दिल को फिर महोब्बत हुई Lalit Raj द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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दिल को फिर महोब्बत हुई

दिल को फिर महोब्बत हुई


सायद उनको आपसे प्यार हो या न हो लेकिन अगर आप उन्हें सच्चा प्यार करते हो तो आप उनको अपने प्यार का

इतना आदी करदो के आपके सिवा कहीं और जा भी न पाऐ।

काव्या - राहुल ने सभी रश्मों को पूर्ण करके अब वो दोनों शादी के पवित्र बंधन बंध चुके हैं।

काव्या अपने घर से विदा लेती है, काव्या के पिता एक अध्यापक है जो कि आर्थिक रूप से कमजोर हैं यही विचार काव्या के मन में जाते जाते था।

कि काव्या के पिता बाकी जीवन कैसे व्यतीत करेंगे क्योंकि काव्या की माँ नहीं बस पिता ने ही काव्या की परवरिश की थी।

बढे होने पर काव्या ने अपने पिता का खयाल रखा अब सोच कर परेशान थी की मेरे पिता ने जो कुछ कमाया था वो सब शादी में लगा दिया अब आगे जीवन व्यतीत करने के लिऐ कोई आर्थिक सहारा नहीं है।

काव्या इतना सोचते सोचते अपने ससुराल पहुंच जाती है राहुल और काव्या रीती रिवाजों से घर में प्रवेश करतें हैं।

राहुल की बहन अपने भईया और भाभी को गेट पर रोकती है ताकी उसे नेक मिल सके लेकिन राहुल मिजाज से कुछ ठीक नहीं था।

उसने अपने कंधे से रस्म वाला कपड़ा फेंक कर अंदर रूम में चला जाता है।

काव्या यह देखकर परेशान हो जाती है, राहुल की माँ कहती है सायद वो थक गया होगा इसलिए अपने कमरे में चला गया।

काव्या अपनी सासू माँ से कहती है "कोई बात नही माँ" यह कहकर काव्या भी अंदर रूम में चली जाती है।

काव्या ने देखा कि राहुल ने गुस्से में सारी सजावट को बिगाड़ दिया है और बेड पर लैटा हुआ होता है, काव्या राहुल के पास जाकर बैठ जाती है और हिम्मत करके राहुल से पूछती है " आपको क्या हुआ कोई प्रोब्लम तो नहीं" राहुल ने गुस्से से जवाब दिया " हा है प्रोब्लम है" काव्या फिर मायूसी से राहुल से पूछती है " क्या प्रोब्लम हुई है"

राहुल गुस्से से खड़े होकर काव्य की तरफ देखकर कहता है " तुम हो प्रोब्लम" और यह कहकर वो कमरे से चला जाता है।

काव्या राहुल का इंतजार करती रहती है लेकिन पूरी रात बीत जाती है वो नहीं आता।

सुबह होते ही जल्दी उठकर वह तैयार होकर मंदिर घर में चली जाती है और बाकी परिवार के लोग भी वहां आ जाते हैं।

सभी प्रसन्न थे काव्या को मंदिर में पूजा करते देख, काव्या की सासू माँ कहती हैं " लगता मेरी बहू के आते ये घर स्वर्ग बन जाऐगा" और इतने में दरवाजे से किसी के लड़खड़ा कर गिरने की आवाज आती है तो पूरा परिवार वहाँ पहूंचता है तो देखता है के वो राहुल है।

उसे इस हाल में देख सभी हैरान हो जाते है और तभी राहुल के पिता राहुल पर गुस्से से हाथ उठा देते हैं " नालायक तू पीकर आया है क्या यही दिन दिखाने के लिऐ पैदा किया था"

राहुल अपने पिता से कहता है " नहीं आपने इसलिए पैदा किया है ताकी आप अपनी मरजी उनपर थोंप सके "

राहुल अपने कमरे तरफ लड़खड़ाते हुऐ जाता तब राहुल की माँ उसे ऐसे जाता देख काव्या से साथ जाने के लिए बोल देंती हैं।

काव्या राहुल को लेकर कमरे में आजाती है और राहुल बैड पर बैठ जाता है, काव्या मायूस खड़े रहकर राहुल को देखती रहती है।

राहुल काव्य से रोते हुऐ कहता है " काव्या मुझे माफ करना मेरी वजह से तुम्हारी जिंदगी में काफी परेशानियां आनेवाली हैं, ये सब मेरे माँ बाप की गलती है तुम्हें मेरी जिंदगी से जबर्दस्ती जोड़ दिया, काव्या तुम मझसे पति के फर्ज की उम्मीद मत रखना"

काव्य कहती है "क्या मै इन सब की वजह जान सकती हूँ"
फिर राहुल बताता है " रिया नाम था जिसे मै प्यार करता था, मेने उसे माँ पापा से मिलाया, वो रिया से उसका धर्म और जाती पूछने लगे, कहते हैं रिया की जात छोटी है उसका विवाह मुझसे नहीं हो सकता।

मै नहीं माना मेने कहा मै शादी रिया से ही करूंगा, मेरी जिद देख मेरे पापा ने मुझसे कहा कि अगर मै रिया से शादी करूंगा तो वो मुझसे वास्ता नहीं रखेंगे।

और मेने सोचा कि पापा को मना लुंगा कुछ दिन बीत गये और कुछ दिन बाद मेने पापा से फिर पूछा तो वो मान गये और मै रिया के पास गया ताकी उसे खुश खबरी गले लगाकर बताओं।

मेने रिया से उस्से पहले बात नही की थी क्योंकि हमारे प्यार का आगे क्या होगा इससे पहले मुझपर कोई जवाब नहीं था लेकिन अब खुशी खुशी बता सकता हूँ।

और जब मै उसके घर पहुंचा तो मुझे पता चला कि उसने खुदखुशी कर ली।

ये सुनकर बहुत दुखी था समझ नही आ रहा था ऐसा लग रहा था जैसे पैरों से जमीन खिसक गई हो, रिया के पिता ने मुझसे कहा मेरी बेटी के मौत के जिम्मेदार तुम हो चले जाओ यहां से

मेने पुछा यह सब हुआ कैसे, रिया के पिता कहने लगे तो मुझसे क्या पूछ रहा जाके अपने पिता से पूछ जिन्होंने ऐसा खेल खेला, मेरी बेटी को खुदखुशी के लिऐ तेरे पिता ने ही उत्साहया था, उसे इतना जलील किया कि वो आस पास भी नहीं निकल सकती थी और हिम्मत हारकर उसने खुदखुशी करली।"

काव्या से राहुल कहता अब पता चला की जाती भेदभाव के चलते मेरे पिता की वजह से मेरी जान चली गई और अब अपनी ही जात की लड़की से शादी कराकर उसकी जिंदगी खराब कर दी।

काव्या यह सुनकर राहुल से कहती है " जो किसी को इतना प्यार कर सकता है उसपर नफरत सोभा नहीं देती मै जानती हूँ बहुत गलत हुआ है और जो रिया को आपने प्रेम दिया वो मुझे आप नहीं दे सकते लेकिन रिया भी तो आपसे बहुत प्यार करती थी तो आज जिस हाल में आप हैं क्या वो आपको ऐसे देख पाती अगर नहीं तो ऐसा दुवारा मत करना"

राहुल कहता है "ठीक अब ऐसा नहीं होगा" काव्या मुस्कराकर राहुल से कहती है " एक बात और आप चाहो या न चाहो इस रिस्ते को लेकिन आप के दुवारा दिया गया ये सम्मान इस रिस्ते को आगे बढाने की वजह बन गया है।"

राहुल ने कहा "मै किसी और को चाहता हूँ फिर भी तुम मेरे साथ जिंदगी बिताना चाहोगी" काव्य राहुल से कहती है " मुझे पहले पता होता तो सायद मै इस रिस्ते के लिऐ मना करदेती लेकिन जव रिस्ता हो ही चुका है तो उसे निभाने कि वजह होनी चाहिए और वजह यह कि आपका दिल सच्चा है और मुझे यकीन है चाहे पति का प्रेम मिले या न मिले लेकिन जीवन भर साथ निभाने का भरोसा आपसे मिल सकता है"

राहुल को काव्य की बात सुनकर रिया का खयाल आने लगा क्योंकि रिया और काव्या का स्वभाव एक जेसा लगा और कुछ ही देर में काव्या में उसे रिया नजर आने लगी और यह देख वो काव्या को गले लगा लेता है और कहता है मै तुम्हारा साथ कभी नहीं छोडुंगा।

काव्या और राहुल दोनों थोड़ी देर गले लगे रहते है और तब राहुल के माँ पिता दोनों देख रहे होतें हैं।

राहुल के पिता कहते हैं मेने जो गलती की थी उसकी सजा मेने अपने बेटे की यह हालत देखते देखते पाई थी और इसलिए मेने बराबर घर के नहीं लेकिन एक मामूली परिवार से काव्या को चुना क्योंकि काव्या के स्वभाव को पहले से ही मै जानता था और सायद कोई एक अच्छा काम किया था जिसके फलस्वरूप काव्या हमारे घर की बहू बनी।