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मतलब का प्यार

मै लेखक राज और मै जब भी कोई कहानी लिखता हूँ तो मै रेल यात्रा करता हूँ क्योंकि मुझे ऐसी जगह पर ही लिखने में आनंद आता है ।

आज फिर एक नई कहानी लिखने के लिये सफर में था मेने बुकिंग में नीचे की ही सीट बुक करता क्योंकि खिड़की के पास बैठे बैठे और बहार के नजारे का आंनद लेते हुऐ कहानी लिखने के भाव बढ जाते थे।

मै कहानी के शीर्षक में खोया हुआ था कि तभी एक मधुर आवाज सुनाई दी " क्या आप लेखक हैं" और सुनते ही सामने देखने लगा और देखता रह गया।

वो इतनी खूबसूरत थी कि मै उसमें खो गया,वो खिड़की के पास बैठे हुऐ थी, खिड़की से हवा तेज की वजह से उसके बाल उड़कर चेहरे पर आगये थे और उसने अपने हाथों से अपने चेहरे से बाल हटाऐ और मेरी ओर देखने लगी।

जब वो मेरी ओर देख रही थी तो मेरी निगहा उसकी नीली आँखों की तरफ गई, सायद मेरे दिल ने उसी समय फेसला लेलिया था कि इसको अपना जीवन साथी बनाना है इसलिए तो मेरी नजर उस्से हट ही नहीं रही थी।

हैलो " अरे मेने आपसे जो पूछा उसका जवाब आप दे नहीं रहे और आप है की जबसे मुझे निहारने में लगे हुऐ हैं।

राज " सौरी लेकिन आप है ही इतनी खूबसूरत की कोई न चाहकर भी आपको देखता रहेगा" लड़की " अच्छा ठीक है आपके सामने ही हूँ आप देखने के साथ साथ हम बात भी कर सकते हैं"

राज " झिझकते हुऐ माफ करना, अगर आप बुरा न माने तो मै आपका नाम पूछ सकता हूँ"
लड़की " जी मेरा नाम रीया है, और आप "
राज " जी मेरा नाम राज है और मै लेखक हूँ"

रीया " मै यही पूछ रही थी लेकिन छोड़ो आज आप कौनसी कहानी लिख रहें"
राज " जी मै वही लिखने के लिऐ सोच रहा था लेकिन जब मै आपकी आवाज से उठा तो मेरा ध्यान आपने खींच लिया "

रीया " कोई नहीं तो आप घर पहुंच कर लिख लेना "
राज " जी नहीं मै सिर्फ कहानी सफर में ही लिखता हूँ ये मेरी आदत है।"

रीया " ओ ये तो अच्छी बात है, चलो ठीक मैं आज आपको एक कहानी सुनाती हूँ, ये हकीकत है मेरी दोस्त काव्या की जिंदगी की
काव्या और रोहन एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे जब उन्होंने शादी करने का फैसला लिया लेकिन दोनों के घर वाले राजी नहीं हुऐ।

काव्य और रोहन दोनों ने एक ही कॉलेज में पढाई की थी और बाद में उन्हें एक ही कम्पनी में जॉब मिल गया। दोनों मे प्यार तो था ही लेकिन जब शादी का फैसला लिया तो माँ बाप नहीं माने और उनके विरुद्ध फैसला लेकर दोंनो ने शादी करली।

काव्य और रोहन शादी करके कम्पनी से छुट्टी लेकर हनीमून मनाने भी गये और वहाँ उन दोनों ने खूब इंजोय किया, कफी खुश थे वो एक दुसरे से और छुट्टी पूरी बिताने के बाद वो घर वापस आगये।

घर वापस आने के बाद रोहन अगली सुबह जल्दी उठकर ऑफिस के लिऐ तैयार होने लगा और काव्या उसके लिए नास्ता बनाने लगी, और नास्ता बनने के बाद उसने टेबल पर लगा दिया।

रोहन ब्रेकफास्ट करके ऑफिस के लिए निकलने लगा और काव्या ने रोहन से उसी वक्त कहा "आज तुमने मुझे जल्दी उठाया क्यों नहीं मै ऑफिस चलती देखो आज देरी होगई अब कल ही जा सक्ती हूँ।"

रोहन " नहीं कोई जरूरत नहीं ऑफिस जाने की "
काव्या " क्यों?"
रोहन " अरे बोल दिया न बस बोल दिया "

और यह कहकर रोहन ऑफिस निकल जाता है , काव्या परेशान होने लगी कि आखिर रोहन को अचानक हुआ क्या है।

रोहन जब शाम को ऑफिस से घर आया तो काव्या ने उसके लिऐ खाना बना दिया था, और उसने रोहन से कहा "खाना लग गया खाना खा लो।"

रोहन कहता है " तुम खाना खा लो मै खाकर आया हूँ"
काव्या परेशान होकर रोहन से पूछती है " क्या हुआ बताओ और तुम खाना बहार से क्यों खाकर आये हो पता है न मेने भी अभी खाना नहीं खाया तुम्हारे इंतजार में"

रोहन " काव्या ये पुरानी फिल्मों की तरह हरक्कत न करो खाना खालो और कोई जरूरत नहीं मेरा इंतजार करने की"

काव्या रोहन का कौलर पकड़ कर बोली " क्या मतलब है इसका मै प्यार करती हूँ तुमसे ऐसा ही सब कुछ था तो शादी क्यों की मुझसे "
रोहन " देखो तुम बात का बतंगड़ बना रही हो चुपचाप खाना खाओ और सोजाओ।
यह कहकर रोहन सोने चला जाता है और काव्या खाने की टेबल पर उदास बैठ जाती है।

रोहन फिर अगली सुबह जल्दी उठकर ऑफिस के लिऐ तैयार होने लगता है और जब काव्या उठती है उसे किस करती है और कहती है " कल रात के लिऐ सौरी मैने कुछ जादा बोल दिया था"

रोहन " कोई बात नहीं अच्छा सुनों मुझे ऑफिस जल्दी जाना है मै निकलता हूँ " और यह कहकर निकलता है उसी वक्त काव्या रोहन से कहती है " अरे इतनी क्या जल्दी है नास्ता तो करते जाते"

काव्या फिर मायूस रह जाती है, शाम तक काव्या रोहन का इंतजार करती रहती है लेकिन रोहन अभी तक नहीं आया आज रोहन काफी लेट हो चुका था।

रोहन घर आजाता है लेकिन अब रात के ग्यारह बज चुके थे, काव्या ने देखा कि रोहन काफी देर से आया है और तो और वो पीकर भी आया है जिसकी वजह से वो लड़खड़ाता है।

काव्या गुस्से से रोहन से कहती है " तुमने शराब पी है"
रोहन " और क्या शराब पी है स्मेल नहीं आ रही क्या "
काव्या " तुम्हें पता है न कि मै शराब पीने वालों से सख्त नफरत करती हूँ और फिर भी तुम पीकर आ गये।"

रोहन " जादा न बोल वो मेरी मरजी है कि मै पीऊ या पीकर मरू तू बीच में नहीं बोलेगी"

काव्या रोहन को बैड तक लेकर जाती है क्योंकि रोहन को बिल्कुल होश नहीं था ।

अगली सुबह काव्या ऑफिस के लिऐ तैयार हुई लेकिन रोहन ने उसे मना किया ऑफिस जाने के लिऐ, काव्या ने रोहन से जवाब पूछा " क्यो न जाऊ और वजह क्या न जाने की तुम इस तरह रहते हो और मेरा मन नहीं लगता यहाँ इसलिए मै भी ऑफिस जाऊंगी"

रोहन अब प्यार से समझाते हुऐ कहता है " मै कमाता हूँ इतन बहुत है हम दोनों के लिए, मै नहीं चाहता कि तुम्हें भी तखलीफ दू अगर हालात बुरे हो जाऐ तो तुम कर सकती हो लेकिन अभी नहीं अभी तो तुम मेरा और अपना खयाल रखो" और यह कहकर ऑफिस चला जाता है।

काव्या पता नहीं क्यों रोहन की हर बार बातों मे आजाया करती थी वजह ये भी थी कि वो रोहन से बहुत प्यार करती थी लेकिन रोहन को इस बात की कोई परवाह नही थी।

काव्या अपना फैसला खुद करने वाली लड़की माँ बाप के विरुद्ध शादी तो करली लेकिन रोहन के आगे हार गई क्योंकि सोचने लगी कि अब रोहन के अलावा है कौन उसका, एक तरह से मानो काव्य रोहन के साथ रिस्ते निभा रही थी और रिस्तों मैं जीना वो भूल चुकी थी।

माँ बाप जो उसे सबसे जादा प्यार करते थे वो उनको भूल गई और यहाँ उसके साथ वही हुआ रोहन उसे प्यार करता था लेकिन अब ऐसा लगता के सायद वो भूल गया है।

काव्य और रोहन के इसी तरह चलते चलते रिस्ते को एक वर्ष हो जाता है और आज काव्या और रोहन की आज सालगिरह थी, काव्या रोहन से ऑफिस से जल्दी आने को बोलती है।

रोहन कहता है " ठीक है मुझे पता है और जल्दी ही आऊंगा"
यह कहकर रोहन चला जाता है और शाम होने के बाद भी वो नहीं आता, काव्या परेशान हो जाती है और फिर वो ऑफिस में बॉस को फोन लगाती है बॉस काव्या से कहता है " रोहन तो पहले ही निकल गया अपने कुछ दोस्तों के साथ पार्टी देने आज तुम लोगों की सालगिरह है न इसलिए, तुम नहीं हो उसके पास"
काव्या बॉस से रेस्टोरेंट का नाम और पता पूछती है और वहाँ के लिऐ निकल जाती है और जैसे ही वहाँ पहुंच जाती है तो वो वहाँ रोहन के साथ दोस्तों के अलावा वो एक लड़की को और देखती है जो कि वो भी कॉलेज में साथ पढती थी।

रोहन उन सभी से बात कर रहा था तभी वो लड़की रोहन से बोली, "रोहन कुछ भी हो कॉलेज में टॉप और ऑफिस में भी सबसे बेस्ट लड़की को क्या मजा चखाया और काव्या अभी तक सोचती होगी के उसके साथ हो क्या रहा है"

रोहन उस लड़की से कहता है " मुझे पसंद नहीं कि मुझसे बढकर कोई हो ऑफिस में सबसे बढा प्रोजेक्ट भी काव्या को मिलने जा रहा था लेकिन उस्से पहले ही मेने उस्से शादी करली और वो प्रोजेक्ट अपने हाथ लेलिया"

काव्या यह सब सुनकर वो घर वापस आजाती है वो बहुत दुखी होती है उसका आज दिल बहुत दुख रहा था, वो अपने आंसू रोक नहीं पा रही थी उसे अपने माँ बाप की बात याद आने लगती है उन्होंने कहा था इस लड़के अलावा कोई और भी होता तो ठीक था लेकिन मुझे इसपर भरोसा नहीं है ये लड़का तुझे धोका देगा।

काव्या ने जो सजावट की थी खाना भी बनाया था वो सब उसने में गुस्से गिरा दिया था काफी सामान इधर उधर फेंकने से उसके हाथों से खून आने लगा।

और अब रोहन आता है सामान को इधर उधर बिखरा देख वो काव्या पर चिल्लाता है और कहता है " ये क्या कर रखा है पुरा घर खराब कर दिया है पागल हो गई हो " रोहन को काव्या जवाब नहीं देती है वो वहीं बैठी होती है वो देखती रोहन आज काफी जादा शराब पीकर आया है। रोहन लड़खडाकर अपने कमरे में चला जाता है।

अगली सुबह जब रोहन उठता है तो काव्या को पास नहीं देखता और वो उसे ढूंढने लगता है लेकिन वो नहीं मिलती वो ऊपर छत पर जाता है और वहाँ वो देखता है वहाँ बहुत सारे कागज जल लहे थे, रोहन ने आग भुजाने की कोसिस की लेकिन कागज पूरी तरह जल चुके थे।

वो नीचे जाता है वो अपनी अल्मारी चेक करता है तो उसे पता चलता है कि वो ऑफिस से मिले प्रोजेक्ट के पैपर और रिया के साथ के फोटो और डिग्रियां थी।

काव्या ने सब जला दिया था लेकिन रोहन को तभी गैस की बदबू आने लगी वो तब तक समझ पाता पूरे घर में आग लग जाती है और रोहन उस घर की आग में जलकर राख हो जाता है।

लेखक राज रिया से पूछता है के अब काव्या कहाँ है। रिया जवाब देती है वो अब किसी ट्रेन में अपना आखरी सफर कर रही है।

ये सुनते लेखक राज हैरान रह जाता है और उसकी आँख खुलती है तो वो देखता कि रिया लड़की उसके सामने थी ही नहीं।

लेकिन ट्रेन रूकी हुई थी और लोग इधर उधर जा रहे थे ये भीढ देखकर मेने टीटी से पूछा क्या हुआ।

टीटी ने बताया कि कीसी लड़की ने गाड़ी से गिर कर आत्महत्या कर ली। लेखक चोंक जाता है और वो पूछता है पता चला कि वो कौन थी। टीटी कहता है उसके पास एक कम्पनी का कार्ड था उस्से पता चला कि उसका नाम काव्या था ।

लेखक ट्रेन से उतर कर उस लड़की के शव को देखता है तो देखते ही हैरान रह जाता है वो वही लड़की थी जिसने अपने आप को रिया बताया था यानी वो अपनी खुद की कहानी बता रही थी।.....


...........ललित राज ✍️...........


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