नहीं की। चाहते हुये भी अलेक स्वयं कोई बातचीत प्रारंभ करने का साहस नही जुटा पा रहा था। कुछ देर बाद उस लड़की ने ही धीरे से पछा,

‘‘आज ही आये हो?’’ और चूंकि इस प्रश्न का उत्तर स्वतः स्वष्ट था अतः आगे बोली,‘‘क्या नाम है?’’

‘‘अलेक’’ अलेक का स्वर अत्यंत मंद था, परंतु वह मन ही मन उस लड़की के प्रति कृतज्ञ था कि उसने उसे भीड़ के बीच के निपट एकाकीपन के अहसास से मुक्ति दिला दी थी।

‘‘मैं ग्लोरिया हूं’’ कहते हुये उस लड़की ने अपना हाथ अलेक की ओर बढ़ा दिया।

अलेक को उसके कोमल हाथ के स्पर्श से न केवल सुखानुभूति हुयी वरन् उसका मन भी आश्वस्त हुआ। फिर धीरे धीरे दोनो में बातचीत प्रारंभ हो गई, जिसमें अलेक के बगल में बैठे लडके ने भी भाग लेना प्रारंभ कर दिया।

अलेक को पता चला कि सभी लड़के लड़कियां पिछले एक सप्ताह के अंदर ही वहां आये थे। किसी को उस स्थान के विषय मे पूर्व जानकारी नहीं दी गई थी, परंतु प्रायः सभी अपनी परिस्थितियों एवं प्रशिक्षण से प्रसन्न थे; जिसका मुख्य कारण यह था कि प्रायः सभी निर्धनता, निर्दयता और निरीहता की परिस्थितियों में पले हुये किशोर थे । वहां की प्रथा के अनुसार अलेक का प्रशिक्षण अगली प्रातः से प्रारंभ हो जाना था। उसके बगल में बैठा लड़का डेरिक था और तीन दिन पहले आया था और उसी कमरे में रह रहा था जिसमे अलेक को रहना था।

भोजन के उपरांत डेरिक के साथ ही अलेक कमरे मे सोने गया। रात में दोनों देर तक आपस में बातें करते रहे। डेरिक ने अलेक के माँ-बाप के विषय में पूछा और अपने विषय में बताया,

‘‘मैं सिसिली से आया हूं। माँ-बाप में पांच साल पहले तलाक हो गई थी। बाप ने तुरंत दूसरी शादी कर ली और मैं एक साल तक माँ के साथ रहा, लेकिन इसी बीच उसका एक टैक्सी ड्राइवर से प्रेम हो गया और वह एक दिन मुझे अकेला छोड़कर उसके साथ न जाने कहां चली गई। प्रारंभ में पडो़सियों ने मुझे एक चैरिटी के हवाले कर दिया, जहां मैं किसी तरह जीवनयापन करता रहा। वहां एक दस-ग्यारह साल की मोटी सी लड़की भी रहती थी। एक दिन न जाने क्यों वह मुझे घूर घूरकर देख रही थी। मै समझा कि वह मुझमें रुचि ले रही है और उसी शाम मैं उसे एकांत मे ले गया और भींचकर चिपका लिया। तभी वह जो़र से चीखने लगी और वहां कुछ लोग आ गये जिनसे मेरी शिकायत कर दी। मैं वहां से निकाल दिया गया। फिर मैने कुछ दिन एक सब-वे (भूमिगत मार्ग) में सोकर और भीख मांगकर बिताये। फिर एक दिन मुझे एक डिपार्टमेंटल स्टोर में सामान उठाकर ठीक स्थान पर रखने की नौकरी मिल गई। करीब दो साल वहां काटे। वहां मैं कभी कभी निगाह बचाकर खाने पीने की चीजे़ चुराकर खा लेता था। तीन दिन पहले चोरी से मक्खन खाते हुये पकड़ लिया गया। मालिक पुलिस में देने जा रहा था कि न जाने कैसे इस कम्पनी के एक आदमी ने मालिक को कुछ पैसे देकर मझे छुडा़ लिया और यहां ले आया।’’

अलेक ने भी अपनी आपबीती डेरिक को सुनाई। इस तरह असुरक्षा की भावना से उत्पन्न घबराहट में एक दूसरे को अपना सा पाकर उनकी अंतरंगता बढ़ती रही।

प्रशिक्षण केंद्र के कामन हाल में सभी प्रशिक्षणार्थी बैठे हुये थे। हाल साउंडप्रूफ़ था और उसके सभी खिड़की दरवाजे़ बंद थे। सामने मेज़ पर माइक व स्पीकर लगे हुये थे परंतु वहां की सभी कुर्सियां खाली थीं। सभी प्रशिक्षणार्थी चुप थे जैसे कुछ नया घटित होने की प्रतीक्षा कर रहे हों। तभी स्पीकरों से एक धीर गम्भीर आवाज़ गूंजी।

‘‘प्रशिक्षणार्थियो! आज से तुम एक नये जीवन में प्रवेश कर रहे हो- आज का दिन तुम्हारे लिये क्रांतिकारी परिवर्तन का दिन है। तुम अब अनाथ, निराश्रय, अथवा निर्धन नहीं हो - वरन् क्वाट्रोची कम्पनी की छत्रछाया में हो।

इस प्रशिक्षण मे उत्तीर्ण होने के बाद तुम क्वाट्रोची कम्पनी के सदस्य बन जाओगे और क्वाट्रोची महान के संरक्षरण में आ जाओगे। क्वाट्रोची परिवार सम्पूर्ण विश्व में फैला हुआ है और अनंत शक्तिशाली है। प्रशिक्षण के दौरान तुम्हारी शारीरिक, बौद्धिक एवं वैज्ञानिक क्षमताओं का इतना विकास कर दिया जायेगा कि तुम अत्यंत ज्ञानी एवं शक्तिमान मनुष्य बन जाओगे। तुमसे अपेक्षा की जाती है कि तुम पूरी तरह मन लगाकर यहां सब कुछ सीखोगे एवं क्वाट्रोची महान के प्रति पूर्ण आस्था और निष्ठा रखोगे। प्रशिक्षण में सभी प्रशिणार्थियों का सफल होना अनिवार्य है; क्वाट्रोची महान असफलता अथवा अनिष्ठा को सहन नहीं करता है।’’

इसके पश्चात स्पीकर की आवाज़ बंद हो गई। कुछ प्रशिक्षणार्थी ये शब्द सुनकर आतंकित थे एवं कुछ रोमांचित। अलेक के रोम रोम में तो जैसे वैद्युतिक उूर्जा का प्रवेश हो रहा था। तभी संस्थान के निदेशक महोदय ने हाल में प्रवेश किया । फिर उन्होने प्रशिक्षणार्थियों को सम्बोधित किया,

‘‘तुमने क्वाट्रोची महान को सुना। तुमको उसके द्वारा बताये एक एक शब्द को अपने मन में बिठा लेना है जिससे कभी कहीं त्रुटि न हो । क्वाट्रोची साम्राज्य में गलती करने वालों के लिये कहीं कोई स्थान नहीं है। तुम्हारी नींद प्रत्येक प्रातः क्वाट्रोची महान का यह भाषण सुनते हुये खुलेगी जिससे दिन में कोई भी कार्य करते समय तुम्हें इसका ध्यान रहे।

इस प्रशिक्षण का उद्देश्य तुम्हारी क्षमताओं का इतना विकास करना है कि अपनी तुलना में तुम्हें साधारण मानव कीड़े मकोडे़ जैसे लगने लगें- यह प्रशिक्षण तुम्हें महामानव बना देगा। परंतु इस प्रशिक्षण के दौरान तुम्हें प्रशिक्षण भवन में ही रहना होगा और बाहरी संसार से तुम्हारा कोई सम्पर्क नहीं रहेगा। तुम्हें यहां हर सुख सुविधा प्रदान की जायेगी। खाने, पीने और प्यार करने की पूरी आजा़दी होगी, परंतु प्रशिक्षण में ढिलाई करने अथवा क्वाट्रोची परिवार के नियमों का पालन न करने अथवा क्वाट्रोची के प्रति अनिष्ठा रखने का दण्ड भयंकरतम होगा। किसी को इस परिवार का त्याग करने अथवा इस परिवार के कार्यकलापों के विषय में किसी भी व्यक्ति से बातचीत करने की छूट नहीं होगी। अब मैं एक शपथ पढू़ंगा, जो तुम्हें दुहरानी होगीः

‘मैं संसार के सर्वाधिक शक्तिशाली, वैभवशाली, एवं प्रतिष्ठित क्वाट्रोची महान के प्रति अपनी शत-प्रतिशत निष्ठा प्रकट करता हूं। उसका प्रत्येक निर्देश मेरे लिये अपने जीवन से अधिक मूल्यवान है। क्वाट्रोची महान मेरी रक्षा करे।’’ े

उसके पश्चात फ़िज़िकल इंस्ट्रक्टर उन्हें जिम में ले गया, जहां उसने शारीरिक शक्ति एवं सौष्ठव बढ़ाने वाले विभिन्न यंत्रों से परिचय कराया और उनसे कसरत करना सिखाया। अलेक को छाती और बाहों की मांसपेशियों को चुस्त दुरुस्त करने वाला यंत्र विशेष पसंद आया। दो घंटे की कडी़ मेहनत के बाद सबको पास्ता, पीजा़, अंडा और दूघ की बनी भोजन सामग्रियां खाने को दी गईं। फिर एक स्वास्थ्यवर्धक टानिक, जो उसी वर्ष बाजा़र में आया था और जिसमें स्वास्थ्य को विकसित करने की अद्भुत क्षमता थी, खाने को दिया गया।

एक घंटे के आराम के बाद पुनः सबको एक कक्ष में एकत्रित किया गया, जहां कम्प्यूटर के माध्यम से उस समय की भौगोलिक, राजनैतिक और आर्थिक परिस्थितियों तथा नवीनतम वैज्ञानिक आविष्कारों से परिचित कराने की शिक्षा प्रारंभ की गई। इस प्रकार का प्रशिक्षण कार्यक्रम एक माह तक चला, जिससे अलेक के न केवल ज्ञानचक्षु खुलने लगे वरन् इंद्रिय-चक्षु भी तेजी़ से विकसित होने लगे। इस बीच अलेक प्रशिक्षण में इतना व्यस्त रहा कि उसे दिये गये कार्यों को पूरा करने के अतिरिक्त किसी बात का हेाश ही नहीं रहता था और एक माह का समय आनन फ़ानन मे व्यतीत हो गया।

एक माह पश्चात सभी प्रशिक्षणार्थियों की शारीरिक और मानसिक परीक्षा ली गई और उसके मूल्यांकन के आधार पर उन्हें 5-5 के चार समूहों मे बांट दिया गया। चार लड़के और दो लडकियों को किसी समूह में नही रखा गया और वे उस रात्रि को ही अचानक वहां से गा़यब हो गये। उन्हें फिर कभी कहीं नहीं देखा गया। इससे अन्य प्रशिक्षणार्थियों के मन में आश्चर्य, आशंका और भय का प्रादुर्भाव तो हुआ परंतु किसी का साहस इस विषय में किसी से केाई बातचीत करने का नहीं हुआ। अलेक को इस प्रकार की गोपनीय कार्यवाही से एक अनोखे रोमांच की अनुभूति हुई।

अलेक के समूह में 3 लड़के थे जिनमे डेरिक भी शामिल था तथा 2 लड़कियां थीं, जिनमें एक वही ग्लोरिया थी जिसने पहले दिन अलेक के पास बैठकर खाना खाया था और दूसरी सोफ़िया थी। सोफ़िया अलेक की हमउम्र थी और ग्लोरिया अलेक से कुछ बडी़ थी। एक सप्ताह बाद चारों समूहों को बताया गया कि आज के बाद अलग अलग समूहों के प्रशिक्षणार्थी अलग अलग स्थानों पर अलग अलग विषय में विशेष योग्यता प्राप्त करने हेतु प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे; वहां प्राप्त किये गये प्रशिक्षण के विषय में कभी किसी से बातचीत करने की स्वतंत्रता नहीं होगी। एक समूह के प्रशिक्षणार्थी भी यदि जीवन में कभी दूसरे समूह के प्रशिक्षणार्थी से मिलेंगें तो अपने काम के विषय में कोई चर्चा नहीं करेंगे। एक समूह के प्रशिक्षणार्थी जब तक उन्हें एक ही कार्य को साथ साथ करने का आदेश न मिला हो, अपने कार्य के विषय में परस्पर बातचीत नहीं करेंगें। इस नियम के उल्लंघन का दण्ड भयंकर होगा।

उसके बाद अलेक के समूह को रात्रि में एक अपारदर्शी शीशों वाली कार पर बिठाकर एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया। वहां अलेक, डेरिक और तीसरे लड़के क्लोसियस को अलग अलग कमरों में रखा गया और दोनो लड़कियों सोफिया तथा ग्लोरिया को एक कमरे में। दूसरी सुबह से इस समूह का प्रशिक्षण प्रारंभ हो गया। इस प्रशिक्षण के मुख्य विषय थेः

1.मार्शल आर्ट्स (युद्ध कलायें)

2.कपटविद्या (दूसरे को विश्वास में लेकर धोखा देना, अपहृत करना, हत्या कर शरीर को ठिकाने लगाना आदि)

3.विज्ञान (जीन प्रत्यारोपण, क्लोनिंग, एवं जेनेटिक इंजीनियरिंग द्वारा इच्छित रंग, रुप, बुद्धि और बल के मानव उत्पन्न करने की दिशा मे किये जाने वाले प्रयास, अन्य ग्रहों की यात्राओं और वहां कालोनी बनाने के प्रयत्न, आदि)

अलेक यह सब शीघ्रता से सीखने लगा क्योंकि उसको यह सब सीखने में अतीव आनंद की अनुभूति होती थी और उसका रोम रोम खिल उठता था।

क्वाट्रोची कम्पनी का मोटो था, ‘‘बुद्धिबल एवं शक्तिबल से सांसारिक एवं ईश्वरीय दोनो साम्राज्यों पर नियंत्रण सम्भव है’’, जो अलेक के मन-मस्तिष्क में समा गया।

इस मोटो के अनुरुप प्रशिक्षणार्थियों को साम, दाम, दंड, भेद की ऐसी नीतियों में निपुणता प्राप्त करायी जाती थी, जो उनकी नियंत्रक शक्ति का उत्तरोत्तर विकास कर सकें।

इस प्रशिक्षण के दौरान दो ऐसी घटनायें घटित हुईं जिन्होने अलेक के जीवन की दिशा को अत्यंत महत्वपूर्ण मोड़ दे दिया। इस समूह में सबसे बडा़, बलिष्ठ और कुशाग्रबुद्धि क्लोसियस था। यद्यपि अलेक की विभिन्न विषयों में गहरी रुचि थी परंतु आयु कम होने के कारण उसमें अभी परिपक्वता दृष्टिगोचर नहीं होती थी। लगभग नौ माह का प्रशिक्षण पूरा हो रहा था कि एक सायं एक प्रशिक्षक ने क्लोसियस को एकांत कमरे में बुलाकर कहा,

‘‘क्लोसियस, तुम इस समूह के सबसे होनहार प्रशिक्षणार्थी हो। इसलिये आज तुम्हें एक अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य सौंपा जा रहा है। यदि तुम इसमे सफल रहे, तो तुम्हें क्वाट्रोची महान के निकट रहकर कार्य करने का अवसर मिलेगा। यदि असफल रहे तो तुम इस कार्य के विषय में किसी से कुछ कह नहीं सकोगे।’’

क्लोसियस के कान खड़े हो गये। वह अति उत्साही प्रकृति का था। अपने स्वाभाविक उत्साह में बोला,

‘‘मैं कुछ भी करने को तैयार हूं।’’

प्रशिक्षक सतर्क करने के उद्देश्य से बोला,

‘‘इस कार्य में बडा़ खतरा है- पकड़े जाने अथवा असफल होने में जान से हाथ धोने का भी भय है।’’

‘‘मैं हर खतरे से निपटने को तैयार हूं।’’

प्रशिक्षक इस बीच देख रहा था कि खतरे की भयावहता की बात सुनकर क्लोसियस भयभीत होने के बजाय रोमांचित हुआ था। हर तरह से ठोकबजाकर देखने के बाद प्रशिक्षक ने कहा,

‘‘क्लोसियस तुम्हें नासा (यू. एस. ए.) में काम करने वाले वैज्ञानिक जान गुंठर का अपहरण करना है।’’

फिर अपनी बात का प्रभाव क्लोसियस के चेहरे पर देखने के लिये प्रशिक्षक दो पल रुका और फिर आश्वस्त होकर आगे बोला,

‘‘आज रात 12 बजे सबके सोने के बाद तुम अपने कमरे से चुपचाप निकलोगे। तुम्हें एक कार से एक एयरस्ट्रिप पर पहुंचा दिया जायेगा। वहां ओर्लैंडो के लिये प्रायवेट फ़्लाइट तैयार मिलेगी। वहां तुम्हारे रुकने व कार का प्रबंध कर दिया गया है। तुम्हें एक 9 एम. एम. पिस्टल मैं दे रहा हूं। जान गुंठर के रहने व काम के स्थान के पते इसके साथ चिपके काग़ज़ पर लिखे हुये हैं। इन्हें याद करके तुम इस काग़ज़ को नष्ट कर देना। तुम जहां रुकोगे, वहां के किसी व्यक्ति से तुम्हें अनावश्यक बातचीत नहीं करनी है और न किसी को अपना सही नाम-पता बताना है। तुम्हें स्वयं जॅान गुंठर के आने जाने के रास्ते पर नज़र रखकर अपहरण का उपयुक्त स्थान व समय तय करना है और जान को मात्र धमकी देकर ही अपहरण करना है। उन्हें किसी प्रकार की शारीरिक क्षति नहीं होनी चाहिये। फिर जान की आखों पर पट्टी बांधकर उन्हें एक ऐसे अज्ञात स्थान पर पहुंचाना है जिसके विषय में तुम्हें उसी दिन जानकारी दी जायेगी, जब तुम अपहरण करोगे। किसी भी हालत मे जॅान को मरना नहीं चाहिये।’’

एक रात्रि में एकांत स्थान पर क्लोसियस ने अपनी गाडी़ रवडी़ कर जान की कार रोक दी और उन्हें गन दिखाते हुये उनकी कार की ओर चल पडा़। परंतु उसके कार के पांच फीट की दूरी पर पहुंचते ही गुंठर ने अपनी कार के अंदर एक बटन दबा दिया जिससे कार के आस-पास ऐसा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ़ील्ड पैदा हो गया कि क्लोसियस जैसा खडा़ था वैसा ही खडा़ रह गया और जान गुंठर अपनी कार लेकर आगे बढ़ गये। कुछ ही मिनटों मे पुलिस ने आकर क्लोसियस को बंदी बना लिया। उस समय तक वह सामान्य दशा मे नहीं आ पाया था और उसे स्वयं होश नहीं था कि पुलिस की पूछताछ का उसने क्या उत्तर दिया। इस घटना के दूसरे दिन अमेरिका के अखबारों में खबर छपी कि जॅान गुंठर के अपहरण का प्रयत्न करने वाले व्यक्ति ने पुलिस लाक-अप मे आत्म हत्या कर ली है।

अलेक और उसके साथियों को बस इतना बताया गया कि क्लोसियस लापता है। प्रशिक्षण संस्थान में ऐसा प्रबंध था कि प्रशिक्षणार्थियों के पास केवल वही समाचार पहुंच सकता था, जो प्रशिक्षक पहुंचाना चाहें। टी.वी. के साधरण चैनल अथवा फोन उपलब्ध नहीं थे। क्लोसियस के लापता हो जाने के समाचार से प्रशिक्षणार्थियों के मन में आशंकायें तो उत्पन्न हुई परंतु उनमें किसी का साहस इस विषय मे चर्चा करने का नहीं हुआ। प्रशिक्षकों की ओर से भी इस विषय पर कोई बातचीत नहीं की गई।

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